शनिवार, 12 दिसंबर 2009

मध्यप्रदेश बना बेस्ट ई-गवर्नेंस स्टेट

मध्यप्रदेश को मिला बेस्ट ई-गवर्नेंस राज्य का प्रतिष्ठापूर्ण अवार्ड
सरमन नगेले

मध्यप्रदेश को अपने ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में समग्र प्रदर्षन के आधार पर बेस्ट ई-गवर्नेंस राज्य का सी.एस.आई. ई-गवर्नेंस निहीलेण्ट अवार्ड 2008-09 प्राप्त हुआ। इस प्रतिष्ठापूर्ण अवार्ड के अलावा राज्य सरकार के विभागों की श्रेणी के तहत स्कूल षिक्षा विभाग तथा जिला स्तर पर ई-षासन के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्षन करने की श्रेणी में सागर जिले को विषेष मान्यता प्रदान करते हुए ई-गवर्नेंस पर 9 अक्टूबर 2009 को पुणें में आयोजित सीएसआई के वार्षिक सम्मेलन में ये अवार्ड मिले। इसी के साथ मध्यप्रदेष ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुशासन प्रदान करने में अग्रणी राज्य बन गया है। इस तथ्य को न केवल रेखांकित किया गया है बल्कि गुण-दोष के आधार पर प्रदेश को सी.एस.आई. ई-गवर्नेंस निहीलेण्ट अवार्ड 2008-09 के तीन श्रेणियों के पुरस्कार मिले हैं। राज्य श्रेणी का अवार्ड मध्यप्रदेष के आई.टी. विभाग और मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के सचिव अनुराग जैन को तथा विभाग की श्रेणी के तहत स्कूल षिक्षा विभाग की ओर से बी.आर. नायडू, आयुक्त लोक षिक्षण संचालनालय को तथा जिला श्रेणी के पुरस्कार के अंतर्गत सागर जिले के कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी को टी.सी.एस के चीफ एस महालिंगम और एसआईजी ई-गवर्नेंस के चेयरमेन प्रो. अषोक अग्रवाल ने दिये। अवार्ड प्राप्त करने से पूर्व अनुराग जैन ने प्रदेष में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में हो रहे काम व विभिन्न पहलों पर अपना एक प्रस्तुतिकरण दिया। श्री जैन ने कार्यक्रम में अपना मुख्य भाषण भी दिया। मुख्यमंत्री मप्र षिवराज सिंह चैहान ने इस गौरवपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने के लिए आईटी मंत्री कैलाष विजयवर्गीय, सचिव आईटी अनुराग जैन, ओएसडी आईटी विभाग अनुराग श्रीवास्तव को बधाई दी है।मध्यप्रदेष को मिले बेस्ट ई-गवर्नेंस राज्य का अवार्ड प्रतिष्ठापूर्ण इन मायनों में है, भारत के आई.टी क्षेत्र के प्रोफेषनल, प्रोजेक्ट मैनेजर, सीआईओस्, सीटीओस् और आईटी वेंडर वाले लगभग 30 हजार सदस्यों वाली 1965 में गठित संस्था सीएसआई के 65 चेप्टर भारत में हैं। सीएसआई द्वारा ई-गवर्नेंस अवार्ड पिछले कई वर्षो से दिए जा रहेे हैं। मध्यप्रदेष को अपने ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में समग्र प्रदर्षन के आधार पर वर्ष 2008-09 के लिये बेस्ट ई-गवर्नेंस राज्य विजेता घोषित किया गया है। इस दौरान राज्य शासन की पहल विषेष रूप से नीतियों के संबंध में फैसला, बुनियादी सुविधाओं, विभिन्न परियोजनाओं के साथ-साथ, क्षमता निर्माण आदि को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है बल्कि उत्तम ई-षासित राज्य के पुरस्कार से नवाजा गया। कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रति वर्ष केन्द्र और राज्यों के विभागों एवं जिलों तथा विभिन्न परियोजनाओं के कार्यों के मूल्यांकन के पश्चात् यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। वर्ष 2008-09 के लिए मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग को सर्वोत्तम ई-प्रशासन के लिए सी.एस.आई. निहीलेंट ई-गर्वनेंस अवार्ड के लिए चुना है। साथ ही जिला स्तर पर ई-षासन के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्षन करने की श्रेणी में सागर जिले को विषेष मान्यता प्रदान करते हुए चुना गया है। सीएसआई निहीलेण्ट अवार्ड के लिए देषभर से आवेदन आये थे। परिक्षणोंपरांत कम्प्यूटर सोसायटी आॅफ इंडिया की टीम व ज्यूरी के सदस्यों ने मध्यप्रदेष राज्य, स्कूल षिक्षा विभाग एवं सागर जिला को चुना इसके बाद ई-गवर्नेंस के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में सीएसआई की टीम और ज्यूरी के सदस्यों ने मौका मुआयना किया। साथ ही राज्य शासन के संबंधित अधिकारियों से ई-गवर्नेंस की प्रभावी भूमिका को भी समझा। तत्पष्चात् प्रस्तुतिकरण के लिए सीएसआई द्वारा मध्यप्रदेष के मुख्यमंत्री के व आईटी विभाग के सचिव अनुराग जैन को आमंत्रित किया गया। राज्य के आईटी सचिव के प्रस्तुतिकरण के पष्चात् उत्कृष्ट ई-षासित राज्य के अवार्ड के लिए मध्यप्रदेष को विजेता घोषित किया गया। गौरतलब है कि प्रस्तुतिकरण एवं अंतिम मूल्यांकन 15 और 16 सितम्बर 2009 को संपन्न हुआ। अवार्ड की संपूर्ण प्रक्रिया में लगभग 6 माह का समय लगा। दो अप्रैल से यह प्रक्रिया प्रारंभ हुई जो 16 सितम्बर 2009 को समाप्त हुई। तदोपरांत 2008-09 के सीएसआई निहीलेंट अवार्ड घोषित किये गये। म.प्र. में ई-गवर्नेंस की अवधारणा किस प्रकार आकार ले रही है एक नजर ’’कल्याणकारी राज्य के लिए विकास और सुषासन दो ऐसे क्षेत्र होते हैं जिनके आधार पर उन्नति और प्रगति का मार्ग बनता है, विकास के लिए सुषासन पहली शर्त है। मप्र के मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी संवेदनषीलता प्रदर्षित करते हुए मध्यप्रदेष में नया इतिहास लिखने का संकल्प दोहराया है। सुषासन के लिए सबसे जरूरी है उपलब्ध तकनीकि और प्रौद्योगिकी का सकारात्मक उपयोग। मध्यप्रदेष ने षिव के नेतृत्व में इस दिषा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं।’’ वैसे ई-गवर्नेंस मध्यप्रदेष के लिए एक घटनाक्रम है जो पिछड़े राज्यों को एक करने में अपनी भूमिका निभायेगा। आईटी के प्रवर्तनकारी गुणों ने लोगों के जीवन को आसान बना दिया है। अपनी लोकहितैषी सेवाओं के पर्दापण के साथ विभिन्न विभागों की कार्यप्रणाली को भी सहज बनाया है। ई-गवर्नेंस से पारदर्षिता में भी वृद्धि हुई है। जिसके कारण भ्रष्टाचार की संभावनाओं पर धीरे धीरे विराम लग रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत सप्लाई के बहाल होने और संचार क्रांति के कारण आईटी ने जनता की आत्म निर्भरता में वृद्धि की है। जहां तक मध्यप्रदेष का सवाल है तो यहां के राज्य मंत्रालय का कम्प्यूटरीकरण के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय का कम्प्यूटरीकरण, सीएम की पब्लिक घोषणाओं की माॅनिटरिंग, चुनाव घोषणा पत्र के क्रियान्वयन की माॅनिटरिंग, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान व राहत कोष की माॅनिटरिंग, मंत्रिपरिषद के निर्णयों के क्रियान्वयन की माॅनिटरिंग, मंत्रालय में प्राप्त पत्रों के अलावा मुख्यंमत्री सचिवालय और मुख्य सचिव सचिवालय के समस्त संदर्भो की व्यवस्था विभागीय माॅनिटरिंग सिस्टम के तहत है। राज्य मंत्रालय का फाइल मूवमेंट माॅनिटरिंग सिस्टम (एफएमएमएस) भी है। मुख्यमंत्री माॅनिटरिंग कार्यक्रम (परफाॅरमेंष मैनेजमेंट सिस्टम) से मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान ने अपने को जोडकर रखा है। वे समय समय पर इस व्यवस्था के अंतर्गत माॅनिटरिंग करते हैं। समाधान आॅनलाईन द्वारा जनषिकायतों का निराकरण भी सतत् रूप से किया जाता है। परख कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण अंचलों में उपलब्ध कराई जा रही मूलभूत सुविधाओं पर न केवल नजर रहती है। बल्कि इसके जरिए मूलभूत आधारित सुविधाओं की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाता है। मुख्यमंत्री श्री चैहान इस कार्यक्रम की प्रत्येक माह न केवल समीक्षा करते है बल्कि जिलों में पदस्थ व संबंधित अधिकारियों से रूबरू भी होते हैं। राज्य मंत्रालय के कर्मचारियों से संबंधित मुख्य जानकारी मसलन- पे स्लिप, सरकुलर, पदक्रम सूची, ऋण तथा अग्रिम, विभागीय भविष्य निधि कोष दावे, आवास आवंटन, भारत सरकार को भेजे गए प्रस्ताव, दावा प्रबंधन, व्यक्तिगत सूचना प्रबंधन, जी2जी व जी2ई के अलावा अन्य विषेष फीचर भी इंट्रानेट पोर्टल ीजजचरूध्ध्अंससंइीण्उचण्दपबण्पद पर उपलब्ध है। म.प्र. के लगभग सभी विभाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ई-गवर्नेंस के तहत नेटवर्किंग से जुड़ गए हैं। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर ई-गवर्नेंस स्टाफ तैयार किए जा रहे हैं। और प्रषिक्षण प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की मंषा है कि आईटी के लिए हर विभाग का बजट अलग से हो। मुख्यमंत्री इस रणनीति के अंतर्गत विचार कर रहे है कि ग्रामीण क्षेत्रों मे इंटरनेट क्योस्क खोलें जहां से किसान ईमेल के द्वारा उनसे व सेवा प्रदान करने वालों के संपर्क में रहें। ई-गवर्नेंस की दिषा में पारदर्षिता लाने के उद्देष्य से सभी महत्वपूर्ण सरकारी परिपत्र आॅनलाईन पर उपलब्ध हो रहे हैं। जन सुविधा केन्द्र योजना का नाम समाधान एक दिन है। यह राज्य सरकार की सेवा वितरण व्यवस्था को सुधारने के लिए जन केन्द्रित कोषिष है। यह अब जिला दफ्तरों में अलग अलग प्रमाण पत्र एवं दूसरे जरूरी कागजातों के वितरण में सहायता कर रहा है। अभी यह प्रबंध जिला स्तर पर है। भविष्य में इनको खण्ड एवं तहसील स्तर पर बढ़ाने की षिव सरकार की महत्वकांक्षी योजना है। इन केन्द्रों के माध्यम से जनता कई तरह के प्रमाण प्त्र जैसे कि मूल निवासी प्रमाण पत्र, अस्थायी जाति प्रमाण पत्र, विवाह रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, दुकान की स्थापना के अंतर्गत पुर्नः नवीनीकरण प्रमाण पत्र, गरीबी रेखा से नीचे की सूची का प्रमाण पत्र, एनओसी, ड्रायविंग लाइसेंस, अस्थायी परिवहन प्रमाण पत्र, अस्थायी बिजली कनेक्षन, रोजगार रजिस्ट्रेषन, कामगारों का पहचान पत्र, कामगारों के क्रियाक्रम में सहायता, मेटरनीटी सहायता, ऐफीडेविट इत्यादि आवेदन पत्र सभी प्रमाण पत्रों के साथ जमा करने पर उसी दिन शाम को चार बजे तक पा सकते हैं। प्रदेष के सभी विधायकों को मूलभूत कम्प्यूटर संचालन प्रषिक्षण देने की व्यवस्था भी है। म.प्र. की ई-गवर्नेंस आधारित महत्वकांक्षी परियोजनाएंनीति - आईटी को बढ़ावा देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नीति के तहत विषेष सुविधाएं प्रदान करना। अधोसंरचना - आईटी पार्क (एसईजेड- विषेष प्रक्षेत्र जोन), ’’एमपी स्वान’’ एमपी स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क ब्राडबैंड कनेक्टीविटी की दिषा में ब्लाक स्तर तक पूरे राज्य में क्रियान्वित की जा रही है।, स्टेट डाटा सेंटर, इन्दौर, सागर, ग्वालियर, षिवपुरी और गुना जिलों में ई-डिस्ट्रिक परियोजना, भोपाल एवं इन्दौर शहर इंटरनेट की सुविधा से यानि वायफाय सुविधायुक्त होंगे, स्टेट सर्विस डिलेवरी गेटवे। सूचना प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना - प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने हेतु विभाग द्वारा भोपाल, ग्वालियर एवं जबलपुर सूचना प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना के लिए प्रयास किये जा रहे है। ग्वालियर में विभाग द्वारा असाईड योजना की सहायता से लगभग 1 लाख वर्गफुट स्थान का निर्माण किया जा रहा जिसे आई.टी. कंपनियों को लीज पर दिया जायेगा । इसके अतिरिक्त साॅफ्टवेयर टेक्नालाजी पार्क आॅफ इंडिया द्वारा 3 एकड़ भूमि पर इन्क्यूबेशन सेन्टर एवं अर्थ स्टेशन बनाया जा रहा है । ई-डिस्ट्रिक्ट - भारत सरकार द्वारा नेशनल ई-गवर्नेन्स परियोजना के तहत प्रदेश में ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना लागू करने का निर्णय है। योजना के क्रियान्वयन के प्रथम चरण में ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, इन्दौर तथा सागर जिलांे का चयन किया गया है। मॅैप-आईटी को इस योजना की नोडल एजेन्सी नियुक्त किया गया है। मेसर्स विप्रो लिमिटेड को इस परियोजना के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। आवश्यकताओं का आकलन पूरा कर साफ्टवेयर का निर्माण पूर्ण हो चुका है । राज्य मंत्रालय में स्थापित लेन अपग्रेड- मंत्रालय में स्थापित लेन को अपग्रेड किया जाकर गीगाबाईट लेन की स्थापना की गई है।स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क की स्थापना,- भारत शासन द्वारा मध्यप्रदेश के लिए स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क ;ैॅ।छद्ध अधोसंरचना हेतु राशि स्वीकृत की गई है। इस परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेष में 340 च्वपदजे व िच्तमेमदबम (च्व्च्) केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। परियोजना के लिए नियुक्त भागीदार ट्यूलिप आई.टी. सर्विस द्वारा लगभग 100 पाॅप भवनों पर अधोसरंचना निर्माण एवं वायरलेस टाॅवर खड़े करने का कार्य किया जा चुका है ।सर्विसेस - जी2जी, के अंतर्गत मंत्रालय का कम्प्यूटरीकरण, समाधान आॅनलाइन के अलावा मंत्रालय से संबंधित ई-गवर्नेंस की परियोजनाएं। जी2सी- काॅमन सर्विस सेन्टर की स्थापना - प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के लाभों को आम नागरिकों तक पहुॅचाने के लिए प्रदेश में 9232 काॅमन सर्विस सेन्टर की स्थापना की जायेगी। ई-गुमठियों के जरिए 16 हजार से अधिक बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध होगा। इन केन्द्रों द्वारा ई-प्रषासन को सुनिष्चित करते हुए आम नागरिकों को काॅमन सर्विस सेन्टर के माध्यम से उच्च स्तरीय विडियो, विभिन्न डाटा, ई-गवर्नेन्स सेवाऐं, षिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन आदि की जानकारी उपलब्ध कराई जावेगी। इसके अंतर्गत म.प्र. राज्य इलेक्ट्राॅनिक्स विकास निगम द्वारा एक पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार परियोजना के संचालन हेतु निजी भागीदार संस्थाओं का चयन किया गया है। यह संस्थाऐं हैं 3प प्दविजमबी (होशंगाबाद संभाग), ।प्ैम्ब्ज् (चंबल, सागर एवं रीवा संभाग), ब्डै ब्वउचनजमते (ग्वालियर एवं भोपाल संभाग), छप्ब्ज् (इन्दौर एवं उज्जैन संभाग), त्मसपंदबम ब्वउउनदपबंजपवदे (जबलपुर संभाग)। इन संस्थाओं द्वारा काॅमन सर्विसेस सेन्टर की स्थापना के लिए कार्यवाही प्रारंभ की गई है। अभी तक प्रदेश में 5700 से अधिक सी.एस.सी. की स्थापना की जा चुकी हैं । एमपी आॅनलाइन, समाधान एक दिन, काॅल सेंटर, किसानों के लिए एमपीकृषि डाॅट ओआरजी, मीडिया व आमजन के लिए जनसंपर्क संचालनालय द्वारा संचालित एमपीइंफो डाॅट ओआरजी के अलावा अन्य माध्यमों से सेवाएं उपलब्ध कराना, परिवहन विभाग में ई-सेवाएं, छात्रों की सुविधा के लिए एमपीआॅनलाईन डाॅट जीओवी डाॅट इन पर व्यवसायिक परीक्षा मंडल के साथ साथ अन्य परीक्षा के फार्म आॅन लाइन, काॅमर्सियल टेक्स राज्य सरकार इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त करती है। उचवदसपदम नामक पोर्टल का विकास- सदूर क्षेत्रों में नागरिकों को शासकीय सेवा प्रदान करने के लिए कार्यालयों में उपस्थित होने की अनिवार्यता को समाप्त करने हेतु ूूूण्उचवदसपदमण्हवअण्पद नामक पोर्टल विकसित किया गया है। वेबसाईट के माध्यम से व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा समय-समय पर आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के फार्म जारी किये गये है। नागरिकों को सूचना गुमटियों के माध्यम से फार्म एवं शासकीय जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है तथा मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के बिजली के बिलों का भुगतान राष्ट्रीय उद्यानों में प्रवेश के लिए आॅन लाईन बुकिंग तथा जीवन बीमा निगम की पाॅलिसियों की किश्तों का भुगतान की सुविधा भी पोर्टल पर उपलब्ध कराई गई है। फिलहाल पोर्टल पर 55 सेवायें उपलब्ध हैं एवं अभी तक 11 लाख नागरिकों को सेवायें प्रदान की जा चुकी हैं । इसमें शिक्षा से संबंधित अधिकांश सेवायें है जिसमें इन्दौर विश्वविद्यालय/माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविधालय/जीवाजी विश्वविद्यालय/ ओपन स्कूल/माध्यमिक शिक्षा मंडल री-टोटलिंग एवं री-वेल्यूएशन एवं राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की सेवायें सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त टेलीफोन के बिल का भुगतान भी किया जा सकता है। एमपी आॅन लाईन के 866 कियोस्क कार्यरत है तथा 1000 काॅमन सर्विस सेन्टर इस सेवा से जुडे है।काॅल सेन्टर - भोपाल में राज्य के लिए काॅल सेन्टर स्थापित किया गया है। इस काॅल सेन्टर में नागरिक दूरभाष क्रमांक 155343 लगाकर योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे एवं शिकायत दर्ज करा सकेंगे । फिलहाल स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित जानकारी प्राप्त की जा सकती है एवं शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। स्कूल शिक्षा विभाग के अलावा राजस्व, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, महिला एवं बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा वन विभाग से संबंधित सेवायें प्रक्रियागत हैं। जी2बी - ई-टेंडरिंग, वेट, एमपीट्रांस्पोर्ट की इंटरनेट सेवाएं, वन विभाग में आईटी को अपनाया गया। ई-टेण्डर - राज्य शासन द्वारा शासकीय निविदाओं में इलेक्ट्रानिक टेंडरिंग व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश के कार्य विभागों के क्रय संबंधी कार्यो हेतु ई-टेण्डर परियोजना प्रारंभ की गई है। मेसर्स विप्रो द्वारा इस परियोजना का क्रियान्वयन किया गया है। योजना का कार्य ठव्व्ज् (बिल्ड, ओन, आॅपरेट एवं ट्रान्सफर)़ के आधार पर किया गया है एवं इसमें राज्य शासन पर कोई व्यय भार नहीं आ रहा है। सभी शासकीय विभागों के क्रय कार्य ई-टेण्डरिंग के माध्यम से करने हेतु वेबसाईट उपलब्ध है। इस प्रणाली के माध्यम से रूपये 170892.27 लाख की राशि के 374 नर्मदा घाटी विकास /लोक निर्माण विभाग/सिचाई विभाग/लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग/ग्रामीण सडक प्राधिकरण के टेण्डर जारी किये जा चुके है।अवार्ड - मध्यप्रदेष के वित्त विभाग को कोषालयो में कम्प्यूटराईजेषन में उत्कृष्ट कार्य करने पर भारत सरकार का गोल्डन आईकाॅन पुरस्कार, आईटी क्षेत्र का प्रतिष्ठित मंथन अवार्ड, सागर जिले को बेस्ट ई-गवर्नेंस डिस्ट्रिक का पुरस्कार, आईटी के उपयोग के लिए इंडिया टेक एक्सीलेंस अवार्ड 2006, मध्यप्रदेष को ई-गवर्नेंस श्रेष्ठ प्रोजेक्ट लागू करने के लिए तीन सीएसआई निहीलेण्ट अवार्ड 2006-07 एवं 2007-08, समाधान आॅन लाईन पहल लिम्का बुक आॅफ रिकार्ड में। भारत सरकार के आईटी मंत्रालय ने प्रदेष के वन व बिजली विभाग को नेषनल ई-गवर्नेंस अवार्ड प्रदान किए हैं। देष की आईटी जगत की प्रतिष्ठित पत्रिका डाटा क्वेस्ट ने भी राज्य के वन विभाग व कृषि विभाग को 23 मार्च 2009 को ई-गवर्नेंस चैंपियन अवार्ड से नवाजा है। हालही में बेस्ट ई-गवर्नेस स्टेट का सी.एस.आई. निहीलेण्ट ई-गवर्नेंस अवार्ड 2008-09 मिला है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के संकल्प को अब ठोस आकार मिल रहा है। स्वर्णिम मध्यप्रदेष की नींव आईटी क्षेत्र में की गई पहल से और मजबूत हो रही है।
(लेखक - न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डाॅट ओआरजी के संपादक हैं।)

मध्यप्रदेश के खाते में साउथ एषिया के चार ई-गवर्नेंस अवार्ड

केन्द्रीय आईटी मंत्री सचिन पायलट 19 दिसम्बर को पुरस्कृत करेंगे मध्यप्रदेश में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में न केवल नए-नए प्रयोग हो रहे हैं बल्कि उनके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इनफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नालाजी (आईसीटी) को प्रोत्साहित करने के लिए साउथ एषिया का दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ई-गर्वनेंस मंथन अवार्ड 2009 का इस मर्तबा विजेता मध्यप्रदेष बना है। मध्यप्रदेश सरकार के चार विभागों को उनके कामकाज व गुण-दोष के आधार पर ई-गवर्नेंस अवार्ड विजेता घोषित किया गया है। इसी के साथ राज्य के चार विभाग ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुषासन प्रदान करने में अग्रणी बन गए हैं। इस तथ्य को न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित किया गया है बल्कि मान्यता प्रदान करते हुए मंथन अवार्ड 2009 से नवाजा भी जा रहा है।
भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से डिजिटल इंपावरमेंट फांउडेषन द्वारा विकास के लिए डिजिटल को शामिल किए जाने विषय पर 18 एवं 19 दिसम्बर 2009 को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन का शुभारंभ 18 दिसम्बर 2009 को केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए राजा के मुख्य आतिथ्य में होगा। सम्मेलन के दौरान जनमानस में पहुंच के लिए आईसीटी मेला का भी आयोजन किया जा रहा है।
मंथन अवार्ड के सहयोगी व आॅनलाइन मीडिया पार्टनर एमपीपोस्ट के अनुसार ई-गर्वनेंस के लिये दिया जाने वाला साउथ एषिया का प्रतिष्ठित मंथन अवार्ड 19 दिसम्बर 2009 को नई दिल्ली में 30 राज्यों व आठ देषों के लगभग एक हजार प्रतिभागियों व चेंपियन तथा इनफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नालाजी (आईसीटी) के विषेषज्ञों की मौजूदगी में सम्मेलन के दूसरे दिन समापन अवसर के मुख्य अतिथि केन्द्रीय सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट प्रदान करेंगे।
ई-गर्वनेंस के चार अवार्ड मध्यप्रदेष के खाते में आने पर राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान व आईटी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय तथा आई.टी. विभाग के सचिव व मुख्यमंत्री के सचिव अनुराग जैन ने विजेता विभागों की टीम को बधाई दी है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में प्रदेष में ई-गर्वनेन्स के क्षेत्र में लगातार नये-नये प्रयास और प्रयोग हो रहे है मुख्यमंत्री श्री चैहान की मंषा है कि आमजन को सुविधायें सरलता से और तुरंत बिना किसी बाधा के कैसे मिले, इस दिषा में म.प्र. का आईटी विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में मध्यप्रदेष को नाॅस्काम सीएनबीसी आईटी अवार्ड व बेस्ट ई-गर्वनेन्स स्टेट का सीएसआई निहीलेंट अवार्ड भी मिला है। मंथन अवार्ड ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में सभी स्तरों पर विकास के लिये दिया जाता है।
अवार्ड ज्यूरी म.प्र. में आईटी के संदर्भ में अपनाये गये कार्यशील एवं सम्पूर्णत्मक दृष्टिकोण और म.प्र. में विकास की नीति के साथ आईटी की संलग्नता से न केवल काफी प्रभावित हुई। बल्कि बिजली विभाग की परियोजना आॅटोमेटिक मीटर रीडिंग (एएमआर) को बेस्ट ज्यूरी अवार्ड विजेता घोषित किया गया है। मध्यप्रदेष के उच्च षिक्षा विभाग के ई-संवाद व स्कूल षिक्षा विभाग के एमपीस्टेट एज्यूकेषन पोर्टल को तथा वन प्रबंधन में मोबाईल गवर्नेंस पर आधारित फायर एलर्ट सिस्टम को समग्र प्रदर्षन के आधार पर साउथ एषिया का मंथन अवार्ड 2009 विजेता घोषित किया गया है।
म.प्र. के आईटी विभाग व मुख्यमंत्री के सचिव अनुराग जैन विकास के लिए डिजिटल को शामिल किए जाने विषय पर 18 एवं 19 दिसम्बर 2009 को नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मध्यप्रदेष सरकार द्वारा ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यो व अभिनव प्रयोगों पर राज्य सरकार की ओर से अपना प्रस्तुतीकरण देंगे। श्री जैन एक सत्र के काॅ-चेयर व माॅडरेटर भी रहेंगे।
मध्यप्रदेष के स्कूल षिक्षा विभाग की ओर से मनोज झलानी, उच्च षिक्षा विभाग की ओर से संजय झा, वन विभाग की ओर से अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनिल ओबेराय, बिजली विभाग की ओर से एन के जैन और वरिष्ठ अधिकारी अवार्ड प्राप्त करेंगे।
मध्यप्रदेष सरकार मंथन अवार्ड का पार्टनर स्टेट भी है। इस आयोजन में मध्यप्रदेष सरकार अपने चार पवेलियन विभिन्न विषयों पर लगा रहा है। जिनमें मध्यप्रदेष में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में हो रहे कार्यो का प्रदर्षन किया जाएगा।

रविवार, 11 अक्तूबर 2009

इन्टरनेट आरटीआई का दिल


इन्टरनेट आरटीआई का दिल है, यह बात किसी आईटी प्रोफेसनल या इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर द्वारा अथवा ईमेल सेवा प्रदाता कंपनी ने नहीं कही। बल्कि ऐसे शख्स श्री वजाहत हबीबुल्लाह ने कही, जो न केवल पूर्व नौकरषाह है बल्कि वर्तमान में केन्द्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त हैं। जिस कार्यक्रम में मुख्य सूचना आयुक्त ने दिल की बात दिल से जोड़कर कही। उस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश और छग के प्रतिनिधि के रूप में मैं भी मौजूद था। कार्यक्रम था इन्टरनेट पर केन्द्रित आईनेट देहली 2009 जिसका आयोजन 17 सितम्बर 2009 को इन्टरनेट सोसायटी (आईसाॅक) तथा डिजीटल इंपावरमेंट फांउडेषन (डीईएफ) ने किया था। भारत के मुख्य सूचना आयुक्त की टिप्पणी देष की राजधानी के समाचार पत्रों में अगले दिन नदारत थी। टीवी चैनलों व 24 घंटे के खबरिया चैनलों में दिखना तो दूर की बात रही। यद्यपि मैं इन्टरनेट मीडिया से पिछले कई वर्षो से जुड़ा हूं। इसलिए मुख्य सूचना आयुक्त श्री हबीबुल्लाह की टिप्पणी पर मेरा ध्यान ठहर गया। मैंने कार्यक्रम में आये भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों व अन्य देषों से आये विषय विषेषज्ञों से आरटीआई को इन्टरनेट के जरिए प्रोत्साहित करने की बात षिद्दत के साथ कही। अब सवाल उठता है कि आरटीआई इन्टरनेट का हदृय है या नहीं। यह तो समय बतायेगा। अलबत्ता मैं यहां बताना न केवल समीचीन समझता हूं बल्कि प्रासांगिक भी है कि लखनऊ में साॅल्यूषन एक्सचेंज का डीसेन्ट्रलाइजेषन कम्यूनिटी पर केन्द्रित वार्षिक फोरम 22 से 24 अक्टूबर 2009 को होने जा रहा है। जिसमें आरटीआई पर विषेषज्ञों से पेपर आमंत्रित किए गए हैं। यूएनडीपी समर्थित संस्था साॅल्यूषन एक्सचेंज के भारत में 18 हजार सदस्य हैं तथा 30 हजार पाठक। आरटीआई के असर से अच्छे-अच्छे प्रभावषाली तक भय खाने लगे हैं। आरटीआई के जरिए सूचना क्रांति लाने के उपक्रम की कड़ी में सीडेक हैदराबाद द्वारा एक ई-लर्निंग कोर्स प्रारंभ किया गया, जबकि कार्मिक लोक षिकायत एवं पेंषन मंत्रालय, कार्मिक और प्रषिक्षण विभाग भारत सरकार द्वारा आरटीआई को बढ़ावा देने के लिए एक आनलाइन ई-डिग्री कोर्स प्रारंभ किया गया है। इस कोर्स के प्रति लोगों में जागरूकता देखी गई है। कुछ मीडिया की व बड़ी संस्थाओं ने आरटीआई पर केन्द्रित अवार्ड भी स्थापित किए हैं। ये उदाहरण इस बात के द्योतक हैं कि आरटीआई शनैः शनैः अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा है। कितना कारगर है सूचना का अधिकार यानि आरटीआई। सूचना का अधिकार को स्वतंत्र भारत में एक क्रांतिकारी बदलाव की तरह देखा गया है, ऐसी मान्यता रही है कि यह कानून जनता के हाथ में एक ऐसा औजार रहेगा जो सरकार को या सरकार से अनुदान प्राप्त संस्थाओं और आरटीआई के दायरे में आने वालों को कठघरे में उसे जवाबदेय और पारदर्षी होने पर मजबूर करता है। इससे सरकारी कामकाज में क्या पारदर्षिता आयी है और क्या लोग अपने आपको ज्यादा ताकतवर महसूस करते है सरकारी तंत्र के सामने? रेखांकित करने लायक बात यह है कि पूरी दुनिया में सूचना की आजादी के आंदोलनों ने भारत में भी इसकी जरूरत प्रमाणित की थी। हालांकि यह माना जाता रहा है कि भारत के संविधान की धारा 19(1)(क) में जानने का अधिकार भी निहित है। इसमें कहा गया है कि सभी नागरिकों को वाक्-स्वातंत्र्य एवं अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य का अधिकार होगा। इस प्रावधान की व्यापक व्याख्या की गयी है। संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता का कहीं अलग से उल्लेख नहीं है। हर नागरिक के लिए प्रदत्त इस स्वतंत्रता में ही प्रेस की स्वंतत्रता को भी अंतर्निहित माना गया है। इसी तरह, सूचना के अधिकार को भी इसका अनिवार्य अंग बताया गया है। इंडियन एक्सप्रेस न्यूजपेपर्स बनाम भारत संघ 1985, एसीसी 641 मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि नागरिकों को सरकार के संचालन-संबंधी सूचनाओं के विषय में जानने का अधिकार है।सूचना का अधिकार यानि सबसे प्रभावी अधिकारः यह कानून नागरिकों को, संसद और राज्य विधानमण्डल के सदस्यों के बराबर सूचना का अधिकार प्रदान करता है। इसके अनुसार, वैसी सूचना जिसे संसद अथवा राज्य विधानमण्डल को देने से इन्कार नहीं किया जा सकता, उसे किसी आमजन को भी देने से इंकार नहीं किया जा सकता।आरटीआई के अंतर्गत जानकारी लेने के लिए आवेदक को जरूरी शुल्क, जिस नाम से व जिस रूप में जमा करना हो, उसका विवरण ई-मेल के माध्यम से भेजना, ई-मेल से भेजे आवेदन की प्राप्ति तिथि वह मानी जाएगी, जिस तारीख को आवेदक ने आवश्यक शुल्क जमा किया हो, सूचना के अधिकार कानून- 2005 के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदक से शुल्क लिये जाने का प्रावधान है। सूचना प्राप्त करने के इच्छुक आवेदकों को आवेदन-पत्र के साथ 10 रुपये का शुल्क भुगतान करना होगा। इसे लोक प्राधिकारी के लेखा पदाधिकारी के नाम से बने बैंक ड्राफ्ट या बैंकर चेक या भारतीय पोस्टल ऑर्डर के रूप में या नकद रूप में जमा किया जा सकता है, आवेदन शुल्क नकद जमा करने की स्थिति में उससे संबंधित रसीद अवश्य प्राप्त कर लें। सूचना से क्या तात्पर्य है ? सूचना का मतलब है- रिकार्डों, दस्तावेजों, ज्ञापनों, ई-मेल, विचार, सलाह, प्रेस विज्ञप्तियाँ, परिपत्र, आदेश, लॉग पुस्तिकाएँ, निविदा, टिप्पणियाँ, पत्र, उदाहरण, नमूने, आँकड़े सहित कोई भी सामग्री, जो किसी भी रूप में उपलब्ध हों। साथ ही, वह सूचना जो किसी भी निजी निकाय से संबंधित हो, किसी लोक प्राधिकारी के द्वारा उस समय प्रचलित किसी अन्य कानून के अंतर्गत प्राप्त किया जा सकता है, बसर्ते कि उसमें फाईल नोटिंग शामिल नहीं हो। सूचना के अधिकार का क्या अर्थ है ? सूचना अधिकार से तात्पर्य है- कार्यों, दस्तावेजों, रिकार्डों का निरीक्षण, दस्तावेजों या रिकार्डों की प्रस्तावनाध्सारांश, नोट्स व प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त करना, सामग्री का प्रमाणित नमूने लेना, प्रिंट आउट, डिस्क, फ्लॉपी, टेपों, वीडियो कैसेटों के रूप में या कोई अन्य ईलेक्ट्रॉनिक रूप में जानकारी प्राप्त करना। सूचना का अधिकार में जिन सूचनाओं को आम जनता को उपलब्ध कराने की मनाही है। साथ ही, यह कानून केन्द्र सरकार के अंतर्गत कार्यरत कुछ संगठनों को सूचना उपलब्ध नहीं कराने की छूट देता है अर्थात् इन संगठनों से संबंधित सूचना माँगे जाने की स्थिति में लोक सूचना अधिकारी आवेदन को अस्वीकार कर सकते हैं। ये संगठन हैं अन्वेषण ब्यूरो, अनुसंधान और विश्लेषण विंग, राजस्व आसूचना निदेशालय, केन्द्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, नार्कोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो, वैमानिक अनुसंधान केन्द्र, विशेष सीमान्त बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, असम राइफल्स, विशेष सेवा ब्यूरो, विशेष शाखा (सी.आई.डी), अंडमान व निकोबार, अपराध शाखा (सी.आई.डी)-सी.बी, दादरा नागर हवेली, विशेष शाखा लक्षद्बीप पुलिस। ऐसी सूचना जिसके प्रकाशन से भारत की स्वतंत्रता और अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, कार्य योजना, वैज्ञानिक या आर्थिक हित प्रभावित होता हो, विदेशी संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हों या जो अपराध के लिए लोगों को उत्तेजित करता हों। सूचना जिसे किसी भी न्यायालय या खण्डपीठ द्वारा प्रकाशित किए जाने से रोका गया हो या जिसके प्रदर्शन से न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होता है, जिसके प्रकाशन से संसद या राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार प्रभावित होते हों। वाणिज्यिक गोपनीयता, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक संपदा से संबंधित सूचना, जिसके प्रकाशन से तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धात्मक स्तर को क्षति पहुँचने की संभावना हों, जब तक कि सक्षम प्राधिकरी इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाते कि ऐसी सूचना का प्रकाशन जनहित में है, ऐसी सूचना, जिसे विदेशी सरकार से विश्वास में प्राप्त की गई हो, सूचना, जिसके प्रदर्शन से किसी व्यक्ति की जिन्दगी या शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो या कानून के कार्यान्वयन या सुरक्षा उद्देश्यों के लिए विश्वास में दी गई सूचना या सहायता हो, सूचना जिससे अपराधी की जाँच करने या उसे हिरासत में लेने या उस पर मुकदमा चलाने में बाधा उत्पन्न हो सकती हो। मंत्रिपरिषद्, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श से संबंधित मंत्रिमंडल के दस्तावेज,ऐसी सूचना जो किसी व्यक्ति के निजी जिंदगी से संबंधित हो और उसका संबंध किसी नागरिक हित से नहीं हो और उसके प्रकाशन से किसी व्यक्ति के निजी जिंदगी की गोपनीयता भंग होती हो, वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग, 2006 ने तो इस कानून को निरस्त कर देने का सुझाव दिया है।आरटीआई में आईसीटी का उपयोग क्यों नहीं?शासकीय कामकाज में पारदर्षिता और सूचना के अधिकार के लिए दुनियाभर में विभिन्न रूपों में मांग उठी, लेकिन सबसे पहले स्वीडेन देष ने 243 साल पहले सूचना अधिकार लागू किया था। जबकि भारत में सूचना का अधिकार 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। 15 जून 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन। हिन्दुस्तान में 12 अक्टूबर 2009 को सूचना के अधिकार के अधिनियम के चार वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। आरटीआई के बारे में हिन्दुस्तान के हर नागरिक को मालूम होना चाहिए। इसके लिये सरकारी और अन्य स्तरों पर प्रचार-प्रसार के लिये अभियान चालू होना चाहिए। केन्द्र और राज्य सरकारों को सूचना के अधिकार को षिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल करना चाहिए। आरटीआई कानून में जनमानस के लिये एक बहुत बड़ा प्रावधान यह है कि कोई भी व्यक्ति आरटीआई से संबंधित जानकारी ईमेल के जरिए भी प्राप्त कर सकता है। इंटरनेट के द्वारा जानकारी लेने का यह माध्यम सबसे सस्ता और प्रभावी है इसमें पैसे और समय की बचत के साथ-साथ आवेदनकर्ता के लिए समयसीमा का कोई बंधन नहीं है। न ही किसी सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत है। व्यक्ति अपने घर से किसी भी समय आवेदन कर सकता है। आमजन ने इस माध्यम को अपना लिया तो देष में सूचना प्राप्त करने की एक बड़ी क्रांति का सूत्रपात होगा। भारत में इन्टरनेट की उपलब्धता के बारे में एक तथ्य यह भी है कि भारत सरकार के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो अगस्त 2009 तक भारत में 64 लाख से अधिक ब्राडबैंड कनेक्षन उपलब्ध कराये गये हैं। देष के सभी ढ़ाई लाख ग्राम पंचायतों में सन् 2012 तक ब्राडबैंड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। अभी 30 हजार ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ दिया गया है। भारत में निजी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा भी लाखों की संख्या में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अभी भारत में सात करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर हैं। भारत में लगभग सभी महानगरों के शाॅपिंग माॅल, तीन सितारा और पांच सितारा होटलों, कैफे, एयरपोर्ट, कार्पोरेट कार्यालयों, आईटी इंडस्ट्री से जुड़ी हुई संस्थाओं के कार्यालयों के साथ-साथ कुछ प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर फिलवक्त इंटरनेट की सुविधा वाय-फाय के माध्यम से निषुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। शीघ्र ही रेल मंत्रालय टेªनों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करायेगा। सभी टेªनों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कैसे जल्द से जल्द प्रारंभ हो इस गरज से रेल मंत्रालय ने ताने-बाने बुन लिये हैं। बहरहाल 2005 से लेकर मतलब 2009 तक बीते इन वर्षो के दौरान आरटीआई को लेकर आम जन में जो भी प्रतिक्रिया, जागरूकता और उत्साह देखा गया हो। यह बात अलहदा है। लेकिन जिस तकनीकी यानि संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से इस कानून को घर-घर में पहुंचाने में न केवल मदद मिलती बल्कि आरटीआई कानून की सार्थकता भी सिद्ध होती। प्रष्न यह है कि फिर इस तकनीक को क्यों अमल में नहीं लाया गया। साथ ही इसके प्रचार-प्रसार के लिये अभियान क्यों नहीं छेड़ा गया। इसके पीछे जानकार अनेक कारण बता रहे हैं। हाॅं, यदि इंफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नालाॅजी यानि आईसीटी का आरटीआई में उपयोग ज्यादा से ज्यादा सरकारी व अन्य स्तरों पर होता, तो आज इसके परिणाम अलग दिखते। वैसे आरटीआई अभी शैष्वकाल में है। खैर, विलंब से ही सही यदि इसके उपयोग की शुरूआत हो तो भारत में न केवल भ्रष्टाचार में अंकुष लगेगा। बल्कि इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे। आरटीआई कानून का प्रचार-प्रसार व लोगों को इस कानून के तहत आईसीटी के जरिए लाभ लेने के बारें में जब केन्द्रीय सूचना आयुक्त एमएल शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ईमेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी अदान-प्रदान करने को लेकर हालही में एक साफ्टवेयर विकसित किया गया है। जो शीघ्र काम करने लगेगा। तदोपरांत द्वितीय अपील के आवेदन आनलाइन स्वीकार हो सकेंगे। अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है कि किसी भी आवेदनकर्ता ने उनके कार्यालय से ईमेल के माध्यम से पत्राचार किया हो। वैसे इस पर भी विचार किया जा रहा है कि आरटीआई के अंतर्गत जमा होने वाली फीस क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी प्राप्त की जाए। यह सच है कि कुछ हद तक केन्द्रीय सूचना आयोग व राज्य सूचना आयोग तथा केन्द्र और राज्यों की सरकारों ने आरटीआई कानून के बारे में जनमानस को व स्वयंसेवी संगठनों को जागरूक किया है। लेकिन जो सबसे सस्ता और प्रभावी सब जगह और हर समय असरकारी होने वाली विधि आईसीटी से मिली है। उस पर विषेष ध्यान नहीं दिया गया है। यह विचारणीय प्रष्न है। आरटीआई में आईसीटी के उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए अभियान नहीं चलाया गया है। आयोगों ने अपने स्तर पर इस तरह का कोई प्रयास भी नहीं किया है। वैसे आरटीआई के प्रचार-प्रसार करने का दायित्व केन्द्र व राज्य सरकारों का है। फिलहाल आरटीआई के संबंध में काॅल सेंटर के माध्यम से आवेदन स्वीकार करने की परंपरा अभी भारत में नहीं है। साथ ही वीडियों काॅंफ्रेंसिंग के जरिए भी प्रकरणों की सुनवाई न के बराबर हो रही है। ईमेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी लेने-देने से संबंधित जब पत्राचार ईमेल के माध्यम से होने लगेगा। तो काफी समस्याओं का समाधान कम खर्च पर समय पर हो सकेगा। साथ ही नतीजे भी बेहतर आयेंगे। आरटीआई के कुछ कर्ताधर्ताओं ने स्वयं स्वीकार किया है कि वे इंटरनेट या कम्प्यूटर सेवी नहीं है। इंटरनेट और कम्प्यूटर के आरटीआई में इस्तेमाल को लेकर एक आयुक्त ने साफगोई से स्वीकार किया था कि उनकी ईमेल खोलने में रूचि नहीं है। अब देखना यह है कि आरटीआई को आमजन तक पहुंचाने में सबसे सस्ते माध्यम आईसीटी का उपयोग बढ़ाने के लिए सरकारें व जानकार आगे आते हैं अथवा नहीं। आरटीआई का इंटरनेट दिल है। इस शब्द की रक्षा और सार्थकता तब सिद्ध होगी जब आरटीआई से जुड़े इन सवालों पर विषेष ध्यान दिया जाएगा। मसलन- आरटीआई के तहत आने वाली षिकायतों का समाधान वीडियों क्रांफेंसिंग के जरिए होना चाहिए। काॅल सेंटर के माध्यम से आरटीआई के आवेदन स्वीकार होना चाहिए। ई-मेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी लेने-देने की संस्कृति विकसित होना चाहिए। के्रडिट कार्ड के माध्यम से आरटीआई के अंतर्गत ली जानी वाली फीस का भुगतान स्वीकार किया जाना चाहिए। शासन स्तर पर आईसीटी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए साथ आरटीआई के कार्य में संलग्न अधिकारियों को आईसीटी के बारे में प्रषिक्षित किया जाना चाहिए। भारत के हर नागरिक को षिक्षा के अधिकार की तरह आरटीआई के अधिकार के बारे मंे जागरूक बनाना चाहिए। केन्द्र और राज्य सरकारों को यथा संभव पाठ्यक्रमों में आरटीआई को शामिल किया जाना चाहिए।
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सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

मप्र के मुख्यमंत्री श्री चैहान और राज्य के अफसरों का अक्टूबर माह बैठकों के नाम रहेगा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान और राज्य के अधिकारियों का अक्टूबर माह बैठकों के नाम रहेगा। माह अक्टूबर मुख्यमंत्री और अफसरों के नाम इसलिए रहेगा, क्योंकि इस माह मुख्यमंत्री की अक्टूबर माह के शुरूआत से ही मैराथन बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री ने इसकी शुरूआत सोमवार 5 अक्टूबर 2009 को प्रशासन अकादेमी भोपाल में दो दिवसीय मंथन-2009 कार्यशाला का शुभारंभ से की है। श्री चैहान 6 अक्टूबर को भी प्रषासन अकादमी में हो रही मंथन बैठक में मौजूद रहेंगे। कार्यशाला में मंत्रिपरिषद के सदस्यों सहित प्रमुख सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, संभाग आयुक्त, जिला कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और अन्य विकास और निर्माण विभागों के अधिकारियों सहित करीब 200 अधिकारी भाग ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री चैहान माह के प्रथम मंगलवार को वीडियों कांफ्रेंसिंग आधारित कार्यक्रम समाधान आॅनलाइन में कलेक्टर, एसपी सहित विभिन्न अधिकारियों से रूबरू होते हैं। मौके पर ही मुख्यमंत्री आमजन की समस्या का समाधान करते हैं। मुख्यमंत्री श्री चैहान माह के प्रथम मंगलवार को समाधान आॅनलाइन में उपस्थित नहीं रहेंगे। इसलिए वे माह के द्वितीय मंगलवार यानि 13 अक्टूबर को समाधान आॅनलाइन में आमजन की समस्याओं का समाधान करेंगे। इस दौरान वे राज्य के अधिकारियों से रूबरू होंगे तथा आवष्यक निर्देष भी देंगे।
मुख्यमंत्री श्री चैहान प्रत्येक माह के तीसरे गुरूवार को परख कार्यक्रम के दौरान प्रदेष के समस्त अधिकारियों से बातचीत करते हैं। इस दौरान वे अधिकारियों को निर्देष भी देते हैं। इस बार का परख कार्यक्रम 22 अक्टूबर गुरूवार को विंध्याचल भवन स्थित एनआईसी के कांफ्रंेस हाॅल में होगा। परख कार्यक्रम मूलभूत सुविधाओं, सेवाओं की प्रबंधन प्रणाली है। इस कार्यक्रम में प्रत्येक ग्राम से मासिक जानकारी एकत्रित की जाती है। परख कार्यक्रम ग्राम शालाएं, स्वास्थ्य, कृषि पट्टा, वृद्धावस्था सामाजिक सुरक्षा पेंषन, छात्रावास, आश्रम, हैंडपंप, ट्रांसफार्मर, शालाओं, अस्पतालों, आंगनवाड़ियों, उचित मूल्य की दुकानों का संचालन, कृषि एवं पषु सेवाओं का रियलटी चेक है। परख के अंतर्गत राज्य के नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं, सेवाओं के संबंध में आॅनलाइन षिकायत दर्ज करने की सुविधा है। प्रतिमाह नोडल अधिकारी द्वारा प्रदेष के ग्राम भ्रमण कर मूलभूत सुविधाओं और सेवाओं का सत्यापन एवं समस्याओं का चिन्हांकन करते है। नागरिकों द्वारा दर्ज एवं नोडल अधिकारी द्वारा चिन्हांकन समस्याओं के निराकरण के अनुश्रवण की संपूर्ण प्रक्रिया आॅनलाइन है।
समस्याओं के निराकरण के लिए चार स्तरों पर नियमित रूप से माॅनिटरिंग होती है। शासन स्तर पर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और सचिव, संभाग स्तर पर संभागायुक्त, जिला स्तर पर कलेक्टर और अनुविभाग स्तर पर अनुविभागीय अधिकारी द्वारा माॅनिटरिंग की जाती है। मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों से निरंतर बातचीत करने का यह सिलसिला लम्बे समय से चल रहा है। लिहाजा अधिकारी वर्ग उनसे रूबरू होने से पहले पूरी तैयारी करता है। तब मुख्यमंत्री के समक्ष उपस्थित होते हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सहित प्रदेष के समस्त अधिकारियों के लिए अक्टूबर माह बैठकों के नाम इसलिए रहेगा, क्योंकि 5 एवं 6 अक्टूबर को मंथन बैठक को आयोजन हो रहा है, इसके बाद 13 अक्टूबर को मुख्यमंत्री समाधान आॅनलाइन में अधिकारियों से रूबरू होंगे, तदोपरांत 22 अक्टूबर को मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान परख कार्यक्रम के दौरान सीधे बातचीत करेंगे। मुख्यमंत्री इस दौरान अधिकारियों को आवष्यक निर्देष भी देंगे। कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री व प्रदेष के अधिकारियों का माह अक्टूबर बैठकों के नाम रहेगा।

शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

गूगल के सर्च इंजन में जी की जगह गांधीजी यानि गूगल की गांधीगिरी

मां खादी की चादर दे दे , मैं गांधी बन जाऊं
आज दो अक्टूबर है और देर रात से गूगल पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चित्र ग्राफिक्स में बना हुआ। दर्शको को देखने के लिए मिला। प्रसिद्ध इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने बापू को अपना जी यानि गूगल के पहले शब्द जी के स्थान पर गांधी जी का चित्र बनाया है। इसलिए कहा जा सकता है कि गूगल भी भारत में जड़े जमाने के लिए गांधी जी के नाम का न केवल उपयोग कर रहा है, बल्कि गांधीगिरी अपना रहा है। टेलीविजन चैनलों पर भी आज महात्मा गांधी को सजाया व बेचा जाएगा। भोपाल, दिल्ली और मुंबई में गांधी जी पर केन्द्रित फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।
भोपाल में 11 फिल्मों का प्रदर्शन आज से प्रारंभ हुआ। ये फिल्में मार्केट से अलग हैं। कुछ न्यूज चैनलों ने गांधी के जीवन पर कुछ विशेष कार्यक्रम भी बनाये हैं। दो अक्टूबर के दिन मीडिया के लोग गांधीनुमा व्यक्तियों की तलाश करते हैं। कुछ बुर्जुग गांधीवादी व्यक्तियों की इस दिन मांग बढ़ जाती है। दो अक्टूबर के दिन गांधी जी की समाधी पर व उनकी मूर्तियों पर माल्र्यापण कर लोग इतिश्री कर लेते हैं। लेकिन इस रस्म अदायगी में कोई भी पीछे नहीं रहता है। भारत में गांधी जी के प्रति प्रेम को देखकर गैर भारतीय इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने गांधी जी को अपने सर्च इंजन के माध्यम से न केवल दर्शको को लुभाने की कोशिश की है बल्कि गांधी जी के प्रति अपनी आस्था और प्रेम का इजहार करने का प्रयास किया है। गांधी जी ने हमेशा यह संदेश दिया है कि बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो।
रेखांकित करने योग्य बात यह है कि जो वर्ग गांधीजी के विचारों से व उनके द्वारा बताए गए मार्ग से अलग होता जा रहा है। उस वर्ग के बीच में गांधीजी की जयंती यानि दो अक्टूबर के दिन गूगल ने कम से कम यह तो कर दिखाया है कि लोग दो अक्टूबर के दिन गांधीजी को याद करें, उनको विस्मृत करने जैसे उपक्रम से बचाये रखने का सराहनीय प्रयास किया है। यह बात अलग है कि गूगल के सर्च इंजन पर गांधीजी के चित्र को देखकर कितने लोग खुश हुए, ओर कितने लोग मायूस। अलबत्ता गूगल के सर्च इंजन पर पूरी दुनिया में जिस गति से लोग जाते हैं उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि करोड़ों लोगों के मनमस्तिष्क पर गांधीजी ने एक बार फिर गूगल के माध्यम से अपना परचम फहराया है। दो अक्टूबर के दिन ही सही करोड़ों लोगों को गूगल के जरिए गांधीजी याद आए।
गांधी जयंती के अवसर पर प्रासांगिक और सामयिक कविता यहां प्रस्तुत है-
मां खादी की चादर दे दे , मैं गांधी बन जाऊं
बचपन में पाठ्य पुस्तक में एक कविता पढ़ी थी, “मां खादी की चादर दे दे , मैं गांधी बन जाऊं।” कविता में एक बच्चा मां से गांधी जी के जैसी वस्तुएं दिलवाने की मनुहार करता है ताकि वह भी उन्हें लेकर गांधी जी जैसा दिख सके। उसमें गांधी जी की मशहूर घड़ी का जिक्र था। गांधी जी घड़ी हाथ में नहीं बांधते थे, कमर में लटकाते थे। “घड़ी कमर में लटकाऊंगा”
तब बाल मन के लिए गांधी जी आदर्श थे, उनकी तरह कमर में घड़ी बांधने की उत्सुकता होती
थी। आज वही घड़ी तस्वीर में देखने को मिल रही है क्योंकि उसकी अमेरिका में नीलामी हुई
है। क्या आपको वह पूरी कविता और लेखक का नाम याद है?
कविता कुछ इस प्रकार थी-
मां खादी की चादर दे दे, मैं गांधी बन जाऊं
सब मित्रों के बीच बैठ कर रघुपति राघव गांऊ
घड़ी कमर में लटकाऊंगा सैर सवेरे कर आऊंगा
मुझे श्ई की पोनी दे दे
तकली खूब चलाऊं
मां खादी की चादर दे दे, मैं गांधी बन जाऊं

मंगलवार, 15 सितंबर 2009

आरटीआई में आईसीटी का उपयोग क्यों नहीं?

शासकीय कामकाज में पारदर्शिता और सूचना के अधिकार के लिए दुनियाभर में विभिन्न रूपों में मांग उठी, लेकिन सबसे पहले स्वीडेन देश ने 243 साल पहले सूचना अधिकार लागू किया था। जबकि भारत में सूचना का अधिकार 15 जून 2005 को लागू हुआ है।
आरटीआई के बारे में हिन्दुस्तान के हर नागरिक को मालूम होना चाहिए। इसके लिये सरकारी और अन्य स्तरों पर प्रचार-प्रसार के लिये अभियान चालू होना चाहिए। केन्द्र और राज्य सरकारों को सूचना के अधिकार को शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल करना चाहिए। आरटीआई कानून में जनमानस के लिये एक बहुत बड़ा प्रावधान यह है कि कोई भी व्यक्ति आरटीआई से संबंधित जानकारी ईमेल के जरिए भी प्राप्त कर सकता है। इसका प्रावधान आरटीआई में भी है।
इंटरनेट के द्वारा जानकारी लेने का यह माध्यम सबसे सस्ता और प्रभावी है इसमें पैसे और समय की बचत के साथ-साथ आवेदनकर्ता के लिए समयसीमा का कोई बंधन नहीं है। न ही किसी सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत है। व्यक्ति अपने घर से किसी भी समय आवेदन कर सकता है। आमजन ने इस माध्यम को अपना लिया तो देश में एक सूचना प्राप्त करने की एक बड़ी क्रांति होगी।
भारत में सरकारी स्तर पर कुछ संस्थाओं ने आरटीआई के आनलाइन सर्टिफिकेट ई-कोर्स व ई-लर्निंग कोर्स भी शुरू किए हैं।यह अधिनियम जम्मू-कष्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू है। इस अधिनियम के दायरे में भारत सरकार के अन्वेषण ब्यूरो और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के अलावा एक दर्जन से अधिक विभाग नहीं आते हैं। सूचना का मतलब है ईमेल, रिकार्डो, दस्तावेजो, ज्ञापनों, विचार, सलाह, परिपत्र, प्रेस विज्ञप्तियां, निविदा, टिप्पणियां, आदेश, लाॅग पुस्तिकाएं, पत्र, उदाहरण, नमूने, आंकड़े सहित कोई भी सामग्री जो किसी भी रूप में उपलब्ध हो, साथ ही वह सूचना जो किसी भी निजी निकाय से संबंध हो, किसी लोक प्राधिकारी के द्वारा उस समय प्रचलित किसी अन्य कानून के तहत प्राप्त किया जा सकता है बषर्ते उसमें फाइल नोटिंग शामिल नहीं हो।
2005 से लेकर मतलब 2009 तक बीते इन पांच वर्षो के दौरान आरटीआई को लेकर आम जन में जो भी प्रतिक्रिया, जागरूकता और उत्साह देखा गया हो। यह बात अलहदा है। लेकिन जिस तकनीकी यानि संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से इस कानून को घर-घर में पहुंचाने में न केवल मदद मिलती बल्कि आरटीआई कानून की सार्थकता भी सिद्ध होती। अब सवाल उठता है कि इस तकनीक को क्यों? अमल में नहीं लाया गया। साथ ही इसके प्रचार-प्रसार के लिये अभियान क्यों नहीं छेड़ा गया। इसके पीछे जानकार अनेक कारण बता रहे हैं। हाॅं, यदि इंफारमेशन कम्यूनिकेशन टेक्नालाजी यानि आईसीटी का आरटीआई में उपयोग ज्यादा से ज्यादा सरकारी व अन्य स्तरों पर होता, तो आज इसके परिणाम अलग दिखते।
खैर, विलंब से ही सही यदि इसके उपयोग की शुरूआत हो तो भारत में न केवल भ्रष्टाचार में अंकुश लगेगा। बल्कि इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे। आरटीआई कानून का प्रचार-प्रसार व लोगों को इस कानून के तहत आईसीटी के जरिए लाभ लेने के बारें में जब केन्द्रीय सूचना आयुक्त एमएल शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ईमेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी अदान-प्रदान करने को लेकर हालही में एक साफ्टवेयर विकसित किया गया है। जो तीन चार सप्ताह पश्चात काम करने लगेगा। तदोपरांत द्वितीय अपील के आवेदन आनलाइन स्वीकार हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि उनकी जानकारी में अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है कि किसी भी आवेदनकर्ता ने उनके कार्यालय से ईमेल के माध्यम से पत्राचार किया हो। उन्होंने बताया कि इस पर भी विचार किया जा रहा है कि आरटीआई के अंतर्गत जमा होने वाली फीस क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी प्राप्त की जाए। केन्द्रीय सूचना आयोग व राज्य सूचना आयोग तथा केन्द्र और राज्यों की सरकारों ने आरटीआई कानून के बारे में जनमानस को व स्वयंसेवी संगठनों को जागरूक किया है। लेकिन जो सबसे सस्ता और प्रभावी हर समय असरकारी होने वाली विधि आईसीटी से मिली है। उस पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। यह विचारणीय प्रश्न है।
श्री शर्मा ने एक सवाल के जवाब में बताया कि आरटीआई में आईसीटी के उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए अभियान नहीं चलाया गया है। आयोग ने अपने स्तर पर इस तरह का कोई प्रयास भी नहीं किया है। उन्होंने कहा कि आरटीआई के प्रचार-प्रसार करने का दायित्व केन्द्र व राज्य सरकारों का है।
श्री शर्मा का कहना है कि आरटीआई के संबंध में काल सेंटर के माध्यम से आवेदन स्वीकार करने की परंपरा अभी भारत में नहीं है। साथ ही वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए भी प्रकरणों की सुनवाई न के बराबर हो रही है। उन्होंने बताया कि ईमेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी लेने-देने से संबंधित जब पत्राचार ईमेल के माध्यम से होने लगेगा। तो काफी समस्याओं को समाधान कम खर्च में परिणाम मूलक सामने आएगा।
श्री शर्मा ने स्वयं स्वीकार किया है कि वे इंटरनेट या कम्प्यूटर सेवी नहीं है। कुछ समय पूर्व जब दूसरे सूचना आयुक्त श्री केजरीवाल से इंटरनेट और कम्प्यूटर के आरटीआई में इस्तेमाल को लेकर बातचीत की थी तो उन्होंने भी साफगोई से स्वीकार किया था कि उनकी ईमेल खोलने में रूचि नहीं है। अब देखना यह है कि आरटीआई को आमजन तक पहुंचाने में सबसे सस्ते माध्यम आईसीटी का उपयोग बढ़ाने के लिए सरकारें व जानकार आगे आते हैं अथवा नहीं।
आरटीआई से जुड़े कुछ सवाल -
· आरटीआई के तहत आने वाली शिकायतों का समाधान वीडियों क्रांफेंसिंग के जरिए होना चाहिए।
· काल सेंटर के माध्यम से आरटीआई के आवेदन स्वीकार होना चाहिए।
· ई-मेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी लेने-देने की संस्कृति विकसित होना चाहिए।
· क्रेडिट कार्ड के माध्यम से आरटीआई के अंतर्गत ली जानी वाली फीस का भुगतान स्वीकार किया जाना चाहिए।
· शासन स्तर पर आईसीटी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए साथ आरटीआई के कार्य में संलग्न अधिकारियों को आईसीटी के बारे में प्रषिक्षित किया जाना चाहिए।
· भारत के हर नागरिक को षिक्षा के अधिकार की तरह आरटीआई के अधिकार के बारे में जागरूक बनाना चाहिए।
· केन्द्र और राज्य सरकारों को यथा संभव पाठ्यक्रमों में आरटीआई को शामिल किया जाना चाहिए।

शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

40 साल का हुआ इंटरनेट


इंटरनेट आज 40 साल का हो गया है। जी हां आज से 40 साल पहले इंटरनेट का आविष्कार किया गया था। 'ई-मेल' और 'चौटिंग' के जरिए हम पलक झपकते ही अपने दोस्तों से बात करने लगते हैं, कोई भी जानकारी चाहिए तो गूगल पर जाकर 'सर्च' करते हैं। वाकई इंटरनेट की खोज ने पत्र-व्यवहार के सारे मायने ही बदल दिए हैं। चालीस साल पहले लेली जी.रॉबर्ट ने इंटरनेट का आविष्कार करने में मदद की थी। उन्होंने दो कम्प्यूटरों को 15 फुट के तार से जोड़कर एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर को संदेश भेजे थे। तब से लेकर आज तक का लम्बा सफर कम्प्यूटर ने सफलतापूर्वक तय किया है।
इंटरनेट की बुनियाद तो 1969 में पड़ गई थी मगर हम जिस 'ई-मेल' का इस्तेमाल करते हैं उसकी खोज 1972 में हुई थी और जिस श् यानि 'वर्ल्ड वाइड वेब' के जरिए इंटरनेट पर वेबसाइट बनाई जाती है उसे 1990 में टिम बर्नस ली ने ईजाद किया था। यानि हम जिस गूगल, फेसबुक, याहू या रेडिफ का इस्तेमाल करते हैं वो टिम बर्नस ली की खोज के बाद ही सम्भव हो पाया है।आज भारत इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है। लेकिन तमाम विकास के बाबजूद अभी मजह 60 प्रतिशत लोग ही इसका इस्तेमाल करते हैं। चीन में हमसे कई गुना ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहें हैं। कुछ देश इंटरनेट का इस्तेमाल हथियार की तरह करते हैं।
लेन क्लेनरॉक अपने बीस साथियों के साथ जब अपनी प्रयोगशाला में दो कंप्यूटरों के बीच डेटा ट्रांसफर करने की कोशिश कर रहे थे तब उन्होंने ये नहीं सोचा था कि उनकी ये शुरूआत एक दिन दुनिया भर के करोड़ों लोगों के निजी और सामाजिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन जाएगी।
2 सितंबर 1969 को कैलिफोनिया विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में पहली बार 15 मीटर लंबी केबल द्वारा दो कंप्यूटरों के बीच डेटा का आदान-प्रदान हुआ जिसे इंटरनेट कहा गया। अनुसंधानकर्ता मुक्त जानकारी के लिए सुविधा की खोज करने की कोशिश कर रहे थे और उन्हें इसमें सफलता हाथ लगी इंटरनेट के रूप में। 1971 में टीसीपी और आईपी प्रोटोकॉल बनने के बाद ईमेल की शुरूआत हुई। सबसे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के तहत काम करने वाली कंपनी 'बोल्ट बेरानेक एंड न्यूमैन' (बीबीएन) के कंप्यूटर इंजीनियर रहे रे. टॉमलिनसन ने वर्ष 1971 में ईमेल का इस्तेमाल किया। 1983 में डोमेन की शुरूआत हुई और वेबसाइट्स बनने लगीं।
ईमेल का उपयोग पहले तो औपचारिक आवश्यकताओं के लिए किया जाता था लेकिन अब ये आम जिंदगी की जरूरत बन गया है। ईमेल के बाद उसका एक त्वरित रूप आया चौटिंग। युवाओं में चौटिंग आज की एक आम आदत बन गई है। लगातार चौटिंग करने की प्रवृत्तिा के चलते कई युवा इसके आदि भी बन जाते हैं। ऑनलाइन बातचीत की दुनिया में पिछले कुछ सालों में एक और नाम जुड़ गया है सोशल नेटवर्किंग। फेसबुक, टि्वटर, ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स युवाओं में खासी लोकप्रिय है। आज शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जिसका इनमें से किसी साइट पर अकाउंट न हो।
आज गूगल की सर्च में 1 खरब से ज्यादा वेबसाइटों के नाम सूचीबध्द हैं। आलम ये है कि अगर आप हर पेज को देखने के लिए एक मिनट लगाते हैं तो उपलब्ध वेबसाइटों की संख्या आपको 31 हजार वर्षों तक व्यस्त रख सकती है, वो भी बिना सोए। इतना ही नहीं आपको वेब पर दी गई सामग्री पढ़ने के लिए 600 हजार दशक के समय की जरूरत होगी। है ना कमाल!!
आज विश्व की जनसंख्या लगभग 6 अरब 70 करोड़ है। इसका मतलब विश्व में प्रत्येक व्यक्ति के लिए 150 वेब पेज उपलब्ध हैं।
वर्ष दर वर्ष दुनिया भर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस वर्ष विश्व की ऑनलाइन जनसंख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 16 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज की गई है। आज दुनिया में लगभग 1 अरब 46 करोड़ लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
एक ओर इंटरनेट संपर्कों और संबंधों का तानाबाना बुन रहा है तो दूसरी ओर इसके दुरूपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों से भी हम बच नहीं पाए हैं। सायबर अपराधों में हर रोज बढ़ाेतरी हो रही है। हैकिंग, स्पैमिंग और फिशिंग जैसे कारनामों से परेशान होने वाले यूजर्स की आज कमी नहीं है। मजे की बात तो ये है कि जब तक एक वायरस से बचने के लिए एंटीवायरस सॉफ्टवेयर तैयार किया जाता है तब तक हैकर्स दूसरा वायरस तैयार कर लोगों के बैंक अकाउंट और क्रेडिट कार्ड नंबर तक में सेंधमारी कर जाते हैं। सायबर अपराधों के जरिए अश्लीलता फैलाने वालों को बढ़ावा मिल रहा है। हाल ही में इंटरनेट सुरक्षा कंपनी नॉर्टन ने 100 सबसे खतरनाक और अश्लील वेबसाइटों की सूची जारी की है।

दस साल का हुआ ब्लॉग

यदि अंग्रेजी, हिंदी और अन्य भाषाओं में ऑनलाइन अभिव्यक्ति के माध्यमों की बात की जाए तो जिस एक शब्द पर सबकी निगाहें रुकती है, वह ब्लॉग है। वर्ष 1999 में पीटर मर्होल्ज नाम के एक व्यक्ति ने इस शब्द का इजाद किया था।
पीटर ने वी ब्लॉग के नाम से एक निजी वेबसाइट को ब्लॉग की तरह इस्तेमाल करना शुरू किया था और बाद में इसमें से वी को हटा दिया। यही वजह है कि वर्ष 2009 इस शुरुआत के 10 साल पूरे होने का गवाह बन रहा है।
वर्ष 1999 ब्लॉग जगत के लिए कई अर्थो में अहम है। इसी साल सैन फ्रांसिस्को की पियारा लैब्स ने वी ब्लॉग से आगे बढ़कर एक से अधिक लोगों को लिखने की सुविधा देना शुरू किया। जब लोगों की संख्या बढ़ी तो मार्च 1999 में ब्रैड फिजपेट्रिक ने श्लाइव जर्नलश् का निर्माण किया, जो ब्लॉगरों को होस्टिंग की सुविधा देती थी।
इन दस सालों में ब्लॉग ने पूरी दुनिया में हर खासो आम को चपेट में ले लिया। वर्ष 2003 में जब ब्लॉग शब्द चार साल का हुआ तो दो और बड़ी घटनाएं हुई, जिससे ब्लॉगिंग को व्यापक विस्तार मिल गया। इस संबंध में विस्फोट डॉट कॉम ने टिप्पणी की है, इस साल ओपेन सोर्स ब्लॉगिंग प्लेटफार्म वर्डप्रेस का जन्म हुआ और पियारा लैब्स की ब्लॉगर को गूगल ने खरीद लिया।
विस्फोट डॉट कॉम ने टिप्पणी की, पियारा लैब्स के ब्लॉगर को खरीदने के बाद ब्लॉगस्पॉट को गूगल ने अपनी सेवाओं का हिस्सा बना लिया और दुनिया की उन सभी भाषाओं में ब्लाॉगग की सुविधा दे दी, जिसमें वह खोज सेवाएं प्रदान कर रहा है। उधर वर्डप्रेस ने ब्लॉगस्पॉट को कड़ी टक्कर दी और देखते-देखते वर्डप्रेस ब्लॉगिंग का सबसे बड़ा प्लेटफार्म बन गया।
अभिव्यक्ति के इस मजबूत माध्यम से दुनिया भर में हर रोज बड़ी संख्या में लोग जुड़ते जा रहे है। टेक्नारॉटी द्वारा वर्ष 2008 में जारी आंकड़ों के हिसाब से पूरी दुनिया में ब्लॉगरों की संख्या 13.3 करोड़ पहुंच गई है। भारत में लगभग 32 लाख लोग ब्लॉगिंग कर रहे है। हिंदी में भी ब्लॉग ने काफी तेजी से विकास किया है और वर्डप्रेस व जुमला नामक मुफ्त सॉफ्टवेयर के कारण बहुत सारे ब्लॉगर अपनी-अपनी वेबसाइट तैयार करने लगे है
इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की नई परिभाषा गढ़ रहे ब्लॉग जगत में लोगों को अपार संभावनाएं दिखती है। कहा जा रहा है कि यदि पिछले दस साल ब्लॉग के उत्थान के साल रहे है तो अगले दस साल ब्लॉग में बदलाव के साल होंगे।
ऐसे बनाएं ब्लाँग
ब्लॉग बनाने के लिए ई-मेल एकाउंट होना जरूरी है। मसलन जीमेल पर एकाउंट है तो ब्लॉगर डॉट कॉम पर जाएं और वहां अपना जीमेल आईडी लिख दें। दूसरे चरण में ब्लॉग का नाम रजिस्टर कर दें। इसके बाद ब्लॉग टाइट पूछा जाएगा जिसकी उपलब्धता देखकर ब्लॉग टाइटल चुन लें। इसके बाद ब्लॉग का डिजाइन चुनने के लिए टेम्पलेट मिलेंगे, इसमें से किसी एक टेम्पलेट को चुन लें, बस आपका ब्लॉग तैयार हो गया। इसके बाद यूआरएल में ब्लॉगटाइटल टाइप कर दें। इसके बाद साइन इन करने पर आपका ब्लॉग ओपन हो जाएगा। इसके बाद आप नई पोस्ट लिख सकते हैं। अगर हिन्दी में ब्लॉग लिखना चाहते हैं तो यूनीकोड फॉन्ट होना चाहिए। सेटिंग्स और कमेंट्स में जाकर अन्य लोगो को ब्लॉग में लिखने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। हिन्दी में सक्रिय ब्लॉग देष में दस हजार, भारत में अंग्रेजी ब्लॉग लगभग एक लाख, पूरे विष्व में ब्लॉग सात करोड़।

गुरुवार, 3 सितंबर 2009

मीडिया विशेषज्ञों ने मल्टीमीडिया पर विचार रखे, पत्रकार श्री नगेले वर्तमान समय में वेबजर्नलिज्म विषय पर बोले

मीडिया प्रबंधन पर तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन
दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय में आयोजित तीन दिवसीय मीडिया प्रबंधन कार्यशाला का एक सितम्बर मंगलवार को समापन हुआ। कार्यशाला के अंतिम दिन एक्सप्रेस न्यूज के संपादक व ईएमएस के कार्यकारी अधिकारी सनत जैन ने ''इलेक्ट्रानिक मीडिया और वर्तमान समय'' विषय पर बोले हुए कहा कि मीडिया की प्रकृति गिरगिट से भी तेज है। जो अपना स्वरूप बहुत ही प्रभावशाली ढ़ंग से बदलती है। उन्होंने कहा कि मीडिया भारत में मनुष्य के पीछे पीछे चल रहा है। मीडिया ने जनमानस के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कर ली है। उन्होंने मोबाईल क्रांति का जिक्र करते हुए बताया कि इसके अनेक लाभ हैं।
कार्यशाला में ''वर्तमान समय में वेब जर्नलिज्म'' विषय पर न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने बोलते हुए कहा कि मीडिया पांच प्रकार का है। पहला प्रिंट मीडिया, इसके बाद दूसरे रूप में आया रेडियो, तीसरा मीडिया दूरदर्षन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाओं को माना गया है, जबकि चौथा मीडिया इलेक्ट्रानिक मीडिया यानि टीवी चैनल हैं और अब पांचवे मीडिया का तेजी के साथ पर्दापण हुआ है वह है इंटरनेट मीडिया जिसको न्यू मीडिया के रूप में भी जाना जाता है। इस मीडिया का उद्भव आईटी और इंटरनेट से हुआ है।
स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा कारगर साधन है वेब जर्नलिज्म। उन्होंने वेब जर्नलिज्म के गुण-दोष के बारे में अपने वक्तव्य की शुरूआत की। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति अपनी भावनाओं को बिना शुल्क के ब्लाग के माध्यम से कुछ क्षणों में पूरी दुनिया में व्यक्त कर सकते हैं। कम अनुभवी पत्रकार भी वेब जर्नलिज्म कर रहे हैं। सिटीजन आधारित वेबसाइटस्, ब्लाग, या अन्य वेबसाइट में जो कम अनुभवी पत्रकारों द्वारा संचालित की जाती है। उनमें आम तौर पर तथ्यों की व प्रषासनीक, सामाजिक, भौगोलिक व राजनैतिक समझ की भारी कमी देखी जाती है।
उन्होंने वेब जर्नलिज्म के विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वैसे वेब जर्नलिज्म मुख्य रूप से न्यूज पोर्टल और समाचार वेबसाइट के माध्यम से तथा इससे जुड़कर की जाती है। सोशलनेटवर्किंग साइट्स फेसबुक, टिवटर, यूटयूब और ऑरकूट, ब्लागस, फॉरम, मेलर सेवा, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाइट भी वेब जर्नलिज्म का हिस्सा है। खेती किसानी व किसानों के हितों में भी काम करने की गुंजाइष इस क्षेत्र में व्यापक है। साइबर क्राइम जर्नलिज्म वेब जर्नलिज्म का ही अंग है।
उन्होंने कहा कि यहां यह बताना न केवल समीचीन होगा बल्कि प्रासांगिक भी है कि हाल ही में भारत में लोकसभा के आम चुनाव संपन्न हुए हैं। इस चुनाव में लगभग सभी राजनैतिक दलों ने वोटरों को लुभाने के लिए सर्वाधिक सहारा इंटरनेट आधारित ब्लाग, वेबसाइट और यूटयूब, ईमेल का लिया है।
उन्होंने चर्चा की कि आम तौर पर ऐसा कहा जाता है कि सूचना का मुक्त प्रसार करने में न्यू मीडिया यानि इंटरनेट मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ब्लाग और सिटीजन आधारित वेबसाइट के जरिए वेब जर्नलिज्म करने के दौरान लोग धन भी कमा रहे हैं। कुछ लोग अपने ब्लाग और वेबसाइट पर गूगल द्वारा प्रदत्त एडसेंस विज्ञापन के माध्यम से कमाई कर रहे हैं। तो कुछ लोग शादी डॉट कॉम या अन्य बड़े प्रॉडक्ट के विज्ञापन के जरिए कर रहे हैं। कुछ लोग मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सुषासन के लिए शुरू की गई वेबसाइट आइडियाज फार सीएम पर अपना सुझाव प्रेषित कर सम्मानित भी हो सकते हैं।
ब्लाग की उपयोगिता की सार्थकता पर विचार रखते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल के एक निर्वाचन अधिकारी ने निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न कराने के दौरान ब्लाग का उपयोग किया। पंजाब सरकार के वित्तमंत्री ने अपने बजट को ब्लाग के माध्यम से आमंत्रित किए गए सुझावों के बाद अंतिम रूप दिया है। भारत निर्वाचन आयोग ने न केवल विधानसभा चुनाव में बल्कि लोकसभा चुनाव में इंटरनेट आधारित सुविधाओं का इस्तेमाल आमजन व अधिकारियों के लिए व्यापक पैमाने कारगर ढ़ंग से किया है।
वेब जर्नलिज्म में जिन क्षेत्रों में अपार संभावनाएं है उनके बारे में चर्चा करते हुए बताया कि आडियो, वीडियो वेब, फोटो वेब और फिल्म वेब जर्नलिज्म के अलावा कला, संस्कृति और साहित्य जगत, खेल, व्यापार व षिक्षा तथा ईकॉनोमिक जर्नलिज्म, ई-गवर्नेंस की परियोजनाओं, इनफॉरमेषन टेक्नॉलाजी तथा इनफॉरमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नॉलाजी के क्षेत्र में भी वेब जर्नलिज्म के लिए काफी संभावनाएं है। इसको लोग आश्चर्यजनक नजर से देख रहे हैं।
उन्होंने वेब जर्नलिज्म को साहित्य, कला व संस्कृति के क्षेत्र में अंगीकार करने पर जोर देते हुए कहा कि इस माध्यम में बहुत प्रभावशाली अवसर प्रदान किया है। जिसका साहित्य जगत के लोगों को लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने बताया कि रचनाकार अपनी नई-नई रचनाओं, ऑनलाइन कविता प्रतियोगियों आदि के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर वेब जर्नलिज्म जैसे नए क्षेत्र में अपना उचित स्थान हासिल कर सकते हैं। कुछ लोग इसके जरिए धन भी कमा सकते हैं।
बहरहाल, इंटरनेट ही एकमात्र ऐसा साधन है जिसके द्वारा सृजनकार अपनी किसी भी रचना या खोज का प्रदर्शन विश्व स्तर पर बिना किसी रोक टोक के मिनटों में कर सकते हैं। वेब जर्नलिज्म के जरिए जनमानस के उत्थान के लिए लोक चेतना तथा सूचना के अधिकार के बारे में लोगों को न केवल जागरूक किया जा सकता है। बल्कि अपडेट भी रख सकते हैं। उन्होंने पब्लिक रिलेषन में वेब जर्नलिज्म की भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि जिन लोगों के उपर पीआर का दायित्व हैं वे अपने संस्थान के समाचार, फोटो, वीडियों क्लिप, वेबसाइट और ब्लाग के जरिए आमजन तक पहुंचा सकते है। समाचार पत्रों में अपनी सभी प्रकार की गतिविधियों की जानकारी समाचार पत्रों के व अन्य मीडिया के कार्यालयों में ई-मेल सेवा के द्वारा भेज सकते हैं। अपने संस्थान की वेबसाइट बनाकर उस पर मीडिया के लिए एक लिंक भी दे सकते हैं जिसमें संस्थान की सारी गतिविधियों का समावेष हो। उन्होंने वेब जर्नलिज्म और आरटीआई के संबंधों के बारे में प्रकाश डालते हुए बताया कि वेब जर्नलिज्म के माध्यम से आरटीआई का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है। आरटीआई के बारे में लोगों को जागरूक बनाया जा सकता है। इसके अलावा आरटीआई का उपयोग ई-मेल के माध्यम से किस प्रकार करें, उसके बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि वेब जर्नलिज्म के द्वारा ई-गवर्नेंस की परियोजनाएं, किसानों के कल्याण, गरीबों के हितार्थ, विद्यार्थियों के हित में, आम नागरिकों की सुविधाओं के लिए, सरकार में पारदर्षिता लाने के लिए, सरकार में अपने विचारों को तवज्जों देने सहित अनेक क्षेत्रों में काम किया जा सकता है।
उन्होंने दुनियाभर में संसदीय प्रक्रियाओं में प्रवेश करते ई-पालियामेंट की चर्चा करते हुए कहा कि भारत में ही नहीं अन्य देषों की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में ई-पालियामेंट का प्रवेश शुरू हो चुका है। इस क्षेत्र में भारत के अलावा अन्य देषों की कुछ संस्थाएं ई-पालियामेंट को प्रमोट करने के लिए आगे आयीं हैं। एक शोध के अनुसार देश की लोकसभा राज्य सभा व विभिन्न विधानसभा व विधानमंडलों के साथ-साथ इन सदनों के कुछेक सदस्यों ने ई-पालियामेंट को अपना लिया है। लिहाजा इस क्षेत्र में भी वेब जर्नलिज्म के लिए अपार संभावनाएं है।
उन्होंने भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ता, उनकी संख्या व इससे जुड़े हुए अन्य विषयों पर तथ्यों को रखते हुए बताया कि भारत सरकार के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो मई 2009 तक भारत में 64 लाख ब्राडबैंड कनेक्षन उपलब्ध कराये गये हैं। देश के सभी ढ़ाई लाख ग्राम पंचायतों में सन् 2012 तक ब्राडबैंड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। अभी 30 हजार ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ दिया गया है। भारत में निजी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा भी लाखों की संख्या में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अभी भारत में सात करोड़ इंटरनेट यूजर हैं। उन्होंने बताया कि भारत में 75 करोड़ मोबाईल उपयोगकर्ता हैं।
एक अनुमान के अनुसार भारत में एक इंटरनेट कनेक्शन का लगभग 6 व्यक्ति उपयोग करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट से खरीदारी करने में भारत का एशिया में तीसरा स्थान है। दुनियाभर में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2013 तक 2.2 अरब छूने की संभावना है। नतीजतन एक अनुमान के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन देश हो जाएगा। अभी दुनिया में ब्लागरों के संख्या 13.3 करोड़ के लगभग है। जबकि भारत में 32 लाख लोग ब्लागिंग कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वेब जर्नलिज्म का भविष्य उज्जवल है। वेब जर्नलिज्म का प्रयोग स्वच्छ व्यवस्था, विष्वास और उत्तरदायित्व, नागरिक कल्याण, लोकतंत्र, राष्ट्र के आर्थिक विकास व सूचना के आदान-प्रदान में व संवाद प्रेषण के साथ व्यवस्था एवं नागरिकों के बीच विभिन्न व्यवस्था एवं सेवाओं के एकीकृत करने, एक संस्था के भीतर तथा सिस्टम के भीतर विभिन्न स्तरों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में किया जाए। तो वेब जर्नलिज्म की न केवल सार्थकता सिध्द होगी वरन् एक मील का पत्थर गढ़ेगा।
वेब जर्नलिज्म नागरिकों के सषक्तिकरण के लिए सूचनाएँ प्रदान कर सकती है, सरकार में उसकी सहभागिता संभव बना सकती है और आर्थिक एवं सामाजिक अवसर का लाभ उठाने के लिए उन्हें सक्षम भी बना सकती है।
अंत में उन्होंने कहा कि वेब जर्नलिज्म का संबंध सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक और सूचना टेक्नॉलाजी व इंटरनेट से नहीं है बल्कि यह व्यवस्था के सुधारों को साकार करने का एक शानदार अवसर भी उपलब्ध कराता है। प्रतिभागियों द्वारा इंटरनेट, डेवलेपमेंट वेब जर्नलिज्म, वायरस के उपाय से संबंधित प्रष्न किए तथा उनकी जिज्ञासाओं का श्री नगेले ने समाधान किया।
वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने समाचार लेखन की व्यावहारिक तकनीक विषय पर बोलते हुए कहा कि समाचारों को रोजक, सारगर्भित और स्पष्ट तरीके से लिखा जाना चाहिए।
जनसंपर्क संचालनालय में अपर संचालक और उपसचिव जनसंपर्क विभाग लाजपत आहूजा ने विभागीय प्रचार के विभिन्न माध्यम विचार सत्र में जनसंपर्क विभाग द्वारा लोकहितकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका को विश्लेषित किया।
स्टार न्यूज के मध्यप्रदेश ब्यूरो चीफ ब्रजेश राजपूत ने दृष्य और श्रव्य मीडिया लेखन में बुनियादी अंतर पर अपना वक्तव्य दिया। सभी सत्रों का संचालन पूर्वा शर्मा ने किया। राजधानी में तीन दिन से चल रही वर्कशाप का समापन ख्यात फिल्म संगीतकार रवीन्द्र जैन, रंगकर्मी और फिल्म कला निर्देशक जयंत देशमुख, इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक केएन तिवारी सहित कई गणमान्य अतिथियों की मौजूदगी में हुआ। वर्कशाप में कई पत्रकारों के अलावा पत्रकारिता के कोर्स का अध्ययन कर रहे छात्रों ने भी भाग लिया।
तीन दिवसीय मीडिया कार्यशाला में पहले दिन 30 अगस्त 2009 को वरिष्ठ पत्रकार महेष श्रीवास्तव ने पत्रकारिता के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डाला। आईसेक्ट और सीबी रमन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया की एक भाषा होना चाहिए। उन्होंने मीडिया के बदलते स्वरूपों पर प्रकाश डाला। तथा कुछ मुद्दों चिंता भी जाहिर की। राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल के निदेशक विकास भट्ट ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह दिन भी आना चाहिए कि नागरिक यह कहते हुए नजर आए कि किसी भी राज्य या देश की सरकार मेरी सरकार है और जो समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे हैं। वह भी मेरे हैं।
दूसरे दिन 31 अगस्त 2009 सोमवार को वर्तमान समय में मीडिया की भूमिका विषय पर श्री पुष्पेन्द्रपाल सिंह विभागाध्यक्ष पत्रकारिता विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल ने विचार रखे। एमएसजे सिंहा महाप्रबंधक एनएचडीसी संस्थानों और विभागों के संदर्भ में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला।

बुधवार, 2 सितंबर 2009

सूचना के अधिकार में ई-मेल के माध्यम से भी जानकारी लेने का प्रावधान

शासकीय कामकाज में पारदर्शिता और सूचना के अधिकार के लिए दुनियाभर में विभिन्न रूपों में मांग उठी लेकिन सबसे पहले स्वीडेन देष ने 243 साल पहले सूचना अधिकार लागू किया था। जबकि भारत में सूचना का अधिकार 15 जून 2005 को लागू हुआ है।
यह बात न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने मंगलवार एक सितम्बर को पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ द्वारा संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया से संबंधित विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशला के समापन अवसर पर कही।
उन्होंने कहा कि आरटीआई के बारे में हिन्दुस्तान के हर नागरिक को मालूम होना चाहिए। इसके लिये सरकारी और अन्य स्तरों पर प्रचार-प्रसार के लिये अभियान चालू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को सूचना के अधिकार को षिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आरटीआई कानून में जनमानस के लिये एक बहुत बड़ा प्रावधान यह है कि कोई भी व्यक्ति आरटीआई से संबंधित जानकारी ईमेल के जरिए भी प्राप्त कर सकता है। इसका प्रावधान आरटीआई में भी है।
उन्होंने बताया कि इंटरनेट के द्वारा जानकारी लेने का यह माध्यम सबसे सस्ता और प्रभावी है इसमें पैसे और समय की बचत के साथ-साथ आवेदनकर्ता के लिए समयसीमा का कोई बंधन नहीं है। न ही किसी सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत है। व्यक्ति अपने घर से किसी भी समय आवेदन कर सकता है। आमजन ने इस माध्यम को अपना लिया तो देष में एक सूचना प्राप्त करने की एक बड़ी क्रांति होगी।
उन्होंने बताया कि भारत में सरकारी स्तर पर कुछ संस्थाओं ने आरटीआई के आनलाइन सर्टिफिकेट ई-कोर्स व ई-लर्निंग कोर्स भी शुरू किए हैं। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम जम्मू- कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू है।
श्री नगेले ने बताया कि इस अधिनियम के दायरे में भारत सरकार के अन्वेषण ब्यूरो और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के अलावा एक दर्जन से अधिक विभाग नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि सूचना का मतलब है ईमेल रिकार्डो दस्तावेजो ज्ञापनों विचार सलाह परिपत्र निविदा टिप्पणियां आदि।
इस अवसर पर विधानसभा के अपर सचिव एपी सिंह ने विधानसभा प्रष्नों से संबंधित प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रष्नकाल क्या होता है प्रष्नों की सूचना कैसे दी जाती तारांकित और अतारांकित प्रश्न क्या होते हैं प्रश्नों की शलाका किसे कहते हैं प्रष्नों का विषय एवं ग्रहता की शर्ते क्या हैं प्रश्नों को रूप भेदन विभाजन या समेकन हस्तांतरण वापसी तथा स्थगन अनुपस्थित सदस्यों की तारांकित प्रश्नों के उत्तर प्रश्न पूछने की रीति प्रश्नोंत्तरी सूची अल्प सूचना प्रश्न अनुपूरक प्रश्न आदि के बारे में भी छात्रों के प्रश्नों के उत्तर व उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
31 अगस्त एवं 1 सितम्बर को संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया से संबंधित विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यषाला में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विष्वविद्यालय के एमजे बीजे एमएसी इलेक्ट्रानिक मीडिया के छात्र प्रतिभागी थे।
इस अवसर पर पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ की संचालक श्रीमति मंजूला शर्मा ने विद्यापीठ द्वारा किये जा रहे कार्यो व इसके उद्देशों पर प्रकाश डाला।

रविवार, 30 अगस्त 2009

MP emerging as India's IT hub

Good intentions bear no fruit until nourished by a strong political will and futuristic vision. The blooming IT sector in the central Indian state shows the sign of a working of perfect blend of vision and mission of the State Government led by Shivraj Singh Chouhan as Chief Minister.Madhya Pradesh is fast emerging as India's IT Hub for a variety of reasons mainly the supportive infrastructure development and investment-friendly policy initiatives. In a short span of time during a dynamic apolitical leadership, Madhya Pradesh has been rated as one of the first four states of the country witnessing rapid development in information Technology sector. ''IT for social change'' is the motto of all IT enabled services in socio-economic sectors. E-governance is a buzz word now. All government departments have been equipped with computers and are having their own software services for management and administration of the departmental activities. Commitment to socio-economic development through constructive interference of IT has secured to the state a much coveted e-governance award for 2007. The GoI's IT Department has conferred its Golden Icon award to the state's finance department at the tenth National e-governance convention held in Bhopal recently. The award recognizes people-centric excellent IT services for management, maintenance and interlinking of treasuries. The operation of cyber treasury has come as a boon to the tax payers as they are saving a lot of time with the facility of depositing payment from any place and at their convenience. Transparency is the soul of this system and has strengthened the financial administration system. After years of dark circles, MP has stepped into the realm of light keeping pace with most of the southern states that have excelled in IT sector for different traditional advantages like higher literacy of manpower and good connectivity. A number of IT companies have expressed investment plans for the state and many MoUs were signed at Khajuraho Investors' Meet. These MoUs distinctly reflect the faith in Shivraj Singh Govt's policies and futuristic vision. The new IT Policy offering liberal packages to IT industry is yet another reason for investments. Now, the rural areas are also being exposed to IT sector. A target has been set to connect all development blocks with state capital through the computer network with an investment of Rs. 120 crores. No wonder if appreciation comes from a living legend President Dr APJ Abdul Kalam for the State Government's Samadhan On-line' programme as a part of Suraj Abhiyan or Good Governance Drive for positive resolution of public grievances and streamlining district level administrative machinery. The significant part of the mechanism is that a complainant without any hesitation can walk into the District Collector's office from where he can talk to the CM seeking redressal of his grievances through video conferencing. Dr. Kalam while addressing the MP Assembly's special session on July 17, 2006 has complimented the Shivraj Singh Govt for having such an arrangement. Another constructive step is 'Samadhan Ek Din Mein - Jan Suvidha Kendra Scheme'. It is people-centric endeavour of the state government aimed at improving service delivery system. It is now facilitating issuance of different certificates and other documents to the people at district offices. Presently set up at district level, these centres would be subsequently extended to block and tehsil level. Using these centres, service seekers could get bonafide resident certificate, temporary caste certificate, marriage registration certificate, birth certificate, renewal of registration under shop establishment, certificate of BPL list, NCOs, learning driving licences, temporary transport permit, temporary electricity connection, employment registration, identity cards to workers, assistance for funerals to eligible workers, maternity assistance, accident relief, affidavit etc by 4 pm the same day application is submitted with complete documents. A reputed journal representing IT sector, has surveyed 18 states out of 28 states and seven union territories on the basis of human index for the survey. The survey report adjudged MP the best in providing health services, land sale and purchase deal through e-governance and second in vehicle registration, land registration works. The state also topped in execution of rules, procedures and fee, relating arrangements through e-governance. The State also occupies top position in rendering pubic utility services to the citizens of the areas such as municipal corporation, land revenue, income tax and law through e-governance. The e-governance has also powered agriculture sector ensuring benefits to the farmers. As many as 64 Mandis or agri-produce market yards are being electronically connected to divisional headquarters. The agris-net project is a fresh initiative to help farmers sell their produce at handsome prices. The Project involves use of ICT for automation of Mandi Board Head Office, Regional Offices, Mandis and their associated sub-market yards. The V-SAT based communication network being established in 400 locations across the state can also be used for imparting education to farmers like weather forecasting, warnings suggesting them to be ready with precautionary measures. Similarly, e-tendering is going to be a reality in construction departments. Other major computerization projects underway aim at preparing of Smart Cards in Transport Department, creating data base for land resource etc. In fact, Madhya Pradesh tops in the country to have computerized working of Transport Department. New areas like internet journalism, e-commerce are also emerging fast. Chouhan informed the mppost.org that NRI Facilitation Centre has been set up at Bhopal. The NRIs visiting MP can meet the CM on any Monday and get their problems and complaints addressed. Besides, e-tendering system for the contractors has also been put in place. Special training sessions for contractors have also been started to help them submit on-line tender. C.M.'s Monitoring System The CM Monitoring Programme is a comprehensive monitoring system to keep watch on the progress in different areas. All the Departments have to specify the physical & financial targets under each scheme or programme in all districts. The Chief Minister through a specially designed software could monitor the progress and identify the hurdles in achievement of the targets. Exclusive Data On Basic Amenities In Rural M.P. Sarman Nagele
future in web media

गुरुवार, 27 अगस्त 2009

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बुधवार, 26 अगस्त 2009

मप्र सरकार राज्य स्तरीय फोटो प्रतियोगिता का आयोजन करेगी, फोटो जर्नलिस्ट का सम्मान भी करेगी- मंत्री जनसंपर्क लक्ष्मीकांत शर्मा


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समाज प्रेस फोटोग्राफरों को महत्व दे और उनको सहयोग भी करे। इसके अलावा शासन को भी फोटो पत्रकारों पर ध्यान देना चाहिए। यह बात मध्यप्रदेश के जनसंपर्क, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कही।
'' विश्व फोटोग्राफी दिवस 19 अगस्त 2009 के अवसर पर आयोजित फोटो प्रदर्शनी में चयनित उत्कृष्ट प्रेस फोटोग्राफरों को 25 अगस्त 2009 को मेट्रो प्लाजा स्थित रेन देजोबो रेस्तारां में एक समारोह में पुरस्कार प्रदान करने के दौरान मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि मप्र शासन ने फोटो पत्रकार के लिए महेन्द्र चौधरी के नाम से पुरस्कार स्थापित किया है। इस वर्ष का पुरस्कार शीघ्र दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फोटो पत्रकारों की एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता भी एक ज्वलंत मुद्दे पर होगी। यह प्रतियोगिता जिला एवं संभाग स्तर पर होने के बाद राज्य स्तर पर मध्यप्रदेश शासन करेगा। उन्होंने कहा कि इस बारे में योजना बना रहे हैं और फोटो पत्रकारों को सम्मानित भी करेंगे।

उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया को सम्मान मिले, प्रदेश की समृध्दि को बनाने के लिए फोटो पत्रकारिता का अहम दायित्व है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि फोटो पत्रकारों का महत्व सम्मान का होता है। पैसे का नहीं। यह सम्मान साधना करके पुरस्कार के रूप में प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि प्रेस रिपोर्टरों का महत्व है, वरिष्ठ पत्रकारों का अपना अलग महत्व है, साथ-साथ फोटो पत्रकारों का सबसे ज्यादा महत्व है। फोटो पत्रकार परिश्रम बहुत करते हैं।

सेन्ट्रस प्रेस क्लब तथा मेट्रो प्लाजा स्थित रेन देजोबो रेस्तारां के संयुक्त तत्वावधान में राजधानी के प्रिंट मीडिया में सक्रीय ''प्रेस फोटोग्राफरों'' की सात दिवसीय फोटो प्रदर्शनी का आयोजन के पश्चात् ज्यूरी के निर्णय के उपरांत प्रदर्शनी में आई प्रविष्ठियां तथा लगाई गई फोटो की कलाकृतियों में से तीन फोटोग्राफरों को उत्कृष्ट प्रेस फोटोग्राफर पुरस्कार के लिए चुना।
चयनित प्रेस फोटोग्राफरों में सर्व श्री प्रदीप मेहर प्रथम पुरस्कार, श्री सतीष टेवरे द्वितीय पुरस्कार तथा श्री अनिल दीक्षित को तृतीय उत्कृष्ट प्रेस फोटोग्राफर पुरस्कार से मंत्री जनसंपर्क लक्ष्मीकांत शर्मा ने सम्मानित किया। जनसंपर्क मंत्री ने चयनित फोटो पत्रकारों को बधाई देते हुए उनका साल, श्रीफल तथा प्रथम विजेता को 3100, द्वितीय विजेता को 2100 और तृतीय विजेता को पुरस्कार के रूप में 1100 रूपये की राषि भेंट कर सम्मान किया।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष एनके सिंह ने अपने स्वागत भाषण में फोटो प्रदर्शनी में आई प्रविष्ठियों ज्यूरी के द्वारा लिये गए निर्णय की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने चयनित एक-एक फोटोग्राफस के बारे में बताया। प्रेस क्लब के अध्यक्ष ने फोटो पत्रकारिता को जो सम्मान मिलना चाहिए। उसके वे हकदार हैं, यह हक उनको प्राप्त हो जाना चाहिए। सेन्ट्रल प्रेस क्लब ने इसी कड़ी में इस सात दिवसीय फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया था।
उन्होंने कहा कि विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर अगले साल इसी तरह की फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर उत्कृष्ट प्रेस फोटोग्राफर का पुरस्कार प्राप्त करने वाले दैनिक भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट सतीष टेवरे ने कहा कि उनके इस पेशे के लोगो को फोटोग्राफर के वजाये फोटो जर्नलिस्ट पुकारा जाए तो बेहतर होगा।
कार्यक्रम का संचालन प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष विजयकुमार दास ने किया। इस अवसर पर सेन्ट्रल प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंहा, महासचिव अमित जैन, पत्रकार रामभुवन सिंह कुशवाह, सुरेष शर्मा, सरमन नगेले, नीतेन्द्र शर्मा, संजय शर्मा, संजय प्रकाश शर्मा, हरीमोहन मोदी, राहुल सिंह, अनिरूध्द सोनाने, अंजनी कुमार झा, अतुल पुरोहित, वरिष्ठ फोटो पत्रकार प्रकाश हतबलने, आरसी साहू सहित सैकड़ो फोटो पत्रकार उपस्थित थे।
प्रेस क्लब के सभी सदस्यों ने उत्कृष्ट प्रेस फोटोग्राफर पुरस्कार के लिए चुने गये तीनों प्रेस फोटोग्राफरों को बधाई दी है।
उल्लेखनीय है कि उत्कृष्ट प्रेस फोटोग्राफर पुरस्कार के लिये सेन्ट्रल प्रेस क्लब द्वारा लगाई गई फोटो प्रदर्शनी भोपाल के लोग, भोपाल की संस्कृति, भोपाल में पर्यावरण, भोपाल में जल संकट, लेंड स्केप, पर्यटन तथा भोपाल की विरासत विषय पर आधारित थी जिसमें राजधानी के सभी महत्वपूर्ण प्रेस फोटोग्राफरों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रदर्शनी को देखने के लिए अभी भी दर्शकों एवं कला प्रेमियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति से राजधानी के प्रेस फोटोग्राफरों में काफी उत्साह है। कला प्रेमियों की मांग के बाद प्रेस क्लब के अध्यक्ष एनके सिंह की अनुमति के पश्चात् प्रदर्शनी को दो दिन के लिए और बढ़ाया गया है।
उत्कृष्ट फोटो जर्नलिस्ट पुरस्कार समारोह में उपस्थित मुख्य अतिथि एवं सभी लोगों का आभार व्यक्त कैफे रेन देजोबो के संचालक राजेष भदौरिया ने किया।

गुरुवार, 20 अगस्त 2009

सेन्ट्रल प्रेस क्लब द्वारा आयोजित फोटो प्रदर्शनी का मंत्री श्री गौर ने किया उद्धाटन



सेन्ट्रल प्रेस क्लब भोपाल द्वारा ''विश्व फोटोग्राफी'' दिवस के अवसर पर आयोजित फोटो प्रदर्शनी का उद्धाटन बुधवार 19 अगस्त को भोपाल में श्री बाबूलाल गौर मंत्री नगरीय प्रशासन एवं विकास, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग, मध्यप्रदेश शासन, ने किया।
श्री गौर ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि फोटोग्राफी एक अलग विधा है, यह रोज-रोटी का साधन नहीं है। इस अवसर पर सेन्ट्रल प्रेस क्लब के अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार सिंह, महासचिव अमित जैन, सुश्री सुचांदना गुप्ता, वीरेन्द्र सिन्हा, अरविन्द शर्मा, सरमन नगेले समेत अनेक पत्रकार और फोटो पत्रकार मौजूद थे।
श्री गौर ने कहा कि फोटो पत्रकारों ने साधना और संघर्ष का काम किया है। उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी एकाग्रचित्त होकर करना पड़ती है। फोटोग्राफी के बिना अब कोई आयोजन भी नहीं हो पता है। भोपाल गैस त्रासदी की फोटोग्राफी ने इतिहास रचा है।
सेन्ट्रल प्रेस क्लब के अध्यक्ष एन.के. सिंह ने अपने स्वागत भाषण में फोटो प्रदर्शनी, फोटो पत्रकारिता और फोटो जर्नलिस्ट के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि फोटो प्रदर्षनी में 14 फोटो पत्रकारों सर्वश्री अबरार खान, पत्रिका, शिवनारायण मीणा, राजएक्सप्रेस, सतीष टेबरे, दैनिक भास्कर, प्रवीण दीक्षित, नवदुनिया, अनिल दीक्षित, पीपुल्स समाचार, महेश विश्वकर्मा, हिन्दुस्तान टाइम्स, प्रवीण वाजपेयी, हिन्दुस्तान टाइम्स, पंकज तिवारी, इंडिया टूडे, प्रदीप मेहर, फ्री प्रेस, राजेश राय, एमपी फोटो न्यूज, सुभाष ठाकुर, नवभारत, अजय शर्मा, पत्रिका, अनिल टेबरे, दैनिक जागरण, मुजीब फारूखी, हिन्दुस्तान टाइम्स ने अपनी अपनी प्रविष्ठियां दी हैं। फोटो पत्रकार प्रकाश हतबलने ने अपने फोटो प्रदर्शनी में लगाये हैं। लेकिन वे प्रतियोगिता में शामिल नहीं है।

फोटो प्रदर्शनी में आमंत्रित प्रविष्ठियों में से 40 फोटोग्राफस का फोटो प्रदर्शनी में प्रदर्शन किया गया है। फोटो प्रदर्शनी अपराहन 11 बजे से रात 11 बजे तक कैफे रोन्देवू, मेट्रो प्लाजा, बिट्टन मार्केट भोपाल में 25 अगस्त तक देखी जा सकती है। फोटो प्रदर्षनी का आयोजन कैफे रोन्देवू,के सहयोग से किया गया है।
फोटो प्रदर्शनी प्रतियोगिता का निर्णय ज्यूरी के सदस्य पर्यावरणविद् श्री एमएम बुच, दैनिक भास्कर के मैगजीन संपादक राजकुमार केसवानी, प्रमुख फिल्म मेकर राजेन्द्र जांगले द्वारा 25 अगस्त को किया जाएगा।
सात दिवसीय फोटो प्रदर्शनी के समापन अवसर पर 25 अगस्त को सेन्ट्रल प्रेस क्लब द्वारा श्रेष्ठ फोटोग्राफी पुरस्कार वितरित किए जायेंगे। फोटो प्रदर्शनी में पधारे अतिथियों का आभार व्यक्त राजेश भदौरिया संचालक कैफे रोन्देवू ने किया।


भारतीय राजनीति में ठाकुर नेताओं का पराभाव

भारतीय राजनीति में इस समय ठाकुर नेताओं पर सभी दलों की नजरें टेड़ी हैं। चाहे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हो, चाहे भारतीय जनता पार्टी हो अथवा समाजवादी पार्टी हो। लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों में इस समय ठाकुर नेताओं पर उन्हीं के दल के हाईकमान द्वारा अनुशासन का डंडा चलाया जा रहा है। कुछ समय पूर्व कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री नटवर सिंह को पार्टी से निष्कासित किया उसके बाद उनके बेटे को पार्टी से निकाला गया। बदलते राजनैतिक समीकरणों के तहत मध्यप्रदेश के ठाकुर नेता अर्जुनसिंह को कांग्रेस पार्टी ने फिलवक्त पार्टी की मुख्य धारा से अलग कर दिया है। उनको केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह भी नहीं दी गई है। अब वे केवल राज्यसभा सदस्य हैं। हालही में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा सांसद जसवंत सिंह को जिन्ना पर पुस्तक लिखे जाने के कारण पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाल दिया है। इससे भारतीय जनता पार्टी में राजनैतिक घमासान तेज हो गया है।
उधर, मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी ने भी सपा महासचिव अमर सिंह पार्टी की मुख्य धारा में अब कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। कुल मिलाकर भारत में इस समय ठाकुर नेताओं का पराभाव दौर चल रहा है। यह दौर अनवरत् चलेगा या नहीं इसको देखना होगा।

रविवार, 16 अगस्त 2009

Future in Web Journalism

वेब जर्नलिज्म में भविष्य
सरमन नगेले

वर्तमान समय सूचना प्रौद्योगिकी के अकाल्पनिक विस्तार का दौर उत्कृष्टतम समय है । दुनिया के सभी देशों में सूचना क्रांति ने जन्म ले लिया है । तीसरी दुनिया के देशों में सूचना प्रौद्योगिकी को जिस तेजी से अपनाया है वह एक नजर में अविश्वसनीय लगता है । सूचना प्रौद्योगिकी ने दरअसल ऐसा स्वरूप ले लिया है कि जिसके बिना अब जीवन के संचालन की कल्पना नहीं की जा सकती । कम्प्यूटर और इंटरनेट आम जीवन का एक अनिवार्य अंग बन गया है । जीवन अत्यंत सरल हो गया है । जिस गति से हमारी अर्थव्यवस्था बढी है और इसके कई नये आयामों से लोगों का वास्ता पडा है ऐसी स्थिति में यदि सूचना प्रौद्योगिकी का साथ नहीं होता तो भयावह स्थिति की कल्पना करके देखिये । बैंकों में खातों का संधारण से लेकर मोबाइल नंबरों का संधारण और रेल्वे टिकटों की बिक्री से लेकर एटीएम से पैसे निकालने तक सभी ई-सुविधाओं ने जहां आम लोगों के जीवन को आसान कर दिया है। वहीं अनेक क्षेत्रों में काम करने का अवसर भी उपलब्ध कराया है। वेब जर्नलिज्म का उद्भाव आई.टी. से हुआ है।
आम तौर पर ऐसा कहा जाता है कि सूचना का मुक्त प्रसार करने में न्यू मीडिया यानि इंटरनेट मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारत की अनेक वेब आधारित परियोजनाओं ने इसका प्रयोग कर डिजिटल डिवाइड यानि आंकिक विभाजन रोकने में योगदान दिया है।
वैसे वेब जर्नलिज्म मुख्य रूप से न्यूज पोर्टल और समाचार वेबसाइट के माध्यम से तथा इससे जुड़कर की जाती है। सोर्शलनेटवर्किंग साइट्स, ब्लागस, फॉरम, मेलर सेवा, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाइट भी वेब जर्नलिज्म का हिस्सा है। भारत में फेसबुक, आरकुट और तेजी के साथ अपना विस्तार करने वाला टिवटर धन कमाने व प्रचार-प्रसार का साधन बनता जा रहा है। ब्लाग पर जहां लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं वहीं टिवटर पर लोग अपनी नई-नई जानकारियां व दैनिक कार्यक्रमों को डालते हैं। भारत सरकार के विदेश राज्यमंत्री तो प्रतिदिन के अपने सभी छोटे बड़े कार्यक्रम नियमित रूप से टिवटर पर डालते हैं। कुछ लोग अपने ब्लाग पोस्ट किए गए आलेख को टिवटर के जरिए प्रचारित भी करते हैं। कुछ जानकार टिवटर का इस्तेमाल खान-पान की वस्तुओं के लिए कर रहे तो कुछ लोग धार्मिक रीति-रिवाज को लेकर कर रहे हैं। टिवटर छोटे-छोटे लोगों के भी काम आ रहा है। इसकी लोकप्रियता मीडिया संस्थान और बड़ी कंपनियों के बीच में बढ़ती जा रही है। कहा जा सकता है कि वेब जर्नलिज्म का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
ब्लाग और सिटीजन आधारित वेबसाइट के जरिए वेब जर्नलिज्म करने के दौरान लोग धन भी कमा रहे हैं। कुछ लोग अपने ब्लाग और वेबसाइट पर गूगल द्वारा प्रदत्त एडसेंस विज्ञापन के माध्यम से कमाई कर रहे हैं। तो कुछ लोग शादी डॉट कॉम या अन्य बड़े प्रॉडक्ट के विज्ञापन के जरिए कर रहे हैं। वेब जर्नलिज्म में भविष्य शुरू करने वाले लोग भी इसी प्रकार लाभ उठा सकते हैं। कुछ लोग मध्यप्रदेष के मुख्यमंत्री द्वारा सुषासन के लिए शुरू की गई वेबसाइट आइडियाज फार सीएम पर अपना सुझाव प्रेषित कर सम्मानित भी हो सकते हैं। यहां यह बताना न केवल समीचीन होगा बल्कि प्रासांगिक भी है कि हाल ही में भारत में लोकसभा के आम चुनाव संपन्न हुए हैं। इस चुनाव में लगभग सभी राजनैतिक दलों ने वोटरों को लुभाने के लिए सर्वाधिक सहारा इंटरनेट आधारित ब्लाग, वेबसाइट और यूटयूब, ईमेल का लिया है। पष्चिम बंगाल के एक निर्वाचन अधिकारी ने निर्वाचन प्रक्रिया संपन्न कराने के दौरान ब्लाग का उपयोग किया। भारत निर्वाचन आयोग ने न केवल विधानसभा चुनाव में बल्कि लोकसभा चुनाव में इंटरनेट आधारित सुविधाओं का इस्तेमाल आमजन व अधिकारियों के लिए व्यापक पैमाने कारगर ढ़ंग से किया है।
वेब जर्नलिज्म से जुड़े हुए लोगों ने लोकसभा चुनाव में गूगल के माध्यम से राजनैतिक दलों व उम्मीदवारों के विज्ञापनों का प्रसारण कर अच्छी कमाई की है। ये तो फकत कुछ बानगी है जहां तक सवाल वेबजर्नजिल्म में भविष्य का है तो इसका भविष्य बहुत उज्जवल है। आनेवाली पीढ़ी समाचार पत्रों व टीवी चैनलों, आकाषवाणी के बजाय ई-पेपर, वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, ईमेल, ब्लाग, सोषलनेटवर्किंग वेबसाइट व ई-कामर्स के साथ-साथ ई आधारित सुविधाओं का उपयोग ज्यादा से ज्यादा निजी जिंदगी व अपने कामकाज में करेगी। एक अध्ययन के मुताबिक क्या नए क्या पुराने और क्या युवातुर्क लगभग सभी राजनेताओं व राजनैतिक पार्टियों के प्रबंधकों को इंटरनेट ने खुब लुभाया। इंटरनेट की दौड़ में कोई पार्टी पीछे नहीं रहीं। वहीं भारतीय उद्यमियों ने भी इंटरनेट पर अपनी अलग जगह बनाई है। तकनीकि विष्व में भारतीय मेधा ने अपना लोहा मनवाते हुए अलग पहचान कायम की है। आडियो, वीडियो वेब, फोटो वेब और फिल्म वेब जर्नलिज्म के अलावा कला, संस्कृति और साहित्य जगत, खेल, व्यापार व षिक्षा तथा ईकॉनोमिक जर्नलिज्म, ई-गवर्नेंस की परियोजनाओं, इनफॉरमेषन टेक्नॉलाजी तथा इनफॉरमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नॉलाजी के क्षेत्र में भी वेब जर्नलिज्म के लिए काफी संभावनाएं है। इसको लोग आष्चर्यजनक नजर से देख रहे हैं।
रचनाकार अपनी नई-नई रचनाओं, ऑनलाइन कविता प्रतियोगियों आदि के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्षन कर वेब जर्नलिज्म जैसे नए क्षेत्र में अपना उचित स्थान हासिल कर सकते हैं। कुछ लोग इसके जरिए धन भी कमा सकते हैं। बहरहाल, इंटरनेट ही एकमात्र ऐसा साधन है जिसके द्वारा सृजनकार अपनी किसी भी रचना या खोज का प्रदर्षन विष्व स्तर पर बिना किसी रोक टोक के मिनटों में कर सकते हैं। वेब जर्नलिज्म के जरिए जनमानस के उत्थान के लिए लोक चेतना तथा सूचना के अधिकार के बारे में लोगों को न केवल जागरूक किया जा सकता है। बल्कि अपडेट भी रख सकते हैं। खेती किसानी व किसानों के हितों में भी काम करने की गुंजाइष इस क्षेत्र में व्यापक है। साइबर क्राइम जर्नलिज्म वेब जर्नलिज्म का ही अंग है। इस क्षेत्र में वेब जर्नलिज्म का दायरा व्यापक है। वेब जर्नलिज्म के जरिए खोजी पत्रकारिता भी की जा सकती है।
भारत में ही नहीं अन्य देषों की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में ई-पालियामेंट का प्रवेष शुरू हो चुका है। इस क्षेत्र में भारत के अलावा अन्य देषों की कुछ संस्थाएं ई-पालियामेंट को प्रमोट करने के लिए आगे आयीं हैं। एक शोध के अनुसार देष की लोकसभा राज्य सभा व विभिन्न विधानसभा व विधानमंडलों के साथ-साथ इन सदनाें के कुछेक सदस्यों ने ई-पालियामेंट को अपना लिया है। लिहाजा इस क्षेत्र में भी वेब जर्नलिज्म के लिए अपार संभावनाएं है।
स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा कारगर साधन है वेब जर्नलिज्म। इसके द्वारा न केवल पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है बल्कि उसको बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा सकता है। भारत सरकार के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो मई 2009 तक भारत में 64 लाख ब्राडबैंड कनेक्षन उपलब्ध कराये गये हैं। देष के सभी ढ़ाई लाख ग्राम पंचायतों में सन् 2012 तक ब्राडबैंड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। अभी 30 हजार ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ दिया गया है। भारत में निजी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा भी लाखों की संख्या में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। एक अनुमान के अनुसार भारत में एक इंटरनेट कनेक्षन का लगभग 6 व्यक्ति उपयोग करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट से खरीदारी करने में भारत का एषिया में तीसरा स्थान है। दुनियाभर में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 2013 तक 2.2 अरब छूने की संभावना है। नतीजतन एक अनुमान के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑनलाइन देष हो जाएगा। अभी दुनिया में ब्लागरों के संख्या 13.3 करोड़ के लगभग है। जबकि भारत में 32 लाख लोग ब्लागिंग कर रहे हैं।
भारत ही नहीं विष्व के अनेक हिस्सों में आमजन की निजी जिंदगी का अब इंटरनेट हिस्सा बनता जा रहा है। विभिन्न सरकारें गांव-गांव में इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराने के लिए निरंतर आगे आ रही है। भारत के प्रमुख मीडिया हाउस धीरे-धीरे अपने समाचार पत्रों को इंटरनेट पर ला रहे हैं। लगभग सभी समाचार पत्रों ने अपनी न केवल वेबसाइट प्रारंभ की हैं बल्कि उन्होंने अपने समाचार पत्रों के ई-पेपर भी शुरू कर दिए हैं। ई-पेपर मेलर सर्विस के द्वारा भी ग्राहकों को उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
दुनिया की सबसे मषहूर वीडियो की वेबसाइट यूटयूब अब हिन्दी में भी आ गई है। गूगल ने जीमेल, आरकुट जैसी वेबसाइट की हिन्दी और बाकी भाषाओं के अच्छे प्रभाव के बाद अब गांव गांव में अपनी हिन्दी वेबसाइट के माध्यम से पैठ बनाने की दृष्टि से यूटयूब हिन्दी में आरंभ किया है। कुल मिलाकर एक अनुमान है कि भारत के इंटरनेट अंग्रेजी यूजर्स ठहराव की स्थिति में हैं। बड़ी कंपनियों के कर्ता-धर्ताओं को यह आभास हो गया है कि आमजन तक वास्तव में यदि पहुंचना है तो उसका एकमात्र विकल्प हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा है। इसलिए लगभग सभी भारतीय एवं अन्य विदेषी कंपनियों ने इंटरनेट आधारित अपनी सभी सुविधाओं को अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी व क्षेत्रीय भाषाओं में विस्तार करने का क्रम तेजी के साथ आरंभ कर दिया है।
वेबजर्नलिज्म के कोर्स भी विभिन्न विष्वविद्यालयों ने प्रारंभ किए हैं इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ जर्नलिज्म एण्ड न्यू मीडिया, बैंगलोर, एषियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म, चैन्नई, लंदन स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के अलावा कुछ भारत की एवं विदेष की संस्थाएं ऑनलाइन कोर्स भी संचालित करती हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विष्वविद्यालय में बेचलर ऑफ जर्नलिज्म बीजे तथा मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एमजे की डिग्री हासिल करने के दौरान वेबजर्नलिज्म का एक संपूर्ण पेपर भी कराया जाता है। वेबजर्नलिज्म में भारत के अलावा विदेषों में भी भविष्य है। वेबजर्नलिज्म करने वालो के लिए भारत और भारत के बाहर कई संस्थाओं ने प्रतिष्ठित अवार्ड भी प्रारंभ किए हैं।
वेब जर्नलिज्म में एडिटिंग की दृष्टि से वेब और इसकी संभावनाओं के कई पहलुओं को समझना होगा। लेखन और रिपोर्टिंग स्वतंत्र पत्रकार के रूप में भी वेब जर्नलिज्म के माध्यम से की जा सकती है। जानकारी इक्कठा करने तथा लिखने की क्षमता, विष्लेषणात्मक कौषल, रचनात्मकता के साथ-साथ आई.टी. का आधारभूत ज्ञान भी होना आवष्यक है। सीमित संसाधनों और कम अनुभवी पत्रकार भी वेब जर्नलिज्म में अपना कैरियर शुरू कर सकते हैं। वेब पत्रकारिता का भविष्य है। यह पत्रकारिता का एक्सटेंषन है। एक जानकारी के अनुसार भारत में अब लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्रों व न्यूज चैनलों, न्यूज पोर्टलों में वेब एडिटर, वेब करस्पोंडेंट, वेब कैमरा मेन की नियुक्तियां अलग से होने लगी हैं। इस तरह का सिलसिला सरकारी विभागों में भी प्रक्रियागत है।
वैसे ई-गवर्नेंस को लेकर वैष्विक स्तर पर 2007 में शोध किए गए हैं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र का ई-षासन सर्वेक्षण 2008 प्रतिवेदन भी आया है। शोध और प्रतिवेदन में कुछ महत्वपूर्ण बातें ई-षासन को लेकर की गई हैं। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग ने भी ई-गवर्नेंस के बारे में सिफारिषें की हैं।
कुल मिलाकर बातचीत का लब्बोलुआब यह है कि वेब जर्नलिज्म का भविष्य उज्जवल है। वेब जर्नलिज्म का प्रयोग स्वच्छ व्यवस्था, विष्वास और उत्तरदायित्व, नागरिक कल्याण, लोकतंत्र, राष्ट्र के आर्थिक विकास व सूचना के आदान-प्रदान में व संवाद प्रेषण के साथ व्यवस्था एवं नागरिकों के बीच विभिन्न व्यवस्था एवं सेवाओं के एकीकृत करने, एक संस्था के भीतर तथा सिस्टम के भीतर विभिन्न स्तरों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में किया जाए। तो वेब जर्नलिज्म की न केवल सार्थकता सिध्द होगी वरन् एक मील का पत्थर गढ़ेगा।
वेब जर्नलिज्म नागरिकों के सषक्तिकरण के लिए सूचनाएँ प्रदान कर सकती है, सरकार में उसकी सहभागिता संभव बना सकती है और आर्थिक एवं सामाजिक अवसर का लाभ उठाने के लिए उन्हें सक्षम भी बना सकती है।
अंत में मैं यह कहना चाहूंगा कि वेब जर्नलिज्म का संबंध सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक और सूचना टेक्नॉलाजी व इंटरनेट से नहीं है बल्कि यह व्यवस्था के सुधारों को साकार करने का एक शानदार अवसर भी उपलब्ध कराता है।
सरमन नगेले
एफ-45/2, साऊथ टी.टी. नगर, भोपाल
फोन नं0 2779562
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मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
http://www.mppost.org/
http://www.mppost.com
पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
पत्राचार का पता
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