शनिवार, 19 मार्च 2011

कौन हैं जो मीडिया पर नियंत्रण चाहते हैं?,प्रजातंत्र में मीडिया की भूमिका और अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर जो बहस


.प्रजातंत्र में मीडिया की भूमिका और अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर जो बहस हो रही है उसके संदर्भ में चुनाव आयोग का ताजा बयान ध्यान आकर्षित करता है, जिसमें कहा गया है कि पांच राज्यों के चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के संबंध में मीडिया रिपोर्ट को शिकायत के रूप में दर्ज कर कार्रवाही की जायेगी। मीडिया की विश्र्वसनीयता और प्रजातंत्र को मजबूत बनाने में सार्थक भूमिका के संदर्भ में चुनाव आयोग का यह प्रेक्षण स्वागतयोग्य तो है ही साथ ही कई मीडिया के संबंध में कई प्रकार के भ्रम को भी दूर करता है। सबसे विचारणीय यह है कि आखिर मीडिया से समाज और सरकार की अपेक्षाएं क्या हैं? कौन हैं जो मीडिया पर नियंत्रण चाहते हैं? क्या मीडिया को एक कठपुतली की तरह व्यवहार करना चाहिये जो सबको पसंद हो? यदि मीडिया के माध्यम से व्यवस्थाओं की खामियां सामने आती हैं तो वह किसके हित में हैं? जब तक कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका मीडिया को सहयोगी और मार्गदर्शक नहीं मानेंगी तो निरंकुशता की स्थिति बढ़ती ही जायेगी। प्रजातंत्र में निरंकुश होने की संभावना हर पल बनी रहती है। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रक्ति्रया में तटस्थता नहीं बरतने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की जायेगी। कार्यपालिका के कर्तव्य निर्वहन और विश्र्वसनीयता पर संदेह स्पष्ट रेखांकित होता है। यदि कार्यपालिका के माध्यम से मीडिया को अपने कर्तव्य निर्वहन में किसी प्रकार का सहयोग मिलता है तो यह कोई ऐसा कृत्य नहीं है जिससे कारण मीडिया के व्यवहार को ही आलोचना का शिकार बना दिया जाये। आखिरकार उददेश्य एक है। आम लोगों के हित में शासन प्रशासन ईमानदारी से काम करे। भ्रष्टाचारी उजागर हों। अच्छे कायरें को जनसमर्थन मिले और लोकतंत्र के फलने फूलने का वातावरण बने। क्या भारत में समाचार माध्यम मसलन: अखबार, टीवी चैनल और इंटरनेट मीडिया लोकतंत्र के सजग प्रहरी की भूमिका निभा रहे हैं। या फिर बाढ़ ही खेत खा रही है। कभी पैसे लेकर खबर दिखाने के आरोप तो कभी बडे़ चिकने चुपड़ों की चर्चा के आक्षेप, क्या मीडिया सच के लिये नेताओं से, न्यायापालिका से एवं व्यवस्था से उनके लिये लड़ रही है। जिन्हें न्याय नहीं मिला? इन सवालों के जवाब खोजने के लिये मीडिया के अतीत पर गौर करना लाजिमी है। संदर्भो के अनुसार इमरजेंसी के समय समाचार पत्रों ने संपादकीय पृष्ठ खाली छोड़कर शालीन तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया था। यह सब उस समय के पत्रकारों के बलबूते ही संभव हो सका था। पिछले दो दषकों की बड़ी घटनाएं इस बात की तसदीक करती हैं कि मीडिया कर्तव्यपरायण्ता, ईमानदारी और सजगता से अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहा होता तो बोफोर्स जैसा मामला सामने नहीं आता। चाहे मामला कोबरा पोस्ट द्वारा सांसद घूसखोरी के खुलासे का हो अथवा क्रिकेट सम्राट ललित मोदी अथवा शशि थरूर की कुर्सी जाने का। यह सब न्यू मीडिया ने ही किया है। 2जी स्पेक्ट्रम को जनता के सामने लाने का भी काम पत्रकारों ने ही किया है। इसलिये इन पंक्तियों का उल्लेख करना समीचीन होगा पत्रकारिता के पवित्र पेशे में सफल होने से बेहतर है पेशे में बने रहना। दुनिया के कई देशों को हिला देने वाले विकीलीक्स के संपादक जूलियन असांजे को फ्रांस के प्रमुख समाचार पत्र ने मेन आफ द ईयर 56 प्रतिशत प्राप्त वोट के आधार पर इसलिये घोषित किया। क्योंकि वह पत्रकारिता को ही न्यू मीडिया के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित कर रहा है। अब देश-दुनिया के लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्रों एवं चैनलों के पत्रकार आजकल अपना पक्ष न्यू मीडिया पर बेहिचक रख रहे हैं। बहरहाल, पत्रकार अब पत्रकारिता केवल मीडिया मालिकों के भरोसे नहीं कर रहा है। उनके सामने सोशल मीडिया कंधे से कंधा लगाये खड़ा है। काबिलेगौर बात यह है कि अभी तक भारत में जितने भी खुलासे हुये हैं वह कोई मीडिया मालिक ने नहीं किये हैं। बल्कि कई मर्तबा बड़े बड़े खुलासे करने के लिये पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर तथ्य जुटाता है, महीनों काम करता है तब बड़ा धमाका या खुलासा हो पाता है। लेकिन आज भी कुछ मीडिया मालिक न केवल स्वयं पत्रकारिता कर रहे हैं बल्कि पीत पत्रकारिता को हतोत्साहित कर रहे है, करना भी चाहिए। जहां तक सवाल सरकारों द्वारा पत्रकारों को दी जाने वाली सुविधाओं का है तो वह फकत् श्रमजीवी पत्रकारों के लिये ही है। पत्रकारों को मिलने वाली सुविधाओं पर अब सवाल उठने लगे हैं। जबकि केन्द्रीय वित्तमंत्री ने तो बजट पेश कर प्रेस कांसिल ऑफ इंडिया तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय का बजट ही कम कर दिया है। (लेखक- एमपीपोस्ट डॉट कॉम के संपादक हैं।)

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
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पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
पत्राचार का पता
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