सोमवार, 1 नवंबर 2010

1 नवम्बर म.प्र. स्थापना दिवस, 54 साल 15 राज्यपाल, 29 मुख्यमंत्री

1956 के 1 नवंबर की मध्यरात्रि में दीपावली की अमावस्या के गहन अंधेरे के बावजूद नये मध्य प्रदेश के निर्माण का उजाला हुआ। भाषावार प्रांतो की रचना के बाद बने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के राजभवन में पंडित रविशंकर शुक्ल ने पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। लगभग 44 वर्ष बाद फिर एक अवसर आया और मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना। वर्ष 1956 और 2000 की ये तारीखें भारतीय इतिहास और मध्य प्रदेश के इतिहास की ऐसी तारीखें हैं जिनसे समाज और राजनीति के इतिहास के नये दस्तावेज लिखे जाने प्रारंभ हुए। मध्य प्रदेश को अस्तित्व में आये 54 वर्ष पूरे हो गए हैं। इन बरसों में यहां बहुत कुछ घटा है और बदला है और काफी कुछ वैसा का वैसा है जैसा 1 नवम्बर 1956 को था। भारत के इतिहास की अनेक महत्वपूर्ण घटनाएं मध्य प्रदेश के भूभाग पर हुई है, चूंकि किसी राज्य का अस्तित्व में आना एक राजनैतिक घटना है लिहाजा मध्य प्रदेश के अभी तक के राजनैतिक घटनाक्रम की पहली कड़ी के रूप में राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों पर गौर करना लाजिमी है। वैसे मध्य प्रदेश की पावन भूमि में विलक्षण प्रतिभाओं ने जन्म लिया है। असाधारण व्यक्तित्व के धनी लोगों ने मध्य प्रदेश की निःस्वार्थ सेवा की है। महान व्यक्ति अपने सदगुणों और मानवता को समर्पित कार्यो से सदियों जीवित रहते हैं। मध्य प्रदेश का राजनैतिक इतिहास वस्तुतः राज्य के प्रथम राज्यपाल डा. पट्टाभि सीतारमैया, श्री एच.व्ही. पाटस्कर, श्री के.सी. रेड्डी, श्री एस.एन. सिंह, श्री एन.एन. वान्चू, श्री सी.एम. पूनाचा, श्री बी. डी. शर्मा, प्रो. के.एम. चाण्डी, श्रीमती सरला ग्रेवाल, कुंवर महमूद अली खॉ, श्री मो.शफी कुरैशी, डा. भाई महावीर, श्री रामप्रकाश गुप्त, डा. बलराम जाखड़, श्री रामेश्वर ठाकुर एवं राजपथ के सहयात्री और राज्य के शिखर व्यक्तित्व प्रथम मुख्यमंत्री श्री रविशंकर शुक्ल, श्री भगवंतराव मंडलोई, डॉ0 कैलाश नाथ काटजू, श्री द्वारका प्रसाद मिश्र, श्री गोविन्दनारायण सिंह, श्री राजा नरेशचन्द्र सिंह, श्री श्यामा चरण शुक्ल, श्री प्रकाश चन्द्र सेठी, श्री कैलाश जोशी, श्री वीरेन्द्र कुमार सखलेचा, श्री सुन्दर लाल पटवा, श्री अर्जुन सिंह, श्री मोतीलाल वोरा, श्री दिग्विजय सिंह, सुश्री उमा भारती, श्री बाबूलाल गौर, श्री शिवराज सिंह चौहान जैसे विद्वान राजनीतिज्ञों के कृतित्व से समृद्ध हुआ है। गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह, अर्जुन सिंह व कैलाशनाथ काटजू के अलावा शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। इनके अलवा कोई मुख्यमंत्री नहीं है जिसे पूरे पांच साल राज करने का अवसर मिला हो। सुंदरलाल पटवा, श्यामाचरण शुक्ल तथा मोतीलाल वोरा एक से अधिक बार मुख्यमंत्री रहे लेकिन कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। 1 नंवबर 1956 को नया म.प्र. बना और प्रथम मुख्यमंत्री हुए पं. रविशंकर शुक्ल। दो माह बाद ही उनका निधन हो गया और डॉ. कैलाशनाथ काटजू ने मुख्यमंत्री का पद संभाला। वे पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहे, लेकिन 1962 का चुनाव वे हार गए इसलिए फिर नए मुख्यमंत्री की तलाश शुरू हुई।1990 के बाद के दौर को राजनैतिक स्थिरता का दौर कहा जा सकता है। 1990 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिला और उनकी सरकार में सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बने। वे 1992 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। 1992 में उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। 1993 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पुनः सŸाा में आई और पहली बार विधायकों के बहुमत के आधार पर दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बनाए गए। उन्होंने अपना एक नहीं दो कार्यकाल लगातार पूरा किया। मध्यप्रदेश की प्रथम महिला एवं प्रथम पिछड़े वर्ग की और प्रथम सन्यासिन सुश्री उमा भारती ने 8 दिसम्बर 2003 को 26 वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। व्यक्तिशः वे पंद्रहवीं मुख्यमत्री थीं जो आठ माह पंद्रह दिन ही इस पद पर रहीं। 23 अगस्त 2004 को मजदूर से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करते हुये बाबूलाल गौर ने 27 वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। श्री गौर 29 नवंबर 2005 तक मुख्यमंत्री रहे। म.प्र. के युवा तुर्क नेता शिवराज सिंह चौहान ने 29 नवंबर 2005 को राज्य के 28 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। श्री चौहान ने पुनः 12.12.2008 को 29वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। श्री चौहान व्यक्तिशः मध्यप्रदेश के स़त्रहवें मुख्यमंत्री हैं। सीएम यानि हमेशा कॉमनमेन की भूमिका में दिखने वाले शिवराज सिंह चौहान ऐसे गैरकांगे्रसी मुख्यमंत्री हैं। जिन्होंने न केवल पहला कार्यकाल किसान से मुख्यमंत्री तक का राजनैतिक सफलीभूत सफरनामा तय किया, वरन् दूसरा कार्यकाल भी तय कर रहे हैं। कुल मिलाकर बीते 54 सालों में मध्य प्रदेश व यहां के बाशिंदों ने 15 राज्यपाल और 29 मुख्यमंत्रियों को व उनके कार्यकाल को देखा है। (लेखक ने म.प्र. के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों पर डिजिटल दस्तावेज का सृजन किया है।)

सोमवार, 30 अगस्त 2010

भारत में आमजन की सूचना के प्रति जागरूकता बढ़ी, अमेरिका में पाठकों के सामने न्यू मीडिया का विकल्प- न्यूयार्क टाइम्स के पत्रकार श्री बजाज

पत्रकारिता के लिये आज अनेक माध्यम मौजूद हैं सभी माध्यमों का आखिर उद्देश्य सत्य को पाठकों के सामने लाना होता है। पत्रकारिता किसी भी माध्यम से हो पत्रकारिता ही होती है। यह बात द न्यूयार्क टाइम्स के साउथ एशिया संवाददाता विकास बजाज ने शुक्रवार 27 अगस्त 2010 को स्वराज भवन, भोपाल मेंकही। श्री बजाज अमेरिकन सेंटर मुंबई एवं न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट भोपाल के सहयोग से पत्रकारिता के बदले परिदृश्य विषय पर आयोजित व्याख्यान सहपरिचर्चा में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
श्री बजाज ने मीडिया के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अभी भारत में अखबारों की प्रसार संख्या और बढ़ेगी। क्योंकि भारत में साक्षरता का प्रतिशत तेजी के साथ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों में सूचना के प्रति जागरूकता बढ़ी है और यही कारण है कि आने वाले दिनों में अखबारों का प्रसार बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका में पाठकों के सामने अनेक विकल्प है और वे अनेक विकल्पों का लाभ इसलिए उठा पाते क्योंकि वहां पर साक्षरता दर अधिक है। साथ ही जनसंख्या दर की बढ़ोत्तरी का प्रतिशत बहुत कम है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पाठकों के सामने न्यू मीडिया का विकल्प तेजी के साथ सामने प्रकट हुआ है। इसलिए समाचारों पत्रों की प्रसार संख्या में गिरावट आ रही है। उन्होंने कहा कि समाचार के सूत्र का हर संभव पत्रकारों को संरक्षण करना चाहिए। कार्यक्रम के आरंभ में एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने आंकड़े के साथ तथ्यों को रखा। श्री नगेले ने इस बात की चिंता जाहिर की कि विदेशी अखबारों में भारत के विभिन्न राज्यों के किसी एक छोटे हिस्से के समाचार को सरकार की असफलता के साथ जोड़कर प्रकाशित किया जात है जबकि विकास के कार्य व्यापक पैमाने पर होते हैं उनकी अनदेखी होती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और अन्य राज्यों की सरकारें ऐसे अनेक काम सतत् रूप से करती हैं जो सरकारी तंत्र की सफलता दिखाते हैं। लेकिन वे काम विदेशी समाचार पत्रों के समाचारों का हिस्सा नहीं बन पाते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया और मोबाईल जर्नलिज्म के बारे में भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 2012 तक जब भारत की समस्त ग्राम पंचायतों में इंटरनेट सुविधा होगी तब पत्रकारिता का परिदृश्य क्या होगा? यह देखना होगा। द वीक पत्रिका के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ दीपक तिवारी ने ब्रिटेन मीडिया के बारे में अपना पक्ष रखा। श्री तिवारी ने पत्रकारिता के सिलसिले में हाल ही में ब्रिटेन यात्रा में जो समझा वहां की मीडिया के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में अखबार 60 से 70 पेज के होते हैं। इन अखबारों की कीमत भारतीय मूल्य में लगभग 70 से 80 रूपये की होती है। विज्ञापन भारतीय अखबारों की तुलना में कम होते हैं। इसका कारण उन्होंने बताया कि अभी मंदी के दौर की वजह से ऐसा हो रहा है। श्री तिवारी ने कहा कि विदेशी मीडिया में मानवीय मूल्यों की खबरों को भारतीय मीडिया से अधिक स्थान दिया जाता है। श्री तिवारी ने कहा कि जो पत्रकारिता में परिवर्तन आ रहे हैं उसकी चिंता भारतीय मीडिया को करना चाहिए। नवदुनिया के संयुक्त स्थानीय संपादक राजेश सिरोठिया ने इस बात की चिंता जताई कि बदलते समय में मीडिया का बदलना भी स्वाभाविक है। किन्तु खबरों को ढ़ूढ़ने के बजाये खबरें पैदा करने की प्रवृत्ति घातक है। उन्होंने खबरों की तह तक जाने की बात भी कही। हिन्दुस्तान टाइम्स के विशेष संवाददाता रंजन श्रीवास्तव ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बदलाव के इस दौर में अखबार बहुसंस्करणीय हो गए है। और हर शहर की खबर पढ़ने के लिए एक अखबार की जरूरत होती है। इसलिए यह बदलाव पाठकों के लिये बहुत फायदे का नहीं है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के राजनेता और प्रशासक अन्य राज्यों की तुलना में अधिक मिलनसार हैं। जो पत्रकारिता के लिहाज से अच्छा है। टेलीविजन पत्रकारिता पर स्टार टीवी के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ ब्रजेश राजपूत ने अपनी बात रखते हुए कहा कि स्टिंग आपरेशन को लेकर बहुत सारी बाते हुयी और निष्कर्ष यह निकला कि यह समाज के लिये घातक है। आज बदलते दौर में स्टिंग आपरेशन होना लगभग खत्म हो गये है। और जहां हो रहा है वह एक दूसरे से बदला लेने के लिये हो रहा है। श्री राजपूत ने टेलीविजन के प्रभाव को सार्थक बताया और कहा कि बदलते समय में अब इसकी स्वीकार्यता को मानना ही होगा। आईबीएन 7 के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ मनोज शर्मा ने परिचर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर कवरेज के समय दर्शकोंका हित सर्वोपरि होना चाहिए। जनसंपर्क विभाग, मध्य प्रदेश शासन के उप सचिव और अपर संचालक लाजपत आहूजा ने बदलते समय में न्यू मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उन्होंने एक रोचक उदाहरण देते हुए कहा कि विकीपिडीया में एक स्थान पर भोपाल का सबसे बड़े अखबार के रूप में अकबर टाइम्स लिखा हुआ था। जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त संचालक समाचार सुरेश तिवारी ने विकास बजाज के व्याख्यान में हस्तक्षेप करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट निरंतर अपडेट होने वाली पीआईबी या अन्य वेबसाइट की तुलना में बेहतर है। उन्होंने न्यूयार्क टाइम्स के संवाददाता श्री बजाज से अपेक्षा की है कि वे एमपीइनफो डॉट ओआरजी वेबसाइट विजिट करें। उन्होंने श्री विकास बजाज के प्रश्न के उत्तर में बताया मध्य प्रदेश के जनसंपर्क अधिकारी हर समय फोन पर उपलब्ध रहते हैं। कार्यक्रम का संचालन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभागाध्यक्ष पुष्पेन्द्रपाल सिंह ने किया। व्याख्यान सहपरिचर्चा में अमेरिकन सेंटर मुंबई की सहायक मीडिया सलाहकार सुश्री सुमेधा रायकर महत्रे, संचालक संस्कृति मध्यप्रदेश शासन श्रीराम तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, रामभुवन सिंह कुशवाह, दिनेश जोशी, दैनिक भास्कर के विशेष संवाददाता विजय मनोहर तिवारी, दैनिक नई दुनिया के अपूर्व तिवारी, बिजनेस स्टेंडर्ड के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ शशिकांत त्रिवेदी, मुंबई के मीडिया कंसलटेंट केशव राय, पायनियर के विवेक त्रिवेदी, भास्कर जबलपुर के संजय शर्मा, स्वतंत्र मत के प्रेम पगारे, आईएनएस के संदीप पौराणिक, महामेधा के डॉ. आनंद प्रकाश शुक्ल, श्रीमती विद्युलता, यूएनआई के बीडी घोष और पत्रकार मनोज कुमार, अनिल सौमित्र, अलोक सिंघई, अरशद अली, विनोद श्रीवास्तव, कृष्ण मोहन झा, अनिल तिवारी ने भागीदारी की। इस अवसर पर भोपाल के अनेक पत्रकार और मीडियाकर्मी उपस्थित थे।

सोमवार, 9 अगस्त 2010

भारत में मोबाईल गवर्नेंस का बढ़ता दायरा

भारत में मोबाईल क्रांति ने ऐसा चमत्कार किया है कि 67 करोड़ से अधिक लोग मोबाईलधारी हो गये। वैसे दुनिया में मोबाईल धारकों की संख्या अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार यूनियम के मुताबिक इस वर्ष पांच अरब तक पहुंच गई है। भारत में 31 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास शौचलय हैं जबकि 57 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास मोबाईल । लिहाजा मोबाईल गवर्नेंस का दायरा बढ़ता जा रहा है।
दुनिया आपकी मुठ्ठी में मोबाईल की दुनिया के इस स्लोगन में वह तासीर है कि हर वर्ग इससे जुड़ता ही जा रहा है। या यूं कहें कि इसकी गिरत में आता जा रहा है। मोबाईल को लोग जहां अपना स्टेटस सिंबल मानने लगे हैं वहीं अब आम आदमी की जिंदगी का एक अनिवार्य अंग जैसा बन गया है।
सामाजिक, आर्थिक विकास की क्रांति में मोबाईल फोन का सकारात्मक योगदान है। मोबाईल लोगों को न केवल नजदीक ले आया है। बल्कि सूचना संपन्न कराने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। मोबाईल ने सूचना तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण किया है और आर्थिक मौके भी तैयार किये।
मोबाईल टेक्नॉलॉजी शहरी संपन्न और ग्रामीण वंचित वर्ग के बीच व्याप्त तकनीकी खाई को पाटने के क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली तकनीक के रूप में उभरा है।
मोबाईल गवर्नेंस के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण हमारे सामने हैं। मसलन - मोबाईल गवर्नेंस का पहला और सबसे बड़ा नमूना है नंबर 139 के जरिए एसएमएस आधारित रेलवे की वह पूछताछ सेवा है जिसका प्रतिदिन 5 लाख लोग उपयोग करते हैं। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में मोबाईल गवर्नेंस का सर्वाधिक उपयोग किया। और शीघ्र ही भारत का चुनाव आयोग मतदाता कार्ड मोबाईल टेक्नॉलॉजी के जरिए बनाएगा। मोबाईल बैंकिग। एसएमएस द्वारा परीक्षा परिणामों की जानकारी लेना-देना, शासन तथा निजी स्तर पर एसएमएस के जरिए आम जन की समस्याओं को एकत्रित कर उसका समाधान करना ऐसे ही उदाहरण हैं। इतना ही नहीं मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में जो कार्य संचालित हो रहे हैं। उनकी संपूर्ण अद्यतन जानकारी एसएमएस के द्वारा लेना। एसएमएस के माध्यम से प्रतियोगिताएं और वोट कराना। मोबाईल के जरिए इंटरनेट से जुड़े रहना, एसएमएस के माध्यम से लोग निःशुल्क तथा नाममात्र के शुल्क पर अपना संदेश पहुंचाने की सुविधा आखिर मोबाईल ने ही तो मुहैया कराई है।
आमजन के लिए मोबाईल पर केन्द्रित साउथ एशिया की पहली क्रांफ्रेंस और प्रदर्शनी का आयोजन 23 जुलाई 2010 को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार तथा डिजिटल इम्पावरमेंट फाउंडेशन द्वारा किया गया। साउथ एशिया का पहला एम बिलियंथ अवार्ड भी इसी वर्ष से स्थापित हुआ है। इसकी महत्ता को देखते हुए वर्ल्ड समिट अवार्ड मोबाईल 2010 का आयोजन दिसम्बर 2010 में अबू-धाबी में होने जा रहा है।
एम पेपर यानि मोबाईल पर अखबार का प्रसारण होने जा रहा है। शीघ्र ही आपका मोबाईल ही बैंक एकाउंट होगा। सीबीआई एसएमएस सुविधा का सर्वाधिक लाभ निरंतर उठा रही है। किसानों से जुड़ी समस्याएं हरियाणा सरकार एसएमएस पर ले रही है। एसएमएस के द्वारा पुलिस को घटना एवं अन्य सूचनाएं तुरंत देना। डर और जान पर खतरे के वक्त गुड़गांव पुलिस द्वारा एसएमएस सहायता।
मुंबई नगर निगम द्वारा एसएमएस के जरिए भुगतान सेवा भी शुरू कर दी है। रेलवे भर्ती बोर्ड चैन्नई द्वारा एसएमएस पर नौकरी संबंधी जानकारी दी जा रही है।
उधर, चुनाव आयोग गुजरात ने स्थानीय निकायों के चुनाव में एसएमएस के द्वारा मतदान कराने पर अपनी मोहर लगा दी है। मोबाईल क्रांति का असर यह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां, मीडिया घराने और राजनैतिक दल मोबाईल प्रचार अभियान का सहारा ले रहे हैं।
शीघ्र ही 3जी सुविधा।
मोबाईल क्रांति की लोकप्रियता की वजह से ही एक मोबाईल कंपनी ने यूपीए और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली के पांच गांवों में मोबाईल फोन मुत में बांटे।
मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में बंदूक एक समय वहां की आन, बान और शान मानी जाती थी। तत्कालीन कलेक्टर ने नसबंदी कराने वालों को बंदूक का लाइसेंस दिये जाने का अभियान चलाया था। लेकिन अब जिला प्रशासन भिण्ड ने परिवार कल्याण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोटवारों को प्रेरक बनाया है। ऐसे कोटवार जो कम से कम दस दंपत्तियों को नसबंदी कराने के लिए प्रेरित करेंगे उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप मोबाईल फोन दिये जायेंगे।
इसके कुछ दोष भी हैं- अंग्रेजी और हिन्दी का मोबाईल आधारित एसएमएस सेवा बेड़ागर्ग कर रही है। धन्यवाद को लोग अंग्रेजी में अंग्रेजी के एक ही शब्द को किस प्रकार लिखते है एक दिलचस्प उदाहरण Tks, Thanx, Thanks, Thax, Thx, Tq, । ’’जय हो मोबाईल क्रांति की’’ !(लेखक- न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी के संपादक हैं।)

मंगलवार, 22 जून 2010

’’भारत की सक्षमता के लिए वेब और सब के लिए वेब’’

ई-सरकार, अंतर्राष्ट्रीयकरण, वेब डिजाइन आदि के लिए डब्ल्यू3सी कार्यरत् है। डब्ल्यू3सी के भारतीय कार्यालय हालही प्रारंभ हुआ है। जहां तक हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार का सवाल है तो यूनिकोड की सुविधा ही क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
सर्व सुलभता, सुरक्षा, निजता, सबके लिए वेब, सब चीजों पर वेब और सभी भाषाओं को समर्थित व खासकर भारतीय भाषाओं के माध्यम से भारत की सक्षमता आदि के लिए वेब।
दरअसल, वर्ल्ड वाइड वेब सबको सचमुच विश्व व्यापी बना रहा है। और इसमें व्यापक पैमाने पर कारगर ढ़ंग से यदि कोई महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। तो वह है इसकी पहली कड़ी डब्ल्यू3सी। दूसरी कड़ी यूनीकोड है जो वेब के लिए सर्वाधिक उपयोग और अत्यंत आवश्यक भी है। कुल मिलाकर वेब की संपूर्ण क्षमता के उपयोग की दिशा में डब्ल्यू3सी अग्रणी है।
फिलवक्त, भारत सरकार के विभिन्न विभागों, उपक्रमों तथा राज्य सरकारों और उनके उपक्रमों की सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6800 वेबसाईटस एवं पोर्टल हैं। निजी कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये गए डोमेन नेम यानि यूआरएल से संबंधित वेबसाईट एवं पोर्टल का आंकलन करना मुश्किल है।
वर्ल्ड वाइड वेब टेक्नॉलाजी की सर्व सुलभता पर डब्ल्यू3सी विश्व व्यापी वेब कंसोर्टियम की 6 और 7 मई 2010 को नई दिल्ली में दूसरी कांफ्रेंस हुई। डब्ल्यू3सी ने भारत की भागीदारी बढ़ाने तथा प्रोत्साहन देने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। इसका भावी लक्ष्य 22 भारतीय भाषाओं के साथ सभी डब्ल्यू3सी मानकों को समर्थ बनाना रहा है, ताकि प्रत्येक नागरिक के लिए निर्बाध रूप से वेब हासिल हो सके। कांफ्रेंस में वेब वास्तुकला, वेब सुगमता सरीखे मोबाइल वेब, मानव मशीन, सीमेंटिक वेब इत्यादि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस कांफ्रेंस तथा पहले भी 10 और 11 नवंबर 2005 को हुई पहली कांफ्रेंस में मैंने म.प्र. के प्रतिनिधि के रूप में भागीदारी की। इस कांफ्रेंस में डब्ल्यू3सी के सीईओ डॉ जेफ्रे जाफे तथा अन्य अधिकारी, भारत सरकार के आईटी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, गूगल, माइक्रोसाफ्ट, आईबीएम, टीसीएस, इंटेल, इंफोसिस, ओपेरा, एनआईआईटी, देश के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी के प्रोफेसर, सीडेक और टीडीआईएल के अधिकारियों ने भागीदारी की।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार समेत पूरे विश्व में 350 से ज्यादा संगठन कंसोर्टियम के सदस्य हैं। डब्ल्यू3सी का संचालन संयुक्त राज्य अमेरिका में एमआईटी कम्प्यूटर साइंस एवं कृत्रिम बुद्धि प्रयोगशाला, फ्रांस में मुख्यालय के रूप में यूरोपियन रिसर्च कंसोर्टियम फॉर इन्फॉर्मेटिक्स तथा जापान में किओ विश्वविद्यालय और समुचे विश्व में अतिरिक्त कार्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम डब्ल्यू3सी एक अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्था है जो सभी के लिए अविच्छिनन वेब उपलब्धता सुनिष्चित करने के लिए मानक, सर्वोत्तम अभ्यास, संस्तुतियों को विकसित करती है। डब्ल्यू3सी का विजन प्रत्येक के लिए वेब और प्रत्येक वस्तु पर वेब है। डब्ल्यू3सी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य मानक निर्माण संस्थाओं जैसे कि यूनीकोड, आईईटीएफ, आईसीएएनएन व आईएसओ के साथ मिलकर काम करती है। डब्ल्यू3सी ने वेब प्रौद्योगिकी के लिए अब तक लगभग 183 मानक प्रकाषित किए हैं और भविष्य के वेब मानकों पर काम कर रही है।
डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय की स्थापना सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के मानव केन्द्रित अभिकलन प्रभाग के तत्वावधान में की गई है जो भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम टीडीआईएल क्रियान्वित कर रहा है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय के उद्देश्य में विकासकर्ताओं, अनुप्रयोग निर्माताओं व मानक स्थापनाकर्ताओं के बीच डब्ल्यू3सी संस्तुतियों की ग्राह्यता को प्रोत्साहित करना व भविष्य की संस्तुतियों के निर्माण में अंशधारक संगठनों को शामिल करने को प्रोत्साहित करना शामिल है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय का शुभारंभ 6 मई 2010 को केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा किया गया।
डब्ल्यू3सी की गतिविधियों को मुख्य रूप से 8 क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है। अंतर्राष्ट्रीयकरण, वेब डिजाइन व अनुप्रयोग, वेब वास्तुकला, सीमेंटिक वेब, एक्सएमएल प्रौद्योगिकी, वेब सेवाएं, उपकरणों का वेब, ई-सरकार।
भारत में 122 प्रमुख भाषाएं व 2371 बोलियां पाई जाती है। इन 122 भाषाओं में से 22 संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। भारत में एक भाषा कई लिपियों पर आधारित हो सकती है। कई भाषाएं केवल एक लिपि पर आधारित हो सकती है ये भाषाएं एक ही लिपि का प्रयोग करते हुए भी क्षेत्र के आधार पर सांस्कृतिक रूप से अलग हो सकती हैं। यहां तक कि देश के विभिन्न भागों में एक ही भाषा के उपयोग के बारे में भी व्यापक परिवर्तन पाए जाते हैं। रैखिक लिपियों जैसे कि रोमन लिपियों अपनी आकृतियां नहीं बदलती इसलिए अक्षरों को पास-पास रखा जाता है- एक के बाद एक जबकि भारतीय भाषाओं में जटिल संयुक्त अक्षर होते हैं। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध कई बड़े मुद्दे हैं, जैसे कि वर्ण विन्यास- वर्तनी के मुद्दे, बोलियों में परिवर्तन आदि। इसलिए यह आवश्यक है कि 22 भारतीय भाषाओं के डब्ल्यू3सी मानकों के सर्मथ बनाने के लिए प्रत्येक भाषा के अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं की सावधानी से जांच की जाए, जो एक विशाल व चुनौतीपूर्ण कार्य है।
कम्प्यूटर पर हिन्दी भाषा संसाधन के लिए यूनीकोड की भूमिका-यूनिकोड में भारतीय लिपियों को कोड स्पेस U+0900 से U+0D7F तक आबंटित किया गया है। यूनिकोड कंसोर्टियम बड़े कम्प्यूटर निगमों, अंतर्राष्ट्रीय विकासकर्ताओं, डेटाबेस विक्रेताओं, अंतर्राष्ट्रीय एजेन्सियों और विभिन्न उपयोगकर्ता समूहों का एक संगठन है और इसकी स्थापना 1991 में की गई थी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, यूनिकोड कंसोर्टियम का पूर्णकालिक सदस्य है। यूनिकोड कंसोर्टियम एक अलाभकारी संगठन है और इसकी स्थापना यूनिकोड मानक के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी।
यूनिकोड मानक को कार्यान्वित करने के लिए अनुरूप होने के कारण इन एन्कोडिंग फॉर्मों का पूरी तरह से अनुमोदन करता है। समग्रता में, यूनिकोड मानक, संस्करण 3.0 विश्व की सभी वर्णमालाओं, भावचित्रों और प्रतीक संकलनों के 49,194 वर्णो के कोड प्रदान करता है। ये सब कोड पहले कोड स्पेस के क्षेत्र 64K के वर्णो को समाहित कर लेते हैं जिन्हें संक्षेप में बीएमपी या मूल बहुभाषी प्लेन कहा जाता है।
हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार में यूनिकोड की सुविधा क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। आज विश्व की सभी लिखित भाषाओं के लिए यूनिकोड नामक विश्वव्यापी कोड का उपयोग, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, लाइनेक्स, ओरकल जैसी विश्व की लगभग सभी कम्प्यूटर कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। यह कोडिंग सिस्टम फॉन्ट्समुक्त, प्लेटफॉर्ममुक्त और ब्राउजरमुक्त है। विंडोज 2000 या उससे ऊपर के सभी कम्प्यूटर यूनिकोड को सपोर्ट करते हैं इसलिए यूनिकोड आधारित फॉन्ट का उपयोग करने से हिन्दी को आज विश्व की उन्नत भाषाओं के समकक्ष रखा जा सकता है।
भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने कहा था कि विश्व के अनेक हिस्सों में हिन्दी भाषा आसानी से बोली जा सके इसके लिए इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य का यूनिकोड स्वरूप उपलब्ध करवाना होगा।
भारत सरकार के उन सभी सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों को आदेश दिए जाएं जहां यूनिकोड का उपयोग नहीं किया जा रहा हो। वे अपनी कम्प्यूटर प्रणालियों में यूनिकोड आधारित फॉन्ट को डाउनलोड करने की व्यवस्था करें और अपनी वेबसाइट भी यूनिकोड आधारित फॉन्ट से निर्मित करें ताकि उनमें ई-मेल, चैट और खोज आदि की सुविधा सहज रूप में उपलब्ध हो सके।
हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण समाचारपत्रों और ई-पत्रिकाओं ने अपनी वेबसाइट डाइनेमिक फॉन्ट या वेबफॉन्ट की सहायता से निर्मित की है। ऐसी स्थिति में ये वेबसाइट भी बिना फॉन्ट डाउनलोड किए खुल तो जाती है और आप वेब सामग्री हिन्दी में पढ़ भी लेते हैं, लेकिन इसे न तो सहेजा जा सकता है और न ही ऑफ लाइन में पढ़ा जा सकता है। और फिर खोज का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मेरे विचार में खोज एक ऐसी सुविधा है जिसके माध्यम से किसी भी मूल शब्द या कीवर्ड को लेकर उपयोगकर्ता वेबसागर में गोता लगाकर बोली चुन सकता है अर्थात् वॉंछित सूचना पा सकता है।
यूनिकोड की केवल एक ही सीमा है कि यह विंडोज 98 को सपोर्ट नहीं करता अर्थात् यदि आपके कम्प्यूटर पर विंडोज 98 स्थापित है तो आप यूनिकोड-समर्थित फॉन्ट को पढ़ नहीं सकते। विंडोज 2000 या उसके ऊपर की कोई प्रणाली यूनिकोड को सपोर्ट करती है।

बुधवार, 9 जून 2010

CSI presented awards to organisation promoting Information Technology

Computer Society of India (CSI) awarded the organisations which in personal capacity are doing excellent efforts in promoting Information Technology, its creative use and public utility encouragement.CSI chairman, P Thirumurti presented these awards during the two-day National E-Governance Summit and State-level IT awards distribution function held in the State capital.Founder member of the CSI, VD Garde was awarded the lifetime award for promotion of IT. Senior IAS officer and president of the CSI nomination committee, Anil Shrivastava was awarded for effective promotion of IT in his working.Editor of State’s first Hindi News Portal www.mppost.org, Sarman Nagele was awarded for the promotion of IT in Hindi society and to make them information savvy.Nagele’s portal is active in the State since last six years in the promotion of e-governance and m-governance.

मंगलवार, 8 जून 2010

न्यू मीडिया के माध्यम से आईटी को प्रोत्साहित करने के लिए कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया द्वारा एमपीपोस्ट पुरस्कृत

सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार, रचनात्मक प्रयोग एवं लोकोपयोगी उपयोग को बढ़ावा देने के लिये कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया ने व्यक्तिगत रूप से एवं संस्थाओं को उत्कृष्ट प्रयासों के लिये पुरस्कार प्रदान किये।

राजधानी भोपाल में 5 एवं 6 जून को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय ई गवर्नेंस सम्मेलन एवं राज्य स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के अध्यक्ष प्राफेसर पी थिरूमूर्ति ने यह पुरस्कार प्रदान किये गये। इस अवसर पर कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ललित साहनी, सीएसआई के स्पेशल इंटरनेट ग्रुप के चैयरमेन डॉ. अशोक अग्रवाल, रिटायर्ड मेजर जनरल आर के बग्गा और भोपाल शाखा के सचिव श्री विवेक धवन एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश के प्रथम हिन्दी न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डाट ओआरजी के संपादक श्री सरमन नगेले को हिन्दी भाषी समुदाय के बीच सूचना प्रौद्योगिकी के रचनात्मक उपयोग एवं उन्हें सूचना सम्पन्न बनाने तथा आईसीटी यानि इंफारमेशन कम्प्यूनिकेशन टेक्नॉलाजी को न्यू मीडिया के माध्यम से प्रोत्साहित करने के प्रयासों के लिये सम्मानित किया गया।
मध्य प्रदेश में ई-गवर्नेंस और एम-गवर्नेंस को प्रोत्साहित करने की दिषा में मध्यप्रदेष का पहला हिन्दी ई-न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट पिछले छह वर्षो से सक्रिय है।
एमपीपोस्ट द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से लोक हितैषी पत्रकारिता को सषक्त बनाने तथा शासन-प्रशासन में आईसीटी संस्कृति विकसित करने की दिशा में निरंतर कार्यरत है। न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट द्वार प्रसारित जन हितैषी सूचनाआंे को विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत विषेषज्ञ संस्थाओं द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है।
श्री वी डी गरडे को सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिये लाईफ टाइम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के संस्थापक सदस्य हैं।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के नामांकन समिति के अध्यक्ष श्री अनिल श्रीवास्तव को अपने कार्यक्षेत्र और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के लिये सम्मानित किया गया।
इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पांच अन्य लोगों को भी सम्मानित किया गया है।
इसके अलावा मैपआईटी की नोडल अधिकारी अवंतिका वर्मा को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये और कर्नल एन पी दीक्षित को लाईफ टाइम उपलब्धि से सम्मानित किया गया।
ओरिएंटल ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को उत्कृष्टतम शैक्षणिक संस्थान के रूप में पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा आई ई एस ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को कैंपस के माध्यम से नई प्रतिभाओं को कंपनियों में रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिये सम्मानित किया गया। सागर ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान के बतौर पुरस्कृत किया गया।

मंगलवार, 1 जून 2010

सोशल मीडिया का बढ़ता दायरा

’’सोशल मीडिया ने दुनिया को एक तरफ गांव के रूप में तब्दील कर दिया है, तो दूसरी और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा है, स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को निशुल्क मौका देकर इसने मीडिया को पंख लगा दिये हैं, यह पत्रकारिता को प्रोत्साहित करता है, यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त कर दिया है, कुछ लोग इसे वैकल्पिक मीडिया के रूप में भी देख रहे है, कुल मिलाकर मीडिया के सोशल मीडिया ने सारे मायने ही बदल दिये हैं।’’
दुनिया में खासकर भारत में पिछले एक दशक के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी और संचार यानि आईसीटी के जरिए अनेक परिवर्तन हुए हैं। वे अद्भुत और अविस्मरणीय हैं। लगातार होते जा रहे परिवर्तनों पर सिलसिलेवार गौर करना अत्यंत आवश्यक है। ये वे परिवर्तन है जो सोशल मीडिया के जनक हैं। यह मीडिया आम जीवन का एक अनिवार्य अंग जैसा बन गया है। वैसे सोशल मीडिया का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। वह अभी अपने शैश्वकाल में है।
जहां तक सवाल मीडिया का है तो वह पांच प्रकार का है। पहला प्रिंट मीडिया, दूसरा रेडियो, तीसरा दूरदर्शन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाएं, चौथा इलेक्ट्रानिक यानि टीवी चैनल, और अब पांचवा सोशल मीडिया। इस मीडिया ने दुनिया को गांव के रूप में बदल दिया है। दुनिया अब लोगों की मुठ्ठी में है। इसे न्यू मीडिया के रूप में भी जाना जाता है।
वैसे, इस मीडिया का उद्भव आईटी और इंटरनेट से हुआ है। मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाईट, ईमेल, ब्लॉग, सोशलनेटवर्किंग वेबसाइटस, जैसे माइ स्पेस, आरकुट, फेसबुक आदि, माइक्रो ब्लागिंग साइट टिवटर, ब्लागस, फॉरम, चैट सोशल मीडिया का हिस्सा है। यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त किया है।
एक अध्ययन के अनुसार लगभग प्रतिदिन समाचार पत्रों के पन्नों पर सोशल मीडिया से उठाई गई खबर या उससे जुड़ी हुई खबर रहती है। फकत, यही मीडिया है जो पत्रकारिता को प्रोत्साहित कर रहा है। आजकल हर तीसरी लड़की फेसबुक और ट्विटर से जुड़ी रहती है। लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करने में 10 फीसदी कम हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि अमिताभ बच्चन और बॉलीवुड के लगभग सभी बड़े सितारे ट्विटर पर हैं। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर सहित आधी से ज्यादा भारतीय क्रिकेट टीम ट्विटर पर है। तमाम बड़े राजनेता फेसबुक, ब्लॉग अथवा ट्विटर पर उपलब्ध हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में अपना ब्लॉग शुरु किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना ब्लाग और वेबसाईट भी शुरू की है।
एक रिसर्च के अनुसार सोशल मीडिया में रेडियो, टी वी, इंटरनेट और आईपॉड आता है। रेडियो को कुल 73 साल हुए हैं टीवी को 13 साल तथा आईपॉड को 3, लेकिन इन सब मीडिया को पीछे छोड़ते हुए सोशल मीडिया ने अपने चार साल के अल्प समय में 60 गुना अधिक रास्ता तय कर लिया है जितना अभी तक किसी मीडिया ने तय नहीं किया।
सोशल मीडिया को अब चंद लोगों का ‘चोंचला’ कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। भारत में आठ करोड़ से अधिक नेट उपयोक्ता हैं, जबकि 60 करोड़ से ज्यादा यानि भारत की कुल आबादी के 54 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास मोबाइल हैं जिनमें से एक तिहाई से अधिक मोबाइल फोन पर इंटरनेट की सुविधा है।
जहां सोशल नेटवर्किंग साइटों का अधिकतम इस्तेमाल कर रहे अमेरिका प्रशासन का मानना है कि ये ‘प्रभावी औजार’ हैं जो कूटनीति को बढ़ावा दे सकते हैं। इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के लगभग 60 मिलियन पेजेस ऑनलाइन हैं। वहीं त्रिनिदाद और टोबैगो की हाल ही में भारतीय मूल की कमला प्रसाद विसेसर प्रधानमंत्री चुनी गई है। कमला विसेसर ने अपना पूरा चुनाव अभियान फेसबुक के जरिए चलाया। अरब देशों में फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों की तादाद अखबार पढ़ने वालों से ज्यादा है। लगभग डेढ़ करोड़ लोग फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं। मिश्र में 35 लाख लोग फेसबुक से जुड़े हैं। कुल मिलाकर संयुक्त अरब अमीरात की एक तिहाई जनता फेसबुक की सदस्य है। इन दिनों साउदी अरब में भी फेसबुक प्रेम उफान पर है। पाकिस्तान में इन दिनों फेसबुक के उपयोग पर लाहौर हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी थी। फेसबुक पर पाबंदी कुछ शर्तो के साथ हालही में खत्म कर दी है।
गौरतलब है कि पोर्टल व न्यूज बेवसाइट्स ने छपाई, ढुलाई और कागज का खर्च बचाया तो ब्लॉग ने शेष खर्च भी समाप्त कर दिए। ब्लॉग पर तो कमोबेस सभी प्रकार की जानकारी और सामग्री वीडियो छायाचित्र तथा तथ्यों का प्रसारण निशुल्क है साथ में संग्रह की भी सुविधा है।
यह ई-मीडिया का ही असर है कि अब वेब जर्नलिज्म पर पुरस्कार और कोर्स चालू हो गए हैं। हिन्दुस्तान में सांसद घूसखोरी को उजागर एक निजी वेबसाइट ने ही किया था। आईपीएल विवाद में ललित मोदी पर आरोप किसी समाचार पत्र या चैनल को सहयोग करने का नहीं लगा बल्कि एक वेबसाईट को सहयोग करने का लगा। कुल मिलाकर सोशल मीडिया का दायरा और असर बढ़ता ही जा रहा है।
एक अध्ययन के अनुसार आज हर रोज लगभग दो लाख नये ब्लॉग बनते हैं, लगभग चालीस लाख नयी प्रविष्टियां हर रोज दर्ज की जाती हैं। यही कारण है कि युवा पीढ़ी ने इसे तेजी से अपनाया है। अलबत्ता कुछ लोग दुर्भाग्यवश इस सुविधा का गलत इस्तेमाल भी करने लगे है।
अभी दुनिया में ब्लॉगरों की संख्या 13.3 करोड़ के लगभग है जबकि भारत में 32 लाख से अधिक लोग ब्लॉगिंग कर रहे हैं। वैसे तो ब्लागर की संख्या से लेकर ब्लाग की भाषा शैली में कई परिवर्तन आए हैं लेकिन आर्थिक रूप से यह अभी बहुत पीछे है, हिन्दी ब्लाग का आर्थिक मॉडल बनने में अभी न केवल समय लगेगा, वरन् इसमें सुधार की भी गुंजाइश है। एक अनुमान के अनुसार भारत में एक इंटरनेट कनेक्शन का लगभग 6 व्यक्ति उपयोग करते हैं।
हाल ही में वर्ल्ड वाइड वेब यानि डब्ल्यू3सी की अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस दिल्ली में हुई है जिसमें मैंने भागीदारी की। कांफ्रेंस में सबके लिए वेब और सब वस्तुओं पर वेब व वेब मीडिया और मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट के उपयोग को लेकर तथा वेब पर यूनिकोड के प्रचार-प्रसार पर गंभीरता से चर्चा हुई।
सोशल मीडिया का नकारात्मक पक्ष यह है कि जैसे राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक विषयों की जानकारी के अभाव में असत्य सूचनाओं तथा चित्रों का इस्तेमाल हो जाता है। इस मीडिया की भाषा मर्यादित नहीं होती है। यह मीडिया हिन्दी भाषा के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ कर रहा है।
सोशल मीडिया का प्रयोग स्वच्छ व्यवस्था, विश्वास और उत्तरदायित्व, नागरिक कल्याण, लोकतंत्र, राष्ट्र के आर्थिक विकास व सूचना के आदान-प्रदान में व संवाद प्रेषण के साथ व्यवस्था एवं नागरिकों के बीच विभिन्न व्यवस्था एवं सेवाओं के एकीकृत करने, एक संस्था के भीतर तथा सिस्टम के भीतर विभिन्न स्तरों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में किया जाए। तो सोशल मीडिया की न केवल सार्थकता सिद्ध होगी वरन् एक मील का पत्थर गढ़ेगा।
सोशल मीडिया का संबंध सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक और सूचना टेक्नॉलाजी व इंटरनेट से नहीं है बल्कि यह व्यवस्था के सुधारों को साकार करने का एक शानदार अवसर भी उपलब्ध कराता है। इंटरनेट और सोशल मीडिया मे पदार्पण से पहले लोग छोटी-मोटी बातों, विचारों, समाचारों, छायाचित्रों और वीडियो आदि पर प्रिंटाकार और मानवीय परिश्रम पर ज्यादा निर्भर रहते थे लेकिन लोगों की जीवन शैली में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन, इंटरनेट के संगम से बने सोशल मीडिया के प्रयोग ने अनेक परिवर्तन ला दिये हैं गांव और शहर के बीच का अंतर लुप्त हो गया है। (लेखक- न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी के संपादक हैं।)

गुरुवार, 20 मई 2010

प्रधानमंत्री द्वारा प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए मध्य प्रदेश के अधिकारियों को प्रधानमंत्री पुरस्कार से नवाजा

सरमन नगेले
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में लोक सेवा दिवस के अवसर पर प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार से मध्यप्रदेश के सात अधिकारियों को नवाजा है।

गौरतलब है कि वर्ष 2008-09 के लिए जन प्रशासन में विशिष्टता के लिए 21 अप्रैल 2010 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान किए। इन पुरस्कारों की तीन श्रेणियों-व्यक्तिगत, समूह और संगठन के लिए नौ उत्कृष्ट पहलों को चुना गया है। इनमें से व्यक्तिगत श्रेणियों में शामिल हैं- पहला साम्प्रदायिक सौहार्द कायम रखते हुए विभिन्न धर्मों के अतिक्रमण हटाना जिला जबलपुर मध्यप्रदेश, दूसरा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत समुदायों को शामिल करना जिला बालाघाट, मध्यप्रदेश। समूह श्रेणी में पुरस्कार-अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी अधिनियम, 2006 का कार्यान्वयन मध्यप्रदेश।
इन पुरस्कारों के अंतर्गत एक लाख रूपए नकद, एक पदक और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। समूह के मामले में, कुल पुरस्कार राशि 5 लाख रूपए है जबकि संगठन के मामले में पुरस्कार राशि की सीमा 5 लाख तक है। कुल 9 पुरस्कारों में से 5 व्यक्तिगत, 3 ग्रुप वर्ग और एक संगठन श्रेणी में दिए गए हैं। ये पुरस्कार सिविल नागरिक सेवा दिवस यानी 21 अप्रैल, 2010 को व्यक्तिगत श्रेणी में श्री संजय दुबे, आईएएस (मुख्य कार्यापालन अधिकारी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मध्य प्रदेश शासन), श्री गुलशन बामरा, आईएएस, (कलेक्टर जबलपुर)। समूह श्रेणी के अंतर्गत श्री ओ. पी. रावत, अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण मध्यप्रदेश शासन। श्री जयदीप गोविंद प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग मध्यप्रदेश, श्रीमती रश्मि अरूण शमी, संचालक, उद्यनिकी सह-मिशन संचालक उद्यनिकी, श्री अनिल ओबेराय, अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, आईटी वन विभाग मध्यप्रदेश। श्री अशोकउपाध्याय, अपर संचालक आदिमजाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन ने ग्रहण किया। पुरस्कार पाने वाले सभी अधिकारियों को एक-एक लाख रूपये नगद, एक पदक और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
वन अधिकार अधिनियम 2006 के उत्कृष्ट क्रियान्वयन में श्री ओ.पी. रावत के नेतृत्व में बनी टीम ने सराहनीय भूमिका निभाई। श्री रावत एवं उनके सहयोगी अधिकारियों ने आदिवासियों और अन्य वनवासियों की वास्ताविक पहचान कर उन्हें पट्टे वितरित करने तथा फर्जी दावों को शत्-प्रतिशत रोकने के लिए संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभावी इस्तेमाल कर वैज्ञानिक पद्धति इजाद करने में अद्वितीय प्रषासकीय प्रतिभा का परिचय दिया है।
अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, श्री ओ.पी. रावत ने अवार्ड मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि टीम भावना को प्रोत्साहित करने से लोगो को न केवल प्रेरणा मिलती है। वरन् इससे देश एवं प्रदेश के सर्वांगीण विकास में मदद भी मिलती है। यह पुरस्कार सिविल सेवाओं के अधिकारियों के लिए सर्वोच्च है। प्रधानमंत्री पुरस्कार मध्यप्रदेश के विकास और प्रशासनिक अधिकारियों में टीम भावना के साथ काम करने तथा स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा से जुड़ने में सहायक होगा। देश व प्रदेश के विकास और जन कल्याण में इसी भावना से अधिकारी लग जाएं। यह भावना तब सुदृढ़ होती है जब पुरस्कार प्राप्त करने वाली टीम में काम करने वाले लोगों को शामिल किया जाए। पूरे देश में भारतीय प्रशासनिक या केन्द्रीय सेवाओं के अधिकारियों के अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा के श्री अशोक उपाध्याय पहले अधिकारी हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। यह पहला अवसर है जब किसी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को प्रधानमंत्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली टीम में शामिल किया गया है। पहली मर्तबा प्रधानमंत्री पुरस्कार मिलने से मध्यप्रदेश का आदिम जाति कल्याण विभाग गौरवांवित महसूस कर रहा है। यह अवार्ड मिलने से अन्य विभाग में भी काम करने की टीम भावना जाग रही है।
मध्यप्रदेश में वन अधिकार अधिनियम 2006 के क्रियान्वयन के शानदार काम को देखने के लिए महाराष्ट्र और गुजरात के अधिकारियों की टीम ने मध्यप्रदेश का दौरा किया था। राज्य में करीब 94 प्रतिषत कार्य पूर्ण हो चुका है।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पाँचवें लोक सेवा दिवस के अवसर पर उन सभी लोगों को बधाई दी है जिन्होंने उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार प्राप्त किया है। उन्होंने अन्य लोक सेवकों के लिए अनुसरण के लिए एक उदाहरण रखा है। अवार्ड प्राप्त करने वालों का कार्य हमारा देश के लोगों के लिए अन्य लोगों को प्रेरणा देगा।
यह वार्षिक समारोह हमारे प्रशासनिक कैलेन्डर में अब एक खास स्थान रखता है। यह समारोह राष्ट्रीय चिन्ता के महत्तवपूर्ण मुद्दों पर अनुभव को बांटने और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक साथ आने के लिए विभिन्न सेवाओं के अधिकारियों और विभिन्न राज्यों के अधिकारियों को एक अनोखा अवसर प्रदान करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन के विचार-विमर्श एक-दूसरे से सीखने और काम करके सीखने की भावना के साथ किए जाएँगे और इसका परिणाम न केवल हमारी नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन में बल्कि संशोधित नीति निर्माण में भी देखने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सूचना प्रौधोगिकी के उपकरणों का दोहन करने के लिए और क्रियान्वयन में इच्छित लाभार्थियों को शामिल करने के लिए नवीन तरीकों और साधनों को तैयार करने की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों पर है ताकि क्षरण की षिकायतों, भ्रष्टाचार की शिकायतों और पारदर्शिता की कमी की शिकायतों का समाधान हो सके । वास्तव में यह सेवाओं के निष्पादन में सभी कार्यक्रमों और स्कीमों पर लागू होता है। प्रभावी विकेन्द्रित और सामाजिक रूप से उपयुक्त विकास के लिए पंचायती राज प्रणाली की क्षमताओं को पूर्ण रूप से प्रयोग करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री म.प्र. शिवराज सिंह चौहान की वेबसाईट भारत सरकार द्वारा सम्मानित

केन्द्रीय मंत्री ए. राजा ने पुरस्कृत किया
सरमन नगेले
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा हिन्दुस्तान की अपने तरीके की अनोखी वेबसाईट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट आइडियाज फॉर सीएम डॉट इन को भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने वेब रत्न अवार्ड 2009 से नवाजा है। यह अवार्ड 19 अप्रैल 2010 को विज्ञान भवन नई दिल्ली में केन्द्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री थिरू. ए. राजा द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार के कार्यकलापों में लोगों की वैचारिक सहभागिता बढ़ाने की आवष्यकता सदैव अनुभव की है। प्रदेश के विकास की जो कल्पना उन्होंने की है उसे आपसी सहयोग के बिना मूर्त रूप देना संभव नहीं है। इसीलिए उन्होंने आइडियाज फॉर सीएम के माध्यम से जनमानस से बहुमूल्य सुझावों को आमंत्रित करने की पहल प्रारंभ की है। केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा ने जन भागीदारी की विषेश पहल के लिए यह अवार्ड प्रदान किया है।
अधिकाधिक अभिनव ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने और इस दिशा में विशिष्ट प्रयासों को समुचित मान्यता देने के क्रम में भारत सरकार के संचार एवं सूचना मंत्रालय के भारतीय राष्ट्रीय पोर्टल डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट जीओवी डॉट इन के दायरे में इस वर्ष से वेब रत्न अवार्ड की शुरूआत की गई है।
प्राप्त नामांकनों का नामांकन जांच समिति द्वारा मूल्यांकन किया गया। ज्यूरी के विषेषज्ञ सदस्यों ने मुख्यमंत्री म.प्र. शिवराज सिंह चौहान की वेबसाईट को जन भागीदारी की विशेष पहल को मद्देनजर रखते हुए चुना। अवार्ड प्रदान करने का यह पहला अवसर था।
रेखांकित करने योग्य पहलू यह है कि समाज के प्रत्येक तबके के नागरिकों को खुला अवसर उपलब्ध कराते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत में संभवतः पहले-पहल वेबसाईट आइडियाज फॉर सीएम डॉट इन 19 जनवरी 2009 से प्रारंभ की है।
एक जानकारी के मुताबिक वेबसाईट के शुभारंभ से लेकर 26 अप्रैल 2010 तक ’’यूएसए, यूके समेत प्रदेश एवं देश से 3008 सुझाव प्राप्त हो चुके हैं।’’ प्राप्त सुझावों में से 322 पंजीकृत हुए जिनमें से 280 का निराकरण किया गया और दस सुझावों का क्रियान्वयन के लिए चयन किया गया है। इस अनोखी वेबसाईट की परिकल्पना मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस की है। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप इस वेबसाईट को मूर्त रूप दिया है सुषासन एवं नीति विष्लेषण स्कूल ने।
वैसे मुख्यमंत्री म.प्र. को सीधे भेजे जाने वाली वेबसाईट आइडियाज फॉर सीएम के जरिए प्राप्त सुझावों व अन्य गतिविधियों की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस, मुख्यमंत्री के सचिव व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अनुराग जैन सतत् रूप से करते हैं। मप्र के वन विभाग में एम गवर्नेंस मंत्रा फॉर वन एण्ड वाइड लाईफ में फायर एलर्ट सिस्टम, वाइड लाईफ, आर्थिक और जीआईएस टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। प्रदेश के वन विभाग को प्रौद्योगिकी के अभिनव प्रयोग के लिए वेब रत्न अवार्ड दिया गया। इसके अलावा नेशनल पोर्टल पर राज्य से अधिक से अधिक तथ्य भेजे जाने के लिए भी मध्यप्रदेश के एनआईसी को भी वेब रत्न अवार्ड से नवाजा गया।
सामान्य प्रशासन विभाग म.प्र. के प्रमुख सचिव सुदेश कुमार, सुशासन एवं नीति विष्लेषण स्कूल के महानिदेशक प्रो. एचपी दीक्षित, संचालक अखिलेष अर्गल ने आइडियाज फॉर सीएम को मिले सिल्वर आईकॉन अवार्ड को दिल्ली में ग्रहण किया। जबकि अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक आईटी वन विभाग मध्यप्रदेश अनिल ओबेराय ने वन विभाग को मिले गोल्ड आईकॉन अवार्ड को प्राप्त किया। नेशनल पोर्टल के स्टेट समन्वयक कंटेंट अपलोडिंग तथा एनआईसी के टेक्नीकल डायरेक्टर संजय हार्डिकर व म.प्र. के राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी एम विनायक राव ने एनआईसी मध्यप्रदेश को मिला प्लेटिनम अवार्ड लिया।
बहरहाल वेब रत्न अवार्ड इन मायनों में प्रतिष्ठापूर्ण है क्योंकि इसकी संपूर्ण प्रक्रिया में लगभग नौ माह का समय लगा। आइडियाज फॉर सीएम का नामांकन 28 जुलाई 2009 को किया गया था। अवार्ड ज्यूरी में आईआईएम अहमदाबाद, आईआईटी देहली, नासकॉम, साइबर मीडिया इंडिया लिमिटेड, सचिव सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, महानिदेशक राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के साथ ही अन्य विषय विषेषज्ञ प्रतिनिधि शामिल थे।
इस स्वतंत्र ज्यूरी द्वारा विस्तृत ऑनलाइन तथा ऑफलाइन मूल्यांकन के बाद विजेताओं का चयन किया गया। नागरिक केन्द्रित सेवा, सार्वजनिक भागीदारी पहल, प्रौद्योगिकी का अभिनव इस्तेमाल, व्यापक वेब उपस्थिति मंत्रालय, व्यापक वेब उपस्थिति राज्य, उत्कृष्ट वेब सामग्री, नेशनल पोर्टल समन्वयक तथा नेशनल पोर्टल के लिए एनआईसी के राज्य समन्वयक की कुल आठ श्रेणियों के लिए अवार्ड प्रदान किए गए।
गौरएकाबिल बात यह है कि भारत सरकार के मंत्रालय विभागों सहित 27 राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों से 260 नामांकनों में मध्यप्रदेश के तीन विभागों के साथ ही बीस अन्य विजेताओं का चयन किया गया। वेब रत्न अवार्ड के कुल 23 विजेता बने।
गौरतलब है कि इस वेबसाईट के जरिए आमजन जितने चाहे उतने विकास एवं सुषासन से संबंधित अपने आईडियाज और सुझाव दे सकता है। आमजन द्वारा ऑनलाईन दिए गए आईडियाज और प्रदेश हित में अच्छे पाए गए तो उनका एक विषय विषेषज्ञों की समिति अध्ययन करती है। यह समिति उस सुझाव को जिस विभाग से संबंधित है उसको प्रेषित करती है। इसके बाद विभाग के अभिमत के साथ संपूर्ण जानकारी मुख्यमंत्री सचिवालय को दी जाती है। जिस विभाग से संबंधित आईडियाज प्राप्त हो रहे है, उस विभाग का विभागाध्यक्ष विषेष अतिथि के रूप में समिति में शामिल होता है। आईडियाज और सुझाव परीक्षणोपरांत विषय विषेषज्ञों की समिति और संबंधित विभाग अमान्य भी कर सकता है।
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के समक्ष मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, सिंचाई, कृषि, प्रशासन, इनफारमेषन टेक्नॉलॉजी, आईटी पार्क से संबंधित सुझाव अनवरत् आ रहे हैं। जिन दस लोगो के सुझाव चयनित हो चुके हैं। उनको मुख्यमंत्री एक समारोह में सम्मानित करेंगे। सुझाव क्रियान्वयन के लिए प्रक्रियागत हैं।
म.प्र. में राज काज की शिव शैली सरकारी योजनाओ के पैकेज बनाकर उन्हें लोगों तक पहुंचाने की जगह आमजन को खुद योजनाएं बनाने का अवसर देने मै भरोसा करती है। म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि विभिन्न पंचायतों और महापंचायतों में पिछले दिनों आमजन ने सिद्ध किया है कि उसके पास समस्याओं का समाधान भी है। उनके सुझाव और प्रस्ताव ज्यादा हकीकी और जमीनी होते हैं। इस जन प्रज्ञा का उपयोग स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने में राज्य सरकार ने तैयारी कर ली है।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के नवनिर्माण में आइडियाज़ फार सीएम वेबसाइट महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। प्रदेश के नागरिकों से विकास और सुशासन के लिये प्राप्त सुझावों पर राज्य सरकार गंभीरता से अमल करेगी। वेबसाइट आइडियाज़ फार सीएम का उपयोग ऐसे आइडिया भेजे जाने में किया जाना चाहिये जो क्रियान्वयन योग्य हों और राज्य के विकास एवं सुशासन में योगदान देते हों। ऐसी अच्छी पद्धतियों की जानकारी भी दी जा सकती है जो उपयोगी हैं और जिन्हें अन्यत्र लागू किया गया है। मुख्यमंत्री म.प्र. शिवराज सिंह चौहान ने विजयी टीम के सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस ने अवार्ड मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि निरंतर संवाद के लिये यह वेबसाइट उपयोगी है। आम जनता को एक निर्धारित दायरे से बाहर जाकर विचार-विमर्श करने और अपने सुझाव देने का अवसर यह वेबसाइट प्रदान करा रही है। शासकीय अधिकारी-कर्मचारी भी विभिन्न सुझाव प्रस्तुत कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव ने कहा कि शासन तंत्र से जो आम आदमी सीधे नहीं जुड़ा वह चाहे किसी तबके, पेषे, किसानी, व्यवसाय, लघु उद्योग से जुड़ा हो उनके पास अपनी सोच है। उसकी जानकारी प्रदेश के विकास के लिए शासन के उच्चतम स्तर तक पहुंचाने का माध्मय इस वेबसाईट के जरिए सामूहिक सोच के साथ प्रदेश के विकास में किया जा रहा है। इस वेबसाईट पर दिए गए प्रत्येक विचार पर जिनके क्रियान्वयन से सफलता प्राप्त हो सकती है। उस पर आवष्यक कार्यवाही निरंतर की जा रही है।
उन्होंने कहा कि आइडियाज फॉर सीएम वेबसाईट को जन मानस जाने एवं उससे जुड़े, साथ ही उसके जरिए मध्यप्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने की प्रक्रिया में सहभागिता निभाते हुए मुख्यमंत्री को सुझाव भेजें। इसके लिए प्रदेश एवं देश और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर इंफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नॉलॉजी (आईसीटी) का उपयोग किया जा रहा है।


बुधवार, 19 मई 2010

भारत के चुनिन्दा पत्रकारों और संपादकों पर केन्द्रित फिल्मों की बनेगीं श्रंखला

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने बीड़ा उठाया
आजाद भारत के चुनिन्दा संपादकों पर अब वृतचित्रों की श्रंखला बनाई जाएगी .इस कड़ी में पहली फिल्म राजेंद्र माथुर पर बन चुकी है । इसके बाद अब प्रभाष जोशी , राहुल बारपुते ,सुरेन्द्र प्रताप सिंह और शरद जोशी पर फिल्में अगले तीन साल में पूरी हो जाएँगी .वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने यह बीड़ा उठाया है . इन फिल्मों पर फिलहाल शोध कार्य शुरू हो चुका है । प्रिंट ,रेडियो और टीवी -तीनो विधाओं में काम कर चुके राजेश बादल ने बताया कि राजेंद्र माथुर पर बनी फिल्म का पहला शो इंदौर में इन्दौर प्रेस क्लब का प्रतिष्ठा प्रसंग भाषाई पत्रकारिता महोत्सव के अवसर पर हुआ। भाषाई पत्रकारिता महोत्सव एक एवं दो मई 2010 को इन्दौर में संपन्न हुआ। इंदौर से ही राजेंद्र माथुर ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की थी .वे इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे थे .इंदौर में उनके नाम पर बने राजेंद्र माथुर ऑडिटोरियम में इस फिल्म का प्रदर्शन हुआ।कलम के महानायक राजेन्द्र माथुर पर केन्द्रित फिल्म लोकार्पण प्रसंग के मुख्य अतिथि श्री श्रवण गर्ग, समूह संपादक दैनिक भास्कर थे। फिल्म को देखने के लिए सेंट्रल प्रेस क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व राष्ट्रीय हिन्दी मेल के संपादक विजयदास, सेंट्रल प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाठक, पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ, महासचिव, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, अविनाष पसरीया वरिष्ठ छायाचित्रकार, नई दिल्ली, डॉ. मानसिंह परमार विभागाध्यक्ष, देवी अहिल्या विष्वविद्यालय, आलोक तोमर, सलाहकार संपादक, सीएनईबी, सुश्री रेणु मिततल, राजनीतिक संपादक, रेडीफमेल, सुश्री वर्तिका नंदा, प्रोफेसर, आईआईएमसी, अषोक वानखेड़े, वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली, यषवंत सिंह, संपादक, भड़ास4मीडिया, भुवनेष सिंह सैंगर, प्रोड्यूसर आज तक, नई दिल्ली, सरमन नगेले संपादक एमपीपोस्ट, श्री प्रकाष हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, सहारा समय, विनोद शर्मा, राजनीतिक संपादक, हिन्दुस्तान टाइम्स, जयषंकर गुप्त, कार्यकारी संपादक, लोकमत नागपुर, पंकज शर्मा कार्य संपादक, कांग्रेस संदेष, नई दिल्ली, श्री प्रवीण शर्मा, प्रधान संपादक, हेलो हिन्दुस्तान, एसआर सिंह कार्यकारी संपादक, टाइम्स ऑफ इंडिया, सुश्री सुप्रिया रॉय डेट लाइन इंडिया, आईपीसी अध्यक्ष, प्रवीण खारीवाल, महासचिव अन्नादुराई, कीर्ति राणा, संपादक दैनिक भास्कर, षिमला, संजीव आचार्य करेंट नई दिल्ली, लतिकेष शर्मा, मीडियामंच, मुंबई, ओमी खंडेलवाल, पुष्पेन्द्र पाल सिंह माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विष्वविद्यालय, विभागाध्यक्ष, पत्रकारिता संकाय, श्री विजय मनोहर तिवारी विषेष संवाददाता दैनिक भास्कर, विकास मिश्रा, संपादक, पीपुल्स समाचार इन्दौर, 6पीएम के ब्यूरो चीफ गौरव चतुर्वेदी, कृषक जगत के सचिन बोंद्रिया, फोटो पत्रकार गोपाल जोषी समेत बड़ी संख्या में पत्रकार , लेखक और विचारक उपस्थित थे . श्री बादल के मुताबिक इस फिल्म को बनाने में तीन साल लग गए .माथुर जी का निधन 1991 में हुआ था और उस समय टीवी ने उद्योग की शकल देश में नहीं ली थी . इसलिए उनके वीडियो को जुटाने में काफी टाइम लग गया। आधा घंटे की इस फिल्म में राजेंद्र माथुर के दुर्लभ वीडियो के अलावा उनके रेडियो साक्षात्कारों के हिस्से और 36 साल में लिखे उनके चुनिन्दा लेखों के हिस्से शामिल किये गए हैं .इसके अलावा राजेंद्र माथुर की पत्रकारिता को समझने वाले और उनके करीब रहे लोगों से बातचीत भी इसमें दिखाई गयी हैं .राजेश बादल के मुताबिक यह फिल्म नए पत्रकारों के लिए बेहद उपयोगी तो है ही , उन लोगों के लिए भी काम की है ,जिन्होंने न तो राजेंद्र माथुर को देखा है ,न उनके साथ काम किया और न उनको पढ़ा है . श्री बादल ने बताया कि इस फिल्म के शो देश भर में हिंदी मीडिया से जुड़े लोगों के लिए किये जायेंगे .मीडिया संस्थानों और कॉलेजों में भी फिल्म दिखाई जायेगी ,जहाँ पत्रकारिता पढाई जाती है। राजेंद्र माथुर पहले नई दुनिया इंदौर के प्रधान संपादक और फिर राष्ट्रीय दैनिक नवभारत टाइम्स के संपादक रहे .वैसे वे अंग्रेजी के प्रोफेसर थे लेकिन हिंदी पत्रकारिता में उनका योगदान अदभुत है। उनके लेखन के कई संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।राजेश बादल ने बताया कि इस क्रम में अन्य पत्रकारों और संपादकों पर फिल्मों कि शूटिंग भी जल्द शुरू हो जाएगी .बादल ने अपील की कि जिसके पास भी सुरेन्द्र प्रताप सिंह ,प्रभाष जोशी ,शरद जोशी और राहुल बारपुते के फोटो, वीडियो या अन्य दस्तावेज हों कृपया उन्हें प्रदान कर सहयोग करें। राजेश बादल राजेंद्र माथुर और सुरेन्द्र प्रताप सिंह के साथ करीब बारह साल तक साथ काम कर चुके हैं और पिछले 34 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं।

बुधवार, 5 मई 2010

ई-मीडिया का वजूद अन्य मीडिया की तुलना में कई गुना बड़ा ई-मीडिया के बढ़ते कदम पर राष्ट्रीय कार्यषाला में वक्ताओं की राय

इन्दौर प्रेस क्लब द्वारा भाषायी पत्रकारिता महोत्सव के दौरान अंतिम सत्र में ई-मीडिया के बढ़ते कदम पर वक्ताओं ने अपनी-अपनी बात रखी। सभी वक्ताओं ने इस बात पर विषेष उल्लेख किया कि आज ई-मीडिया मजबूत स्थिति में है। सबसे अहम बात यह है कि इससे आम आदमी बड़े पैमाने पर जुड़ रहा है। ब्लॉग के जरिये हर नागरिक के पास मन की बात लाखों लोगों तक पहुंचाने की ताकत आई है। वरिष्ठ पत्रकार और आईआईएमसीटी प्रोफेसर वर्तिका नंदा ने रविवार दो मई 2010 को भाषायी पत्रकारिता महोत्सव के तहत आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कहा ई-मीडिया ने हर इंसान को पत्रकार बना दिया है। इससे सिटीजन जर्नलिज्म बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ई-मीडिया ने पांच साल में पचास गुना अन्य मीडिया की तुलना में वृद्धि की है। जो इस बात को द्योतक है कि इसका असर दिख भी रहा है। भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने कहा ई-मीडिया से चौराहों और पान की दुकानों की चर्चा कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ गई है। ब्लॉग ने संपादक के नाम पत्र की भरपाई कर दी है। उन्होंने कहा कि ई-मीडिया में सीमित संसाधनों में काम किया जा सकता है। इसमें अधिक धन की जरूरत नहीं है। उन्होंने पेड न्यूज पर अपना धारा प्रवाह भाषण दिया। उन्होंने मीडिया में कार्यरत् पत्रकारों के साथ हो रही जद्दतियों का खुला किया और कहा कि जब से अखबार मालिकों को अखबारों की प्रिंट लाइन में नाम छपवाने का प्रचलन बढ़ा है तब से अखबारों में संपादक नाम की संस्था का वजूद काफूर हो गया है। उन्होंने कहा कि जब पेड न्यूज के नाम पर संपादकों को दोषी ठहराया जाता है तो मालिक संपादक इसके सहभागी होने से कैसे बच सकते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेष और दिल्ली में कार्यरत् विभिन्न समाचार पत्रों और चैनलों तथा जिला स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों की व्यथा और उनके शोषण की कथा अपने तरीके से बंया की। उन्होंने भड़ास4मीडिया के अभी तक की यात्रा के बारे में भी प्रकाष डाला। वरिष्ठ पत्रकार और डेट लाइन इंडिया के संपादक आलोक तोमर ने कहा कि जब तक सरकारों के हाथ से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराना समाप्त नहीं होगा। तब तक ई-मीडिया कोई बहुत बड़ा चमत्कार नहीं कर सकता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कुछ समय पूर्व भारत सरकार ने अनेक वेबसाइटों को बंद करा दिया था। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि कुछ राज्यों में बिजली की बहुत ज्यादा समस्या है तब ई-मीडिया कैसे पल्लवित हो सकेगा। उन्होंने वेब स्ट्रीमिंग की बात भी रखी। ईएमएस के संपादक सनत जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि ई-मीडिया ने ऐसा चमत्कार किया है कि अब रिक्षे वाला भी मोबाइल फोन से वीडियों क्लिप बनाकर उसका प्रसारण करा सकता है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स के क्षेत्र में इस मीडिया का ज्यादा दखल है। आजतक नई दिल्ली के प्रोड्यूसर भुवनेष सिंह सेंगर ने टीवी पत्रकारिता पर अपना वक्तव्य दिया। मीडिया मंच के संपादक लतिकेष शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भविष्य में अब रिक्षे वाला का भी वेब पोर्टल होगा। उन्होंने ई-मीडिया के असर को रेखांकित किया। रेडिफमेल की पोलिटिकल एडिटर रेणु मित्तल ने 3जी के बारे में अपना पक्ष रखा। उन्होंने ई-पेपर का असर भारत में तेजी के साथ बढ़ रहा है इस पर बात रखी। उन्होंने उदाहरण दिये कि कुछ विदेषी मुल्क ऐसे हैं जहां की संस्थानों ने अपने प्रिंट संस्करण बंद कर दिये है अब वे सिर्फ इंटरनेट संस्करण निकाल रहे हैं। एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने अपनी बात ई-मीडिया के गुण-दोष पर केन्द्रित की। ई-मीडिया यानि न्यू मीडिया का दायरा दिन-प्रतिदिन न केवल बढ़ता जा रहा है बल्कि अपनी जड़े भी मजबूत कर रहा है। वर्तमान दौर का यही एक मात्र ऐसा मीडिया है जिसका प्रभाव विष्व व्यापी तो है ही। इसका असर तत्काल होता है। न्यू मीडिया पर कोई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत व्यक्त किए गए विचारों, समाचारों, फोटो और वीडियो का प्रसारण हो गया तो मान के चलिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तक की ताकत नहीं है कि उसको हटवा सके। उन्होंने कहा कि न्यू मीडिया में आरटीआई के जरिए सूचनाओं का आदान प्रदान कर पत्रकार बेहतर तरीके से ई-जर्नलिज्म कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीएससी यानि कॉमन सर्विस सेंटर जिसको ई-क्योस्क या ई-गुमठी भी कहते है। मध्यप्रदेष में 9232 स्थापित हो रही है। देष में 25 राज्यों में लगभग एक लाख दस हजार से अधिक गुमठियां स्थापित हो रही है। इसके अलावा निजी क्षेत्र के लोग भी ई-गुमठियां तथा इंटरनेट की सुविधा प्रदान करा रहे हैं। ई-गुमठियों के स्थापित होने से ई-जर्नलिज्म का विस्तार तेजी के साथ बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह ई-मीडिया का ही असर है कि अब वेब जर्नलिज्म पुरस्कार और कोर्स चालू हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार यूएनडीपी की परियोजना सोल्यूषन एक्सचेंज की तरह ई-फॉरम बनाकर ई-फॉरम चला सकते हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक पत्रकारिता भी ई-मीडिया का हिस्सा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ई-मीडिया का ही असर है कि कोबरा पोस्ट में सांसद घूसखोरी को उजागर किया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री शषि थरूर और आईपीएल के आयुक्त ललित मोदी का विवाद वेब के जरिये ही सामने आया है, मोदी पर आरोप यह नहीं लगा कि किसी चैनल या अखबार को मदद की बल्कि वेबसाइट को मदद करने का आरोप उन पर लगाया गया। श्री नगेले ने कहा कि वेब का व्यूवर्स अलग प्रकार का होता है किसी भी राज्य का केन्द्र से संचालित होने वाली वेबसाइट को भीभत्सव खबरों से बचना चाहिए। साथ ही इस तरह की खबरें देना चाहिए जिससे की उनके शहर या राज्य पर भविष्य में होने वाले निवेष पर असर न पड़े। उन्होंने कहा कि नये-नये पत्रकार टीवी की पत्रकारिता की ओर भाग रहे है और बेमौत मारे जा रहे है। जबकि वहां वैल्यू एंकर की है। उन्होंने कहा कि आजकल टीवी चैनल के मुख्यालय में कार्यरत् पत्रकार अपने संवाददाताओं व ब्यूरो प्रमुखों से खबर की स्क्रिप्ट इंटरनेट के माध्यम से नोटपेड पर यूनिकोड फॉंट में बुला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के बढ़ते दायरे और इस्तेमाल के कारण अब बड़ी-बड़ी कंपनियां क्षेत्रिय भाषाओं में सर्च इंजन ला रही हैं। गूगल के द्वारा एक ऐसी परियोजना पर काम किया जा रहा है जिसके अमल में आने के बाद अमेरिका के सौ साल पुराने समाचार पत्र ऑनलाइन देख सकेंगे। गूगल समाचार पत्रों का डिजिटलाइजेषन कर रहा है। मोबाइल फोन पर इस्तेमाल होने वाले टूल्स पर भी विषेष ध्यान दिया जा रहा है। श्री नगेले ने रवि घाटे का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी संस्था एसएमएस 1 महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेष, केरल, तमिलनाडु, में एसएमएस के आठ लाख से अधिक सबसक्राबर हैं। इस क्षेत्र में लोगो को रवि घाटे जैसे लोग, लोगों को गांव गांव में रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। इंटरनेट आधारित एसएमएस का इतना असर है कि लोगो का रोजगार भी मिल रहा है और पत्रकारिता भी कर रहे हैं। सहारा समय भी एसएमएस सुविधा के जरिए सूचनाओं का अदान-प्रदान तुरंत कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही एम पेपर अब पढ़ने को मिल सकेंगे। इसके साथ ही ई-मीडिया के बाद एम-मीडिया शीघ्र सामने होगा। श्री नगेले ने बताया कि इसका निगेटिव पक्ष यह है कि जैसे राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक विषयों की जानकारी के अभाव में असत्य सूचनाओं तथा चित्रों का इस्तेमाल हो जाता है। उन्होंने एक मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान जिन लोगों के साथ घटना हुई थी उनकी बजाए स्थानीय सांसद और ऐसे व्यक्ति से संबंधित समाचार वेब साइट पर प्रसारित कर दिया गया था जिसका उस घटना से कोई ताल्लुक भी नहीं था। उन्होंने कहा कि इस मीडिया की भाषा मर्यादित नहीं होती है। यह मीडिया हिन्दी भाषा के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ कर रहा है। श्री नगेले ने कहा कि रचनाकार अपनी नई-नई रचनाओं, ऑनलाइन कविता प्रतियोगियों आदि के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्षन कर वेब जर्नलिज्म जैसे नए क्षेत्र में अपना उचित स्थान हासिल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि होषंगाबाद के एक व्यक्ति ने ऑनलाइन कविता पाठ भी कराया है। श्री नगेले ने बताया कि जल्द ही गांव-गांव में ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचने वाली है। इसके बाद तो ई-मीडिया का ही असर चारों तरफ देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार गांवों को दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सेवा संपन्न बनाने के लिए 3.5 अरब डॉलर की राशि से देश के 626,000 गांवों में ये सेवाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए 11,000 संचार टॉवर लगाए जाएंगे। इनमें से कई टॉवर बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा के नजदीक स्थित गांवों में लगाए जाएंगे। उन्होंने उदाहरण दिया कि भारत में 45 प्रतिषत लोगों के पास मोबाइल फोन हैं जबकि 31 प्रतिषत लोगों के पास शौंचालय की व्यवस्था है। यह इस बात को दर्षाता है कि भारत में टेक्नॉलाजी का विस्तार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट का एक तरह लोगों को नषा हो गया है। इंटरनेट के बिना वे लोग अपना जीवन अधूरा महसूस करते हैं। जो इसका सर्वाधिक उपयोग करते हैं। कार्यषाला का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और इन्दौर प्रेस क्लब के पदाधिकारी व सहारा समय के इन्दौर ब्यूरो चीफ प्रकाष हिन्दुस्तानी ने किया। इस अवसर पर हिन्दुस्तान टाइम्स नई दिल्ली के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा, वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजेष बादल, माखलनलाल चतुर्वेदी विष्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष पुष्पेंद्रपालसिंह, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के पदाधिकारी पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, कांग्रेस संदेष के संपादक पंकज शर्मा सहित सैकड़ों पत्रकार, फोटो पत्रकार और वेब पत्रकार मौजूद थे। कार्यषाला के समापन के दौरान प्रेस क्लब, महासचिव अन्ना दुराई ने सभी वक्ताओं को प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

रविवार, 18 अप्रैल 2010

लोकतंत्र और मीडिया की गुणवत्ता के लिए आईसीटी का उपयोग जरूरी- भास्कर राव

मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत पर
पहले डिजिटल दस्तावेज का विमोचन

लोकतंत्र की गुणवत्ता के लिए सूचना और संचार तकनीकी न केवल बेहतर सहयोग कर रही है, बल्कि आम नागरिक, सक्रिय मीडिया और न्यू मीडिया को प्रोत्साहित कर रही है। इसका उपयोग नकारात्मक कम है। आईसीटी के कारण मतदान में इजाफा हुआ है। यह बात देष के ख्यात चुनाव और मीडिया विषेषज्ञ डॉ एन भास्कर राव ने कही। श्री राव एमपीपोस्ट द्वारा स्थानीय स्वराज भवन में 11 अपै्रल को आयोजित सूचना प्रौद्योगिकी, चुनाव और राजनीति विषय पर अपना व्याख्यान दे रहे थे। एमपीपोस्ट द्वारा जारी किए गए डिजिटल दस्तावेज की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में जो काम देष के प्रतिष्ठित आईटी नगर बैंगलूर से होना था वह भोपाल में संपन्न हुआ। श्री नगेले की छह वर्षो की निरंतर कड़ी मेहनत का ही परिणाम है कि संग्रहणीय आंकड़ों पर केन्द्रित इस डिजिटल दस्तावेज को आकार दिया जा सका। मुझे विष्वास है इसमें संकलित किए गए आंकड़े पत्रकारों, शोधार्थियों और सामान्य जन के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि देष में आईसीटी लागू किए जाने के बाद पत्रकारिता में वरिष्ठ और कनिष्ठ के बीच की दूरी कम हुई है। उन्नत सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में पत्रकारों के लिए महत्वपूर्ण यह है कि वे अपनी प्रतिभा का श्रेष्ठ प्रदर्षन करें, इस तकनीक से समाज और देष की उत्क्रृष्ठ सेवा कर सकते हैं। वर्ष 1999 से वर्ष 2010 तक सूचना तकनीक ने तेजी से अनेक आयाम तय किए हैं। अब टेलीविजन पर चौबीस घंटे चलने वाले अनेक चैनल मौजूद हैं। जो देष के लगभग सभी क्षेत्र की सूचनाओं और परिस्थिति को प्रतिपल दर्षकों को परोसते हैं। दुख है कि इतने अधिक चैनल होने के उपरांत भी देष में आज सभी चुनावों का मत प्रतिषत चिंताजनक है।
आईटी तकनीक का जितना उपयोग मीडिया जगत में हो रहा है वह प्रषंसनीय तो है ही, उद्योग जगत ने भी इस सुविधा को अपने व्यवसाय की बेहतरी के लिए उपयोग किया है। वे अपने उत्पाद इस माध्यम से सुदूर अंचलों तक बेच रहे हैं। पिछले अमेरिकी चुनाव में ओबामा ने इस तकनीक का जिस सुंदरता से उपयोग किया। उसी कारण आज वे अमेरिका के राष्ट्रपति हैं। इन चुनावों में उन्होंने न केवल फंड रेजिंग की, बल्कि आमजन को अपने चुनाव का भागीदार भी बनाया।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 के आम चुनाव में देष के लगभग 70 लोकसभा क्षेत्रों में आईटी का उपयोग किया गया । धीरे-धीरे यह प्रवृत्ति हमारी चुनावी प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनती जा रही है। यही कारण है कि आज हर सांसद के पास एक या दो आईटी विषेषज्ञ मौजूद हैं। सुखद है कि देष में आज ब्राडबैंड कनेक्टीविटी ने क्रांति पैदा कर दी है। पत्रकारों को इसका सदुपयोग करना चाहिए। उन्होंने पूरानी सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े चुनावी संस्मरणों को भी रोचक ढ़ंग से इस संगोष्ठी में प्रस्तुत किया और भविष्य के लिए अनेक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये।
विमर्ष के दौरान एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले द्वारा तैयार मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत पर पहले डिजिटल दस्तावेज का अतिथियों ने विमोचन भी किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में विषय में विषय प्रवर्तन करते हुए न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डाट ओआरजी के संपादक सरमन नगेले ने कुछ रोचक तथ्य रखे उन्होने कहा पत्रकारिता में आज के दौर में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सफल पत्रकार होने से बेहतर है अपने प्रोफेषन में बने रहना।
देश में पिछले एक दषक के दौरान आईटी और संचार के क्षेत्र में जो परिवर्तन हुए है। तथा लगातार होते जा रहे हैं उन पर इस विमर्ष के परिपेक्ष्य में सिलसिलेवार गौर करना अत्यंत आवष्यक है। चूंकि देष के जाने-माने मीडिया विषेषज्ञ और अन्य चिंतक मौजूद हैं वो तथा अन्य विद्वानों से आग्रह है कि वे भी अपना मौलिक चिंतन इस संगोष्ठी में प्रस्तुत करें। मीडिया, राजनीति और आईटी के क्षेत्र में काम करने वाले लोगो के लिए भी नई दृष्टि के बारे में प्रकाष डाले तो उचित रहेगा।
उन्होने कहा भारत की वर्तमान चुनाव प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं, इसको लेकर समय-समय पर कुछ चर्चाएं होती रहती हैं। तथा कुछ मुद्दे भी प्रकट हो जाते हैं। तब लोग चुनाव प्रणाली, राजनेता और मीडिया के लोगों कोसते हैं। यदि इन चर्चाओं से निजात पाना है तो चुनाव प्रक्रिया में आईसीटी के उपयोग की सबसे बड़ी जरूरत है। जब तक मतदाता को सभी प्रकार की सूचनाओं का और आईसीटी के यूज के बारे में जागरूक करना तथा मतदाता को सषक्त नहीं बनाया जाएगा, तब तक इस तरह की बाते सामने आती रहेंगी।
आम चुनाव में पं. बंगाल के निर्वाचन अधिकारी ने ब्लाग का सहारा लिया। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर साइबर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम थे। सभी राजनीतिक दलों ने वेबसाइट बनाई तथा आईसीटी का उपयोग किया। गूगल ने इस चुनाव में सर्वाधिक दखल दिया। आडवाणी जी तथा कांग्रेस । इस चुनाव में गूगल भारत में उतरा और आगे भी बढ़चढ़कर अन्य लोग भागीदारी करेंगे। न्यू मीडिया को भारत में ही नही अन्य देषों का लगभग सभी मीडिया प्रोमोट कर रहा है।
उन्होने बताया गूगल पिछले सौ सालों से अधिक के समाचार पत्रों को डिजिटल फारमेंट में लाने का प्रयास कर रहा है।
भारत में ई-वोट के अधिकार की मांग उठ रही है। गुजरात में नगरीय निकाय चुनाव में एसएमएस तथा ईमेल से वोट देने की प्रणाली पर विचार प्रारम्भ हो गया है।
भारत में 1652 बोलियों के माध्यम से संवाद होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए साटवेयर कंपनियों ने क्षेत्रीय भाषाओं में काम करना प्रारंभ कर दिया है। भारत में पहला भाषाई सर्वेक्षण भी प्रारंभ हो चुका है।
श्री नगेले 2005 में किये गये स्वंय के अध्ययन के बारे में बताया कि मध्यप्रदेष में ऐसे भी उदाहरण हैे कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की समाज के मतदाताओं की संख्या 200 से 500 सौ के बीच में है इसके बाद भी लगातार चुनाव जीत रहे है यही स्थिति विधानसभा ईष्वरदास रोहाणी की है यही स्थिति म.प्र. शासन मे मंत्री जयंत मलैया की भी है, जबकि गौरीषंकर शेजवार की समाज के उनके विधानसभा क्षेत्र में 200 के बीच में मतदाता है लेकिन लगाता चुनाव जीतते रहे इस मर्तबा चुनाव मे हार गये, कैलाष चावला ऐसे पूर्व विधायक है जिन्होने मंदसौर जिले की सभी विधानसभा सीटों से भाजपा उम्मीदवार के रूप चुनाव लड़ा और जीते भी इस बार जरूर हार गये, कांग्रेस के पूर्व मंत्री हजारी लाल रघुवंषी और इन्द्रजीत कुमार उन विधायकों में से रहे जिन्होने कांग्रेस के लगभग सभी चुनाव चिन्ह पर पंच सरपंच से लेकर विधानसभा तक का चुनाव लड़ा और विजयी रहे इस दफा चुनाव में पराजित हो गये।
सरकारी आंकडों पर गौर करे तो अभी तक भारत में 80 लाख से अधिक ब्राडबैंड कनेक्षन उपलब्ध कराये गये हैं। भारत में इस समय इंटरनेट यूजर की संख्या लगभग सात करोड़ है ऐसा एक अध्ययन से पता चला है। देष के सभी ढ़ाई लाख ग्राम पंचायतों में सन् 2012 तक ब्राडबैंड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। अभी 30 हजार ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ दिया गया है। भारत में निजी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा भी लाखों की संख्या में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। श्री नगेले ने बताया कि भविष्य मे समाचार पत्र मोबाईल पर पढ़ने को मिलेंगे एम गर्वनेंस के साथ साथ थ्रीजी सेवा का भी लोग बढ़चढ़ कर उपयोग करेंगें।
हिन्दुस्तान टाइम्स के विषेष संवाददाता रंजन श्रीवास्तव ने कहा कि आज के परिवेष में सूचना प्रौद्योगिकी की प्रगति देखकर हर्ष होता है। उन्होंने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि कई वर्ष पहले राज्य सभा के एक दक्षिण भारत के सांसद का नाम स्पष्ट रूप से लेने में कठिनाई हो रही थी। मैंने इस हेतु इंटरनेट का उपयोग किया और तत्काल उनका ठीक नाम ज्ञात कर लिया। इस तकनीक के माध्यम से अब पत्रकार अपनी रिर्पोट को अत्यधिक तथ्यात्मक और प्रमाणिकता प्रदान करने के लिए उपयोग मंे ला सकते हैं। राजनीतिक दलों में भी इस तकनीक का उपयोग उन्नत रूप में किया जा रहा है। अब इंटरनेट पर बैठकर पत्रकारगण पूरे देष के चुनावों पर नजर रख सकते हैं। हालही में संपन्न हुए चुनावों में विधायकों को लेपटाप दिये गए हैं। निष्चित रूप से यह आईटी के चलन का सूचक है। अब वे चुनावों में विजयी बनाये जाने की अपील इस माध्यम से करते हैं। मुझे विष्वास है जितनी तेजी से यह प्रौद्योगिकी प्रगति करेगी, उतनी ही तेजी से पत्रकारगण इस सुविधा का उपयोग करेंगे।
इंडिया टुडे के प्रमुख संवाददाता अंबरीष मिश्रा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजनीति में इस प्रौद्योगिकी का सर्व प्रथम स्वर्गीय प्रमोद महाजन ने परिचय कराया था। बाद के वर्षाे में भाजपा ने इस सुविधा का भरपूर लाभ लिया। अब लगभग सभी दल इस सुविधा का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर सूचनाओं का भंडार ज्यादा है इसलिए सही सूचना प्राप्त करना कठिन है।
दैनिक भास्कर के स्टेट ब्यूरो चीफ गणेष साकल्ले ने तकनीक और पत्रकारिता कौषल पर अपने अनुभव बांटते हुए बताया कि 1999 के चुनाव में रीवा जाना हुआ उन दिनों रिपोर्टिंग तो आसान थी पर उसका संप्रेषण अत्याधिक कठिन था। रिपोर्ट तैयार करने के बाद दो दिन तक उसे अखबार के दफतर तक नहीं भेजा जा सका। क्योंकि तब वहां शहर में केवल एक ही फैक्स मषीन थी। और उसे चलाने वाला भी एक ही था। बाद में लगभग तीन दिन बाद उस समाचार का प्रकाषन संभव हो सका। वर्तमान दौर में पत्रकारिता के लिए सूचनाएं और तकनीक दोनों विद्यमान हैं। केवल उसके सदुपयोग की जरूरत है।
सीएनईबी और वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजेष बादल ने अपने अनुभव के आधार पर वक्तव्य आरंभ करते हुए कहा कि एक बार वर्ष 1977 में पहली बार भाजपा नेत्री स्वर्गीय विजयाराजे और स्वर्गीय इंदिरा गांधी से बात करने पहुंचा। उस दौर में संप्रेषण हेतु केवल तार सुविधा उपलब्ध थी। मैंने विजयाराजे जी और इंदिरा गांधी जी से बात करने के बाद अपनी रिपोर्ट तार द्वारा प्रेषित की। अखबार के दफतर में इन खबरों को उलट-पुलट रूप में प्राप्त किया गया है। आषय यह है कि उन दिनों संप्रेषण उन्नत नहीं था। अब यह इतनी अधिक उन्नत हो गई है कि इसमें त्रुटियों की संभावना कहीं अधिक बढ़ गई है। चैनलों की दौड़ में हम रूक नहीं सकते। अतः मामूली सी चूक खबर के अर्थ का अनर्थ करती है। इस दिषा में हमें यदि चुनाव आयोग की तकनीकी सहायता प्रमाणिक समाचार के रूप में मिल जाए तो यह एक सार्थक प्रयास होगा। मेरा सुझाव है कि चुनाव अधिकारी के रूप में किसी जिले का कलेक्टर सरकार का पक्ष यह सोचकर ले सकता है कि चुनाव बाद मुझे इसी सरकार के अधीन काम करना है। दूसरे शब्दों में यह अधिकारी किसी भी जीते प्रत्याषी को हरा भी सकता है और जीता भी सकता है। यदि सूचना प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग किया जाए तो इस विसंगति पर नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने चुनाव सुधार की बात भी प्रमुखता से कही।
मध्य प्रदेष कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता श्री अरविंद मालवीय ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पेपर लेस हो तो ज्यादा अच्छा होगा, क्योंकि इससे न केवल आर्थिक बचत होगी। बल्कि पर्यावरण भी बचेगा। उन्होंने कहा कि राजनीति समाज सेवा का सषक्त माध्यम है और चुनाव इस प्रक्रिया का आवष्यक अंग है। हर्ष का विषय है कि अब राजनीतिक दल सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करने लगे हैं। पहले तार फिर फैक्स, फिर कम्प्यूटर और बाद में इंटरनेट सहित अन्य उन्नत तकनीक वर्तमान परिपेक्ष्य में विद्यमान है। इस तकनीक के माध्यम से प्रजातंत्र को और अधिक मजबूत बनाया जा सकता है और बिगाड़ा भी जा सकता है। अलग-अलग चैनल के दफतरों में अलग-अलग चुनाव विष्लेषक अपनी निष्ठा अनुसार चुनाव विवेचना करते देखे जा सकते हैं। अब केन्द्र सरकार ने यूनिक आईडी सुविधा प्राप्त की है। ये पर्यावरण की दृष्टि से भी न्यायोचित है।
विमर्ष पर अपना विषिष्ट वक्तव्य राज्यसभा सदस्य और भाजपा प्रदेष उपाध्यक्ष श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि तकनीक और प्रौद्योगिकी का बखेड़ा खड़ा नहीं करना चाहिए। मुझे एक परिचित पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने मोबाईल का नंबर लेने के लिए अपना मोबाईल आगे बढ़ाया और कहा कि केवल मुझे दो ही बटन दबाना आते हैं। पूरे विष्व को सूचना प्रौद्योगिकी के भारतीय संवाहकों ने उंचाई तक पहुंचाया। बेहतर हो अद्यतन तकनीक का प्रयोग किया जाए। राजा को सदैव टेक्नोसेवी होना चाहिए, टेक्नोक्रेट नहीं।
विमर्ष का संचालन करते हुए माखलन चतुर्वेदी विष्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी एक विचार धारा को भी प्रदर्षित करती है। कभी-कभी उसके उपयोगकर्ता विचारधारा से सहमत होते और कभी असहमत। सहमत होने पर प्रौद्योगिकी उन पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। और असहमत होने पर उसका प्रभाव नकारात्मक होता है। सूचना प्रौद्योगिकी का सकारात्मक उपयोग आमजन के हित में कैसे किया जाए। इस पर विमर्ष किया जाना चाहिए।
एमपीपोस्ट द्वारा तैयार मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत पर पहले डिजिटल दस्तावेज न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी पर निषुल्क ऑनलाइन उपलब्ध है।
सभी अतिथियों को एमपीपोस्ट की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। सभी अतिथियों व उपस्थित पत्रकारों का एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने आभार व्यक्त किया। सभी अतिथियों का एम.पी. पोस्ट के ब्यूरो चीफ जितेन्द्र सुमन तथा इन्द्रकुमार चौरे ने स्वागत किया।
इस अवसर पर इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व ब्यूरो चीफ वरिष्ठ पत्रकार श्री एन.डी. शर्मा, सेन्ट्रल प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार विजयदास, चेतना रतलाम के ब्यूरो चीफ दिनेष जोषी, लोकमत समाचार के ब्यूरों चीफ और वरिष्ठ पत्रकार षिवअनुराग पटेरिया, जनसत्ता के ब्यूरो चीफ तथा नेषनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय महासचिव आत्मदीप, राजस्थान पत्रिका के ब्यूरो चीफ रमेष ठाकुर, दैनिक भास्कर के एस. हनुमंत राव, वरिष्ठ पत्रकार व दैनिक नई राह के संपादक रमेष तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाठक, स्वतंत्रमत जबलपुर के ब्यूरो चीफ प्रेम पगारे, पांचजन्य के ब्यूरो चीफ अनिल सौमित्र, समय शहडोल के व्यूरो चीफ विनोद श्रीवास्तव, अग्निपथ उज्जैन के ब्यूरो चीफ एन.पी अग्रवाल, क्षीतिज किरण होषंगाबाद के संपादक के.के. सक्सेना, संवादकुज के ब्यूरो चीफ व म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष षिषुपाल सिंह तोमर, यू.एन.आई. के विषेष संवाददाता प्रषांत जैन, आकाषवाणी के समाचार संपादक सारिक नूर, वरिष्ठ पत्रकार शब्बीर कादरी, आलोक सिंघई, बीएल दिवाकर, रामजी श्रीवास्तव, राजेष गाबा, डॉ. राधेष्याम शर्मा, आर के पंथारी, आर.एस. अग्रवाल, द संडे इंडियन के ब्यूरो चीफ राजू कुमार, पत्रकार रमेष निगम, अरषद अली, संजय शास्त्री, बीजेपी आईटी सेल म.प्र. के अध्यक्ष अनिल सप्रे, म.प्र. काग्रेस कमेटी सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय दुबे, भोपाल शहर के अनेक पत्रकार, फोटो पत्रकार, न्यू मीडिया से जुड़े पत्रकार, गणमान्य नागरिक और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विष्वविद्यालय के एम.जे. छात्र मौजूद थे।
मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत 2010 को न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने तैयार किया है।
डिजिटल दस्तावेज तीन खण्डों में
ै पहले खंड में विधान सभा चुनाव पर केन्द्रित लगभग हर दृष्टि से संपूर्ण जानकारी, चुनाव परिणामों के साथ ही विधान सभा क्षेत्र की संपूर्ण जानकारी और निर्वाचित विधायक का फोटो सहित जीवन परिचय तथा विष्लेषण है।
दूसरे खंड में लोक सभा चुनाव से संबंधित संदर्भ सामग्री, चुनाव परिणाम नतीजे मध्य प्रदेष से निर्वाचित सांसदों का फोटो सहित जीवन परिचय।
तीसरे खंड में वर्तमान लोक सभा में महिलाओं की स्थिति 15वीं लोक सभा के लिए संपन्न चुनाव पर विष्लेषण, चुनाव के दौरान एग्जिट और ओपिनियन पोल के बारे में व चुनाव संबंधी रिपोर्टिंग के बारे में भारतीय प्रेस परिसर के निर्देष का भी समावेष किया गया है। मध्य प्रदेष के गठन से लेकर अब तक के राजनीतिक अतीत, मध्य प्रदेष के गठन से लेकर अब के मुख्यमंत्रियों का सफरनामा, संविद सरकार और चुनावी राजनीति को समेटा गया है। भारत में निर्वाचन प्रणाली का विकास तथा लोकतांत्रिक प्रणाली का भी समावेष किया गया है।
मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत..
भारत में लोक सभा और विधान सभा प्रभुत्व-सम्पन्न जनता की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। सदन का प्रत्येक सदस्य चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से जनता के प्रति जवाबदेह है। सरकार की जवाबदेही सुनिष्चित करने के लिए सदन द्वारा इसकी नीतियों, कार्यक्रमों तथा कृत्यों की संवीक्षा की जाती है। यह प्रक्रिया, स्वतंत्रता के बाद से 14वीं लोक सभाओं में जारी रहते हुए अब 15वीं लोक सभा तथा मध्य प्रदेष की 11वीं विधान सभा से लेकर 12वीं विधान सभा में भी विद्यमान है।
मित्रों, इंटरनेट और आईसीटी से मिले अपार प्रोत्साहन और सुदृढ़ अवलम्ब के बल पर ही मैं इस दस्तावेज सीडी को तैयार करने तथा इंटरनेट पर ऑनलाइन उपलब्ध कराने का साहस जुटा सका हूं। यह मध्य प्रदेष का पहला डिजिटल दस्तावेज है जो इतनी वृहद जानकारी प्रस्तुत करता है। यह न्यूज पोर्टल ूूूण्उचचवेजण्वतह पर सुलभ संदर्भ के लिए उपलब्ध रहेगा।
15वीं लोक सभा के संपन्न हुए चुनाव में 70 करोड़ से अधिक योग्य मतदाता ने भाग लिया। और भारत निर्वाचन आयोग ने इसके लिए 7.5 लाख मतदान केन्द्र स्थापित किये। यह विषाल उप-महाद्वीपीय प्रक्रिया दुनिया भर के मीडिया का ध्यान आकर्षित करती रही है।
एमपीपोस्ट ने 2004-2009 के आम चुनावों तथा 2008 के म.प्र. विधान सभा चुनावों में विभिन्न राजनैतिक दलों के कार्य निष्पादन का विवरण देते हुए यह संदर्भ सीडी तैयार की है। इसके अलावा चुनावों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति चुनाव क्षेत्रों में उनके कार्य निष्पादन, पिछले सभी चुनावों में मतदान प्रतिषत और पिछले चुनावों के बारे में कई अन्य उपयोगी सूचनाएं शामिल है। संदर्भ सीडी में 15वीं लोक सभा के सदस्यों की पृष्ठभूमि, मध्य प्रदेष के विजयी उम्मीदवारों के फोटो सहित जीवन परिचय, लोक सभा क्षेत्र का नक्षा, तथा संसदीय क्षेत्र का संपूर्ण विवरण एवं अन्य महत्वपूर्ण तथ्य परक सूचनाओं के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी और कार्य निष्पादन के बारे में जानकारी दी गई है। आम चुनाव 2009, राज्यवार चुनाव परिणाम, संसदीय क्षेत्र का विवरण, म.प्र. के विजयी उम्मीदवारों का फोटो सहित जीवन परिचय संजोया गया है।
मध्य प्रदेष में संपन्न हुए 12वीं विधान सभा के चुनाव परिणाम, विजयी उम्मीदवार का फोटो सहित जीवन परिचय, विधान सभा क्षेत्र का नक्षे के साथ संपूर्ण विवरण एवं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा महिला उम्मीदवारों की भागीदारी के अलावा समान्य निवार्चन 2008, जिले की चुनाव संबंधी संपूर्ण जानकारी, जिला और विधान सभा क्षेत्रवार परिणाम, म.प्र. विधान सभा-2008 क्षेत्रवार एवं दलवार प्राप्त मतों का प्रतिषत, म.प्र. विधान सभा-2008 विधान सभा क्षेत्रवार एवं दलवार प्राप्त मतों की संख्या, म.प्र. विधान सभा-2008 जिलेवार विजयी पार्टी एवं प्रतिषत, 1951-2003 तक के मध्य प्रदेष विधान सभा चुनाव परिणाम एक नजर में, 1951-2008 तक के मध्य प्रदेष विधान सभा चुनाव परिणाम पर विश्लेषण भी किया गया है।
मध्य प्रदेश का राजनीतिक अतीत

ऽ भारतीय संसदीय लोकतंत्र के - वर्ष राजनीतिक जीवन (लोकतांत्रिक प्रणाली)
ऽ भारत में निर्वाचन प्रणाली का विकास
ऽ भारत में आम चुनाव
ऽ आम चुनाव 2009 भारत में 15वीं लोक सभा के लिए संपन्न चुनाव पर विश्लेषण
ऽ मध्य प्रदेष का निर्माण
ऽ मध्य प्रदेष के गठन से लेकर अबतक के मुख्यमंत्रियों का सफरनामा
ऽ मध्य प्रदेष के गठन से लेकर अबतक के मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल
ऽ मध्य प्रदेष में निम्न अवधि में राष्ट्रपति शासन
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के राज्यपाल
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के विधान सभा अध्यक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के नेता प्रतिपक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के विधान सभा उपाध्यक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के म.प्र. भाजापाध्यक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के म.प्र. कांग्रेस के अध्यक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के मुख्य सचिव
ऽ संविद सरकार
ऽ प्रथम दशक
ऽ छठवां दशक
ऽ चुनावी राजनीति
ऽ म.प्र. मंत्री परिषद का जातिगत और क्षेत्रवार विवरण
ऽ प्रदेश में उभरता महिला नेतृत्व
ऽ मध्य प्रदेश में जिला पंचायत और महापौर पद के लिए महिला आरक्षण
ऽ वर्तमान लोक सभा में महिलाओं की स्थिति
ऽ मध्य प्रदेश में पंचायतो का दौर
ऽ मध्य प्रदेश से आठवीं बार का सांसद
ऽ मध्य प्रदेष विधान सभा में एक अषासकीय संकल्प पारित हुआ जिसमें लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के चुनाव एक साथ कराने की वकालत की गई।
मध्य प्रदेश से संबंधित प्रमुख राजनीतिक घटनाक्रम और समीक्षात्मक टिप्पणी प्रत्येक माह अपडेट करेंगे।

मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह की वेबसाईट को भारत सरकार का वेब रत्न अवार्ड

मध्यप्रदेष के मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान द्वारा हिन्दुस्तान की अपने तरीके की अनोखी वेबसाईट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट आइडियाज फॉर सीएम डॉट इन को भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने वेब रत्न अवार्ड 2009 के लिए चयनित किया है।
भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की एनआईसी शाखा ने नेषनल पोर्टल के अंतर्गत इसी साल से वेब रत्न अवार्ड देने की प्रक्रिया प्रारंभ की है। एमपीपोस्ट को मिली जानकारी के अनुसार भारत में ई-षासन का जबरदस्त बढ़ावा मिला है। ई-षासन में अनुकरणीय पहल को तथा वर्ल्ड वाइड वेब के प्रयोग को मान्यता प्रदान करने के लिए वेब रत्न अवार्ड 2009 आरंभ किया गया है।
नामांकन का नामांकन जांच समिति द्वारा मूल्यांकन किया गया। ज्यूरी के विषेषज्ञ सदस्यों ने मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह चौहान की वेबसाईट को अवार्ड के लिए चुना है। अवार्ड प्रदान करने का यह पहला कार्यक्रम है। यह अवार्ड 19 अप्रैल 2010 को विज्ञान भवन नई दिल्ली में शाम 5.00 बजे केन्द्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री थिरू. ए. राजा द्वारा प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट भी मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह चौहान ने विजयी टीम के सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
वेबसाईट आइडियाज फॉर सीएम 19 जनवरी 2009 से प्रारंभ हुई है। तब से लेकर अब तक लगभग 2925 लोगों ने अपने सुझाव और विचार भेजे हैं। प्राप्त सुझावों में से 322 पंजीकृत हुए जिनमें से 280 का निराकरण किया गया और दस सुझावों का क्रियान्वयन के लिए चयन किया गया है। जिन लोगों के सुझाव चयनित किए गए हैं। उन सभी लोगों को अप्रैल माह के अंत एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मप्र षिवराज सिंह चौहान सम्मानित करेंगे। इस अनोखी वेबसाईट की परिकल्पना मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस की है। मुख्यमंत्री की मंषा के अनुरूप इस वेबसाईट को मूर्त रूप दिया है सुषासन एवं नीति विष्लेषण स्कूल ने।
मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान ने सरकार के कार्यकलापों में लोगों की वैचारिक सहभागिता बढ़ाने की आवष्यकता सदैव अनुभव की है। प्रदेष के विकास की जो कल्पना उन्होंने की है उसे आपसी सहयोग के बिना मूर्त रूप देना संभव नहीं है। इसीलिए उन्होंने आइडियाज फॉर सीएम के माध्यम से जनमानस से बहुमूल्य सुझावों को आमंत्रित करने की परंपरा प्रारंभ की है।
मुख्यमंत्री म.प्र. को सीधे भेजे जाने वाली वेबसाईट आइडियाज फॉर सीएम के जरिए प्राप्त सुझावों व अन्य गतिविधियों की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस, मुख्यमंत्री के सचिव व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अनुराग जैन सतत् रूप से करते हैं। प्रदेष के वन विभाग को मोबाईल गवर्नेंस के लिए भी वेब रत्न अवार्ड मिलेगा। एम गवर्नेंस मंत्रा फॉर वन एण्ड वाइड लाईफ में फायर एलर्ट सिस्टम, वाइड लाईफ, आर्थिक और जीआईएस टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा नेषनल पोर्टल पर राज्य से अधिक से अधिक तथ्य भेजे जाने के लिए भी मध्यप्रदेष के एनआईसी को भी वेब रत्न अवार्ड से नवाजा जाएगा।
सामान्य प्रषासन विभाग म.प्र. के प्रमुख सचिव सुदेष कुमार, सुषासन एवं नीति विष्लेषण स्कूल के महानिदेषक प्रो. एचपी दीक्षित, संचालक अखिलेष अर्गल, आइडियाज फॉर सीएम को मिलने वाला अवार्ड प्राप्त करेंगे। जबकि अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक आईटी वन विभाग मध्यप्रदेष अनिल ओबेराय वन विभाग को मिलने वाला अवार्ड प्राप्त करेंगे। नेषनल पोर्टल के स्टेट समन्वयक कंटेंट अपलोडिंग तथा एनआईसी के टेक्नीकल डायरेक्टर संजय हार्डिकर व म.प्र. के राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी एम विनायक राव एनआईसी मध्यप्रदेष की ओर से अवार्ड प्राप्त करेंगे।

सोमवार, 15 मार्च 2010

मध्यप्रदेश विधानसभा समीक्षा


12 मार्च 2010
राज्य विधानसभा में अन्य दिनों की अपेक्षा आज सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढ़ंग से नहीं चल सकी। सदन से विपक्षी सदस्यों ने जहां दो मर्तबा बर्हिगमन किया, वहीं प्रष्नकाल के दौरान सिवनी जिले के सीएमओ मकबूल खान को नगरीय प्रषासन मंत्री बाबूलाल गौर ने सदन में निलंबित करने की घोषण की। जिला अनूपपूर में लंबित नस्तियों के निराकरण को लेकर नगरीय प्रषासन मंत्री बाबूलाल गौर के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस के सदस्यों ने शोरगुल किया। शुक्रवार 12 मार्च 2010 को सदन की कार्यवाही का प्रष्नोत्तर काल बीस प्रष्न के उत्तर तक ही सिमट कर रह गया। लगभग आठ सदस्यों की विभिन्न विषयों से संबंधित शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी गई।
सदन में आगे की कार्यवाही के तहत मप्र के राघवजी वित्तमंत्री, कैलाष विजयवर्गीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, गोपाल भार्गव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, कन्हैयालाल अग्रवाल, राज्यमंत्री सामान्य प्रषासन विभाग ने अपने अपने विभागों से संबंधित पत्रों को पटल पर रखा।
तत्पष्चात् नियम 138 एक के अधीन ध्यानाकर्षण के माध्यम से कांग्रेस विधायक चौधरी राकेष सिंह ने ग्वालियर चंबल संभाग के लिए पर्याप्त बिजली न मिलने का मामला उठाया। जिस पर ऊर्जामंत्री ने अपने उत्तर में बताया कि प्रदेष में विद्युत की मांग एवं उपलब्धता के अंतर के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को उनकी आवष्यकताओं के अनुरूप विद्युत उपलब्ध कराने के लिए विनियमित विद्युत प्रदाय किया जाना आवष्यक हो जाता है। वर्तमान में मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा दिये गये दिषा-निर्देषों के अनुरूप प्रदेष में संभागीय मुख्यालयों, जिला मुख्यालयों, तहसील मुख्यालयों एवं ग्रामीण क्षेत्रों को वर्ष में क्रमषः प्रतिदिन औसतन बाईस घण्टे, उन्नीस घण्टे, चौदह घण्टे एवं बारह घण्टे विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। 28 फरवरी 2010 तक वर्ष 2009-10 के दौरान संीाागीय मुख्यालयांे, जिला मुख्यालयों, तहसील मुख्यालयों एवं ग्रामीण क्षेत्रांे को वर्ष में क्रमषः प्रतिदिन तेईस घण्टे पांच मिनिट, इक्कीस घण्टे पांच मिनिट, पंद्रह घण्टे सत्तावन मिनिट एवं बारह घण्टे तीस मिनिट विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराया गया है। 28 फरवरी 2010 तक वार्षिक औसतन विद्युत प्रदाय नियामक आयोग के निर्धारित मापदण्ड से अधिक है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर चंबल संभाग में किसानों को बिजली दो घंटे भी दिन-रात में नहीं मिल रही है यह कहना उचित नहीं है। विपक्षी सदस्य ऊर्जा मंत्री के जवाब से असंतुष्ट हुए और गर्वगृह मंे जाकर नारेबाजी करते रहे। तथा मांग कर रहे थे कि ऊर्जा मंत्री सात घण्टे बिजली देने की घोषणा करें। स्पीकर ने कार्यवाही को आगे बढ़ाया जिस पर कांग्रेस विधायक उत्तेजित हो गए और सदन से बर्हिगमन कर गए।
एक अन्य ध्यानाकर्षण के जरिए भाजपा विधायक बृजमोहन धूत ने देवास जिले के खारपा में खाद्यान्न वितरण न होने का मामला उठाया। जिस पर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण राज्यमंत्री पारस जैन ने अपने उत्तर में बताया कि यह कहना सही नहीं है कि कन्नौद तहसील के पास खारपा में राषन वितरण प्रणाली अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिली भगत से समय पर पूरा राषन नहीं मिल रहा है। वस्तुस्थिति यह है कि जिले के अधिकारियों द्वारा प्रतिमाह सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सामग्रियों का आबंटन खारपा की उचित मूल्य की दुकान को दिया जा रहा है। ध्यानाकर्षण सूचना में उल्लेखित प्रकरण के संबंध में वस्तुस्थिति यह है कि अनुभागीय अधिकारी कन्नौद को सेवा सहकारी संस्था खारपा के सेल्समेन द्वारा गेहूं एवं शक्कर कम तौलने की मौखिक षिकायत प्राप्त होने पर तहसीलदार कन्नौद को जांच कराने के लिए निर्देष दिए गए।
सरपंच द्वारा की गई षिकायत की जांच ग्रामवासिायें एवं सरपंच के साथ तहसीलदार कन्नौंद द्वारा किए जाने पर जांच समय सेवा सहकारी संस्था खारपा की दुकान बन्द पाई गई।
विभागीय अधिकारियों द्वारा तत्परता से कार्यवाही की गई है एवं उनकी कोई मिलीभगत नहीं है।
इधर, कांग्रेस विधायक गोविन्द सिंह राजपूत ने सागर जिले में अमानक स्तर की खाद की बिक्री होने का मामला उठाया। जिस पर किसान कल्याण तथा कृषि विकास राज्यमंत्री विजेन्द्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह राजपूत के ध्यानाकर्षण सूचना के उत्तर में बताया कि यह कहना सही नहीं है कि सागर जिले के किसानों को खेती की पैदावार बढ़ाने के लिए अमानक स्तर के उर्वरक का उपयोग करना पड़ रहा है, बल्कि मानक स्तर के उर्वरकों का उपयोग कर के ही फसल का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। जिले में सूचना दिनांक से विगत चार वर्षाे में गुण नियंत्रण की दृष्टि से संस्थाओं, निजी विक्रेताओं से रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाषक दवा के सेम्पल लिए जाकर उन्हें परीक्षण के लिए गुण नियंत्रण प्रयोगषाला को भेजा गया। प्रयोगषाला से परीक्षण उपरांत अधिकांष नमूनों के परिणाम मानक स्तर के पाये गये हैं। विगत चार वर्षो में जिले में उर्वरक के 575 नमूने विष्लेषित कराने पर अमानक पाये गये 81 नमूनों का विक्रय प्रतिबंधित करते हुये 27 विक्रय अनुज्ञप्ति निलंबित, 3 निरस्त एवं एक विक्रेता के विरूद्ध माननीय न्यायालय में प्रकरण पंजीबद्ध कराया गया है। इसी प्रकार से कीटनाषक के 190 नमूने विष्लेषित कराने पर अमानक पाये गये 20 नमूनों का विक्रय प्रतिबंधित करते हुए एक विक्रय अनुज्ञप्ति निलंबित एवं 16 विक्रेताओं के विरूद्ध माननीय न्यायालय में प्रकरण पंजीबद्ध कराये गये है।
उर्वरक नमूना अमानक स्तर का पाये जाने पर संबंधित कंपनी को उक्त उर्वरक पर अनुदान प्राप्त करने की पात्रता न होने के कारण अनुषंसा नहीं की जाती है।
जिले में फसलों की स्थिति अच्छी है, किसानों को आर्थिक हानि एवं कृषि पैदावार कम होने संबंधी कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है, कृषि विभाग के अधिकारियों ने अपना कर्तव्य का विधिवत् पालन किया है, उनके द्वारा किसी भी प्रकार से उर्वरक निर्माता कंपनियों को अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया गया है। जिले के किसानों मंे असंतोष व्याप्त होने जैसी स्थिति नहीं है। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस विधायक गर्वग्रह में पहुंच गए और नारेबाजी करते रहे, यह मामला पूरे प्रदेष का है इसी बीच विधानसभ के उपाध्यक्ष हरवंष सिंह ने आसंदी से निर्देष दिये कि यह मामला गंभीर है इसकी जांच कराकर सक्षम कार्यावाही करें। लेकिन कांग्रेस के सदस्य नहीं माने और असंतुष्ट होकर सदन से बर्हिगमन कर गए।
एक अन्य ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से कांग्रेस विधायक प्रियव्रत सिंह ने राजगढ़ जिले के माचलपुर से जौरापुर मार्ग पूर्ण न होने का मामला उठाया। इस पर लोक निर्माण मंत्री नागेन्द्र सिंह ने अपने जवाब में बताया कि यह सत्य है कि राजगढ़ जिले में 11-9-2008 को मुख्यमंत्री द्वारा माचलपुर कस्बे में प्रवास के दौरान घोषणा की गई थी कि छह माह में जीरापुर माचलपुर मार्ग पूर्ण करवा दिया जायेगा। पचौर-छापीहेड़ा-जीरापुर-माचलपुर (राजस्थान सीमा तक) की कुल लंबाई 86.70 किलोमीटर है। उल्लेखित जीरापुर-माचलपुर मार्ग लंबाई 13.80 कि.मी. इस मार्ग का हिस्सा है।
पचौर-छापीहेड़ा-जीरापुर-माचलपुर मार्ग राजमार्ग क्रमांक - 41 ए है। यह मार्ग एषियन विकास बैंक द्वारा पोषित की जाने वाली एमपीएसआरएसपी-3 अंतर्गत प्रस्तावित है।
कांग्रेस विधायक श्रीमती सुलोचना रावत ने प्रदेष में आदिवासी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता होने का मामला उठाया। जिस पर आदिम जाति कल्याणमंत्री कुंवर विजय शाह ने बताया कि आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा प्रदेष में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये 1262 छात्रावास एवं 930 आश्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिनमें 104094 सीट स्वीकृत होकर अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र छात्राओं को आवास सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग के लिये 1030 छात्रावास एवं 248 आश्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिनमें क्रमषः 37898 एवं 10546 सीट स्वीकृत होकर आवास सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।
इन संस्थाओं में निवास करने वाले छात्रों को प्रतिमाह षिष्यवृत्ति दिये जाने का प्रावधान है। षिष्यवृत्ति का भुगतान छात्र-छात्राओं की संख्या एवं शाला में उपस्थिति के आधार पर प्रतिमाह अग्रिम भुगतान किये जाने का प्रावधान है।
छात्रावास आश्रम का विभाग के विभिन्न अधिकारी यथा मंडल संयोजक, क्षेत्र संयोजक, प्राचार्य, विकासखण्ड षिक्षा अधिकारी, सहायक परियोजना प्रषासक, सहायक संचालक, जिला संयोजक सहायक आयुक्त, परियोजना प्रषासक, संभागीय उपायुक्त, कलेक्टर एवं उनके द्वारा नियुक्त अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा भी समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है।
मंत्री ने सदन को बताया कि षिष्यवृत्ति भुगतान में भ्रष्टाचार को लेकर आम जन शासन के प्रति रोष एवं आक्रोष व्याप्त नहीं है।
ध्यानाकर्षण के तहत कांग्रेस विधायक श्रीमती इमरती देवी ने डबरा नगर पालिका अध्यक्ष को दोषी पाये जाने के बावजूद कार्यवाही न होने का मामला उठाया। जिस पर नगरीय प्रषासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर ने अपने जवाब में सदन को बताया कि यह सही है कि नगरपालिका अध्यक्ष डबरा के पूर्व कार्यकाल में निर्यातकार, अस्थाई दखल एवं बाजार वसूली में हुये भ्रष्टाचार की जांचोपरांत विभाग द्वारा उन्हें कारण बताओं जारी किया जाकर नियमानुसार आगामी कार्यवाही प्रचलित है। यह कार्यवाही अर्द्व न्यायिक स्वरूप की है एवं जब तक कार्यवाही पूर्ण नहीं हो जाती है तथा दोषसिद्धि प्रमाणित नहीं हो जाती, पद से हटाये जाने का प्रष्न उपस्थित नहीं होता।
एक अन्य ध्यानाकर्षण सूचना के द्वारा भाजपा विधायक यषपाल सिंह सिसोदिया ने उज्जैन संभाग में चल रहे उद्योगों से प्रदूषण होने का मामला उठाया। जिस पर आवास एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया ने भाजपा विधायक यषपाल सिंह सिसोदिया के ध्यानाकर्षण के उत्तर में कहा कि मध्यप्रदेष में लगभग 6000 लघु श्रेणी के व 600 वृहद-मध्यम श्रेणी के उद्योग स्थापित हैं। मप्र प्रदूषण बोर्ड द्वारा इनमें से सभी जल एवं वायु प्रदूषणकारी श्रेणी के उद्योगों में जल एवं वायु प्रदूषणरोधी व्यवस्थायें स्थापित कराई गई हैं। उपचारित निस्त्राव को सामान्यतः उद्योग परिसर में ही उपयोग करने की व्यवस्था रहती है। उद्योगों की जलवायु गुणवत्ता मप्र प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से सतत् प्रक्रिया के अंतर्गत आवष्यकतानुसार मापी जाती है।
ध्यानाकर्षण में विषेषकर उज्जैन संभाग के जिन उद्योगों का मानक से अधिक उत्सर्जन या निस्त्राव करने का लेख किया गया है उनके संबंध वस्तुस्थिति के अनुसार उद्योगों द्वारा सभी मानकों का उल्लंघन नहीं किया गया है। बोर्ड द्वारा समझाईष दी गई है।
आज सदन में पंद्रह ध्यानाकर्षणों को लिया गया था। जिनमें से आठ पर चर्चा हो सकी, सात सदस्यों अजय अर्जुन सिंह, आरीफ अकील, डॉ. गोविन्द सिंह, पारस सखलेचा, अजय यादव, लखन घनघोरिया और मदन कुषवाह की ध्यानाकर्षण की सूचनाएं तथा संबंधित मंत्रियों के उत्तर पढ़े हुए माने गए। ऐसी व्यवस्था स्पीकर ईष्वरदास रोहाणी ने दी। विधानसभाध्यक्ष ईष्वरदास रोहाणी ने सदन को बताया कि प्रतिवेदन तथा याचिकाओं की प्रस्तुति प्रस्तुत हुई मानी गयीं। राज्य विधानसभा में आज भोजन अवकाष नहीं हुआ। लोक निर्माण विभाग, स्कूल षिक्षा, विधि और विधायी कार्य विभाग की अनुदान मांगों को सदन ने चर्चा के उपरांत पारित कर दिया। चर्चा की शुरूआत कांग्रेस विधायक महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा ने प्रारंभ की। भाजपा विधायक गिरिजा शंकर शर्मा, प्रेमनारायण ठाकुर, ताराचंद बबरिया, कांग्रेस विधायक दिलीप सिंह गुर्जर एवं मदन कुषवाह ने भाग लिया।
सदन में श्रीकांत दुबे सदस्य द्वारा पन्ना को सतना रेललाइन से जोड़े जाने का तथा अन्य सदस्यों के अषासकीय संकल्प भी पारित किए गए।

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

मध्यप्रदेश को भारत सरकार के चार ई-गवर्नेंस अवार्ड मिले

राजस्थान की राज्यपाल ने पुरस्कृत किया


मध्यप्रदेश सरकार को ई-शासन के उत्कृष्टतम क्रियान्वयन में विशेष पहल के लिए भारत सरकार द्वारा नॅशनल ई-गवर्नेंस अवार्ड से नवाजा गया है। यह अवार्ड राजस्थान की राज्यपाल श्रीमती प्रभा राव ने 18 फरवरी 2010 को जयपुर में शुरू हुई दो दिवसीय 13वीं नॅशनल कांफ्रेंस ऑन ई-गवर्नेंस के अवसर पर प्रदान किये। इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हान, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट मौजूद थे।
एमपीपोस्ट को मिली अधिकृत जानकारी के अनुसार नॅशनल अवार्ड फॉर ई-गवर्नेंस 2009-10 के सात श्रेणियों के ये पुरस्कर 17 संगठनों को दिए गए और एक संगठन को विषेष उल्लेख का पुरस्कार दिया गया। 18 विजेताओं में से सर्वाधिक चार अवार्ड मध्यप्रदेष के खाते में आये हैं। यह मध्यप्रदेष सरकार की बड़ी उपलब्धि है।
राजस्थान की राज्यपाल श्रीमती प्रभा राव ने नागरिकों के लिए उत्कृष्ट प्रदर्षन केन्द्रित सेवा वितरण के लिए मध्यप्रदेष सरकार के उपक्रम एमपीऑनलाइन को गोल्डन आईकॉन अवार्ड प्रदान किया। यह अवार्ड राज्य के आईटी विभाग व मुख्यमंत्री के सचिव और एमपी ऑनलाइन के सीईओ अनुराग जैन तथा ओएसडी आईटी विभाग अनुराग श्रीवास्तव ने प्राप्त किया। जबकि वन भूमि में काबिज आदिवासियों को वनाधिकार पट्टे वितरण के क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेष के वन विभाग में ई-षासन में प्रौद्योगिकी के अभिनव प्रयोग के लिए गोल्डन आईकॉन अवार्ड अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक आईटी, वन विभाग, मध्यप्रदेष अनिल ओबेराय ने प्राप्त किया। इसी श्रेणी में मध्यप्रदेष ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण भोपाल को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत इंटरनेट आधारित जीआईएस टेक्नालॉजी अभिनव प्रयोग के लिए सिल्वर आईकॉन अवार्ड मध्यप्रदेष ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकारण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय दुबे ने प्राप्त किया। षिक्षा के क्षेत्र में विषेष पुरस्कार फोकस के अंतर्गत मध्यप्रदेष के स्कूल षिक्षा विभाग के एज्यूकेषन पोर्टल को गोल्डन आईकॉन अवार्ड से नवाजा गया है। यह अवार्ड आयुक्त राज्य षिक्षा केन्द्र मनोज झलानी ने प्राप्त किया। इसी के साथ मध्यप्रदेष सर्वाधिक चार अवार्ड हासिल करने वाला देष का पहला प्रदेष बन गया है। ये अवार्ड राजस्थान की राज्यपाल श्रीमती प्रभा राव ने प्रदान किये।
इनफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नालाजी (आईसीटी) को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ई-गर्वनेंस अवार्ड 2009-2010 का म.प्र. इस मर्तबा विजेता राज्य भी बना है। मध्यप्रदेष सरकार के चार विभागों को उनके कामकाज व गुण-दोष के आधार पर ई-गवर्नेंस अवार्ड मिले हैं। इसी के साथ राज्य के चार विभाग ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुषासन प्रदान करने में अग्रणी बन गए हैं।
म.प्र. में चल रहे ई-षासन के उत्कृष्टतम कार्य को न केवल भारत सरकार के प्रषासनिक सुधार और सार्वजनिक षिकायत विभाग एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने मान्यता प्रदान की है। बल्कि उसके क्रियान्वयन मंे विषेष पहल को प्रोत्साहन देने के लिए ई-गवर्नेेंस का प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत सरकार के प्रषासनिक सुधार और सार्वजनिक षिकायत विभाग एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने संयुक्त रूप से प्रदान किए।
मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेष में ई-गर्वनेन्स के क्षेत्र में लगातार नये-नये प्रयास और प्रयोग हो रहे है मुख्यमंत्री की मंषा है कि आमजन को सुविधायें सरलता से और तुरंत बिना किसी बाधा के कैसे मिले, इस दिषा में म.प्र. का आईटी विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। ई-गर्वनेंस के चार अवार्ड मिलने पर राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व आईटी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विजेता विभागों की टीम को बधाई दी है।
उल्लेखनीय है कि ई-षासन के उत्कृष्टतम कार्य को मान्यता प्रदान करने, उसके क्रियान्वयन मंे विषेष पहल को प्रोत्साहन देने के लिए ई-गवर्नेेंस का प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत सरकार के प्रषासनिक सुधार और सार्वजनिक षिकायत विभाग एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग संयुक्त रूप से प्रतिवर्ष प्रदान करता है।

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
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पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
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