शासकीय कामकाज में पारदर्शिता और सूचना के अधिकार के लिए दुनियाभर में विभिन्न रूपों में मांग उठी लेकिन सबसे पहले स्वीडेन देष ने 243 साल पहले सूचना अधिकार लागू किया था। जबकि भारत में सूचना का अधिकार 15 जून 2005 को लागू हुआ है।
यह बात न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने मंगलवार एक सितम्बर को पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ द्वारा संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया से संबंधित विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशला के समापन अवसर पर कही।
उन्होंने कहा कि आरटीआई के बारे में हिन्दुस्तान के हर नागरिक को मालूम होना चाहिए। इसके लिये सरकारी और अन्य स्तरों पर प्रचार-प्रसार के लिये अभियान चालू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को सूचना के अधिकार को षिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आरटीआई कानून में जनमानस के लिये एक बहुत बड़ा प्रावधान यह है कि कोई भी व्यक्ति आरटीआई से संबंधित जानकारी ईमेल के जरिए भी प्राप्त कर सकता है। इसका प्रावधान आरटीआई में भी है।
उन्होंने बताया कि इंटरनेट के द्वारा जानकारी लेने का यह माध्यम सबसे सस्ता और प्रभावी है इसमें पैसे और समय की बचत के साथ-साथ आवेदनकर्ता के लिए समयसीमा का कोई बंधन नहीं है। न ही किसी सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत है। व्यक्ति अपने घर से किसी भी समय आवेदन कर सकता है। आमजन ने इस माध्यम को अपना लिया तो देष में एक सूचना प्राप्त करने की एक बड़ी क्रांति होगी।
उन्होंने बताया कि भारत में सरकारी स्तर पर कुछ संस्थाओं ने आरटीआई के आनलाइन सर्टिफिकेट ई-कोर्स व ई-लर्निंग कोर्स भी शुरू किए हैं। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम जम्मू- कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू है।
श्री नगेले ने बताया कि इस अधिनियम के दायरे में भारत सरकार के अन्वेषण ब्यूरो और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के अलावा एक दर्जन से अधिक विभाग नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि सूचना का मतलब है ईमेल रिकार्डो दस्तावेजो ज्ञापनों विचार सलाह परिपत्र निविदा टिप्पणियां आदि।
इस अवसर पर विधानसभा के अपर सचिव एपी सिंह ने विधानसभा प्रष्नों से संबंधित प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रष्नकाल क्या होता है प्रष्नों की सूचना कैसे दी जाती तारांकित और अतारांकित प्रश्न क्या होते हैं प्रश्नों की शलाका किसे कहते हैं प्रष्नों का विषय एवं ग्रहता की शर्ते क्या हैं प्रश्नों को रूप भेदन विभाजन या समेकन हस्तांतरण वापसी तथा स्थगन अनुपस्थित सदस्यों की तारांकित प्रश्नों के उत्तर प्रश्न पूछने की रीति प्रश्नोंत्तरी सूची अल्प सूचना प्रश्न अनुपूरक प्रश्न आदि के बारे में भी छात्रों के प्रश्नों के उत्तर व उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
31 अगस्त एवं 1 सितम्बर को संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया से संबंधित विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यषाला में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विष्वविद्यालय के एमजे बीजे एमएसी इलेक्ट्रानिक मीडिया के छात्र प्रतिभागी थे।
इस अवसर पर पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ की संचालक श्रीमति मंजूला शर्मा ने विद्यापीठ द्वारा किये जा रहे कार्यो व इसके उद्देशों पर प्रकाश डाला।
यह बात न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने मंगलवार एक सितम्बर को पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ द्वारा संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया से संबंधित विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशला के समापन अवसर पर कही।
उन्होंने कहा कि आरटीआई के बारे में हिन्दुस्तान के हर नागरिक को मालूम होना चाहिए। इसके लिये सरकारी और अन्य स्तरों पर प्रचार-प्रसार के लिये अभियान चालू होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को सूचना के अधिकार को षिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आरटीआई कानून में जनमानस के लिये एक बहुत बड़ा प्रावधान यह है कि कोई भी व्यक्ति आरटीआई से संबंधित जानकारी ईमेल के जरिए भी प्राप्त कर सकता है। इसका प्रावधान आरटीआई में भी है।
उन्होंने बताया कि इंटरनेट के द्वारा जानकारी लेने का यह माध्यम सबसे सस्ता और प्रभावी है इसमें पैसे और समय की बचत के साथ-साथ आवेदनकर्ता के लिए समयसीमा का कोई बंधन नहीं है। न ही किसी सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत है। व्यक्ति अपने घर से किसी भी समय आवेदन कर सकता है। आमजन ने इस माध्यम को अपना लिया तो देष में एक सूचना प्राप्त करने की एक बड़ी क्रांति होगी।
उन्होंने बताया कि भारत में सरकारी स्तर पर कुछ संस्थाओं ने आरटीआई के आनलाइन सर्टिफिकेट ई-कोर्स व ई-लर्निंग कोर्स भी शुरू किए हैं। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम जम्मू- कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू है।
श्री नगेले ने बताया कि इस अधिनियम के दायरे में भारत सरकार के अन्वेषण ब्यूरो और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के अलावा एक दर्जन से अधिक विभाग नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि सूचना का मतलब है ईमेल रिकार्डो दस्तावेजो ज्ञापनों विचार सलाह परिपत्र निविदा टिप्पणियां आदि।
इस अवसर पर विधानसभा के अपर सचिव एपी सिंह ने विधानसभा प्रष्नों से संबंधित प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रष्नकाल क्या होता है प्रष्नों की सूचना कैसे दी जाती तारांकित और अतारांकित प्रश्न क्या होते हैं प्रश्नों की शलाका किसे कहते हैं प्रष्नों का विषय एवं ग्रहता की शर्ते क्या हैं प्रश्नों को रूप भेदन विभाजन या समेकन हस्तांतरण वापसी तथा स्थगन अनुपस्थित सदस्यों की तारांकित प्रश्नों के उत्तर प्रश्न पूछने की रीति प्रश्नोंत्तरी सूची अल्प सूचना प्रश्न अनुपूरक प्रश्न आदि के बारे में भी छात्रों के प्रश्नों के उत्तर व उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
31 अगस्त एवं 1 सितम्बर को संसदीय पद्धति एवं प्रक्रिया से संबंधित विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यषाला में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विष्वविद्यालय के एमजे बीजे एमएसी इलेक्ट्रानिक मीडिया के छात्र प्रतिभागी थे।
इस अवसर पर पंडित कुंजीलाल दुबे राष्ट्रीय संसदीय विद्यापीठ की संचालक श्रीमति मंजूला शर्मा ने विद्यापीठ द्वारा किये जा रहे कार्यो व इसके उद्देशों पर प्रकाश डाला।