शुक्रवार, 4 मार्च 2011

मप्र विधानसभा में सदन के सदस्यों के नाम प्रोटोकाल सूची में महापौर से उपर रखे

मप्र विधानसभा में सदन के सदस्यों के नाम प्रोटोकाल सूची में महापौर से उपर रखे जाने का अशासकीय संकल्प वापस
भोपाल।राज्य विधानसभा में शुक्रवार 04 मार्च 2011 को अशासकीय कार्य के दौरान कांग्रेस सदस्य डॉ. निशित पटेल द्वारा लाये गये मप्र विधानसभा सदस्यों के नाम प्रोटोकाल सूची में महापौर से उपर रखे जाने का अशासकीय संकल्प ध्वनि मत से वापस हुआ। अशासकीय संकल्प पर हुई चर्चा का सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री केएल अग्रवाल ने अपने जवाब में सदन को बताया कि वे सदस्यों को आश्वस्त करते हैं कि इस मामले पर पुनः विचार करने के लिये समय दिया जाये। वे इसका गहराई से अध्ययन करायेंगे। इसके बाद इसमें शामिल कई बिन्दुओं पर विचार किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र और अन्य राज्यों में प्रोटोकाल की स्थिति क्या है। उसका परीक्षण कराने के बाद उचित कार्यवाही करेंगे। मंत्री ने इस काम के लिये तीन माह का समय सदस्यों से मांग लेकिन सदस्य इस बात पर अड़े रहे कि नहीं इसी सत्र में संशोधन करने का आश्वासन दें लेकिन मंत्री नहीं माने और उन्होंने इस संबंध में 2002 से 2008 तक संपन्न हुई। संपूर्ण प्रक्रिया का सिलसिलेवार जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि 2008 में सामान्य प्रशासन विभाग ने यह संशोधन किया था। लेकिन यह संशोधन पहली बार 2002 में आया था। उस वक्त 4 दिसम्बर 2002 को तत्कालीन सरकार की संपन्न हुई मंत्रीपरिषद की बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार इस संशोधन में भोपाल, जबलपुर, इन्दौर और ग्वालियर के महापौरों को मंत्री और अन्य शहरों के महापौरों को राज्य मंत्री का दर्जा देने का प्रावधान किया गया था। इस फैसले के अनुपालन में सामान्य प्रशासन विभाग ने 30 दिसम्बर 2002 को आदेश जारी किये थे। उन्होंने बताया कि इसके बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का क्रम प्रोटोकाल में सूची में नीचे जाने के बाद पुनः संशोधन की आवश्यकता पड़ी थी।
राज्यमंत्री श्री अग्रवाल ने सदन का आश्वस्त किया कि मप्र सरकार सदस्यों की भावना से सहमत है। और उनके मान सम्मान को ठेस नहीं लगने देंगे। उनका कहना था कि संशोधन के पूर्व केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा इस विषय में किये गये प्रावधानों का अध्ययन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी पूरी कोशिश करेगी। इस संशोधन के विषय से संबंधित कार्यवाही शीघ्र हो।
विधानसभा में कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह ने इस विषय पर बोलते हुये कहा कि राज्य सरकार को यह व्यवस्था करना चाहिए कि प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस सेवा के अधिकारियों को जब कोई निर्वाचित विधायक उनसे भेंट करने के लिये जाये ंतो वे खड़े होकर सीट आॅफर करें। उन्होंने कहा कि विधायीका का सम्मान होना चाहिए। इस सम्मान को बरकरार रखने के लिये राज्य सरकार को कदम उठाना चाहिए। श्री चौधरी ने इस अशासकीय संकल्प के पक्ष में अपना बात रखी। और तर्क भी दिया।
भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने कहा कि देश में लोकसभा सदस्य का प्रोटोकाल में 21वें नम्बर पर स्थान हैं लेकिन मध्यप्रदेश में 29वें नम्बर पर है। जो गलत है। उन्होंने डॉ. निशित पटेल द्वारा उठाये गये अशासकीय संकल्प का समर्थन किया और अपने तर्क रखे।
चर्चा में राज्य के नगरीय विकास एवं प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर, विधानसभा में कार्यवाहक नेताप्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह, सदस्य श्री बालाबच्चन, गिरिराज किशोर, पारस दादा सखलेचा, नर्मदा प्रसाद प्रजापति, शैलेन्द्र कुमार जैन, रामलखन सिंह, श्रीकांत दुबे, प्रेमनारायण ठाकुर, डॉ. गोविन्द सिंह, विश्वास सारंग, हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू और गिरजा शंकर शर्मा ने भाग लिया। सदन में इस अशासकीय संकल्प को वापस लिये जाने की सहमति प्रदान की।
इसके बाद मप्र विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने आसंदी से सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिये स्थगित की।

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लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज

लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज
जननेता का सबसे बड़ा गुण यही है कि वह लोक शक्ति में अटूट विश्वास करता है। लोक शक्ति एक अमूर्त वस्तु है। लोकतंत्र में इसका प्रदर्शनकारी स्वरूप समय-समय पर प्रकट और अभिव्यक्त होता रहता है। कभी शहर बंद हो जाते हैं, कभी यातायात रूक जाता है। इसके विपरीत विशाल देश के किसी भू-भाग पर चंद लोग मिलकर मृत नदी को जीवित कर देते हैं। बंजर भूमि पर हरियाली बिछा देते हैं। रचनात्मक और नकारात्मक दोनों स्वरूप देखने को मिलते हैं। मुख्यमंत्री का पद सम्हालने के बाद श्री शिवराजसिंह चौहान ने जो निर्णय लिये उनमें स्पष्ट रूप से यह रेखांकित होता है कि वे विकास के लिये जनशक्ति का रचनात्मक उपयोग करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में जनता की सोच, समझ, विवेक और सामथ्र्य पर अटूट विश्वास रखने वाले शिवराज सिंह को जन्म दिन की बधाइयाँ।
आज राज्य सरकार और समाज एक दूसरे के करीब आये हैं और विकास पथ पर साथ-चल रहे हैं तो यह श्री शिवराज सिंह चौहान की कार्य शैली और उनके व्यक्ति का करिश्मा है। ऐसा नहीं कि अब तक जो मुख्यमंत्री हुए हैं उन्होंने लोक शक्ति पर भरोसा नहीं किया या उनमें समझ की कमी थी। अंतर यह है कि श्री चौहान ने यह बताया है कि लोक समृद्धि के लिये लोकशक्ति का उपयोग प्रायोगिक और व्यावहारिक तौर पर कैसे किया जा सकता है। विकास योजनाओं को जन आंदोलन कैसे बनाया जा सकता है और सेवाओं तक आम लोगों की आसान पहुंच कैसे बनाई जा सकती है चाहे वह जन-संचालित हो या फिर कानून द्वारा संचालित हो। सरकारी तंत्र, नीति निर्माताओं और रणनीतिकारों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हुए भी उनकी अपनी सीमाएँ हैं। जन सहयोग और सामुदायिक भागीदारी के बिना अच्छी नीतियों का परिणाम भी शून्य होता है।
दर्शन-शास्त्र में गहरी रूचि रखने वाले श्री शिवराज सिंह को मनोविज्ञान की गहरी समझ है। आम लोगों से लगातार संवाद करते हुए वे सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करते रहते हैं। सामुदायिक अभिरूचियों के आधार पर ही कार्ययोजनाएं बनाने के निर्देश देते हैं। श्री चौहान इतने विनम्र हैं कि वे योजनाओं के मूल विचार का श्रेय लोगों को देने से नहीं चूकते। लोक-संवाद को वे विचारों का पालना मानते हैं। कई बार उन्होंने कहा कि विवेक और ज्ञान पर विशेषाधिकार केवल नीति निर्माताओं के पास नहीं होता। रोजाना जीवन से संघर्षशील आम लोग भी विवेक रखते हैं। यही विनम्रता उन्हें लोगों का अपना मुख्यमंत्री बनाती है और लोगों से दूरी मिटाकर उन्हें उनके नजदीक या दिलों तक ले जाती है।
सरल और विनम्र स्वभाव के कारण लोग श्री चौहान से मिलने को आतुर रहते हैं। हर उम्र और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोग उनसे मिलना पसंद करते हैं। बच्चे, वयस्क, विद्यार्थी, व्यापारी, कलाकार, समाजसेवी, बुद्धिजीवी, धर्मशास्त्री सभी उन्हें सम्मान देते हैं। उनके व्यक्ति में दया, करूणा, शालीनता, विनम्रता जैसे मूल्यों की बहुलता है। गुस्सा सिर्फ अन्याय के विरूद्ध आता है। न्याय के लिये संघर्ष करने के लिये वे हमेशा तैयार रहते हैं। कई सार्वजनिक भाषणों में उन्होंने कहा है कि अन्याय के विरूद्ध संघर्ष में देरी अन्याय का साथ देने के समान है। गुस्सा उन्हें तब आता है जब उन्हें पता चलता है कि सरकारी तंत्र की ढिलाई के कारण गरीब परिवार के साथ न्याय नहीं हुआ। समाधान ऑन लाइन और गांव के भ्रमण के दौरान कई ऐसे अवसर आये जब उन्होंने गैर जिम्मेदार अधिकारियों को सीधे निलंबित कर दिया।
राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का सूक्ष्म अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि कल्याणकारी योजनाएं "शिव दृष्टि' से ओत-प्रोत हैं। इन योजनाओं की संरचना में चार बिंदु प्रमुख रूप से रेखांकित होते हैं - गरीबों की समृद्धि के लिये प्रतिबद्धता, युवा शक्ति का विकास, वर्तमान में विश्वास और भविष्य में आस्था। गरीब परिवार की बेटियों के विवाह की संस्थागत व्यवस्था मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का ही परिणाम है। इस योजना का महत्व नव-धनाढय लोग भले ही ना समझ पायें लेकिन गरीब बिटिया के माता-पिता और परिजन अच्छी तरह समझते हैं। बेटियों के जन्म को सुखद अवसर बनाने और इससे आगे बढ़कर उत्सव मनाने तक सामाजिक बदलाव लाने की पहल के पीछे शिवराज जी की अपनी सोच है। समाज ने भी उनकी पहल में भरपूर योगदान दिया है। लाड़ली लक्ष्मी, गांव की बेटी, स्कूल जाने वाली बेटियों को साइकिलें, गणवेश, छात्रवृतियां देने, नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने के प्रयासों की सर्वत्र सराहना हुई है।
मध्यप्रदेश बनाओ अभियान की शुरूआत करने के पीछे भी श्री चौहान की यही सोच थी कि मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण में लोकशक्ति के अवदान के रूप में सभी का योगदान और सहयोग होना चाहिये।
मध्यप्रदेश एक सांस्कृतिक-धार्मिक विविधता से समृद्ध प्रदेश है। यहाँ की युवा शक्ति में आगे बढ़ने की क्षमता और प्रतिभा है। यह कला-पारखियों, उद्भट विद्वानों का प्रदेश है। सीमित संसाधनों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल करने वाले समुदाय हैं। थोड़े से प्रशिक्षण से असाधारण कार्य करने वाला आदिवासी समुदाय है। यदि सब एक साथ आ जायें तो मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया और तेज हो जायेगी। मध्यप्रदेश किसी एक व्यक्ति, समुदाय या दल का नहीं है। प्रदेश के हर नागरिक को ""अपना मध्यप्रदेश'' का बोध जरूरी है। श्री शिवराज सिंह का यही दर्शन और संदेश अब प्रदेश की सीमाएं पार कर अन्य प्रदेशों में गूंज रहा है। प्रदेश में विकास के विभिन्न क्षेत्रों जैसे जल संवर्धन, वनीकरण, स्कूल चलें अभियान, परिवार नियोजन अभियान में सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। जनादेश का आदर करते हुए अब सरकार स्वयं लोगों के पास पहुंच रही है। अंत्योदय मेलों का आयोजन श्री चौहान की लोक सेवा की ललक का ही विस्तारित रूप है। जन सेवक मुख्यमंत्री को जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
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पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
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जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
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संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
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समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
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