शनिवार, 23 अप्रैल 2011

नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान फॉर एग्रीकल्चर योजना के लिये समिति गठित

राज्य शासन द्वारा नेशनल ई-गर्वनेंस प्लान फॉर एग्रीकल्चर योजना के क्रियान्वयन के उद्देश्य से राज्य सशक्त समिति का गठन किया गया है। कृषि उत्पादन आयुक्त म. प्र. इस समिति के अध्यक्ष है।
सशक्त समिति के अन्य सदस्यों में प्रमुख सचिव किसान कल्याण तथा कृषि विकास, प्रमुख सचिवध्संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, प्रमुख सचिवध् संचालक मत्स्यपालन, प्रमुख सचिवध् संचालक, पशुपालनध् पशुचिकित्सा सेवाएं , सचिव सूचना प्रौद्योगिकी, निदेशक केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल, संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास, संचालक, कृषि अभियांत्रिकी , संचालक, अनुसंधान, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर , संचालक, अनुसंधान, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर, मुख्य अभियंता, जल संसाधन, टीम लीडर, राज्य ई-मिशन टीम , राज्य सूचना अधिकारी, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र, निदेशक, भारतीय मौसम विज्ञान केन्द्र, भोपाल, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, मेप आई.टी. भोपाल और अपर संचालक (आई.टी.) संचालनालय किसान कल्याण तथा कृषि विकास शामिल हैं।
उप सचिव मध्यप्रदेश शासन किसान कल्याण तथा कृषि विकास इस समिति के सदस्य सचिव हैं।

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देश में मध्यावधि चुनाव कभी भी- अनंत कुमार महासचिव भाजपा


देश में मध्यावधि चुनाव कभी भी, यूपीए सरकार के कार्यकाल में 5 लाख करोड़ से अधिक का घोटाला- अनंत कुमार महासचिव भाजपा
भोपाल।वर्तमान केन्द्र सरकार की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। केन्द्र सरकार का पतन शीघ्र होगा। इस सरकार की भ्रष्टाचार, मंहगाई व काले धन के कारण छवि धूमिल हो चुकी है। कामनवेल्थ गेम्स, आदर्श सोसायटी घोटाला, टूजी स्पेक्ट्र आदि घोटालों के चलते यूपीए सरकार के कार्यकाल में साढ़े पांच लाख करोड़ रूपये से ज्यादा देश का पैसा भ्रष्टाचार और घोटालों मे फंस गया है। जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोई जवाब दे नहीं पा रहे हैं। यह आरोप भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मध्यप्रदेश प्रभारी अनंत कुमार ने शनिवार 23 अप्रैल 2011 को भाजपा मुख्यालय भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन में लगाये।
उन्होंने कहा कि टूजी स्पेस्ट्र घोटाले से जुड़े मंत्री ए राजा जेल में हैं। कांग्रेस आला कमान में बिखराव है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी चिदंबरम व वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी के बीच का कलह और क्लेश उनके बयानों के कारण तथा नीतिगत मामलों में नेताओं की मत भिन्नता देश के सामने आ चुकी है। उन्होंने कहा कि पी चिदंबरम जो बात कहते है, प्रणव मुखर्जी उससे जुदा बात करते हैं। इस तरह की स्थिति केन्द्रीय मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों के बीच है।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा कि आने वाले दो सालों में कोई कीमत घटने वाली नहीं है। यह सारे तथ्य इस बात की तश्दीक करते हैं कि यूपीए टूट रहा है। भाजपा महासचिव ने कहा कि कांग्रेस और डीएमके का चुनाव के बाद तनाव और बढ़ेगा। डीएमके सरकार से बाहर भी जा सकता है। इसी प्रकार तृणमूल कांग्रेस का कांग्रेस के बीच में पश्चिम बंगाल के चुनाव में सीटों को लेकर जो समायोजन हुआ है। इससे संकेत मिलते हैं कि डीएमके और तृणमूल कांग्रेस का यूपीए सरकार से गठबंधन टूट सकता है।
उन्होंने कहा कि एनसीपी नेता और केन्द्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा कि कांग्रेस भ्रष्टाचार कर रही है। लेकिन षडयंत्रपूर्वक बदनाम उनको किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों विधानसभा चुनाव हो रहे है। वे हैं बंगाल, असम, तमिलनाडू, केरल तथा पुडूचेरी के चुनाव में यूपीए को हार का मुंह देखना पड़ेगा। कम्यूनिस्ट विचारधारा शासित राज्य पश्चिम बंगाल और केरल में इन दलों की सरकार नहीं बनने वाली है।
उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। वहंा भारतीय जनता पार्टी प्रवेश करेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी समर्थित गठबंधन की नौ राज्यों में सरकार है और इसकी संख्या बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि देश में कभी भी मध्यावधि चुनाव की घोषणा हो सकती है। उन्होंने बताया कि पूरे देश में हर जिले में केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने छह अप्रैल से धरना प्रदर्शन चालू कर दिये हैं।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मध्यप्रदेश की केबिनेट में विस्तार करने का अधिकार मुख्यमंत्री मप्र शिवराज सिंह चौहान को है और वे इस मामले में उचित समय पर निर्णय लेंगे।

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मप्र विधानसभा में कांग्रेस भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी

मप्र विधानसभा में कांग्रेस भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी, ब्लेक पेपर भी जारी होंगे- अजय सिंह नेताप्रतिपक्ष
भोपाल।मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी है। भाजपा सरकार की विफलताओं एवं ध्वस्त कानून व्यवस्था और आम आदमी से विधानसभा चुनाव में किये गये वायदों के साथ खिलवाड़ को उजागर करने के लिये राज्य विधानसभा में कांग्रेस पार्टी अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। यह जानकारी मप्र विधानसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने शनिवार 23 अप्रैल 2011 को कांग्रेस मुख्यालय भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन में दी।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस पार्टी भाजपा सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा के संपन्न होने वाले दो सत्रों के बीच में ही लाने का प्रयास करेगी। नेता प्रतिपक्ष ने पत्रकारों को बताया कि सरकार की खामियों और नकारापन पर विचार करने के लिये कांग्रेस के विधायकों की समिति गठित की जाएगी। सरकार की कमजोरियां, भ्रष्टाचार की बहती नदियां, नकारापन, दोहराचरित्र, जनता के साथ किये गये वायदों से मजाक सुशासन भी कुशासन में बदला, बिजली, सड़क, पानी के अधूरे वायदें और स्वर्णिम राज्य बना दिखावा सहित अनेक बिन्दुओं पर केन्द्रित समय-समय पर ब्लेक पेपर कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी किये जायेंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि हालही में 2500 करोड़ की बिजली राज्य सरकार ने बिना टेंडर के खरीदी है। उन्होंने कहा कि आठ साल में राज्य में तीन सीएम भाजपा ने दे दिये हैं। यह मुख्यमंत्री किस दिशा में प्रदेश को ले जाना चाहते हैं समझ के परे है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की राज्य सरकार की कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाई कमान ने जो दायित्व उनको सौंपा है। वे उस पर खरे उतरने का प्रयास करेंगे। और सशक्त विपक्ष की भूमिका विधानसभा में संवैधानिक ढ़ांचे के अंदर बखूबी निभाने की भी कोशिश की जाएगीं उन्होंने कहा कि भोपाल चूंकि मध्यप्रदेश की राजधानी है और यहां के निवासियों को लंबे समय से यह आश्वासन दिया जा रहा है कि भोपाल में नर्मदा जल शीघ्र लाया जाएगा। इसकी अनेक बार घोषणा भाजपा सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा अनेक बार की गई है। लेकिन नतीजा सिफर है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री घोषणा वीर हैं। उनके द्वारा की जा रही घोषणा का राज्य में क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। प्रदेश की भाजपा सरकार स्वच्छ प्रशासन देने में विफल रही है।

सोमवार, 21 मार्च 2011

आलोक तोमर जी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखने में महारथ हासिल की थी


आलोक तोमर जी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखने में महारथ हासिल की थी
वरिष्ठ पत्रकार आलोक तोमर जी ब्रम्हलीन हो गये हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। चम्बल के बीहड़ों से निकलकर देश की राजधानी दिल्ली में पत्रकारिता जगत में जो मुकाम उन्होंने हासिल किया है। वह वास्तव में अद्भुत है। आलोक तोमर जी के दिवंगत होने के पश्च...ात् उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर समकालीन और वरिष्ठ व कनिष्ठ वे पत्रकार जो उनके पत्रकारीय जीवन के सहयात्री रहे लगातार लिख रहे हैं। उनके लिक्खाड़ होने की तसदीक लगभग सभी पत्रकार कर रहे हैं। लेकिल मैं उनके प्रिंट मीडिया में महारथ हासिल करने के बिन्दुओं को इसीलिये नहीं छू सकूंगा। क्योंकि मैंने उनके साथ काम नहीं किया है। अलबत्ता मैं उनके न्यू मीडिया के धमाकों का जिक्र करना इसलिये समीचीन मानता हॅू क्योंकि उन्होंने जो पारंगता प्रिंट मीडिया में प्राप्त की थी। वह अनवरत् न्यू मीडिया में भी जारी रही।
हाल की उनकी दो बड़ी खबरें न्यू मीडिया के माध्यम से ऐसी सामने आयी हैं जिन्होंने राजनेताओं को और व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। एक खबर है उनकी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की। जिसके लिये उन्होंने लगभग अभियान सा चला रखा है। जिसमें उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई है। दूसरी खबर उनकी एनडीए के संयोजक और जनता दल नेता जार्ज फर्नाडिस की सम्पत्ति को लेकर उनकी पत्नी लैला कबीर, बच्चे और अन्य तथा जया जेटली से जुड़ी हुई थी।
श्री तोमर के न्यू मीडिया के पक्ष पर लिखना इसलिये आवश्यक हुआ क्योंकि श्री आलोक तोमर जी और मैं तथा भड़ास4मीडिया के यशवंत सिंह, न्यू मीडिया लेखक वर्तिका नंदा, रेडिफमेल की रेनूका मित्तल, मीडियामंच के लतिकेश शर्मा, आजतक दिल्ली के भूवनेश सेंगर, ईएमएस के सनत जैन और सहारा समय के प्रकाश हिन्दुस्तानी इन्दौर में दो मई 2010 को संपन्न हुये भाषायी पत्रकारिता महोत्सव के अवसर पर ई-मीडिया के बढ़ते कदम सेमीनार में एक साथ मंचाशीन थे। बारी बारी से मंचाशीन पत्रकारों ने अपनी-अपनी बात रखी। उन्होंने ई-मीडिया के बढ़ते कदम पर जो पक्ष रखा था। वह वाकई गजब का था। उन्होंने ऐसा पक्ष रखा जैसे की कोई आईटी विशेषज्ञ सूचनाएं दे रहा हो। वे न केवल सोशल मीडिया से वाकिफ थे। बल्कि वेबस्ट्रीमिंग की जानकारी से लेस थे। साथ ही विभिन्न मीडिया की वेबसाइट फेसबुक और ब्लॉग पर लगातार प्रकट होते थे। अनेक पत्रकारों और उनके शुभचिंतकों के फेसबुक एकाउंट में गतिविधियां और अभिरूचि में उनका नाम डेटलाइन इंडिया के साथ सदैव देखा जा सकता है।
आलोक तोमर जी के बारे में यह कहा जाता था कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखने में उन्होंने महारथ प्राप्त की है। श्री अटल बिहारी वाजपेयी से उन्होंने राजनीतिक पत्रिका माया के 15 मार्च 1995 के लिये विशेष लंबी बातचीत की थी। उस बातचीत को माया पत्रिका ने प्रकाशित किया गया। बातचीत इतनी प्रभावी थी कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर केन्द्रित पुस्तक राजनीति की रपटीली राहें में उस को पुनः प्रकाशित किया गया है।
23 सवालों पर आधारित साक्षात्कार काफी देर तक चला। साक्षात्कार की भूमिका आलोक जी ने इस प्रकार लिखी - ’’नई दिल्ली के रायसीना रोड़ का 6 नं. बंगला। श्री अटल बिहारी वाजपेयी कमरे में अकेले थे और कनपटी से गमछा लगाए बैठे थे। थोड़ी देर पहले ही वे दॉंत निकलवाकर आए थे और बहुत रूक-रूककर बोल रहे थे। लेकिन जब बात शुरू हुई तो वे अपना दर्द भूल गए। जीवन-जगत के उनके सरोकारों से लेकर राजनीति तक पर ’माया’ 15 मार्च, 1995 के लिए आलोक तोमर से उनकी लंबी बातचीत हुई। प्रस्तुत है बातचीत का पहला सवाल- आपको पता है कि लोग आपको बड़ा आदमी मानते हैं? जवाब- ठीक है, मेरा कुछ नाम है, कुछ लोग पसंद भी करते हैं, लेकिन मैं कितना बड़ा आदमी हॅू, हॅू भी या नहीं, इस पर मैं क्या कहॅू।
आखिरी सवाल- फिर से अयोध्या ही केंद्रीय मुद्दा होगा? जवाब- कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए हमारे पास बहुत सारे अस्त्र हैं। बेरोजगारी है, महॅंगाई है, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है, जो सबसे ज्यादा गंभीरहै। संकेत है कि भारतीय जनता पार्टी को एक गंभीर और निष्कलुष विकल्प के तौर पर मतदाता की मान्यता मिल रही है। ठीक है, सारे दल सत्ता की प्रतियोगिता में शामिल हैं। लेकिन उस तरह के हमारे अनुभव अच्छे नहीं हुए, जहॉं सत्ता पहले मिल जाती है और दल बाद में बनते हैं। अभी तो हम अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे और फिर जब सरकार बनाने की बात आएगी तो गुण-दोष के आधार पर पार्टी जो फैसला करेगी वह जब होगा तब देखा जाएगा। मेरी श्री आलोक तोमर जी को श्रद्धांजलि। - सरमन नगेले

शनिवार, 19 मार्च 2011

कौन हैं जो मीडिया पर नियंत्रण चाहते हैं?,प्रजातंत्र में मीडिया की भूमिका और अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर जो बहस


.प्रजातंत्र में मीडिया की भूमिका और अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर जो बहस हो रही है उसके संदर्भ में चुनाव आयोग का ताजा बयान ध्यान आकर्षित करता है, जिसमें कहा गया है कि पांच राज्यों के चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के संबंध में मीडिया रिपोर्ट को शिकायत के रूप में दर्ज कर कार्रवाही की जायेगी। मीडिया की विश्र्वसनीयता और प्रजातंत्र को मजबूत बनाने में सार्थक भूमिका के संदर्भ में चुनाव आयोग का यह प्रेक्षण स्वागतयोग्य तो है ही साथ ही कई मीडिया के संबंध में कई प्रकार के भ्रम को भी दूर करता है। सबसे विचारणीय यह है कि आखिर मीडिया से समाज और सरकार की अपेक्षाएं क्या हैं? कौन हैं जो मीडिया पर नियंत्रण चाहते हैं? क्या मीडिया को एक कठपुतली की तरह व्यवहार करना चाहिये जो सबको पसंद हो? यदि मीडिया के माध्यम से व्यवस्थाओं की खामियां सामने आती हैं तो वह किसके हित में हैं? जब तक कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका मीडिया को सहयोगी और मार्गदर्शक नहीं मानेंगी तो निरंकुशता की स्थिति बढ़ती ही जायेगी। प्रजातंत्र में निरंकुश होने की संभावना हर पल बनी रहती है। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रक्ति्रया में तटस्थता नहीं बरतने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की जायेगी। कार्यपालिका के कर्तव्य निर्वहन और विश्र्वसनीयता पर संदेह स्पष्ट रेखांकित होता है। यदि कार्यपालिका के माध्यम से मीडिया को अपने कर्तव्य निर्वहन में किसी प्रकार का सहयोग मिलता है तो यह कोई ऐसा कृत्य नहीं है जिससे कारण मीडिया के व्यवहार को ही आलोचना का शिकार बना दिया जाये। आखिरकार उददेश्य एक है। आम लोगों के हित में शासन प्रशासन ईमानदारी से काम करे। भ्रष्टाचारी उजागर हों। अच्छे कायरें को जनसमर्थन मिले और लोकतंत्र के फलने फूलने का वातावरण बने। क्या भारत में समाचार माध्यम मसलन: अखबार, टीवी चैनल और इंटरनेट मीडिया लोकतंत्र के सजग प्रहरी की भूमिका निभा रहे हैं। या फिर बाढ़ ही खेत खा रही है। कभी पैसे लेकर खबर दिखाने के आरोप तो कभी बडे़ चिकने चुपड़ों की चर्चा के आक्षेप, क्या मीडिया सच के लिये नेताओं से, न्यायापालिका से एवं व्यवस्था से उनके लिये लड़ रही है। जिन्हें न्याय नहीं मिला? इन सवालों के जवाब खोजने के लिये मीडिया के अतीत पर गौर करना लाजिमी है। संदर्भो के अनुसार इमरजेंसी के समय समाचार पत्रों ने संपादकीय पृष्ठ खाली छोड़कर शालीन तरीके से अपना विरोध दर्ज कराया था। यह सब उस समय के पत्रकारों के बलबूते ही संभव हो सका था। पिछले दो दषकों की बड़ी घटनाएं इस बात की तसदीक करती हैं कि मीडिया कर्तव्यपरायण्ता, ईमानदारी और सजगता से अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहा होता तो बोफोर्स जैसा मामला सामने नहीं आता। चाहे मामला कोबरा पोस्ट द्वारा सांसद घूसखोरी के खुलासे का हो अथवा क्रिकेट सम्राट ललित मोदी अथवा शशि थरूर की कुर्सी जाने का। यह सब न्यू मीडिया ने ही किया है। 2जी स्पेक्ट्रम को जनता के सामने लाने का भी काम पत्रकारों ने ही किया है। इसलिये इन पंक्तियों का उल्लेख करना समीचीन होगा पत्रकारिता के पवित्र पेशे में सफल होने से बेहतर है पेशे में बने रहना। दुनिया के कई देशों को हिला देने वाले विकीलीक्स के संपादक जूलियन असांजे को फ्रांस के प्रमुख समाचार पत्र ने मेन आफ द ईयर 56 प्रतिशत प्राप्त वोट के आधार पर इसलिये घोषित किया। क्योंकि वह पत्रकारिता को ही न्यू मीडिया के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित कर रहा है। अब देश-दुनिया के लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्रों एवं चैनलों के पत्रकार आजकल अपना पक्ष न्यू मीडिया पर बेहिचक रख रहे हैं। बहरहाल, पत्रकार अब पत्रकारिता केवल मीडिया मालिकों के भरोसे नहीं कर रहा है। उनके सामने सोशल मीडिया कंधे से कंधा लगाये खड़ा है। काबिलेगौर बात यह है कि अभी तक भारत में जितने भी खुलासे हुये हैं वह कोई मीडिया मालिक ने नहीं किये हैं। बल्कि कई मर्तबा बड़े बड़े खुलासे करने के लिये पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर तथ्य जुटाता है, महीनों काम करता है तब बड़ा धमाका या खुलासा हो पाता है। लेकिन आज भी कुछ मीडिया मालिक न केवल स्वयं पत्रकारिता कर रहे हैं बल्कि पीत पत्रकारिता को हतोत्साहित कर रहे है, करना भी चाहिए। जहां तक सवाल सरकारों द्वारा पत्रकारों को दी जाने वाली सुविधाओं का है तो वह फकत् श्रमजीवी पत्रकारों के लिये ही है। पत्रकारों को मिलने वाली सुविधाओं पर अब सवाल उठने लगे हैं। जबकि केन्द्रीय वित्तमंत्री ने तो बजट पेश कर प्रेस कांसिल ऑफ इंडिया तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय का बजट ही कम कर दिया है। (लेखक- एमपीपोस्ट डॉट कॉम के संपादक हैं।)

रविवार, 6 मार्च 2011

मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण के अविराम पथिक हैं शिवराज


5 मार्च-जन्म दिवस पर विशेष
मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण के अविराम पथिक हैं शिवराज
मौका होठों को गोल कर सीटी बजाने का है और ऐसा हो भी क्यों नहीं। आखिर तो शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने में कामयाब हुए हैं। यह नया अध्याय है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलावा किसी अन्य राजनैतिक दल के मुख्यमंत्री के रूप में निरन्तर पाँच साल की कालावधि पूरा करना सिर्फ इतना ही नहीं शिवराजसिंह चौहान अपने दल में भी यह गौरव हासिल करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
जहाँ तक बात होठों को गोल कर सीटी बजाने की है तो शिवराजसिंह चौहान का विकास के लिये संकल्प और लगन आम लोगों को विश्वास दिलाता है कि सुनहरा भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है। उनकी मंजिल है स्वर्णिम "मध्यप्रदेश"। ऐसा प्रदेश जो देश का अग्रणी प्रदेश हो। जहाँ हर हाथ को काम, हर खेत में पानी, हर घर में बिजली और हर बच्चे को शिक्षा मिले।
असल में शिवराजसिंह चौहान को जानने वालों और नहीं जानने वालों को यह बिल्कुल स्पष्ट समझ लेना चाहिये कि वे दिन गिनने वाले लोगों में से नहीं, काम करने वालों में है। उन्होंने काम को प्रधानता दी। यह वही कर पाता है जो पद के आने-जाने की चिन्ता से मुक्त हो। जिसका लक्ष्य पद पाना या उस पर बने रहना नहीं होता बल्कि पद के अनुरूप दायित्वों के निर्वहन में प्रयत्नों की पराकाष्ठा करना होता है। शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश में ऐसा ही कर रहे हैं। वे ऐसा महज पिछले पाँच साल में मुख्यमंत्री के रूप में ही कर रहे हो ऐसा भी बिल्कुल नहीं है। अब तक का उनका जीवन-क्रम बताता है कि आपातकाल के दौर में अपनी कच्ची उम्र में ही वे लोकतंत्र की रक्षा के उद्देश्य से कारावास जा चुके हैं। महज 13 वर्ष की उम्र में अपने गृह ग्राम जैत में मजदूरों को पूरी मजदूरी दिलाने के लिये गाँव भर में जुलूस निकाल चुके हैं। इसके बाद विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता युवा मोर्चा में विद्यार्थियों और युवाओं के लिये काम उन्हें अपरिमित राजनैतिक अनुभव देता है। सन् 1990 में अल्प समय के लिये विधायक और फिर विदिशा से लगातार पाँच बार लोकसभा चुनाव जीतकर 14 वर्ष तक की संसद सदस्यता ने उन्हें जो राजनैतिक परिपक्वता दी वह उन्हें कर्मठ जननेता और जनसेवी बना चुकी है।
यह सब दोहराने का आशय यह है कि वे पद की चिन्ता किये बगैर अपने दायित्वों के निर्वहन के लिये समर्पित रहे हैं। विकास कार्यों के लिये प्रतिबद्वता के चलते उन्हें लगातार महत्वपूर्ण दायित्व मिलते रहे। यह भी समझने की बात है कि पद या दायित्व प्रतिभासम्पन्न को ही मिलते हैं। अन्यथा पद अगर जोड़-तोड़ से मिल भी जाये तो उसे धारण करने वाला जल्दी ही बियाबान में खो जाता है। फिर श्री चौहान का दल भारतीय जनता पार्टी है, जिसमें एक पद की कसौटी हजार हैं।
श्री चौहान का यह स्पार्क ही उन्हें बिरला बनाता है। चाहे संगठन का काम हो या मुख्यमंत्री के रूप में प्रशासन का। वे अपने को प्रशासक नहीं जनता का विनम्र सेवक मानते हैं। उनकी अपरिमित ऊर्जा और कुछ करने की तड़प, धारा को विपरीत दिशा में मोड़ने का माद्दा और असंभव को संभव बनाने वाली जिद का सफर उदाहरण है उनका मुख्यमंत्री तक का सफर। पाँव-पाँव वाले भैया के लिये इस सफर में जैसा मैंने पहले लिखा कुछ भी अनूठा नहीं है। वह तो लोकसेवा और राष्ट्र के पुनर्निर्माण का अविराम पथिक है। पथ कितना ही काँटों भरा हो, शिवराजजी के शब्दों में वे जनता के पाँवों में काँटे नहीं आने देंगे। खुद तो उन्हें चुनेंगे ही, लोगों को भी प्रेरित करेंगे, प्रदेश के विकास की बाधाओं रूपी काँटों को हटाने के लिये।
पाँच साल का निरन्तर कार्यकाल पूरा करने वाले भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में ही नहीं बल्कि आज प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेता के रूप में इस जन्म-दिवस पर आज अगर उनसे सीटी बजाने की उम्मीद की जाती हैं तो यह उम्मीद बेमानी भी नहीं है। एक ऐसे देश और प्रदेश में जहाँ एक बार पद पर पहुँचने को ही जीवन भर की उपलब्धि मानकर जश्न मनाये जाते हो, वहाँ श्री चौहान की उपलब्धियाँ उल्लेखनीय ही कही जायेंगी। यह उपलब्धियाँ तब और विशिष्ट हो जाती है जब अपने नेतृत्व में, अपनी नीतियों के आधार पर जीतकर दोबारा सरकार बनायी गयी हो। सरकार बनाना भी उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना इस अरसे में प्रदेश के पुनर्निर्माण के कामों को निरंतरता और सफलता देना है।
शिवराजसिंह चौहान ने जब प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभाला था तो वह एक तरह से काँटों का ताज था। एक तरफ भारी जनाकांक्षाओं का बोझ था, जिसके चलते दस वर्ष पुराने शासन को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था दूसरी तरफ प्रशासनिक अनुभवहीनता का टैग था। तीसरी तरफ अपने ही दल के पूर्व मुख्यमंत्रियों की चुनौती और विधायक दल का सच्चे अर्थों में सर्वमान्य नेता बनकर उभरने की चुनौती थी तो चौथी तरफ पार्टी में बिखराव रोककर प्रदेश के विकास का अपना एजेण्डा लागू करना था। अभिमन्यु के समान विकट स्थिति थी। केवल चक्रव्यूह भेदना ही नहीं विजेता बनकर सुरक्षित भी निकलना था। इस राजनैतिक-प्रशासनिक महाभारत में श्री चौहान सभी तरह के चक्रव्यूहों को भेदकर पाँच साल पूरा कर निरंतर और निरंतर आगे बढ़कर 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुने जा रहे हैं तो इस जन्म दिन पर उनसे सीटी और उनके साथियों से ढ़ोल-ताशे बजाने की उम्मीद बेजा नहीं है। लेकिन वे फिर भी सीटी नहीं बजायेंगे। क्योंकि सीटी उल्लास का और जो सोचा था उसे हासिल करने के भाव का बोध कराती है और श्री चौहान का हासिल स्वर्णिम प्रदेश है, महज बीमारू की श्रेणी से प्रदेश को बाहर लाना नहीं।
प्रदेश के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को पूरे पाँच साल निर्विघ्न चलाने और महज अपने तीन साल के कामकाज के आधार पर दोबारा जनादेश पाने वाले शिवराजसिंह मिथकों को तोड़ने के बाद भी सीटी नहीं बजायेंगे। अब अगर इसकी वजह जानना ही चाहते हैं तो वह यह है कि सत्ता उनका कभी लक्ष्य रहा ही नहीं है। उनका लक्ष्य सत्ता से बड़ा है। सत्ता उनके लिये अपने प्रेरणा-स्त्रोत पं. दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों के अनुरूप अंतिम पंक्ति के अंतिम आदमी के दुख-दर्द दूर करने का एक जरिया भर है। उनका लक्ष्य एक समरस विकसित प्रदेश के निर्माण के साथ राष्ट्र के पुनर्निर्माण का है। राजनीति को छल, फरेब, दुरभि-संधियों और जाति और धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठाकर विकासपरक बनाने का है। तभी तो मध्यप्रदेश में उनके कार्यकाल की योजनाओं और कार्यक्रमों में जाति-धर्म की बंदिशें नहीं हैं। "सर्वे भवन्तु सुखिन:" की भारतीय संस्कृति की भावना के अनुरूप वे राजनैतिक दल बन्दी, मत-मतान्तर, धर्म-जाति, वर्ग और समुदाय से परे सबके मंगल, सबके कल्याण, सबके निरोगी होने के कार्य के कठिन व्रत को पूरा करने में जुटे हैं।
इस सबके बावजूद श्री चौहान को इस जन्म दिन पर तो होंठों को गोल कर सीटी बजाना ही चाहिये। वंचितों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिये समर्पित शिवराजसिंह जी के लिये कोई भी वर्ग भूला-बिसरा नहीं रहा। उन्होंने प्रदेश में राजनीति की धारा इस अरसे में बदल दी। अब प्रदेश में राजनीति तुष्टीकरण की नहीं विकास की ही होगी। जो ऐसा नहीं करेगा वह हाशिये पर खड़ा होगा और सत्तारूपी कारवां जारी रहेगा।
सरकार में जनता के विश्वास की वापसी के प्रयास में आज श्री चौहान ने वनवासी अंचल को नापा है। किसानों के दुख-दर्द को दूर करने के लिये हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, सरकार और समाज को विकास के कामों में साथ ला रहे हैं। यह प्रक्रिया भविष्य में समृद्ध प्रशासनिक परम्परा बनेगी। अपनी कथनी-करनी को एकात्म कर आज प्रदेशवासियों की आशा और विश्वास के प्रतीक बने श्री चौहान को जन्म दिवस की बधाई के साथ। सुरेश गुप्ता

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लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज


5 मार्च-जन्म दिवस पर विशेष
लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज
जननेता का सबसे बड़ा गुण यही है कि वह लोक शक्ति में अटूट विश्वास करता है। लोक शक्ति एक अमूर्त वस्तु है। लोकतंत्र में इसका प्रदर्शनकारी स्वरूप समय-समय पर प्रकट और अभिव्यक्त होता रहता है। कभी शहर बंद हो जाते हैं, कभी यातायात रूक जाता है। इसके विपरीत विशाल देश के किसी भू-भाग पर चंद लोग मिलकर मृत नदी को जीवित कर देते हैं। बंजर भूमि पर हरियाली बिछा देते हैं। रचनात्मक और नकारात्मक दोनों स्वरूप देखने को मिलते हैं। मुख्यमंत्री का पद सम्हालने के बाद श्री शिवराजसिंह चौहान ने जो निर्णय लिये उनमें स्पष्ट रूप से यह रेखांकित होता है कि वे विकास के लिये जनशक्ति का रचनात्मक उपयोग करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में जनता की सोच, समझ, विवेक और सामथ्र्य पर अटूट विश्वास रखने वाले शिवराज सिंह को जन्म दिन की बधाइयाँ।
आज राज्य सरकार और समाज एक दूसरे के करीब आये हैं और विकास पथ पर साथ-चल रहे हैं तो यह श्री शिवराज सिंह चौहान की कार्य शैली और उनके व्यक्ति का करिश्मा है। ऐसा नहीं कि अब तक जो मुख्यमंत्री हुए हैं उन्होंने लोक शक्ति पर भरोसा नहीं किया या उनमें समझ की कमी थी। अंतर यह है कि श्री चौहान ने यह बताया है कि लोक समृद्धि के लिये लोकशक्ति का उपयोग प्रायोगिक और व्यावहारिक तौर पर कैसे किया जा सकता है। विकास योजनाओं को जन आंदोलन कैसे बनाया जा सकता है और सेवाओं तक आम लोगों की आसान पहुंच कैसे बनाई जा सकती है चाहे वह जन-संचालित हो या फिर कानून द्वारा संचालित हो। सरकारी तंत्र, नीति निर्माताओं और रणनीतिकारों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हुए भी उनकी अपनी सीमाएँ हैं। जन सहयोग और सामुदायिक भागीदारी के बिना अच्छी नीतियों का परिणाम भी शून्य होता है।
दर्शन-शास्त्र में गहरी रूचि रखने वाले श्री शिवराज सिंह को मनोविज्ञान की गहरी समझ है। आम लोगों से लगातार संवाद करते हुए वे सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करते रहते हैं। सामुदायिक अभिरूचियों के आधार पर ही कार्ययोजनाएं बनाने के निर्देश देते हैं। श्री चौहान इतने विनम्र हैं कि वे योजनाओं के मूल विचार का श्रेय लोगों को देने से नहीं चूकते। लोक-संवाद को वे विचारों का पालना मानते हैं। कई बार उन्होंने कहा कि विवेक और ज्ञान पर विशेषाधिकार केवल नीति निर्माताओं के पास नहीं होता। रोजाना जीवन से संघर्षशील आम लोग भी विवेक रखते हैं। यही विनम्रता उन्हें लोगों का अपना मुख्यमंत्री बनाती है और लोगों से दूरी मिटाकर उन्हें उनके नजदीक या दिलों तक ले जाती है।
सरल और विनम्र स्वभाव के कारण लोग श्री चौहान से मिलने को आतुर रहते हैं। हर उम्र और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोग उनसे मिलना पसंद करते हैं। बच्चे, वयस्क, विद्यार्थी, व्यापारी, कलाकार, समाजसेवी, बुद्धिजीवी, धर्मशास्त्री सभी उन्हें सम्मान देते हैं। उनके व्यक्ति में दया, करूणा, शालीनता, विनम्रता जैसे मूल्यों की बहुलता है। गुस्सा सिर्फ अन्याय के विरूद्ध आता है। न्याय के लिये संघर्ष करने के लिये वे हमेशा तैयार रहते हैं। कई सार्वजनिक भाषणों में उन्होंने कहा है कि अन्याय के विरूद्ध संघर्ष में देरी अन्याय का साथ देने के समान है। गुस्सा उन्हें तब आता है जब उन्हें पता चलता है कि सरकारी तंत्र की ढिलाई के कारण गरीब परिवार के साथ न्याय नहीं हुआ। समाधान ऑन लाइन और गांव के भ्रमण के दौरान कई ऐसे अवसर आये जब उन्होंने गैर जिम्मेदार अधिकारियों को सीधे निलंबित कर दिया।
राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का सूक्ष्म अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि कल्याणकारी योजनाएं "शिव दृष्टि' से ओत-प्रोत हैं। इन योजनाओं की संरचना में चार बिंदु प्रमुख रूप से रेखांकित होते हैं - गरीबों की समृद्धि के लिये प्रतिबद्धता, युवा शक्ति का विकास, वर्तमान में विश्वास और भविष्य में आस्था। गरीब परिवार की बेटियों के विवाह की संस्थागत व्यवस्था मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का ही परिणाम है। इस योजना का महत्व नव-धनाढय लोग भले ही ना समझ पायें लेकिन गरीब बिटिया के माता-पिता और परिजन अच्छी तरह समझते हैं। बेटियों के जन्म को सुखद अवसर बनाने और इससे आगे बढ़कर उत्सव मनाने तक सामाजिक बदलाव लाने की पहल के पीछे शिवराज जी की अपनी सोच है। समाज ने भी उनकी पहल में भरपूर योगदान दिया है। लाड़ली लक्ष्मी, गांव की बेटी, स्कूल जाने वाली बेटियों को साइकिलें, गणवेश, छात्रवृतियां देने, नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने के प्रयासों की सर्वत्र सराहना हुई है।
मध्यप्रदेश बनाओ अभियान की शुरूआत करने के पीछे भी श्री चौहान की यही सोच थी कि मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण में लोकशक्ति के अवदान के रूप में सभी का योगदान और सहयोग होना चाहिये।
मध्यप्रदेश एक सांस्कृतिक-धार्मिक विविधता से समृद्ध प्रदेश है। यहाँ की युवा शक्ति में आगे बढ़ने की क्षमता और प्रतिभा है। यह कला-पारखियों, उद्भट विद्वानों का प्रदेश है। सीमित संसाधनों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल करने वाले समुदाय हैं। थोड़े से प्रशिक्षण से असाधारण कार्य करने वाला आदिवासी समुदाय है। यदि सब एक साथ आ जायें तो मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया और तेज हो जायेगी। मध्यप्रदेश किसी एक व्यक्ति, समुदाय या दल का नहीं है। प्रदेश के हर नागरिक को ""अपना मध्यप्रदेश'' का बोध जरूरी है। श्री शिवराज सिंह का यही दर्शन और संदेश अब प्रदेश की सीमाएं पार कर अन्य प्रदेशों में गूंज रहा है। प्रदेश में विकास के विभिन्न क्षेत्रों जैसे जल संवर्धन, वनीकरण, स्कूल चलें अभियान, परिवार नियोजन अभियान में सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। जनादेश का आदर करते हुए अब सरकार स्वयं लोगों के पास पहुंच रही है। अंत्योदय मेलों का आयोजन श्री चौहान की लोक सेवा की ललक का ही विस्तारित रूप है। जन सेवक मुख्यमंत्री को जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। अवनीश सोमकुवर

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शुक्रवार, 4 मार्च 2011

मप्र विधानसभा में सदन के सदस्यों के नाम प्रोटोकाल सूची में महापौर से उपर रखे

मप्र विधानसभा में सदन के सदस्यों के नाम प्रोटोकाल सूची में महापौर से उपर रखे जाने का अशासकीय संकल्प वापस
भोपाल।राज्य विधानसभा में शुक्रवार 04 मार्च 2011 को अशासकीय कार्य के दौरान कांग्रेस सदस्य डॉ. निशित पटेल द्वारा लाये गये मप्र विधानसभा सदस्यों के नाम प्रोटोकाल सूची में महापौर से उपर रखे जाने का अशासकीय संकल्प ध्वनि मत से वापस हुआ। अशासकीय संकल्प पर हुई चर्चा का सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री केएल अग्रवाल ने अपने जवाब में सदन को बताया कि वे सदस्यों को आश्वस्त करते हैं कि इस मामले पर पुनः विचार करने के लिये समय दिया जाये। वे इसका गहराई से अध्ययन करायेंगे। इसके बाद इसमें शामिल कई बिन्दुओं पर विचार किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि केन्द्र और अन्य राज्यों में प्रोटोकाल की स्थिति क्या है। उसका परीक्षण कराने के बाद उचित कार्यवाही करेंगे। मंत्री ने इस काम के लिये तीन माह का समय सदस्यों से मांग लेकिन सदस्य इस बात पर अड़े रहे कि नहीं इसी सत्र में संशोधन करने का आश्वासन दें लेकिन मंत्री नहीं माने और उन्होंने इस संबंध में 2002 से 2008 तक संपन्न हुई। संपूर्ण प्रक्रिया का सिलसिलेवार जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि 2008 में सामान्य प्रशासन विभाग ने यह संशोधन किया था। लेकिन यह संशोधन पहली बार 2002 में आया था। उस वक्त 4 दिसम्बर 2002 को तत्कालीन सरकार की संपन्न हुई मंत्रीपरिषद की बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार इस संशोधन में भोपाल, जबलपुर, इन्दौर और ग्वालियर के महापौरों को मंत्री और अन्य शहरों के महापौरों को राज्य मंत्री का दर्जा देने का प्रावधान किया गया था। इस फैसले के अनुपालन में सामान्य प्रशासन विभाग ने 30 दिसम्बर 2002 को आदेश जारी किये थे। उन्होंने बताया कि इसके बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का क्रम प्रोटोकाल में सूची में नीचे जाने के बाद पुनः संशोधन की आवश्यकता पड़ी थी।
राज्यमंत्री श्री अग्रवाल ने सदन का आश्वस्त किया कि मप्र सरकार सदस्यों की भावना से सहमत है। और उनके मान सम्मान को ठेस नहीं लगने देंगे। उनका कहना था कि संशोधन के पूर्व केन्द्र और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा इस विषय में किये गये प्रावधानों का अध्ययन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी पूरी कोशिश करेगी। इस संशोधन के विषय से संबंधित कार्यवाही शीघ्र हो।
विधानसभा में कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह ने इस विषय पर बोलते हुये कहा कि राज्य सरकार को यह व्यवस्था करना चाहिए कि प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस सेवा के अधिकारियों को जब कोई निर्वाचित विधायक उनसे भेंट करने के लिये जाये ंतो वे खड़े होकर सीट आॅफर करें। उन्होंने कहा कि विधायीका का सम्मान होना चाहिए। इस सम्मान को बरकरार रखने के लिये राज्य सरकार को कदम उठाना चाहिए। श्री चौधरी ने इस अशासकीय संकल्प के पक्ष में अपना बात रखी। और तर्क भी दिया।
भाजपा विधायक विश्वास सारंग ने कहा कि देश में लोकसभा सदस्य का प्रोटोकाल में 21वें नम्बर पर स्थान हैं लेकिन मध्यप्रदेश में 29वें नम्बर पर है। जो गलत है। उन्होंने डॉ. निशित पटेल द्वारा उठाये गये अशासकीय संकल्प का समर्थन किया और अपने तर्क रखे।
चर्चा में राज्य के नगरीय विकास एवं प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर, विधानसभा में कार्यवाहक नेताप्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह, सदस्य श्री बालाबच्चन, गिरिराज किशोर, पारस दादा सखलेचा, नर्मदा प्रसाद प्रजापति, शैलेन्द्र कुमार जैन, रामलखन सिंह, श्रीकांत दुबे, प्रेमनारायण ठाकुर, डॉ. गोविन्द सिंह, विश्वास सारंग, हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू और गिरजा शंकर शर्मा ने भाग लिया। सदन में इस अशासकीय संकल्प को वापस लिये जाने की सहमति प्रदान की।
इसके बाद मप्र विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ने आसंदी से सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिये स्थगित की।

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लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज

लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज
जननेता का सबसे बड़ा गुण यही है कि वह लोक शक्ति में अटूट विश्वास करता है। लोक शक्ति एक अमूर्त वस्तु है। लोकतंत्र में इसका प्रदर्शनकारी स्वरूप समय-समय पर प्रकट और अभिव्यक्त होता रहता है। कभी शहर बंद हो जाते हैं, कभी यातायात रूक जाता है। इसके विपरीत विशाल देश के किसी भू-भाग पर चंद लोग मिलकर मृत नदी को जीवित कर देते हैं। बंजर भूमि पर हरियाली बिछा देते हैं। रचनात्मक और नकारात्मक दोनों स्वरूप देखने को मिलते हैं। मुख्यमंत्री का पद सम्हालने के बाद श्री शिवराजसिंह चौहान ने जो निर्णय लिये उनमें स्पष्ट रूप से यह रेखांकित होता है कि वे विकास के लिये जनशक्ति का रचनात्मक उपयोग करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में जनता की सोच, समझ, विवेक और सामथ्र्य पर अटूट विश्वास रखने वाले शिवराज सिंह को जन्म दिन की बधाइयाँ।
आज राज्य सरकार और समाज एक दूसरे के करीब आये हैं और विकास पथ पर साथ-चल रहे हैं तो यह श्री शिवराज सिंह चौहान की कार्य शैली और उनके व्यक्ति का करिश्मा है। ऐसा नहीं कि अब तक जो मुख्यमंत्री हुए हैं उन्होंने लोक शक्ति पर भरोसा नहीं किया या उनमें समझ की कमी थी। अंतर यह है कि श्री चौहान ने यह बताया है कि लोक समृद्धि के लिये लोकशक्ति का उपयोग प्रायोगिक और व्यावहारिक तौर पर कैसे किया जा सकता है। विकास योजनाओं को जन आंदोलन कैसे बनाया जा सकता है और सेवाओं तक आम लोगों की आसान पहुंच कैसे बनाई जा सकती है चाहे वह जन-संचालित हो या फिर कानून द्वारा संचालित हो। सरकारी तंत्र, नीति निर्माताओं और रणनीतिकारों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हुए भी उनकी अपनी सीमाएँ हैं। जन सहयोग और सामुदायिक भागीदारी के बिना अच्छी नीतियों का परिणाम भी शून्य होता है।
दर्शन-शास्त्र में गहरी रूचि रखने वाले श्री शिवराज सिंह को मनोविज्ञान की गहरी समझ है। आम लोगों से लगातार संवाद करते हुए वे सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करते रहते हैं। सामुदायिक अभिरूचियों के आधार पर ही कार्ययोजनाएं बनाने के निर्देश देते हैं। श्री चौहान इतने विनम्र हैं कि वे योजनाओं के मूल विचार का श्रेय लोगों को देने से नहीं चूकते। लोक-संवाद को वे विचारों का पालना मानते हैं। कई बार उन्होंने कहा कि विवेक और ज्ञान पर विशेषाधिकार केवल नीति निर्माताओं के पास नहीं होता। रोजाना जीवन से संघर्षशील आम लोग भी विवेक रखते हैं। यही विनम्रता उन्हें लोगों का अपना मुख्यमंत्री बनाती है और लोगों से दूरी मिटाकर उन्हें उनके नजदीक या दिलों तक ले जाती है।
सरल और विनम्र स्वभाव के कारण लोग श्री चौहान से मिलने को आतुर रहते हैं। हर उम्र और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोग उनसे मिलना पसंद करते हैं। बच्चे, वयस्क, विद्यार्थी, व्यापारी, कलाकार, समाजसेवी, बुद्धिजीवी, धर्मशास्त्री सभी उन्हें सम्मान देते हैं। उनके व्यक्ति में दया, करूणा, शालीनता, विनम्रता जैसे मूल्यों की बहुलता है। गुस्सा सिर्फ अन्याय के विरूद्ध आता है। न्याय के लिये संघर्ष करने के लिये वे हमेशा तैयार रहते हैं। कई सार्वजनिक भाषणों में उन्होंने कहा है कि अन्याय के विरूद्ध संघर्ष में देरी अन्याय का साथ देने के समान है। गुस्सा उन्हें तब आता है जब उन्हें पता चलता है कि सरकारी तंत्र की ढिलाई के कारण गरीब परिवार के साथ न्याय नहीं हुआ। समाधान ऑन लाइन और गांव के भ्रमण के दौरान कई ऐसे अवसर आये जब उन्होंने गैर जिम्मेदार अधिकारियों को सीधे निलंबित कर दिया।
राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का सूक्ष्म अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि कल्याणकारी योजनाएं "शिव दृष्टि' से ओत-प्रोत हैं। इन योजनाओं की संरचना में चार बिंदु प्रमुख रूप से रेखांकित होते हैं - गरीबों की समृद्धि के लिये प्रतिबद्धता, युवा शक्ति का विकास, वर्तमान में विश्वास और भविष्य में आस्था। गरीब परिवार की बेटियों के विवाह की संस्थागत व्यवस्था मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का ही परिणाम है। इस योजना का महत्व नव-धनाढय लोग भले ही ना समझ पायें लेकिन गरीब बिटिया के माता-पिता और परिजन अच्छी तरह समझते हैं। बेटियों के जन्म को सुखद अवसर बनाने और इससे आगे बढ़कर उत्सव मनाने तक सामाजिक बदलाव लाने की पहल के पीछे शिवराज जी की अपनी सोच है। समाज ने भी उनकी पहल में भरपूर योगदान दिया है। लाड़ली लक्ष्मी, गांव की बेटी, स्कूल जाने वाली बेटियों को साइकिलें, गणवेश, छात्रवृतियां देने, नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने के प्रयासों की सर्वत्र सराहना हुई है।
मध्यप्रदेश बनाओ अभियान की शुरूआत करने के पीछे भी श्री चौहान की यही सोच थी कि मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण में लोकशक्ति के अवदान के रूप में सभी का योगदान और सहयोग होना चाहिये।
मध्यप्रदेश एक सांस्कृतिक-धार्मिक विविधता से समृद्ध प्रदेश है। यहाँ की युवा शक्ति में आगे बढ़ने की क्षमता और प्रतिभा है। यह कला-पारखियों, उद्भट विद्वानों का प्रदेश है। सीमित संसाधनों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल करने वाले समुदाय हैं। थोड़े से प्रशिक्षण से असाधारण कार्य करने वाला आदिवासी समुदाय है। यदि सब एक साथ आ जायें तो मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया और तेज हो जायेगी। मध्यप्रदेश किसी एक व्यक्ति, समुदाय या दल का नहीं है। प्रदेश के हर नागरिक को ""अपना मध्यप्रदेश'' का बोध जरूरी है। श्री शिवराज सिंह का यही दर्शन और संदेश अब प्रदेश की सीमाएं पार कर अन्य प्रदेशों में गूंज रहा है। प्रदेश में विकास के विभिन्न क्षेत्रों जैसे जल संवर्धन, वनीकरण, स्कूल चलें अभियान, परिवार नियोजन अभियान में सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। जनादेश का आदर करते हुए अब सरकार स्वयं लोगों के पास पहुंच रही है। अंत्योदय मेलों का आयोजन श्री चौहान की लोक सेवा की ललक का ही विस्तारित रूप है। जन सेवक मुख्यमंत्री को जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।

मंगलवार, 11 जनवरी 2011

विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी के अवसर पर विशेष


विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी के अवसर पर विशेष

हिन्दी पर गर्व करो, और हिन्दी को अभियान दो
इंटरनेट के जरिए विश्व पटल पर राज करती हिन्दी
सरमन नगेले
वह दिन दूर नहीं जब जनमानस वेबसाइट और ई-मेल के पते हिन्दी में उपयोग करने लगेगा। यह सब होगा हिन्दी आधारित ई और एम तंत्र के जरिए। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं। ये वे परिवर्तन है जिनके चलते भारत का गण दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। यानि गण को मजबूत करता हिन्दी आधारित एम व ई-तंत्र।
सामाजिक, आर्थिक विकास की क्रांति में हिन्दी आधारित मोबाईल फोन का भी सकारात्मक योगदान है। ई व एम तंत्र न केवल लोगों को नजदीक ले आया है। बल्कि सूचना संपन्न कराने में अहम भूमिका निभा रहा है। इस प्रक्रिया ने सूचना तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण किया है। शहरी संपन्न और ग्रामीण वंचित वर्ग के बीच व्याप्त तकनीकी खाई को पाटने के क्षेत्र में यह व्यवस्था सबसे शक्तिशाली तकनीक के रूप में उभरी है।
डब्ल्यू3सी यानि वल्र्ड वाइड वेब की संपन्न हुई इंटरनेशनल कांफ्रेंस में इस बात पर गंभीरता से चर्चा हुई है कि समस्त मोबाईल फोन सभी तरह के फोंट को सपोर्ट करें और यूनिकोड का इस्तेमाल करें। डब्ल्यू3सी और टीडीआईएल ने इस दिशा में काम प्रारंभ कर दिया है। शीघ्र ही अब वेबसाईट और ईमेल के पते हिन्दी में टाईप करने को मिलेंगे।
हिन्दी में ई-प्रशासन के विभिन्न आयाम है। जिसके चलते सुशासन के लिए ई-प्रशासन एक अनिवार्य संस्थागत व्यवस्था बन गई है। भविष्य का समाज सूचना प्रौद्योगिकी से संचालित होगा। इस आदर्श परिस्थिति का पूरा लाभ समाज के सभी सदस्यों को मिले। इसके लिए आवश्यक कदम उठाना और तैयारी करना जरूरी है। ई-प्रशासन के विभिन्न पहलूओं का ज्ञान सबको समान रूप से देने के लिए सरकार के प्रयासों में समाज के सभी सक्षम सदस्यों की भागीदारी जरूरी है। लिहाजा हिन्दी भाषा में ई-प्रशासन की संस्कृति विकसित होना चाहिए। इससे जहॉ भाषायी एकीकरण होगा वहीं ऐसे प्रयासों से सूचना प्रौद्योगिकी के ज्ञान का प्रसार होगा और लोगों तक ई-प्रशासन आधारित विभिन्न नागरिक सेवाओं की जानकारी भी आसानी से पहुंचेगी। वैसे गर्व की बात यह है कि लगभग 80 सालों के पश्चात् स्वतंत्र भारत का पहला भाषायी सर्वेक्षण 21 मई 2007 से शुरू हो चुका है। यह जन को जोड़ने वाली भाषा हिन्दी का ही कमाल है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तो इसके लिए स्टॉफ ही अलग से रख लिया है।
कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की निर्भरता व आवश्यकता अब पूरी तरह हिन्दी के कारण खत्म हो चुकी है। भारत में 22 भाषाएं 1650 बोलियॉं प्रचलन में हैं, पूरे विश्व में चीनी भाषा के बाद हिन्दी सबसे अधिक बोली जाती है। जहां तक सरकारों का सवाल है तो केन्द्र और राज्य सरकारों की वेबसाईट, पासपोर्ट से लगाकर, रेल और अन्य सभी महत्वपूर्ण कार्यो से संबंधित वेबसाईट हिन्दी में भी उपलब्ध है।
बहरहाल वे दिन अब लद चुके हैं जब हम हिसी सायबर कैफे में बैठे-बैठे मातृभाषा हिन्दी की कोई वेबसाईट ढंूढ़ते रह जाते थे। अब इंटरनेट पर हिन्दी की दुनिया दिन प्रतिदिन समृद्ध होती जा रही है। अब हिन्दी प्रेमी घर में बैठे-बैठे हिन्दी में ईमेल, चैटिंग, हिन्दी के समाचार पत्र बॉच सकता है। रचनाओं का आनंद नियमित और पेशेवर स्तम्भ लेखक की तरह इंटरनेट पर मुफ्त जगह (स्पेस) और मुफ्त के औजारों का फायदा उठाकर हिन्दी में स्वयं को अभिव्यक्त कर सकता है, रोजगार, शिक्षा, कैरियर, चिकित्सा, व्यवसायिक, उद्योग, सेंसेक्स, योग, इतिहास आदि किसी भी विषय की जानकारी पलक झपकते ही ले और दे सकता है। समान रूचि वाले सैंकड़ों मित्रों के साथ किसी प्रासंगिक मुद्दे पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट के माध्यम से एक दूसरे को लाईव देख, सुन सकता है, विचार विमर्श कर सकता है।
हिन्दी सहित स्थानीय भाषाओं में काम करने के लिए सॉफ्टवेयर का अभाव अब खत्म हो चुका है। आजकल किसी भी साक्षर को कम्प्यूटर में हिन्दी में अपना काम निपटाते देखा जा सकता है। हिन्दी कम्प्यूटिंग अब किसी अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा की दासी नहीं रही। केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार की इकाई सीडैक एवं टीडीआईएल द्वारा एक अरब से भी अधिक बहुभाषी भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोने और परस्पर समीप लाने में अहम् भूमिका निभायी जा रही है। भाषा विशेष का कोई भी एक यूनिकोड फोंट अपने पीसी में संधारित कीजिए और सर्फिंग पर सर्फिंग करते चले जाइये।
हिन्दी आधारित वेब तकनीक को देश के बड़े अखबारों ने जल्दी ही अपना लिया। अखबारों को पढ़ने के लिए यद्यपि हिन्दी के पाठक को अलग-अलग फोंट की आवश्यकता होती है परन्तु संबंधित अखबार कि साइट से उक्त फोंट विशेष को चंद मिनटों में ही मुफ्त डाउनलोड और इंस्टाल करने की भी सुविधा रहती है।
कुल मिलाकर सूचना एवं संचार तकनीकी के कारण हिन्दी पर गर्व करो, और हिन्दी को अभियान दो की जरूरत है।
लेखक - न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट कॉम के संपादक हैं।

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
http://www.mppost.org/
http://www.mppost.com
पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
पत्राचार का पता
एफ-45/2,
साऊथ टी.टी. नगर, भोपाल म.प्र.
462 003. दूरभाष - (91)-755-2779562 (निवास)
098260-17170 (मोबाईल)