सोमवार, 30 अगस्त 2010

भारत में आमजन की सूचना के प्रति जागरूकता बढ़ी, अमेरिका में पाठकों के सामने न्यू मीडिया का विकल्प- न्यूयार्क टाइम्स के पत्रकार श्री बजाज

पत्रकारिता के लिये आज अनेक माध्यम मौजूद हैं सभी माध्यमों का आखिर उद्देश्य सत्य को पाठकों के सामने लाना होता है। पत्रकारिता किसी भी माध्यम से हो पत्रकारिता ही होती है। यह बात द न्यूयार्क टाइम्स के साउथ एशिया संवाददाता विकास बजाज ने शुक्रवार 27 अगस्त 2010 को स्वराज भवन, भोपाल मेंकही। श्री बजाज अमेरिकन सेंटर मुंबई एवं न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट भोपाल के सहयोग से पत्रकारिता के बदले परिदृश्य विषय पर आयोजित व्याख्यान सहपरिचर्चा में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
श्री बजाज ने मीडिया के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अभी भारत में अखबारों की प्रसार संख्या और बढ़ेगी। क्योंकि भारत में साक्षरता का प्रतिशत तेजी के साथ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों में सूचना के प्रति जागरूकता बढ़ी है और यही कारण है कि आने वाले दिनों में अखबारों का प्रसार बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि अमेरिका में पाठकों के सामने अनेक विकल्प है और वे अनेक विकल्पों का लाभ इसलिए उठा पाते क्योंकि वहां पर साक्षरता दर अधिक है। साथ ही जनसंख्या दर की बढ़ोत्तरी का प्रतिशत बहुत कम है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के पाठकों के सामने न्यू मीडिया का विकल्प तेजी के साथ सामने प्रकट हुआ है। इसलिए समाचारों पत्रों की प्रसार संख्या में गिरावट आ रही है। उन्होंने कहा कि समाचार के सूत्र का हर संभव पत्रकारों को संरक्षण करना चाहिए। कार्यक्रम के आरंभ में एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने आंकड़े के साथ तथ्यों को रखा। श्री नगेले ने इस बात की चिंता जाहिर की कि विदेशी अखबारों में भारत के विभिन्न राज्यों के किसी एक छोटे हिस्से के समाचार को सरकार की असफलता के साथ जोड़कर प्रकाशित किया जात है जबकि विकास के कार्य व्यापक पैमाने पर होते हैं उनकी अनदेखी होती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और अन्य राज्यों की सरकारें ऐसे अनेक काम सतत् रूप से करती हैं जो सरकारी तंत्र की सफलता दिखाते हैं। लेकिन वे काम विदेशी समाचार पत्रों के समाचारों का हिस्सा नहीं बन पाते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया और मोबाईल जर्नलिज्म के बारे में भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 2012 तक जब भारत की समस्त ग्राम पंचायतों में इंटरनेट सुविधा होगी तब पत्रकारिता का परिदृश्य क्या होगा? यह देखना होगा। द वीक पत्रिका के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ दीपक तिवारी ने ब्रिटेन मीडिया के बारे में अपना पक्ष रखा। श्री तिवारी ने पत्रकारिता के सिलसिले में हाल ही में ब्रिटेन यात्रा में जो समझा वहां की मीडिया के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में अखबार 60 से 70 पेज के होते हैं। इन अखबारों की कीमत भारतीय मूल्य में लगभग 70 से 80 रूपये की होती है। विज्ञापन भारतीय अखबारों की तुलना में कम होते हैं। इसका कारण उन्होंने बताया कि अभी मंदी के दौर की वजह से ऐसा हो रहा है। श्री तिवारी ने कहा कि विदेशी मीडिया में मानवीय मूल्यों की खबरों को भारतीय मीडिया से अधिक स्थान दिया जाता है। श्री तिवारी ने कहा कि जो पत्रकारिता में परिवर्तन आ रहे हैं उसकी चिंता भारतीय मीडिया को करना चाहिए। नवदुनिया के संयुक्त स्थानीय संपादक राजेश सिरोठिया ने इस बात की चिंता जताई कि बदलते समय में मीडिया का बदलना भी स्वाभाविक है। किन्तु खबरों को ढ़ूढ़ने के बजाये खबरें पैदा करने की प्रवृत्ति घातक है। उन्होंने खबरों की तह तक जाने की बात भी कही। हिन्दुस्तान टाइम्स के विशेष संवाददाता रंजन श्रीवास्तव ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बदलाव के इस दौर में अखबार बहुसंस्करणीय हो गए है। और हर शहर की खबर पढ़ने के लिए एक अखबार की जरूरत होती है। इसलिए यह बदलाव पाठकों के लिये बहुत फायदे का नहीं है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के राजनेता और प्रशासक अन्य राज्यों की तुलना में अधिक मिलनसार हैं। जो पत्रकारिता के लिहाज से अच्छा है। टेलीविजन पत्रकारिता पर स्टार टीवी के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ ब्रजेश राजपूत ने अपनी बात रखते हुए कहा कि स्टिंग आपरेशन को लेकर बहुत सारी बाते हुयी और निष्कर्ष यह निकला कि यह समाज के लिये घातक है। आज बदलते दौर में स्टिंग आपरेशन होना लगभग खत्म हो गये है। और जहां हो रहा है वह एक दूसरे से बदला लेने के लिये हो रहा है। श्री राजपूत ने टेलीविजन के प्रभाव को सार्थक बताया और कहा कि बदलते समय में अब इसकी स्वीकार्यता को मानना ही होगा। आईबीएन 7 के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ मनोज शर्मा ने परिचर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर कवरेज के समय दर्शकोंका हित सर्वोपरि होना चाहिए। जनसंपर्क विभाग, मध्य प्रदेश शासन के उप सचिव और अपर संचालक लाजपत आहूजा ने बदलते समय में न्यू मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उन्होंने एक रोचक उदाहरण देते हुए कहा कि विकीपिडीया में एक स्थान पर भोपाल का सबसे बड़े अखबार के रूप में अकबर टाइम्स लिखा हुआ था। जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त संचालक समाचार सुरेश तिवारी ने विकास बजाज के व्याख्यान में हस्तक्षेप करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट निरंतर अपडेट होने वाली पीआईबी या अन्य वेबसाइट की तुलना में बेहतर है। उन्होंने न्यूयार्क टाइम्स के संवाददाता श्री बजाज से अपेक्षा की है कि वे एमपीइनफो डॉट ओआरजी वेबसाइट विजिट करें। उन्होंने श्री विकास बजाज के प्रश्न के उत्तर में बताया मध्य प्रदेश के जनसंपर्क अधिकारी हर समय फोन पर उपलब्ध रहते हैं। कार्यक्रम का संचालन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभागाध्यक्ष पुष्पेन्द्रपाल सिंह ने किया। व्याख्यान सहपरिचर्चा में अमेरिकन सेंटर मुंबई की सहायक मीडिया सलाहकार सुश्री सुमेधा रायकर महत्रे, संचालक संस्कृति मध्यप्रदेश शासन श्रीराम तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, रामभुवन सिंह कुशवाह, दिनेश जोशी, दैनिक भास्कर के विशेष संवाददाता विजय मनोहर तिवारी, दैनिक नई दुनिया के अपूर्व तिवारी, बिजनेस स्टेंडर्ड के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ शशिकांत त्रिवेदी, मुंबई के मीडिया कंसलटेंट केशव राय, पायनियर के विवेक त्रिवेदी, भास्कर जबलपुर के संजय शर्मा, स्वतंत्र मत के प्रेम पगारे, आईएनएस के संदीप पौराणिक, महामेधा के डॉ. आनंद प्रकाश शुक्ल, श्रीमती विद्युलता, यूएनआई के बीडी घोष और पत्रकार मनोज कुमार, अनिल सौमित्र, अलोक सिंघई, अरशद अली, विनोद श्रीवास्तव, कृष्ण मोहन झा, अनिल तिवारी ने भागीदारी की। इस अवसर पर भोपाल के अनेक पत्रकार और मीडियाकर्मी उपस्थित थे।

सोमवार, 9 अगस्त 2010

भारत में मोबाईल गवर्नेंस का बढ़ता दायरा

भारत में मोबाईल क्रांति ने ऐसा चमत्कार किया है कि 67 करोड़ से अधिक लोग मोबाईलधारी हो गये। वैसे दुनिया में मोबाईल धारकों की संख्या अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार यूनियम के मुताबिक इस वर्ष पांच अरब तक पहुंच गई है। भारत में 31 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास शौचलय हैं जबकि 57 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास मोबाईल । लिहाजा मोबाईल गवर्नेंस का दायरा बढ़ता जा रहा है।
दुनिया आपकी मुठ्ठी में मोबाईल की दुनिया के इस स्लोगन में वह तासीर है कि हर वर्ग इससे जुड़ता ही जा रहा है। या यूं कहें कि इसकी गिरत में आता जा रहा है। मोबाईल को लोग जहां अपना स्टेटस सिंबल मानने लगे हैं वहीं अब आम आदमी की जिंदगी का एक अनिवार्य अंग जैसा बन गया है।
सामाजिक, आर्थिक विकास की क्रांति में मोबाईल फोन का सकारात्मक योगदान है। मोबाईल लोगों को न केवल नजदीक ले आया है। बल्कि सूचना संपन्न कराने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। मोबाईल ने सूचना तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण किया है और आर्थिक मौके भी तैयार किये।
मोबाईल टेक्नॉलॉजी शहरी संपन्न और ग्रामीण वंचित वर्ग के बीच व्याप्त तकनीकी खाई को पाटने के क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली तकनीक के रूप में उभरा है।
मोबाईल गवर्नेंस के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण हमारे सामने हैं। मसलन - मोबाईल गवर्नेंस का पहला और सबसे बड़ा नमूना है नंबर 139 के जरिए एसएमएस आधारित रेलवे की वह पूछताछ सेवा है जिसका प्रतिदिन 5 लाख लोग उपयोग करते हैं। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में मोबाईल गवर्नेंस का सर्वाधिक उपयोग किया। और शीघ्र ही भारत का चुनाव आयोग मतदाता कार्ड मोबाईल टेक्नॉलॉजी के जरिए बनाएगा। मोबाईल बैंकिग। एसएमएस द्वारा परीक्षा परिणामों की जानकारी लेना-देना, शासन तथा निजी स्तर पर एसएमएस के जरिए आम जन की समस्याओं को एकत्रित कर उसका समाधान करना ऐसे ही उदाहरण हैं। इतना ही नहीं मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में जो कार्य संचालित हो रहे हैं। उनकी संपूर्ण अद्यतन जानकारी एसएमएस के द्वारा लेना। एसएमएस के माध्यम से प्रतियोगिताएं और वोट कराना। मोबाईल के जरिए इंटरनेट से जुड़े रहना, एसएमएस के माध्यम से लोग निःशुल्क तथा नाममात्र के शुल्क पर अपना संदेश पहुंचाने की सुविधा आखिर मोबाईल ने ही तो मुहैया कराई है।
आमजन के लिए मोबाईल पर केन्द्रित साउथ एशिया की पहली क्रांफ्रेंस और प्रदर्शनी का आयोजन 23 जुलाई 2010 को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार तथा डिजिटल इम्पावरमेंट फाउंडेशन द्वारा किया गया। साउथ एशिया का पहला एम बिलियंथ अवार्ड भी इसी वर्ष से स्थापित हुआ है। इसकी महत्ता को देखते हुए वर्ल्ड समिट अवार्ड मोबाईल 2010 का आयोजन दिसम्बर 2010 में अबू-धाबी में होने जा रहा है।
एम पेपर यानि मोबाईल पर अखबार का प्रसारण होने जा रहा है। शीघ्र ही आपका मोबाईल ही बैंक एकाउंट होगा। सीबीआई एसएमएस सुविधा का सर्वाधिक लाभ निरंतर उठा रही है। किसानों से जुड़ी समस्याएं हरियाणा सरकार एसएमएस पर ले रही है। एसएमएस के द्वारा पुलिस को घटना एवं अन्य सूचनाएं तुरंत देना। डर और जान पर खतरे के वक्त गुड़गांव पुलिस द्वारा एसएमएस सहायता।
मुंबई नगर निगम द्वारा एसएमएस के जरिए भुगतान सेवा भी शुरू कर दी है। रेलवे भर्ती बोर्ड चैन्नई द्वारा एसएमएस पर नौकरी संबंधी जानकारी दी जा रही है।
उधर, चुनाव आयोग गुजरात ने स्थानीय निकायों के चुनाव में एसएमएस के द्वारा मतदान कराने पर अपनी मोहर लगा दी है। मोबाईल क्रांति का असर यह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां, मीडिया घराने और राजनैतिक दल मोबाईल प्रचार अभियान का सहारा ले रहे हैं।
शीघ्र ही 3जी सुविधा।
मोबाईल क्रांति की लोकप्रियता की वजह से ही एक मोबाईल कंपनी ने यूपीए और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली के पांच गांवों में मोबाईल फोन मुत में बांटे।
मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में बंदूक एक समय वहां की आन, बान और शान मानी जाती थी। तत्कालीन कलेक्टर ने नसबंदी कराने वालों को बंदूक का लाइसेंस दिये जाने का अभियान चलाया था। लेकिन अब जिला प्रशासन भिण्ड ने परिवार कल्याण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोटवारों को प्रेरक बनाया है। ऐसे कोटवार जो कम से कम दस दंपत्तियों को नसबंदी कराने के लिए प्रेरित करेंगे उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप मोबाईल फोन दिये जायेंगे।
इसके कुछ दोष भी हैं- अंग्रेजी और हिन्दी का मोबाईल आधारित एसएमएस सेवा बेड़ागर्ग कर रही है। धन्यवाद को लोग अंग्रेजी में अंग्रेजी के एक ही शब्द को किस प्रकार लिखते है एक दिलचस्प उदाहरण Tks, Thanx, Thanks, Thax, Thx, Tq, । ’’जय हो मोबाईल क्रांति की’’ !(लेखक- न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी के संपादक हैं।)

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
http://www.mppost.org/
http://www.mppost.com
पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
पत्राचार का पता
एफ-45/2,
साऊथ टी.टी. नगर, भोपाल म.प्र.
462 003. दूरभाष - (91)-755-2779562 (निवास)
098260-17170 (मोबाईल)