ई-सरकार, अंतर्राष्ट्रीयकरण, वेब डिजाइन आदि के लिए डब्ल्यू3सी कार्यरत् है। डब्ल्यू3सी के भारतीय कार्यालय हालही प्रारंभ हुआ है। जहां तक हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार का सवाल है तो यूनिकोड की सुविधा ही क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
सर्व सुलभता, सुरक्षा, निजता, सबके लिए वेब, सब चीजों पर वेब और सभी भाषाओं को समर्थित व खासकर भारतीय भाषाओं के माध्यम से भारत की सक्षमता आदि के लिए वेब।
दरअसल, वर्ल्ड वाइड वेब सबको सचमुच विश्व व्यापी बना रहा है। और इसमें व्यापक पैमाने पर कारगर ढ़ंग से यदि कोई महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। तो वह है इसकी पहली कड़ी डब्ल्यू3सी। दूसरी कड़ी यूनीकोड है जो वेब के लिए सर्वाधिक उपयोग और अत्यंत आवश्यक भी है। कुल मिलाकर वेब की संपूर्ण क्षमता के उपयोग की दिशा में डब्ल्यू3सी अग्रणी है।
फिलवक्त, भारत सरकार के विभिन्न विभागों, उपक्रमों तथा राज्य सरकारों और उनके उपक्रमों की सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6800 वेबसाईटस एवं पोर्टल हैं। निजी कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये गए डोमेन नेम यानि यूआरएल से संबंधित वेबसाईट एवं पोर्टल का आंकलन करना मुश्किल है।
वर्ल्ड वाइड वेब टेक्नॉलाजी की सर्व सुलभता पर डब्ल्यू3सी विश्व व्यापी वेब कंसोर्टियम की 6 और 7 मई 2010 को नई दिल्ली में दूसरी कांफ्रेंस हुई। डब्ल्यू3सी ने भारत की भागीदारी बढ़ाने तथा प्रोत्साहन देने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। इसका भावी लक्ष्य 22 भारतीय भाषाओं के साथ सभी डब्ल्यू3सी मानकों को समर्थ बनाना रहा है, ताकि प्रत्येक नागरिक के लिए निर्बाध रूप से वेब हासिल हो सके। कांफ्रेंस में वेब वास्तुकला, वेब सुगमता सरीखे मोबाइल वेब, मानव मशीन, सीमेंटिक वेब इत्यादि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस कांफ्रेंस तथा पहले भी 10 और 11 नवंबर 2005 को हुई पहली कांफ्रेंस में मैंने म.प्र. के प्रतिनिधि के रूप में भागीदारी की। इस कांफ्रेंस में डब्ल्यू3सी के सीईओ डॉ जेफ्रे जाफे तथा अन्य अधिकारी, भारत सरकार के आईटी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, गूगल, माइक्रोसाफ्ट, आईबीएम, टीसीएस, इंटेल, इंफोसिस, ओपेरा, एनआईआईटी, देश के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी के प्रोफेसर, सीडेक और टीडीआईएल के अधिकारियों ने भागीदारी की।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार समेत पूरे विश्व में 350 से ज्यादा संगठन कंसोर्टियम के सदस्य हैं। डब्ल्यू3सी का संचालन संयुक्त राज्य अमेरिका में एमआईटी कम्प्यूटर साइंस एवं कृत्रिम बुद्धि प्रयोगशाला, फ्रांस में मुख्यालय के रूप में यूरोपियन रिसर्च कंसोर्टियम फॉर इन्फॉर्मेटिक्स तथा जापान में किओ विश्वविद्यालय और समुचे विश्व में अतिरिक्त कार्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम डब्ल्यू3सी एक अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्था है जो सभी के लिए अविच्छिनन वेब उपलब्धता सुनिष्चित करने के लिए मानक, सर्वोत्तम अभ्यास, संस्तुतियों को विकसित करती है। डब्ल्यू3सी का विजन प्रत्येक के लिए वेब और प्रत्येक वस्तु पर वेब है। डब्ल्यू3सी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य मानक निर्माण संस्थाओं जैसे कि यूनीकोड, आईईटीएफ, आईसीएएनएन व आईएसओ के साथ मिलकर काम करती है। डब्ल्यू3सी ने वेब प्रौद्योगिकी के लिए अब तक लगभग 183 मानक प्रकाषित किए हैं और भविष्य के वेब मानकों पर काम कर रही है।
डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय की स्थापना सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के मानव केन्द्रित अभिकलन प्रभाग के तत्वावधान में की गई है जो भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम टीडीआईएल क्रियान्वित कर रहा है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय के उद्देश्य में विकासकर्ताओं, अनुप्रयोग निर्माताओं व मानक स्थापनाकर्ताओं के बीच डब्ल्यू3सी संस्तुतियों की ग्राह्यता को प्रोत्साहित करना व भविष्य की संस्तुतियों के निर्माण में अंशधारक संगठनों को शामिल करने को प्रोत्साहित करना शामिल है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय का शुभारंभ 6 मई 2010 को केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा किया गया।
डब्ल्यू3सी की गतिविधियों को मुख्य रूप से 8 क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है। अंतर्राष्ट्रीयकरण, वेब डिजाइन व अनुप्रयोग, वेब वास्तुकला, सीमेंटिक वेब, एक्सएमएल प्रौद्योगिकी, वेब सेवाएं, उपकरणों का वेब, ई-सरकार।
भारत में 122 प्रमुख भाषाएं व 2371 बोलियां पाई जाती है। इन 122 भाषाओं में से 22 संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। भारत में एक भाषा कई लिपियों पर आधारित हो सकती है। कई भाषाएं केवल एक लिपि पर आधारित हो सकती है ये भाषाएं एक ही लिपि का प्रयोग करते हुए भी क्षेत्र के आधार पर सांस्कृतिक रूप से अलग हो सकती हैं। यहां तक कि देश के विभिन्न भागों में एक ही भाषा के उपयोग के बारे में भी व्यापक परिवर्तन पाए जाते हैं। रैखिक लिपियों जैसे कि रोमन लिपियों अपनी आकृतियां नहीं बदलती इसलिए अक्षरों को पास-पास रखा जाता है- एक के बाद एक जबकि भारतीय भाषाओं में जटिल संयुक्त अक्षर होते हैं। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध कई बड़े मुद्दे हैं, जैसे कि वर्ण विन्यास- वर्तनी के मुद्दे, बोलियों में परिवर्तन आदि। इसलिए यह आवश्यक है कि 22 भारतीय भाषाओं के डब्ल्यू3सी मानकों के सर्मथ बनाने के लिए प्रत्येक भाषा के अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं की सावधानी से जांच की जाए, जो एक विशाल व चुनौतीपूर्ण कार्य है।
कम्प्यूटर पर हिन्दी भाषा संसाधन के लिए यूनीकोड की भूमिका-यूनिकोड में भारतीय लिपियों को कोड स्पेस U+0900 से U+0D7F तक आबंटित किया गया है। यूनिकोड कंसोर्टियम बड़े कम्प्यूटर निगमों, अंतर्राष्ट्रीय विकासकर्ताओं, डेटाबेस विक्रेताओं, अंतर्राष्ट्रीय एजेन्सियों और विभिन्न उपयोगकर्ता समूहों का एक संगठन है और इसकी स्थापना 1991 में की गई थी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, यूनिकोड कंसोर्टियम का पूर्णकालिक सदस्य है। यूनिकोड कंसोर्टियम एक अलाभकारी संगठन है और इसकी स्थापना यूनिकोड मानक के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी।
यूनिकोड मानक को कार्यान्वित करने के लिए अनुरूप होने के कारण इन एन्कोडिंग फॉर्मों का पूरी तरह से अनुमोदन करता है। समग्रता में, यूनिकोड मानक, संस्करण 3.0 विश्व की सभी वर्णमालाओं, भावचित्रों और प्रतीक संकलनों के 49,194 वर्णो के कोड प्रदान करता है। ये सब कोड पहले कोड स्पेस के क्षेत्र 64K के वर्णो को समाहित कर लेते हैं जिन्हें संक्षेप में बीएमपी या मूल बहुभाषी प्लेन कहा जाता है।
हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार में यूनिकोड की सुविधा क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। आज विश्व की सभी लिखित भाषाओं के लिए यूनिकोड नामक विश्वव्यापी कोड का उपयोग, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, लाइनेक्स, ओरकल जैसी विश्व की लगभग सभी कम्प्यूटर कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। यह कोडिंग सिस्टम फॉन्ट्समुक्त, प्लेटफॉर्ममुक्त और ब्राउजरमुक्त है। विंडोज 2000 या उससे ऊपर के सभी कम्प्यूटर यूनिकोड को सपोर्ट करते हैं इसलिए यूनिकोड आधारित फॉन्ट का उपयोग करने से हिन्दी को आज विश्व की उन्नत भाषाओं के समकक्ष रखा जा सकता है।
भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने कहा था कि विश्व के अनेक हिस्सों में हिन्दी भाषा आसानी से बोली जा सके इसके लिए इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य का यूनिकोड स्वरूप उपलब्ध करवाना होगा।
भारत सरकार के उन सभी सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों को आदेश दिए जाएं जहां यूनिकोड का उपयोग नहीं किया जा रहा हो। वे अपनी कम्प्यूटर प्रणालियों में यूनिकोड आधारित फॉन्ट को डाउनलोड करने की व्यवस्था करें और अपनी वेबसाइट भी यूनिकोड आधारित फॉन्ट से निर्मित करें ताकि उनमें ई-मेल, चैट और खोज आदि की सुविधा सहज रूप में उपलब्ध हो सके।
हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण समाचारपत्रों और ई-पत्रिकाओं ने अपनी वेबसाइट डाइनेमिक फॉन्ट या वेबफॉन्ट की सहायता से निर्मित की है। ऐसी स्थिति में ये वेबसाइट भी बिना फॉन्ट डाउनलोड किए खुल तो जाती है और आप वेब सामग्री हिन्दी में पढ़ भी लेते हैं, लेकिन इसे न तो सहेजा जा सकता है और न ही ऑफ लाइन में पढ़ा जा सकता है। और फिर खोज का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मेरे विचार में खोज एक ऐसी सुविधा है जिसके माध्यम से किसी भी मूल शब्द या कीवर्ड को लेकर उपयोगकर्ता वेबसागर में गोता लगाकर बोली चुन सकता है अर्थात् वॉंछित सूचना पा सकता है।
यूनिकोड की केवल एक ही सीमा है कि यह विंडोज 98 को सपोर्ट नहीं करता अर्थात् यदि आपके कम्प्यूटर पर विंडोज 98 स्थापित है तो आप यूनिकोड-समर्थित फॉन्ट को पढ़ नहीं सकते। विंडोज 2000 या उसके ऊपर की कोई प्रणाली यूनिकोड को सपोर्ट करती है।
सर्व सुलभता, सुरक्षा, निजता, सबके लिए वेब, सब चीजों पर वेब और सभी भाषाओं को समर्थित व खासकर भारतीय भाषाओं के माध्यम से भारत की सक्षमता आदि के लिए वेब।
दरअसल, वर्ल्ड वाइड वेब सबको सचमुच विश्व व्यापी बना रहा है। और इसमें व्यापक पैमाने पर कारगर ढ़ंग से यदि कोई महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। तो वह है इसकी पहली कड़ी डब्ल्यू3सी। दूसरी कड़ी यूनीकोड है जो वेब के लिए सर्वाधिक उपयोग और अत्यंत आवश्यक भी है। कुल मिलाकर वेब की संपूर्ण क्षमता के उपयोग की दिशा में डब्ल्यू3सी अग्रणी है।
फिलवक्त, भारत सरकार के विभिन्न विभागों, उपक्रमों तथा राज्य सरकारों और उनके उपक्रमों की सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6800 वेबसाईटस एवं पोर्टल हैं। निजी कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये गए डोमेन नेम यानि यूआरएल से संबंधित वेबसाईट एवं पोर्टल का आंकलन करना मुश्किल है।
वर्ल्ड वाइड वेब टेक्नॉलाजी की सर्व सुलभता पर डब्ल्यू3सी विश्व व्यापी वेब कंसोर्टियम की 6 और 7 मई 2010 को नई दिल्ली में दूसरी कांफ्रेंस हुई। डब्ल्यू3सी ने भारत की भागीदारी बढ़ाने तथा प्रोत्साहन देने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। इसका भावी लक्ष्य 22 भारतीय भाषाओं के साथ सभी डब्ल्यू3सी मानकों को समर्थ बनाना रहा है, ताकि प्रत्येक नागरिक के लिए निर्बाध रूप से वेब हासिल हो सके। कांफ्रेंस में वेब वास्तुकला, वेब सुगमता सरीखे मोबाइल वेब, मानव मशीन, सीमेंटिक वेब इत्यादि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस कांफ्रेंस तथा पहले भी 10 और 11 नवंबर 2005 को हुई पहली कांफ्रेंस में मैंने म.प्र. के प्रतिनिधि के रूप में भागीदारी की। इस कांफ्रेंस में डब्ल्यू3सी के सीईओ डॉ जेफ्रे जाफे तथा अन्य अधिकारी, भारत सरकार के आईटी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, गूगल, माइक्रोसाफ्ट, आईबीएम, टीसीएस, इंटेल, इंफोसिस, ओपेरा, एनआईआईटी, देश के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी के प्रोफेसर, सीडेक और टीडीआईएल के अधिकारियों ने भागीदारी की।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार समेत पूरे विश्व में 350 से ज्यादा संगठन कंसोर्टियम के सदस्य हैं। डब्ल्यू3सी का संचालन संयुक्त राज्य अमेरिका में एमआईटी कम्प्यूटर साइंस एवं कृत्रिम बुद्धि प्रयोगशाला, फ्रांस में मुख्यालय के रूप में यूरोपियन रिसर्च कंसोर्टियम फॉर इन्फॉर्मेटिक्स तथा जापान में किओ विश्वविद्यालय और समुचे विश्व में अतिरिक्त कार्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम डब्ल्यू3सी एक अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्था है जो सभी के लिए अविच्छिनन वेब उपलब्धता सुनिष्चित करने के लिए मानक, सर्वोत्तम अभ्यास, संस्तुतियों को विकसित करती है। डब्ल्यू3सी का विजन प्रत्येक के लिए वेब और प्रत्येक वस्तु पर वेब है। डब्ल्यू3सी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य मानक निर्माण संस्थाओं जैसे कि यूनीकोड, आईईटीएफ, आईसीएएनएन व आईएसओ के साथ मिलकर काम करती है। डब्ल्यू3सी ने वेब प्रौद्योगिकी के लिए अब तक लगभग 183 मानक प्रकाषित किए हैं और भविष्य के वेब मानकों पर काम कर रही है।
डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय की स्थापना सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के मानव केन्द्रित अभिकलन प्रभाग के तत्वावधान में की गई है जो भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम टीडीआईएल क्रियान्वित कर रहा है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय के उद्देश्य में विकासकर्ताओं, अनुप्रयोग निर्माताओं व मानक स्थापनाकर्ताओं के बीच डब्ल्यू3सी संस्तुतियों की ग्राह्यता को प्रोत्साहित करना व भविष्य की संस्तुतियों के निर्माण में अंशधारक संगठनों को शामिल करने को प्रोत्साहित करना शामिल है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय का शुभारंभ 6 मई 2010 को केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा किया गया।
डब्ल्यू3सी की गतिविधियों को मुख्य रूप से 8 क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है। अंतर्राष्ट्रीयकरण, वेब डिजाइन व अनुप्रयोग, वेब वास्तुकला, सीमेंटिक वेब, एक्सएमएल प्रौद्योगिकी, वेब सेवाएं, उपकरणों का वेब, ई-सरकार।
भारत में 122 प्रमुख भाषाएं व 2371 बोलियां पाई जाती है। इन 122 भाषाओं में से 22 संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। भारत में एक भाषा कई लिपियों पर आधारित हो सकती है। कई भाषाएं केवल एक लिपि पर आधारित हो सकती है ये भाषाएं एक ही लिपि का प्रयोग करते हुए भी क्षेत्र के आधार पर सांस्कृतिक रूप से अलग हो सकती हैं। यहां तक कि देश के विभिन्न भागों में एक ही भाषा के उपयोग के बारे में भी व्यापक परिवर्तन पाए जाते हैं। रैखिक लिपियों जैसे कि रोमन लिपियों अपनी आकृतियां नहीं बदलती इसलिए अक्षरों को पास-पास रखा जाता है- एक के बाद एक जबकि भारतीय भाषाओं में जटिल संयुक्त अक्षर होते हैं। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध कई बड़े मुद्दे हैं, जैसे कि वर्ण विन्यास- वर्तनी के मुद्दे, बोलियों में परिवर्तन आदि। इसलिए यह आवश्यक है कि 22 भारतीय भाषाओं के डब्ल्यू3सी मानकों के सर्मथ बनाने के लिए प्रत्येक भाषा के अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं की सावधानी से जांच की जाए, जो एक विशाल व चुनौतीपूर्ण कार्य है।
कम्प्यूटर पर हिन्दी भाषा संसाधन के लिए यूनीकोड की भूमिका-यूनिकोड में भारतीय लिपियों को कोड स्पेस U+0900 से U+0D7F तक आबंटित किया गया है। यूनिकोड कंसोर्टियम बड़े कम्प्यूटर निगमों, अंतर्राष्ट्रीय विकासकर्ताओं, डेटाबेस विक्रेताओं, अंतर्राष्ट्रीय एजेन्सियों और विभिन्न उपयोगकर्ता समूहों का एक संगठन है और इसकी स्थापना 1991 में की गई थी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, यूनिकोड कंसोर्टियम का पूर्णकालिक सदस्य है। यूनिकोड कंसोर्टियम एक अलाभकारी संगठन है और इसकी स्थापना यूनिकोड मानक के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी।
यूनिकोड मानक को कार्यान्वित करने के लिए अनुरूप होने के कारण इन एन्कोडिंग फॉर्मों का पूरी तरह से अनुमोदन करता है। समग्रता में, यूनिकोड मानक, संस्करण 3.0 विश्व की सभी वर्णमालाओं, भावचित्रों और प्रतीक संकलनों के 49,194 वर्णो के कोड प्रदान करता है। ये सब कोड पहले कोड स्पेस के क्षेत्र 64K के वर्णो को समाहित कर लेते हैं जिन्हें संक्षेप में बीएमपी या मूल बहुभाषी प्लेन कहा जाता है।
हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार में यूनिकोड की सुविधा क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। आज विश्व की सभी लिखित भाषाओं के लिए यूनिकोड नामक विश्वव्यापी कोड का उपयोग, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, लाइनेक्स, ओरकल जैसी विश्व की लगभग सभी कम्प्यूटर कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। यह कोडिंग सिस्टम फॉन्ट्समुक्त, प्लेटफॉर्ममुक्त और ब्राउजरमुक्त है। विंडोज 2000 या उससे ऊपर के सभी कम्प्यूटर यूनिकोड को सपोर्ट करते हैं इसलिए यूनिकोड आधारित फॉन्ट का उपयोग करने से हिन्दी को आज विश्व की उन्नत भाषाओं के समकक्ष रखा जा सकता है।
भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने कहा था कि विश्व के अनेक हिस्सों में हिन्दी भाषा आसानी से बोली जा सके इसके लिए इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य का यूनिकोड स्वरूप उपलब्ध करवाना होगा।
भारत सरकार के उन सभी सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों को आदेश दिए जाएं जहां यूनिकोड का उपयोग नहीं किया जा रहा हो। वे अपनी कम्प्यूटर प्रणालियों में यूनिकोड आधारित फॉन्ट को डाउनलोड करने की व्यवस्था करें और अपनी वेबसाइट भी यूनिकोड आधारित फॉन्ट से निर्मित करें ताकि उनमें ई-मेल, चैट और खोज आदि की सुविधा सहज रूप में उपलब्ध हो सके।
हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण समाचारपत्रों और ई-पत्रिकाओं ने अपनी वेबसाइट डाइनेमिक फॉन्ट या वेबफॉन्ट की सहायता से निर्मित की है। ऐसी स्थिति में ये वेबसाइट भी बिना फॉन्ट डाउनलोड किए खुल तो जाती है और आप वेब सामग्री हिन्दी में पढ़ भी लेते हैं, लेकिन इसे न तो सहेजा जा सकता है और न ही ऑफ लाइन में पढ़ा जा सकता है। और फिर खोज का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मेरे विचार में खोज एक ऐसी सुविधा है जिसके माध्यम से किसी भी मूल शब्द या कीवर्ड को लेकर उपयोगकर्ता वेबसागर में गोता लगाकर बोली चुन सकता है अर्थात् वॉंछित सूचना पा सकता है।
यूनिकोड की केवल एक ही सीमा है कि यह विंडोज 98 को सपोर्ट नहीं करता अर्थात् यदि आपके कम्प्यूटर पर विंडोज 98 स्थापित है तो आप यूनिकोड-समर्थित फॉन्ट को पढ़ नहीं सकते। विंडोज 2000 या उसके ऊपर की कोई प्रणाली यूनिकोड को सपोर्ट करती है।