मंगलवार, 22 जून 2010

’’भारत की सक्षमता के लिए वेब और सब के लिए वेब’’

ई-सरकार, अंतर्राष्ट्रीयकरण, वेब डिजाइन आदि के लिए डब्ल्यू3सी कार्यरत् है। डब्ल्यू3सी के भारतीय कार्यालय हालही प्रारंभ हुआ है। जहां तक हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार का सवाल है तो यूनिकोड की सुविधा ही क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
सर्व सुलभता, सुरक्षा, निजता, सबके लिए वेब, सब चीजों पर वेब और सभी भाषाओं को समर्थित व खासकर भारतीय भाषाओं के माध्यम से भारत की सक्षमता आदि के लिए वेब।
दरअसल, वर्ल्ड वाइड वेब सबको सचमुच विश्व व्यापी बना रहा है। और इसमें व्यापक पैमाने पर कारगर ढ़ंग से यदि कोई महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। तो वह है इसकी पहली कड़ी डब्ल्यू3सी। दूसरी कड़ी यूनीकोड है जो वेब के लिए सर्वाधिक उपयोग और अत्यंत आवश्यक भी है। कुल मिलाकर वेब की संपूर्ण क्षमता के उपयोग की दिशा में डब्ल्यू3सी अग्रणी है।
फिलवक्त, भारत सरकार के विभिन्न विभागों, उपक्रमों तथा राज्य सरकारों और उनके उपक्रमों की सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6800 वेबसाईटस एवं पोर्टल हैं। निजी कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये गए डोमेन नेम यानि यूआरएल से संबंधित वेबसाईट एवं पोर्टल का आंकलन करना मुश्किल है।
वर्ल्ड वाइड वेब टेक्नॉलाजी की सर्व सुलभता पर डब्ल्यू3सी विश्व व्यापी वेब कंसोर्टियम की 6 और 7 मई 2010 को नई दिल्ली में दूसरी कांफ्रेंस हुई। डब्ल्यू3सी ने भारत की भागीदारी बढ़ाने तथा प्रोत्साहन देने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। इसका भावी लक्ष्य 22 भारतीय भाषाओं के साथ सभी डब्ल्यू3सी मानकों को समर्थ बनाना रहा है, ताकि प्रत्येक नागरिक के लिए निर्बाध रूप से वेब हासिल हो सके। कांफ्रेंस में वेब वास्तुकला, वेब सुगमता सरीखे मोबाइल वेब, मानव मशीन, सीमेंटिक वेब इत्यादि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस कांफ्रेंस तथा पहले भी 10 और 11 नवंबर 2005 को हुई पहली कांफ्रेंस में मैंने म.प्र. के प्रतिनिधि के रूप में भागीदारी की। इस कांफ्रेंस में डब्ल्यू3सी के सीईओ डॉ जेफ्रे जाफे तथा अन्य अधिकारी, भारत सरकार के आईटी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, गूगल, माइक्रोसाफ्ट, आईबीएम, टीसीएस, इंटेल, इंफोसिस, ओपेरा, एनआईआईटी, देश के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी के प्रोफेसर, सीडेक और टीडीआईएल के अधिकारियों ने भागीदारी की।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार समेत पूरे विश्व में 350 से ज्यादा संगठन कंसोर्टियम के सदस्य हैं। डब्ल्यू3सी का संचालन संयुक्त राज्य अमेरिका में एमआईटी कम्प्यूटर साइंस एवं कृत्रिम बुद्धि प्रयोगशाला, फ्रांस में मुख्यालय के रूप में यूरोपियन रिसर्च कंसोर्टियम फॉर इन्फॉर्मेटिक्स तथा जापान में किओ विश्वविद्यालय और समुचे विश्व में अतिरिक्त कार्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम डब्ल्यू3सी एक अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्था है जो सभी के लिए अविच्छिनन वेब उपलब्धता सुनिष्चित करने के लिए मानक, सर्वोत्तम अभ्यास, संस्तुतियों को विकसित करती है। डब्ल्यू3सी का विजन प्रत्येक के लिए वेब और प्रत्येक वस्तु पर वेब है। डब्ल्यू3सी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य मानक निर्माण संस्थाओं जैसे कि यूनीकोड, आईईटीएफ, आईसीएएनएन व आईएसओ के साथ मिलकर काम करती है। डब्ल्यू3सी ने वेब प्रौद्योगिकी के लिए अब तक लगभग 183 मानक प्रकाषित किए हैं और भविष्य के वेब मानकों पर काम कर रही है।
डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय की स्थापना सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के मानव केन्द्रित अभिकलन प्रभाग के तत्वावधान में की गई है जो भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम टीडीआईएल क्रियान्वित कर रहा है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय के उद्देश्य में विकासकर्ताओं, अनुप्रयोग निर्माताओं व मानक स्थापनाकर्ताओं के बीच डब्ल्यू3सी संस्तुतियों की ग्राह्यता को प्रोत्साहित करना व भविष्य की संस्तुतियों के निर्माण में अंशधारक संगठनों को शामिल करने को प्रोत्साहित करना शामिल है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय का शुभारंभ 6 मई 2010 को केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा किया गया।
डब्ल्यू3सी की गतिविधियों को मुख्य रूप से 8 क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है। अंतर्राष्ट्रीयकरण, वेब डिजाइन व अनुप्रयोग, वेब वास्तुकला, सीमेंटिक वेब, एक्सएमएल प्रौद्योगिकी, वेब सेवाएं, उपकरणों का वेब, ई-सरकार।
भारत में 122 प्रमुख भाषाएं व 2371 बोलियां पाई जाती है। इन 122 भाषाओं में से 22 संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। भारत में एक भाषा कई लिपियों पर आधारित हो सकती है। कई भाषाएं केवल एक लिपि पर आधारित हो सकती है ये भाषाएं एक ही लिपि का प्रयोग करते हुए भी क्षेत्र के आधार पर सांस्कृतिक रूप से अलग हो सकती हैं। यहां तक कि देश के विभिन्न भागों में एक ही भाषा के उपयोग के बारे में भी व्यापक परिवर्तन पाए जाते हैं। रैखिक लिपियों जैसे कि रोमन लिपियों अपनी आकृतियां नहीं बदलती इसलिए अक्षरों को पास-पास रखा जाता है- एक के बाद एक जबकि भारतीय भाषाओं में जटिल संयुक्त अक्षर होते हैं। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध कई बड़े मुद्दे हैं, जैसे कि वर्ण विन्यास- वर्तनी के मुद्दे, बोलियों में परिवर्तन आदि। इसलिए यह आवश्यक है कि 22 भारतीय भाषाओं के डब्ल्यू3सी मानकों के सर्मथ बनाने के लिए प्रत्येक भाषा के अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं की सावधानी से जांच की जाए, जो एक विशाल व चुनौतीपूर्ण कार्य है।
कम्प्यूटर पर हिन्दी भाषा संसाधन के लिए यूनीकोड की भूमिका-यूनिकोड में भारतीय लिपियों को कोड स्पेस U+0900 से U+0D7F तक आबंटित किया गया है। यूनिकोड कंसोर्टियम बड़े कम्प्यूटर निगमों, अंतर्राष्ट्रीय विकासकर्ताओं, डेटाबेस विक्रेताओं, अंतर्राष्ट्रीय एजेन्सियों और विभिन्न उपयोगकर्ता समूहों का एक संगठन है और इसकी स्थापना 1991 में की गई थी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, यूनिकोड कंसोर्टियम का पूर्णकालिक सदस्य है। यूनिकोड कंसोर्टियम एक अलाभकारी संगठन है और इसकी स्थापना यूनिकोड मानक के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी।
यूनिकोड मानक को कार्यान्वित करने के लिए अनुरूप होने के कारण इन एन्कोडिंग फॉर्मों का पूरी तरह से अनुमोदन करता है। समग्रता में, यूनिकोड मानक, संस्करण 3.0 विश्व की सभी वर्णमालाओं, भावचित्रों और प्रतीक संकलनों के 49,194 वर्णो के कोड प्रदान करता है। ये सब कोड पहले कोड स्पेस के क्षेत्र 64K के वर्णो को समाहित कर लेते हैं जिन्हें संक्षेप में बीएमपी या मूल बहुभाषी प्लेन कहा जाता है।
हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार में यूनिकोड की सुविधा क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। आज विश्व की सभी लिखित भाषाओं के लिए यूनिकोड नामक विश्वव्यापी कोड का उपयोग, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, लाइनेक्स, ओरकल जैसी विश्व की लगभग सभी कम्प्यूटर कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। यह कोडिंग सिस्टम फॉन्ट्समुक्त, प्लेटफॉर्ममुक्त और ब्राउजरमुक्त है। विंडोज 2000 या उससे ऊपर के सभी कम्प्यूटर यूनिकोड को सपोर्ट करते हैं इसलिए यूनिकोड आधारित फॉन्ट का उपयोग करने से हिन्दी को आज विश्व की उन्नत भाषाओं के समकक्ष रखा जा सकता है।
भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने कहा था कि विश्व के अनेक हिस्सों में हिन्दी भाषा आसानी से बोली जा सके इसके लिए इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य का यूनिकोड स्वरूप उपलब्ध करवाना होगा।
भारत सरकार के उन सभी सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों को आदेश दिए जाएं जहां यूनिकोड का उपयोग नहीं किया जा रहा हो। वे अपनी कम्प्यूटर प्रणालियों में यूनिकोड आधारित फॉन्ट को डाउनलोड करने की व्यवस्था करें और अपनी वेबसाइट भी यूनिकोड आधारित फॉन्ट से निर्मित करें ताकि उनमें ई-मेल, चैट और खोज आदि की सुविधा सहज रूप में उपलब्ध हो सके।
हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण समाचारपत्रों और ई-पत्रिकाओं ने अपनी वेबसाइट डाइनेमिक फॉन्ट या वेबफॉन्ट की सहायता से निर्मित की है। ऐसी स्थिति में ये वेबसाइट भी बिना फॉन्ट डाउनलोड किए खुल तो जाती है और आप वेब सामग्री हिन्दी में पढ़ भी लेते हैं, लेकिन इसे न तो सहेजा जा सकता है और न ही ऑफ लाइन में पढ़ा जा सकता है। और फिर खोज का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मेरे विचार में खोज एक ऐसी सुविधा है जिसके माध्यम से किसी भी मूल शब्द या कीवर्ड को लेकर उपयोगकर्ता वेबसागर में गोता लगाकर बोली चुन सकता है अर्थात् वॉंछित सूचना पा सकता है।
यूनिकोड की केवल एक ही सीमा है कि यह विंडोज 98 को सपोर्ट नहीं करता अर्थात् यदि आपके कम्प्यूटर पर विंडोज 98 स्थापित है तो आप यूनिकोड-समर्थित फॉन्ट को पढ़ नहीं सकते। विंडोज 2000 या उसके ऊपर की कोई प्रणाली यूनिकोड को सपोर्ट करती है।

बुधवार, 9 जून 2010

CSI presented awards to organisation promoting Information Technology

Computer Society of India (CSI) awarded the organisations which in personal capacity are doing excellent efforts in promoting Information Technology, its creative use and public utility encouragement.CSI chairman, P Thirumurti presented these awards during the two-day National E-Governance Summit and State-level IT awards distribution function held in the State capital.Founder member of the CSI, VD Garde was awarded the lifetime award for promotion of IT. Senior IAS officer and president of the CSI nomination committee, Anil Shrivastava was awarded for effective promotion of IT in his working.Editor of State’s first Hindi News Portal www.mppost.org, Sarman Nagele was awarded for the promotion of IT in Hindi society and to make them information savvy.Nagele’s portal is active in the State since last six years in the promotion of e-governance and m-governance.

मंगलवार, 8 जून 2010

न्यू मीडिया के माध्यम से आईटी को प्रोत्साहित करने के लिए कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया द्वारा एमपीपोस्ट पुरस्कृत

सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार, रचनात्मक प्रयोग एवं लोकोपयोगी उपयोग को बढ़ावा देने के लिये कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया ने व्यक्तिगत रूप से एवं संस्थाओं को उत्कृष्ट प्रयासों के लिये पुरस्कार प्रदान किये।

राजधानी भोपाल में 5 एवं 6 जून को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय ई गवर्नेंस सम्मेलन एवं राज्य स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के अध्यक्ष प्राफेसर पी थिरूमूर्ति ने यह पुरस्कार प्रदान किये गये। इस अवसर पर कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ललित साहनी, सीएसआई के स्पेशल इंटरनेट ग्रुप के चैयरमेन डॉ. अशोक अग्रवाल, रिटायर्ड मेजर जनरल आर के बग्गा और भोपाल शाखा के सचिव श्री विवेक धवन एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश के प्रथम हिन्दी न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डाट ओआरजी के संपादक श्री सरमन नगेले को हिन्दी भाषी समुदाय के बीच सूचना प्रौद्योगिकी के रचनात्मक उपयोग एवं उन्हें सूचना सम्पन्न बनाने तथा आईसीटी यानि इंफारमेशन कम्प्यूनिकेशन टेक्नॉलाजी को न्यू मीडिया के माध्यम से प्रोत्साहित करने के प्रयासों के लिये सम्मानित किया गया।
मध्य प्रदेश में ई-गवर्नेंस और एम-गवर्नेंस को प्रोत्साहित करने की दिषा में मध्यप्रदेष का पहला हिन्दी ई-न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट पिछले छह वर्षो से सक्रिय है।
एमपीपोस्ट द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से लोक हितैषी पत्रकारिता को सषक्त बनाने तथा शासन-प्रशासन में आईसीटी संस्कृति विकसित करने की दिशा में निरंतर कार्यरत है। न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट द्वार प्रसारित जन हितैषी सूचनाआंे को विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत विषेषज्ञ संस्थाओं द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है।
श्री वी डी गरडे को सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिये लाईफ टाइम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के संस्थापक सदस्य हैं।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के नामांकन समिति के अध्यक्ष श्री अनिल श्रीवास्तव को अपने कार्यक्षेत्र और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के लिये सम्मानित किया गया।
इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पांच अन्य लोगों को भी सम्मानित किया गया है।
इसके अलावा मैपआईटी की नोडल अधिकारी अवंतिका वर्मा को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये और कर्नल एन पी दीक्षित को लाईफ टाइम उपलब्धि से सम्मानित किया गया।
ओरिएंटल ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को उत्कृष्टतम शैक्षणिक संस्थान के रूप में पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा आई ई एस ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को कैंपस के माध्यम से नई प्रतिभाओं को कंपनियों में रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिये सम्मानित किया गया। सागर ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान के बतौर पुरस्कृत किया गया।

मंगलवार, 1 जून 2010

सोशल मीडिया का बढ़ता दायरा

’’सोशल मीडिया ने दुनिया को एक तरफ गांव के रूप में तब्दील कर दिया है, तो दूसरी और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा है, स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को निशुल्क मौका देकर इसने मीडिया को पंख लगा दिये हैं, यह पत्रकारिता को प्रोत्साहित करता है, यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त कर दिया है, कुछ लोग इसे वैकल्पिक मीडिया के रूप में भी देख रहे है, कुल मिलाकर मीडिया के सोशल मीडिया ने सारे मायने ही बदल दिये हैं।’’
दुनिया में खासकर भारत में पिछले एक दशक के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी और संचार यानि आईसीटी के जरिए अनेक परिवर्तन हुए हैं। वे अद्भुत और अविस्मरणीय हैं। लगातार होते जा रहे परिवर्तनों पर सिलसिलेवार गौर करना अत्यंत आवश्यक है। ये वे परिवर्तन है जो सोशल मीडिया के जनक हैं। यह मीडिया आम जीवन का एक अनिवार्य अंग जैसा बन गया है। वैसे सोशल मीडिया का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। वह अभी अपने शैश्वकाल में है।
जहां तक सवाल मीडिया का है तो वह पांच प्रकार का है। पहला प्रिंट मीडिया, दूसरा रेडियो, तीसरा दूरदर्शन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाएं, चौथा इलेक्ट्रानिक यानि टीवी चैनल, और अब पांचवा सोशल मीडिया। इस मीडिया ने दुनिया को गांव के रूप में बदल दिया है। दुनिया अब लोगों की मुठ्ठी में है। इसे न्यू मीडिया के रूप में भी जाना जाता है।
वैसे, इस मीडिया का उद्भव आईटी और इंटरनेट से हुआ है। मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाईट, ईमेल, ब्लॉग, सोशलनेटवर्किंग वेबसाइटस, जैसे माइ स्पेस, आरकुट, फेसबुक आदि, माइक्रो ब्लागिंग साइट टिवटर, ब्लागस, फॉरम, चैट सोशल मीडिया का हिस्सा है। यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त किया है।
एक अध्ययन के अनुसार लगभग प्रतिदिन समाचार पत्रों के पन्नों पर सोशल मीडिया से उठाई गई खबर या उससे जुड़ी हुई खबर रहती है। फकत, यही मीडिया है जो पत्रकारिता को प्रोत्साहित कर रहा है। आजकल हर तीसरी लड़की फेसबुक और ट्विटर से जुड़ी रहती है। लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करने में 10 फीसदी कम हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि अमिताभ बच्चन और बॉलीवुड के लगभग सभी बड़े सितारे ट्विटर पर हैं। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर सहित आधी से ज्यादा भारतीय क्रिकेट टीम ट्विटर पर है। तमाम बड़े राजनेता फेसबुक, ब्लॉग अथवा ट्विटर पर उपलब्ध हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में अपना ब्लॉग शुरु किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना ब्लाग और वेबसाईट भी शुरू की है।
एक रिसर्च के अनुसार सोशल मीडिया में रेडियो, टी वी, इंटरनेट और आईपॉड आता है। रेडियो को कुल 73 साल हुए हैं टीवी को 13 साल तथा आईपॉड को 3, लेकिन इन सब मीडिया को पीछे छोड़ते हुए सोशल मीडिया ने अपने चार साल के अल्प समय में 60 गुना अधिक रास्ता तय कर लिया है जितना अभी तक किसी मीडिया ने तय नहीं किया।
सोशल मीडिया को अब चंद लोगों का ‘चोंचला’ कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। भारत में आठ करोड़ से अधिक नेट उपयोक्ता हैं, जबकि 60 करोड़ से ज्यादा यानि भारत की कुल आबादी के 54 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास मोबाइल हैं जिनमें से एक तिहाई से अधिक मोबाइल फोन पर इंटरनेट की सुविधा है।
जहां सोशल नेटवर्किंग साइटों का अधिकतम इस्तेमाल कर रहे अमेरिका प्रशासन का मानना है कि ये ‘प्रभावी औजार’ हैं जो कूटनीति को बढ़ावा दे सकते हैं। इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के लगभग 60 मिलियन पेजेस ऑनलाइन हैं। वहीं त्रिनिदाद और टोबैगो की हाल ही में भारतीय मूल की कमला प्रसाद विसेसर प्रधानमंत्री चुनी गई है। कमला विसेसर ने अपना पूरा चुनाव अभियान फेसबुक के जरिए चलाया। अरब देशों में फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों की तादाद अखबार पढ़ने वालों से ज्यादा है। लगभग डेढ़ करोड़ लोग फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं। मिश्र में 35 लाख लोग फेसबुक से जुड़े हैं। कुल मिलाकर संयुक्त अरब अमीरात की एक तिहाई जनता फेसबुक की सदस्य है। इन दिनों साउदी अरब में भी फेसबुक प्रेम उफान पर है। पाकिस्तान में इन दिनों फेसबुक के उपयोग पर लाहौर हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी थी। फेसबुक पर पाबंदी कुछ शर्तो के साथ हालही में खत्म कर दी है।
गौरतलब है कि पोर्टल व न्यूज बेवसाइट्स ने छपाई, ढुलाई और कागज का खर्च बचाया तो ब्लॉग ने शेष खर्च भी समाप्त कर दिए। ब्लॉग पर तो कमोबेस सभी प्रकार की जानकारी और सामग्री वीडियो छायाचित्र तथा तथ्यों का प्रसारण निशुल्क है साथ में संग्रह की भी सुविधा है।
यह ई-मीडिया का ही असर है कि अब वेब जर्नलिज्म पर पुरस्कार और कोर्स चालू हो गए हैं। हिन्दुस्तान में सांसद घूसखोरी को उजागर एक निजी वेबसाइट ने ही किया था। आईपीएल विवाद में ललित मोदी पर आरोप किसी समाचार पत्र या चैनल को सहयोग करने का नहीं लगा बल्कि एक वेबसाईट को सहयोग करने का लगा। कुल मिलाकर सोशल मीडिया का दायरा और असर बढ़ता ही जा रहा है।
एक अध्ययन के अनुसार आज हर रोज लगभग दो लाख नये ब्लॉग बनते हैं, लगभग चालीस लाख नयी प्रविष्टियां हर रोज दर्ज की जाती हैं। यही कारण है कि युवा पीढ़ी ने इसे तेजी से अपनाया है। अलबत्ता कुछ लोग दुर्भाग्यवश इस सुविधा का गलत इस्तेमाल भी करने लगे है।
अभी दुनिया में ब्लॉगरों की संख्या 13.3 करोड़ के लगभग है जबकि भारत में 32 लाख से अधिक लोग ब्लॉगिंग कर रहे हैं। वैसे तो ब्लागर की संख्या से लेकर ब्लाग की भाषा शैली में कई परिवर्तन आए हैं लेकिन आर्थिक रूप से यह अभी बहुत पीछे है, हिन्दी ब्लाग का आर्थिक मॉडल बनने में अभी न केवल समय लगेगा, वरन् इसमें सुधार की भी गुंजाइश है। एक अनुमान के अनुसार भारत में एक इंटरनेट कनेक्शन का लगभग 6 व्यक्ति उपयोग करते हैं।
हाल ही में वर्ल्ड वाइड वेब यानि डब्ल्यू3सी की अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस दिल्ली में हुई है जिसमें मैंने भागीदारी की। कांफ्रेंस में सबके लिए वेब और सब वस्तुओं पर वेब व वेब मीडिया और मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट के उपयोग को लेकर तथा वेब पर यूनिकोड के प्रचार-प्रसार पर गंभीरता से चर्चा हुई।
सोशल मीडिया का नकारात्मक पक्ष यह है कि जैसे राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक विषयों की जानकारी के अभाव में असत्य सूचनाओं तथा चित्रों का इस्तेमाल हो जाता है। इस मीडिया की भाषा मर्यादित नहीं होती है। यह मीडिया हिन्दी भाषा के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ कर रहा है।
सोशल मीडिया का प्रयोग स्वच्छ व्यवस्था, विश्वास और उत्तरदायित्व, नागरिक कल्याण, लोकतंत्र, राष्ट्र के आर्थिक विकास व सूचना के आदान-प्रदान में व संवाद प्रेषण के साथ व्यवस्था एवं नागरिकों के बीच विभिन्न व्यवस्था एवं सेवाओं के एकीकृत करने, एक संस्था के भीतर तथा सिस्टम के भीतर विभिन्न स्तरों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में किया जाए। तो सोशल मीडिया की न केवल सार्थकता सिद्ध होगी वरन् एक मील का पत्थर गढ़ेगा।
सोशल मीडिया का संबंध सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक और सूचना टेक्नॉलाजी व इंटरनेट से नहीं है बल्कि यह व्यवस्था के सुधारों को साकार करने का एक शानदार अवसर भी उपलब्ध कराता है। इंटरनेट और सोशल मीडिया मे पदार्पण से पहले लोग छोटी-मोटी बातों, विचारों, समाचारों, छायाचित्रों और वीडियो आदि पर प्रिंटाकार और मानवीय परिश्रम पर ज्यादा निर्भर रहते थे लेकिन लोगों की जीवन शैली में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन, इंटरनेट के संगम से बने सोशल मीडिया के प्रयोग ने अनेक परिवर्तन ला दिये हैं गांव और शहर के बीच का अंतर लुप्त हो गया है। (लेखक- न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी के संपादक हैं।)

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
http://www.mppost.org/
http://www.mppost.com
पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
पत्राचार का पता
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