प्रजातंत्र की आवाज़ बना सोशल मीडिया
प्रजातंत्र, सोशल मीडिया और मतदान
मतदान दिवस: सर्वाधिक शक्तिशाली दिन, लोकतंत्र के लिए मजबूत प्रतिबद्धता
- सरमन नगेले
’’मतदान दिवस के अवसर पर आईए प्रतिज्ञा करें कि हम अपने लोकतंत्र को अधिक शक्तिशाली बनाएंगे और मतदान कर सहभागी बनेंगे!
28 नवंबर 2018 को सौ फ़ीसदी मतदान हो एवं सरकार हमारे मत से बने इसका हिस्साब बनेंगे।’’ लोकतंत्र में ‘मत’ लोगों के लिए अपनी अभिव्यक्ति और अपनी आवाज की सुनवाई के लिए सर्वाधिक प्रभावशाली साधन है. यहां तक कि 'सर्वाधिक शक्तिशाली' नेता भी बैलेट बॉक्स के सामने बौने नज़र आते हैं।
’’पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग, राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा सोशल मीडिया का व्यामपक स्त्र पर सबसे ज्यादा उपयोग किया जा रहा है। इससे मतदान का प्रतिशत ऐतिहासिक रूप से बढ़ने की संभावना प्रबल होती जा रही है। अब बारी है सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं द्वारा सजगता के साथ मतदान में भागीदारी करने की।’’
सोशल मीडिया आज एक शक्तिशाली विकल्प के रूप में ऐसे लोगों की आवाज बन गया है जिनकी आवाज या तो नहीं थी या अनसुनी कर दी जाती थी। आज शक्तिशाली विचारों को व्यापक रूप से फैलाने के लिये सोशल मीडिया एक शक्तिशाली मंच के रूप में उपयोग हो रहा है। विचारों के फैलाव के साथ ही सोशल मीडिया बड़े सामाजिक परिवर्तनों और सोच में बदलाव का कारण बन रहा है। इस दृष्टि से सोशल मीडिया प्रजातंत्र का एक सर्वाधिक सक्रिय मित्र और प्रहरी बन गया है। सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं ने अपना अलग समुदाय और विशिष्ट नागरिकता की स्थिति बना दी है। सोशल मीडिया से जुड़े नागरिकों ने प्रजातांत्रिक प्रक्रिया में दबाव समूह के रूप में कार्य करने की संस्कृति भी विकसित कर ली है। वे न सिर्फ मत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं बल्कि प्रजातंत्र को भी मजबूत करने का काम कर रहे हैं।
भारत में तेजी से इंटरनेट और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की संख्या अनवरत बढ़ रही है। सोशल मीडिया प्रजातंत्र की सेहत के लिये और मतदान प्रतिशत बढाने में अपनी महती भूमिका व उपयोगिता सिद्ध करेगा इसमें अब कोई आशंका नहीं है। विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत ऐतिहासिक रूप से बढ़े लिहाजा सोशल मीडिया का न केवल कर्तव्य् है वरन् स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिये सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं की सजगता के साथ मतदान में भागीदारी करना बेहद जरूरी है क्यों कि सरकार आपके ही मत से बनने वाली है।
सोशल मीडिया के चलते आज संवादहीनता की स्थिति समाप्त हो चुकी है। फिलवक्त फेसबुक और ट्विटर पर करोडों लोग सक्रिय हैं। जहां राजनैतिक वक्तव्यों और त्वरित टिप्पणियों की ट्विटर पर धूम मची है और अब हर प्रत्याशी व दल और नेता, मीडिया तथा स्वयं चुनाव आयोग फेसबुक पर लाइव कर रहा है। वहीं भारी संख्या में मतदान हो लोगों की भागीदारी मतदान में बढे इसके लिए चुनाव आयोग सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है। सरकारी और गैर-सरकारी मीडिया भी सोशल मीडिया के जरिये सबसे तेज चुनाव से जुडी खबरें दिखाने के प्रयास कर रहा है।
विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ने के लिये चुनाव आयोग ने स्वीप कार्यक्रम चलाया है और मत के महत्व को लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से समझाया जा रहा है। इससे मतदाताओ में जागरूकता बढ़ रही है और मध्यप्रदेश चुनाव आयोग के लक्ष्य 80 फीसदी मतदान होने की संभावना बनती जा रही है। सोशल मीडिया की स्वीप कार्यक्रम की पहुंच बढाने में चुनाव प्रक्रिया से जुडे हुए अधिकारी लगातार मतदाता से जुडी हुई जानकारी शेयर और पोस्टर कर रहे हैं। राज्य और जिला निर्वाचन अधिकारियों ने तो वाकायदा स्वीप के नाम से सोशल मीडिया पर अकाउंट खोले हैं। जिस पर चुनाव से जुडी हुई हर गतिविधि को शेयर और पोस्ट कर रहे हैं।
पिछले चुनाव में मध्यप्रदेश का उदाहरण देखें तो पाते हैं कि अब तक सर्वाधिक मतदान प्रतिशत 73.52 रहा। वर्ष 1951 से 70 के दशक तक मतदान का प्रतिशत 55 से ऊपर नहीं गया। बहुत खींचतान कर विगत चार चुनावों में 1993, 1998, 2003 और 2008 में मतदान 60 प्रतिशत से बढ़ा और 2008 में 69 तक पहुंचा लेकिन 2013 में 72.52 तक पहुंचा। जिन चुनावों में मतदान का प्रतिशत कम रहा उन वर्षों में सोशल मीडिया के आगमन की शुरूआत हो रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में और लोकसभा चुनाव 2014 में सोशल मीडिया की नई भूमिका सामने आई। जब भारत में सोशल मीडिया का उपयोग तेजी के साथ बढ़ा। युवा मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी जो सोशल मीडिया से गहरे जुड़े हैं।
चुनाव आयोग का स्वीप कार्यक्रम
अब तक यह कहा जा रहा था कि मतदाताओं की बड़ी संख्या चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेती। प्रजातंत्र की प्रक्रियाओं में भाग नहीं लेना और मताधिकार का उपयोग नहीं करना प्रजातंत्र के स्वास्थ्य के लिये ठीक नहीं है। सरकार बनाने और चुनने में हर मतदाता की भागीदारी जरूरी है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुये चुनाव आयोग ने व्यवस्थित तरीके से मतदाताओं को शिक्षित और प्रेरित करने के लिये मतदाता जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान में स्वैच्छिक संगठनों, बुद्धिजीवियों, सोशल मीडिया से जुड़े संस्थाओं द्वारा सक्रिय भागीदारी कर रहा है। इसका व्यापक प्रभाव नजर आ रहा है।
सूचना का अधिकार
सोशल मीडिया के उपयोग से सूचनाओं को नया मंत्र मिल गया है जिससे सूचना के अधिकार कानून पर अमल करना आसान हो गया है। मतदान प्रक्रिया से संबंधित सूचनाएं सोशल मीडिया पर जितनी आसानी से उपलब्ध हैं उसका प्रभाव मतदाताओं पर पडता नजर आ रहा है।
लोक सभा
अब भविष्य में लोक सभा चुनाव हैं। मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास फिर से तेज होगा। भारत की सरकार बनाने में हर मतदाता को वोट डालने के लिये प्रेरित करना हर भारतीय नागरिक का कर्तव्ये है। विधान सभा चुनाओं में सोशल मीडिया की उपयोगिता को पिछले चुनाव की तुलना में बहुत सीमा तक परखा जा चुका होगा। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया की भूमिका और सकारात्मक भागीदारी की सराहना की है। लोक सभा चुनाओं से पहले स्वीप कार्यक्रम को भी तेज करने की जरूरत होगी। प्रजातंत्र में मतदान प्रक्रिया एक यज्ञ की तरह है। हर पात्र नागरिक की इसमें भागीदारी अनिवार्य है।
मतदान दिवस: सर्वाधिक शक्तिशाली दिन, लोकतंत्र के लिए मजबूत प्रतिबद्धता
मतदान दिवस हम सबके लिए अत्यंत गौरव, महोत्सएव, सशक्तब और मतबूत लोकतंत्र के लिए शक्तिशाली दिन है।
चुनाव आयोग ने भारत के लोगों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं विश्वसनीय निर्वाचन कराने के दायित्व के प्रति सोशल मीडिया के जरिए अपने आपको समर्पित कर दिया है।
मध्यपप्रदेश विधानसभा निर्वाचन 2018 में आयोग ने समावेशी, सुगम, विश्वसनीय एवं नैतिक मतदान को समर्पित किया है। इस चुनाव में आयोग द्वारा संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी एवं सोशल मीडिया का उपयोग व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है।
गौरतलब यह है कि लोकतंत्र में ‘मत’ लोगों के लिए अपनी अभिव्यक्ति और अपनी आवाज की सुनवाई के लिए सर्वाधिक प्रभावशाली साधन है. यहां तक कि 'सर्वाधिक शक्तिशाली' नेता भी बैलेट बॉक्स के सामने बौने नज़र आते हैं।
फिलवक्त भारत में मोबाईल धारकों और इंटरनेट उपभोक्ताओं तथा सोशल मीडिया यूजर की संख्या में लगातार भारी मात्रा में इजाफा हो रहा है। भारत में कई करोड से अधिक मोबाइल फोन उपयोगकर्ता हैं इनमें से सर्वाधिक स्मार्ट फोन यूजर्स हैं और इंटरनेट यूजर्स की संख्या में करोडों में है।
चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में उम्मीदवारों व राजनैतिक दलों द्वारा अपना चुनाव प्रचार अभियान इंटरनेट, एसएमएस, फोन व मोबाईल फोन के जरिए किये जाने पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
2014 में संपन्न 16 वें आम चुनाव में, मतदान का प्रतिशत अब तक सबसे ज्यादा 66.38 प्रतिशत रहा। अधिकांश टिप्पणीकारों ने इसके लिए राजनीतिक कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन सबसे ज्यादा श्रेय निश्चित रूप से निर्वाचन आयोग के ‘स्वीप’ जागरूकता अभियान को जाता है।
मतदान दिवस के अवसर पर आइए प्रतिज्ञा करें कि हम अपने मताधिकार का उपयोग आने वाले दिनों में और वर्षों में करते हुए अपने लोकतंत्र को सबसे अधिक शक्तिशाली बनाएंगे और सौ फ़ीसदी मतदान करायेंगें। email- sarmannagele@gmail.com
(लेखक- डिजिटल मीडिया के जानकार एवं न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट कॉम के संपादक हैं।)