मंगलवार, 1 जून 2010

सोशल मीडिया का बढ़ता दायरा

’’सोशल मीडिया ने दुनिया को एक तरफ गांव के रूप में तब्दील कर दिया है, तो दूसरी और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा है, स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को निशुल्क मौका देकर इसने मीडिया को पंख लगा दिये हैं, यह पत्रकारिता को प्रोत्साहित करता है, यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त कर दिया है, कुछ लोग इसे वैकल्पिक मीडिया के रूप में भी देख रहे है, कुल मिलाकर मीडिया के सोशल मीडिया ने सारे मायने ही बदल दिये हैं।’’
दुनिया में खासकर भारत में पिछले एक दशक के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी और संचार यानि आईसीटी के जरिए अनेक परिवर्तन हुए हैं। वे अद्भुत और अविस्मरणीय हैं। लगातार होते जा रहे परिवर्तनों पर सिलसिलेवार गौर करना अत्यंत आवश्यक है। ये वे परिवर्तन है जो सोशल मीडिया के जनक हैं। यह मीडिया आम जीवन का एक अनिवार्य अंग जैसा बन गया है। वैसे सोशल मीडिया का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। वह अभी अपने शैश्वकाल में है।
जहां तक सवाल मीडिया का है तो वह पांच प्रकार का है। पहला प्रिंट मीडिया, दूसरा रेडियो, तीसरा दूरदर्शन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाएं, चौथा इलेक्ट्रानिक यानि टीवी चैनल, और अब पांचवा सोशल मीडिया। इस मीडिया ने दुनिया को गांव के रूप में बदल दिया है। दुनिया अब लोगों की मुठ्ठी में है। इसे न्यू मीडिया के रूप में भी जाना जाता है।
वैसे, इस मीडिया का उद्भव आईटी और इंटरनेट से हुआ है। मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाईट, ईमेल, ब्लॉग, सोशलनेटवर्किंग वेबसाइटस, जैसे माइ स्पेस, आरकुट, फेसबुक आदि, माइक्रो ब्लागिंग साइट टिवटर, ब्लागस, फॉरम, चैट सोशल मीडिया का हिस्सा है। यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त किया है।
एक अध्ययन के अनुसार लगभग प्रतिदिन समाचार पत्रों के पन्नों पर सोशल मीडिया से उठाई गई खबर या उससे जुड़ी हुई खबर रहती है। फकत, यही मीडिया है जो पत्रकारिता को प्रोत्साहित कर रहा है। आजकल हर तीसरी लड़की फेसबुक और ट्विटर से जुड़ी रहती है। लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करने में 10 फीसदी कम हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि अमिताभ बच्चन और बॉलीवुड के लगभग सभी बड़े सितारे ट्विटर पर हैं। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर सहित आधी से ज्यादा भारतीय क्रिकेट टीम ट्विटर पर है। तमाम बड़े राजनेता फेसबुक, ब्लॉग अथवा ट्विटर पर उपलब्ध हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में अपना ब्लॉग शुरु किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना ब्लाग और वेबसाईट भी शुरू की है।
एक रिसर्च के अनुसार सोशल मीडिया में रेडियो, टी वी, इंटरनेट और आईपॉड आता है। रेडियो को कुल 73 साल हुए हैं टीवी को 13 साल तथा आईपॉड को 3, लेकिन इन सब मीडिया को पीछे छोड़ते हुए सोशल मीडिया ने अपने चार साल के अल्प समय में 60 गुना अधिक रास्ता तय कर लिया है जितना अभी तक किसी मीडिया ने तय नहीं किया।
सोशल मीडिया को अब चंद लोगों का ‘चोंचला’ कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। भारत में आठ करोड़ से अधिक नेट उपयोक्ता हैं, जबकि 60 करोड़ से ज्यादा यानि भारत की कुल आबादी के 54 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास मोबाइल हैं जिनमें से एक तिहाई से अधिक मोबाइल फोन पर इंटरनेट की सुविधा है।
जहां सोशल नेटवर्किंग साइटों का अधिकतम इस्तेमाल कर रहे अमेरिका प्रशासन का मानना है कि ये ‘प्रभावी औजार’ हैं जो कूटनीति को बढ़ावा दे सकते हैं। इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के लगभग 60 मिलियन पेजेस ऑनलाइन हैं। वहीं त्रिनिदाद और टोबैगो की हाल ही में भारतीय मूल की कमला प्रसाद विसेसर प्रधानमंत्री चुनी गई है। कमला विसेसर ने अपना पूरा चुनाव अभियान फेसबुक के जरिए चलाया। अरब देशों में फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों की तादाद अखबार पढ़ने वालों से ज्यादा है। लगभग डेढ़ करोड़ लोग फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं। मिश्र में 35 लाख लोग फेसबुक से जुड़े हैं। कुल मिलाकर संयुक्त अरब अमीरात की एक तिहाई जनता फेसबुक की सदस्य है। इन दिनों साउदी अरब में भी फेसबुक प्रेम उफान पर है। पाकिस्तान में इन दिनों फेसबुक के उपयोग पर लाहौर हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी थी। फेसबुक पर पाबंदी कुछ शर्तो के साथ हालही में खत्म कर दी है।
गौरतलब है कि पोर्टल व न्यूज बेवसाइट्स ने छपाई, ढुलाई और कागज का खर्च बचाया तो ब्लॉग ने शेष खर्च भी समाप्त कर दिए। ब्लॉग पर तो कमोबेस सभी प्रकार की जानकारी और सामग्री वीडियो छायाचित्र तथा तथ्यों का प्रसारण निशुल्क है साथ में संग्रह की भी सुविधा है।
यह ई-मीडिया का ही असर है कि अब वेब जर्नलिज्म पर पुरस्कार और कोर्स चालू हो गए हैं। हिन्दुस्तान में सांसद घूसखोरी को उजागर एक निजी वेबसाइट ने ही किया था। आईपीएल विवाद में ललित मोदी पर आरोप किसी समाचार पत्र या चैनल को सहयोग करने का नहीं लगा बल्कि एक वेबसाईट को सहयोग करने का लगा। कुल मिलाकर सोशल मीडिया का दायरा और असर बढ़ता ही जा रहा है।
एक अध्ययन के अनुसार आज हर रोज लगभग दो लाख नये ब्लॉग बनते हैं, लगभग चालीस लाख नयी प्रविष्टियां हर रोज दर्ज की जाती हैं। यही कारण है कि युवा पीढ़ी ने इसे तेजी से अपनाया है। अलबत्ता कुछ लोग दुर्भाग्यवश इस सुविधा का गलत इस्तेमाल भी करने लगे है।
अभी दुनिया में ब्लॉगरों की संख्या 13.3 करोड़ के लगभग है जबकि भारत में 32 लाख से अधिक लोग ब्लॉगिंग कर रहे हैं। वैसे तो ब्लागर की संख्या से लेकर ब्लाग की भाषा शैली में कई परिवर्तन आए हैं लेकिन आर्थिक रूप से यह अभी बहुत पीछे है, हिन्दी ब्लाग का आर्थिक मॉडल बनने में अभी न केवल समय लगेगा, वरन् इसमें सुधार की भी गुंजाइश है। एक अनुमान के अनुसार भारत में एक इंटरनेट कनेक्शन का लगभग 6 व्यक्ति उपयोग करते हैं।
हाल ही में वर्ल्ड वाइड वेब यानि डब्ल्यू3सी की अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस दिल्ली में हुई है जिसमें मैंने भागीदारी की। कांफ्रेंस में सबके लिए वेब और सब वस्तुओं पर वेब व वेब मीडिया और मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट के उपयोग को लेकर तथा वेब पर यूनिकोड के प्रचार-प्रसार पर गंभीरता से चर्चा हुई।
सोशल मीडिया का नकारात्मक पक्ष यह है कि जैसे राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक विषयों की जानकारी के अभाव में असत्य सूचनाओं तथा चित्रों का इस्तेमाल हो जाता है। इस मीडिया की भाषा मर्यादित नहीं होती है। यह मीडिया हिन्दी भाषा के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ कर रहा है।
सोशल मीडिया का प्रयोग स्वच्छ व्यवस्था, विश्वास और उत्तरदायित्व, नागरिक कल्याण, लोकतंत्र, राष्ट्र के आर्थिक विकास व सूचना के आदान-प्रदान में व संवाद प्रेषण के साथ व्यवस्था एवं नागरिकों के बीच विभिन्न व्यवस्था एवं सेवाओं के एकीकृत करने, एक संस्था के भीतर तथा सिस्टम के भीतर विभिन्न स्तरों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में किया जाए। तो सोशल मीडिया की न केवल सार्थकता सिद्ध होगी वरन् एक मील का पत्थर गढ़ेगा।
सोशल मीडिया का संबंध सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक और सूचना टेक्नॉलाजी व इंटरनेट से नहीं है बल्कि यह व्यवस्था के सुधारों को साकार करने का एक शानदार अवसर भी उपलब्ध कराता है। इंटरनेट और सोशल मीडिया मे पदार्पण से पहले लोग छोटी-मोटी बातों, विचारों, समाचारों, छायाचित्रों और वीडियो आदि पर प्रिंटाकार और मानवीय परिश्रम पर ज्यादा निर्भर रहते थे लेकिन लोगों की जीवन शैली में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन, इंटरनेट के संगम से बने सोशल मीडिया के प्रयोग ने अनेक परिवर्तन ला दिये हैं गांव और शहर के बीच का अंतर लुप्त हो गया है। (लेखक- न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी के संपादक हैं।)

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
http://www.mppost.org/
http://www.mppost.com
पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
पत्राचार का पता
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462 003. दूरभाष - (91)-755-2779562 (निवास)
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