रविवार, 6 मार्च 2011

मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण के अविराम पथिक हैं शिवराज


5 मार्च-जन्म दिवस पर विशेष
मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण के अविराम पथिक हैं शिवराज
मौका होठों को गोल कर सीटी बजाने का है और ऐसा हो भी क्यों नहीं। आखिर तो शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने में कामयाब हुए हैं। यह नया अध्याय है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलावा किसी अन्य राजनैतिक दल के मुख्यमंत्री के रूप में निरन्तर पाँच साल की कालावधि पूरा करना सिर्फ इतना ही नहीं शिवराजसिंह चौहान अपने दल में भी यह गौरव हासिल करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
जहाँ तक बात होठों को गोल कर सीटी बजाने की है तो शिवराजसिंह चौहान का विकास के लिये संकल्प और लगन आम लोगों को विश्वास दिलाता है कि सुनहरा भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है। उनकी मंजिल है स्वर्णिम "मध्यप्रदेश"। ऐसा प्रदेश जो देश का अग्रणी प्रदेश हो। जहाँ हर हाथ को काम, हर खेत में पानी, हर घर में बिजली और हर बच्चे को शिक्षा मिले।
असल में शिवराजसिंह चौहान को जानने वालों और नहीं जानने वालों को यह बिल्कुल स्पष्ट समझ लेना चाहिये कि वे दिन गिनने वाले लोगों में से नहीं, काम करने वालों में है। उन्होंने काम को प्रधानता दी। यह वही कर पाता है जो पद के आने-जाने की चिन्ता से मुक्त हो। जिसका लक्ष्य पद पाना या उस पर बने रहना नहीं होता बल्कि पद के अनुरूप दायित्वों के निर्वहन में प्रयत्नों की पराकाष्ठा करना होता है। शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश में ऐसा ही कर रहे हैं। वे ऐसा महज पिछले पाँच साल में मुख्यमंत्री के रूप में ही कर रहे हो ऐसा भी बिल्कुल नहीं है। अब तक का उनका जीवन-क्रम बताता है कि आपातकाल के दौर में अपनी कच्ची उम्र में ही वे लोकतंत्र की रक्षा के उद्देश्य से कारावास जा चुके हैं। महज 13 वर्ष की उम्र में अपने गृह ग्राम जैत में मजदूरों को पूरी मजदूरी दिलाने के लिये गाँव भर में जुलूस निकाल चुके हैं। इसके बाद विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता युवा मोर्चा में विद्यार्थियों और युवाओं के लिये काम उन्हें अपरिमित राजनैतिक अनुभव देता है। सन् 1990 में अल्प समय के लिये विधायक और फिर विदिशा से लगातार पाँच बार लोकसभा चुनाव जीतकर 14 वर्ष तक की संसद सदस्यता ने उन्हें जो राजनैतिक परिपक्वता दी वह उन्हें कर्मठ जननेता और जनसेवी बना चुकी है।
यह सब दोहराने का आशय यह है कि वे पद की चिन्ता किये बगैर अपने दायित्वों के निर्वहन के लिये समर्पित रहे हैं। विकास कार्यों के लिये प्रतिबद्वता के चलते उन्हें लगातार महत्वपूर्ण दायित्व मिलते रहे। यह भी समझने की बात है कि पद या दायित्व प्रतिभासम्पन्न को ही मिलते हैं। अन्यथा पद अगर जोड़-तोड़ से मिल भी जाये तो उसे धारण करने वाला जल्दी ही बियाबान में खो जाता है। फिर श्री चौहान का दल भारतीय जनता पार्टी है, जिसमें एक पद की कसौटी हजार हैं।
श्री चौहान का यह स्पार्क ही उन्हें बिरला बनाता है। चाहे संगठन का काम हो या मुख्यमंत्री के रूप में प्रशासन का। वे अपने को प्रशासक नहीं जनता का विनम्र सेवक मानते हैं। उनकी अपरिमित ऊर्जा और कुछ करने की तड़प, धारा को विपरीत दिशा में मोड़ने का माद्दा और असंभव को संभव बनाने वाली जिद का सफर उदाहरण है उनका मुख्यमंत्री तक का सफर। पाँव-पाँव वाले भैया के लिये इस सफर में जैसा मैंने पहले लिखा कुछ भी अनूठा नहीं है। वह तो लोकसेवा और राष्ट्र के पुनर्निर्माण का अविराम पथिक है। पथ कितना ही काँटों भरा हो, शिवराजजी के शब्दों में वे जनता के पाँवों में काँटे नहीं आने देंगे। खुद तो उन्हें चुनेंगे ही, लोगों को भी प्रेरित करेंगे, प्रदेश के विकास की बाधाओं रूपी काँटों को हटाने के लिये।
पाँच साल का निरन्तर कार्यकाल पूरा करने वाले भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में ही नहीं बल्कि आज प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेता के रूप में इस जन्म-दिवस पर आज अगर उनसे सीटी बजाने की उम्मीद की जाती हैं तो यह उम्मीद बेमानी भी नहीं है। एक ऐसे देश और प्रदेश में जहाँ एक बार पद पर पहुँचने को ही जीवन भर की उपलब्धि मानकर जश्न मनाये जाते हो, वहाँ श्री चौहान की उपलब्धियाँ उल्लेखनीय ही कही जायेंगी। यह उपलब्धियाँ तब और विशिष्ट हो जाती है जब अपने नेतृत्व में, अपनी नीतियों के आधार पर जीतकर दोबारा सरकार बनायी गयी हो। सरकार बनाना भी उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना इस अरसे में प्रदेश के पुनर्निर्माण के कामों को निरंतरता और सफलता देना है।
शिवराजसिंह चौहान ने जब प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभाला था तो वह एक तरह से काँटों का ताज था। एक तरफ भारी जनाकांक्षाओं का बोझ था, जिसके चलते दस वर्ष पुराने शासन को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था दूसरी तरफ प्रशासनिक अनुभवहीनता का टैग था। तीसरी तरफ अपने ही दल के पूर्व मुख्यमंत्रियों की चुनौती और विधायक दल का सच्चे अर्थों में सर्वमान्य नेता बनकर उभरने की चुनौती थी तो चौथी तरफ पार्टी में बिखराव रोककर प्रदेश के विकास का अपना एजेण्डा लागू करना था। अभिमन्यु के समान विकट स्थिति थी। केवल चक्रव्यूह भेदना ही नहीं विजेता बनकर सुरक्षित भी निकलना था। इस राजनैतिक-प्रशासनिक महाभारत में श्री चौहान सभी तरह के चक्रव्यूहों को भेदकर पाँच साल पूरा कर निरंतर और निरंतर आगे बढ़कर 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुने जा रहे हैं तो इस जन्म दिन पर उनसे सीटी और उनके साथियों से ढ़ोल-ताशे बजाने की उम्मीद बेजा नहीं है। लेकिन वे फिर भी सीटी नहीं बजायेंगे। क्योंकि सीटी उल्लास का और जो सोचा था उसे हासिल करने के भाव का बोध कराती है और श्री चौहान का हासिल स्वर्णिम प्रदेश है, महज बीमारू की श्रेणी से प्रदेश को बाहर लाना नहीं।
प्रदेश के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को पूरे पाँच साल निर्विघ्न चलाने और महज अपने तीन साल के कामकाज के आधार पर दोबारा जनादेश पाने वाले शिवराजसिंह मिथकों को तोड़ने के बाद भी सीटी नहीं बजायेंगे। अब अगर इसकी वजह जानना ही चाहते हैं तो वह यह है कि सत्ता उनका कभी लक्ष्य रहा ही नहीं है। उनका लक्ष्य सत्ता से बड़ा है। सत्ता उनके लिये अपने प्रेरणा-स्त्रोत पं. दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों के अनुरूप अंतिम पंक्ति के अंतिम आदमी के दुख-दर्द दूर करने का एक जरिया भर है। उनका लक्ष्य एक समरस विकसित प्रदेश के निर्माण के साथ राष्ट्र के पुनर्निर्माण का है। राजनीति को छल, फरेब, दुरभि-संधियों और जाति और धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठाकर विकासपरक बनाने का है। तभी तो मध्यप्रदेश में उनके कार्यकाल की योजनाओं और कार्यक्रमों में जाति-धर्म की बंदिशें नहीं हैं। "सर्वे भवन्तु सुखिन:" की भारतीय संस्कृति की भावना के अनुरूप वे राजनैतिक दल बन्दी, मत-मतान्तर, धर्म-जाति, वर्ग और समुदाय से परे सबके मंगल, सबके कल्याण, सबके निरोगी होने के कार्य के कठिन व्रत को पूरा करने में जुटे हैं।
इस सबके बावजूद श्री चौहान को इस जन्म दिन पर तो होंठों को गोल कर सीटी बजाना ही चाहिये। वंचितों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिये समर्पित शिवराजसिंह जी के लिये कोई भी वर्ग भूला-बिसरा नहीं रहा। उन्होंने प्रदेश में राजनीति की धारा इस अरसे में बदल दी। अब प्रदेश में राजनीति तुष्टीकरण की नहीं विकास की ही होगी। जो ऐसा नहीं करेगा वह हाशिये पर खड़ा होगा और सत्तारूपी कारवां जारी रहेगा।
सरकार में जनता के विश्वास की वापसी के प्रयास में आज श्री चौहान ने वनवासी अंचल को नापा है। किसानों के दुख-दर्द को दूर करने के लिये हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, सरकार और समाज को विकास के कामों में साथ ला रहे हैं। यह प्रक्रिया भविष्य में समृद्ध प्रशासनिक परम्परा बनेगी। अपनी कथनी-करनी को एकात्म कर आज प्रदेशवासियों की आशा और विश्वास के प्रतीक बने श्री चौहान को जन्म दिवस की बधाई के साथ। सुरेश गुप्ता

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लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज


5 मार्च-जन्म दिवस पर विशेष
लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज
जननेता का सबसे बड़ा गुण यही है कि वह लोक शक्ति में अटूट विश्वास करता है। लोक शक्ति एक अमूर्त वस्तु है। लोकतंत्र में इसका प्रदर्शनकारी स्वरूप समय-समय पर प्रकट और अभिव्यक्त होता रहता है। कभी शहर बंद हो जाते हैं, कभी यातायात रूक जाता है। इसके विपरीत विशाल देश के किसी भू-भाग पर चंद लोग मिलकर मृत नदी को जीवित कर देते हैं। बंजर भूमि पर हरियाली बिछा देते हैं। रचनात्मक और नकारात्मक दोनों स्वरूप देखने को मिलते हैं। मुख्यमंत्री का पद सम्हालने के बाद श्री शिवराजसिंह चौहान ने जो निर्णय लिये उनमें स्पष्ट रूप से यह रेखांकित होता है कि वे विकास के लिये जनशक्ति का रचनात्मक उपयोग करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में जनता की सोच, समझ, विवेक और सामथ्र्य पर अटूट विश्वास रखने वाले शिवराज सिंह को जन्म दिन की बधाइयाँ।
आज राज्य सरकार और समाज एक दूसरे के करीब आये हैं और विकास पथ पर साथ-चल रहे हैं तो यह श्री शिवराज सिंह चौहान की कार्य शैली और उनके व्यक्ति का करिश्मा है। ऐसा नहीं कि अब तक जो मुख्यमंत्री हुए हैं उन्होंने लोक शक्ति पर भरोसा नहीं किया या उनमें समझ की कमी थी। अंतर यह है कि श्री चौहान ने यह बताया है कि लोक समृद्धि के लिये लोकशक्ति का उपयोग प्रायोगिक और व्यावहारिक तौर पर कैसे किया जा सकता है। विकास योजनाओं को जन आंदोलन कैसे बनाया जा सकता है और सेवाओं तक आम लोगों की आसान पहुंच कैसे बनाई जा सकती है चाहे वह जन-संचालित हो या फिर कानून द्वारा संचालित हो। सरकारी तंत्र, नीति निर्माताओं और रणनीतिकारों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हुए भी उनकी अपनी सीमाएँ हैं। जन सहयोग और सामुदायिक भागीदारी के बिना अच्छी नीतियों का परिणाम भी शून्य होता है।
दर्शन-शास्त्र में गहरी रूचि रखने वाले श्री शिवराज सिंह को मनोविज्ञान की गहरी समझ है। आम लोगों से लगातार संवाद करते हुए वे सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करते रहते हैं। सामुदायिक अभिरूचियों के आधार पर ही कार्ययोजनाएं बनाने के निर्देश देते हैं। श्री चौहान इतने विनम्र हैं कि वे योजनाओं के मूल विचार का श्रेय लोगों को देने से नहीं चूकते। लोक-संवाद को वे विचारों का पालना मानते हैं। कई बार उन्होंने कहा कि विवेक और ज्ञान पर विशेषाधिकार केवल नीति निर्माताओं के पास नहीं होता। रोजाना जीवन से संघर्षशील आम लोग भी विवेक रखते हैं। यही विनम्रता उन्हें लोगों का अपना मुख्यमंत्री बनाती है और लोगों से दूरी मिटाकर उन्हें उनके नजदीक या दिलों तक ले जाती है।
सरल और विनम्र स्वभाव के कारण लोग श्री चौहान से मिलने को आतुर रहते हैं। हर उम्र और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोग उनसे मिलना पसंद करते हैं। बच्चे, वयस्क, विद्यार्थी, व्यापारी, कलाकार, समाजसेवी, बुद्धिजीवी, धर्मशास्त्री सभी उन्हें सम्मान देते हैं। उनके व्यक्ति में दया, करूणा, शालीनता, विनम्रता जैसे मूल्यों की बहुलता है। गुस्सा सिर्फ अन्याय के विरूद्ध आता है। न्याय के लिये संघर्ष करने के लिये वे हमेशा तैयार रहते हैं। कई सार्वजनिक भाषणों में उन्होंने कहा है कि अन्याय के विरूद्ध संघर्ष में देरी अन्याय का साथ देने के समान है। गुस्सा उन्हें तब आता है जब उन्हें पता चलता है कि सरकारी तंत्र की ढिलाई के कारण गरीब परिवार के साथ न्याय नहीं हुआ। समाधान ऑन लाइन और गांव के भ्रमण के दौरान कई ऐसे अवसर आये जब उन्होंने गैर जिम्मेदार अधिकारियों को सीधे निलंबित कर दिया।
राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का सूक्ष्म अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि कल्याणकारी योजनाएं "शिव दृष्टि' से ओत-प्रोत हैं। इन योजनाओं की संरचना में चार बिंदु प्रमुख रूप से रेखांकित होते हैं - गरीबों की समृद्धि के लिये प्रतिबद्धता, युवा शक्ति का विकास, वर्तमान में विश्वास और भविष्य में आस्था। गरीब परिवार की बेटियों के विवाह की संस्थागत व्यवस्था मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का ही परिणाम है। इस योजना का महत्व नव-धनाढय लोग भले ही ना समझ पायें लेकिन गरीब बिटिया के माता-पिता और परिजन अच्छी तरह समझते हैं। बेटियों के जन्म को सुखद अवसर बनाने और इससे आगे बढ़कर उत्सव मनाने तक सामाजिक बदलाव लाने की पहल के पीछे शिवराज जी की अपनी सोच है। समाज ने भी उनकी पहल में भरपूर योगदान दिया है। लाड़ली लक्ष्मी, गांव की बेटी, स्कूल जाने वाली बेटियों को साइकिलें, गणवेश, छात्रवृतियां देने, नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने के प्रयासों की सर्वत्र सराहना हुई है।
मध्यप्रदेश बनाओ अभियान की शुरूआत करने के पीछे भी श्री चौहान की यही सोच थी कि मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण में लोकशक्ति के अवदान के रूप में सभी का योगदान और सहयोग होना चाहिये।
मध्यप्रदेश एक सांस्कृतिक-धार्मिक विविधता से समृद्ध प्रदेश है। यहाँ की युवा शक्ति में आगे बढ़ने की क्षमता और प्रतिभा है। यह कला-पारखियों, उद्भट विद्वानों का प्रदेश है। सीमित संसाधनों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल करने वाले समुदाय हैं। थोड़े से प्रशिक्षण से असाधारण कार्य करने वाला आदिवासी समुदाय है। यदि सब एक साथ आ जायें तो मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया और तेज हो जायेगी। मध्यप्रदेश किसी एक व्यक्ति, समुदाय या दल का नहीं है। प्रदेश के हर नागरिक को ""अपना मध्यप्रदेश'' का बोध जरूरी है। श्री शिवराज सिंह का यही दर्शन और संदेश अब प्रदेश की सीमाएं पार कर अन्य प्रदेशों में गूंज रहा है। प्रदेश में विकास के विभिन्न क्षेत्रों जैसे जल संवर्धन, वनीकरण, स्कूल चलें अभियान, परिवार नियोजन अभियान में सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। जनादेश का आदर करते हुए अब सरकार स्वयं लोगों के पास पहुंच रही है। अंत्योदय मेलों का आयोजन श्री चौहान की लोक सेवा की ललक का ही विस्तारित रूप है। जन सेवक मुख्यमंत्री को जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। अवनीश सोमकुवर

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मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
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पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
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समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
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