बुधवार, 9 जून 2010

CSI presented awards to organisation promoting Information Technology

Computer Society of India (CSI) awarded the organisations which in personal capacity are doing excellent efforts in promoting Information Technology, its creative use and public utility encouragement.CSI chairman, P Thirumurti presented these awards during the two-day National E-Governance Summit and State-level IT awards distribution function held in the State capital.Founder member of the CSI, VD Garde was awarded the lifetime award for promotion of IT. Senior IAS officer and president of the CSI nomination committee, Anil Shrivastava was awarded for effective promotion of IT in his working.Editor of State’s first Hindi News Portal www.mppost.org, Sarman Nagele was awarded for the promotion of IT in Hindi society and to make them information savvy.Nagele’s portal is active in the State since last six years in the promotion of e-governance and m-governance.

मंगलवार, 8 जून 2010

न्यू मीडिया के माध्यम से आईटी को प्रोत्साहित करने के लिए कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया द्वारा एमपीपोस्ट पुरस्कृत

सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार, रचनात्मक प्रयोग एवं लोकोपयोगी उपयोग को बढ़ावा देने के लिये कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया ने व्यक्तिगत रूप से एवं संस्थाओं को उत्कृष्ट प्रयासों के लिये पुरस्कार प्रदान किये।

राजधानी भोपाल में 5 एवं 6 जून को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय ई गवर्नेंस सम्मेलन एवं राज्य स्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के अध्यक्ष प्राफेसर पी थिरूमूर्ति ने यह पुरस्कार प्रदान किये गये। इस अवसर पर कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ललित साहनी, सीएसआई के स्पेशल इंटरनेट ग्रुप के चैयरमेन डॉ. अशोक अग्रवाल, रिटायर्ड मेजर जनरल आर के बग्गा और भोपाल शाखा के सचिव श्री विवेक धवन एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश के प्रथम हिन्दी न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डाट ओआरजी के संपादक श्री सरमन नगेले को हिन्दी भाषी समुदाय के बीच सूचना प्रौद्योगिकी के रचनात्मक उपयोग एवं उन्हें सूचना सम्पन्न बनाने तथा आईसीटी यानि इंफारमेशन कम्प्यूनिकेशन टेक्नॉलाजी को न्यू मीडिया के माध्यम से प्रोत्साहित करने के प्रयासों के लिये सम्मानित किया गया।
मध्य प्रदेश में ई-गवर्नेंस और एम-गवर्नेंस को प्रोत्साहित करने की दिषा में मध्यप्रदेष का पहला हिन्दी ई-न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट पिछले छह वर्षो से सक्रिय है।
एमपीपोस्ट द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से लोक हितैषी पत्रकारिता को सषक्त बनाने तथा शासन-प्रशासन में आईसीटी संस्कृति विकसित करने की दिशा में निरंतर कार्यरत है। न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट द्वार प्रसारित जन हितैषी सूचनाआंे को विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत विषेषज्ञ संस्थाओं द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है।
श्री वी डी गरडे को सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के लिये लाईफ टाइम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के संस्थापक सदस्य हैं।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और कम्प्यूटर सोसायटी आफ इंडिया के नामांकन समिति के अध्यक्ष श्री अनिल श्रीवास्तव को अपने कार्यक्षेत्र और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के लिये सम्मानित किया गया।
इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पांच अन्य लोगों को भी सम्मानित किया गया है।
इसके अलावा मैपआईटी की नोडल अधिकारी अवंतिका वर्मा को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये और कर्नल एन पी दीक्षित को लाईफ टाइम उपलब्धि से सम्मानित किया गया।
ओरिएंटल ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को उत्कृष्टतम शैक्षणिक संस्थान के रूप में पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा आई ई एस ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को कैंपस के माध्यम से नई प्रतिभाओं को कंपनियों में रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिये सम्मानित किया गया। सागर ग्रुप आफ इंस्टीटयूशंस को उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान के बतौर पुरस्कृत किया गया।

मंगलवार, 1 जून 2010

सोशल मीडिया का बढ़ता दायरा

’’सोशल मीडिया ने दुनिया को एक तरफ गांव के रूप में तब्दील कर दिया है, तो दूसरी और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा है, स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को निशुल्क मौका देकर इसने मीडिया को पंख लगा दिये हैं, यह पत्रकारिता को प्रोत्साहित करता है, यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त कर दिया है, कुछ लोग इसे वैकल्पिक मीडिया के रूप में भी देख रहे है, कुल मिलाकर मीडिया के सोशल मीडिया ने सारे मायने ही बदल दिये हैं।’’
दुनिया में खासकर भारत में पिछले एक दशक के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी और संचार यानि आईसीटी के जरिए अनेक परिवर्तन हुए हैं। वे अद्भुत और अविस्मरणीय हैं। लगातार होते जा रहे परिवर्तनों पर सिलसिलेवार गौर करना अत्यंत आवश्यक है। ये वे परिवर्तन है जो सोशल मीडिया के जनक हैं। यह मीडिया आम जीवन का एक अनिवार्य अंग जैसा बन गया है। वैसे सोशल मीडिया का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। वह अभी अपने शैश्वकाल में है।
जहां तक सवाल मीडिया का है तो वह पांच प्रकार का है। पहला प्रिंट मीडिया, दूसरा रेडियो, तीसरा दूरदर्शन, आकाशवाणी और सरकारी पत्र-पत्रिकाएं, चौथा इलेक्ट्रानिक यानि टीवी चैनल, और अब पांचवा सोशल मीडिया। इस मीडिया ने दुनिया को गांव के रूप में बदल दिया है। दुनिया अब लोगों की मुठ्ठी में है। इसे न्यू मीडिया के रूप में भी जाना जाता है।
वैसे, इस मीडिया का उद्भव आईटी और इंटरनेट से हुआ है। मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाईट, ईमेल, ब्लॉग, सोशलनेटवर्किंग वेबसाइटस, जैसे माइ स्पेस, आरकुट, फेसबुक आदि, माइक्रो ब्लागिंग साइट टिवटर, ब्लागस, फॉरम, चैट सोशल मीडिया का हिस्सा है। यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त किया है।
एक अध्ययन के अनुसार लगभग प्रतिदिन समाचार पत्रों के पन्नों पर सोशल मीडिया से उठाई गई खबर या उससे जुड़ी हुई खबर रहती है। फकत, यही मीडिया है जो पत्रकारिता को प्रोत्साहित कर रहा है। आजकल हर तीसरी लड़की फेसबुक और ट्विटर से जुड़ी रहती है। लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करने में 10 फीसदी कम हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि अमिताभ बच्चन और बॉलीवुड के लगभग सभी बड़े सितारे ट्विटर पर हैं। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर सहित आधी से ज्यादा भारतीय क्रिकेट टीम ट्विटर पर है। तमाम बड़े राजनेता फेसबुक, ब्लॉग अथवा ट्विटर पर उपलब्ध हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल में अपना ब्लॉग शुरु किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना ब्लाग और वेबसाईट भी शुरू की है।
एक रिसर्च के अनुसार सोशल मीडिया में रेडियो, टी वी, इंटरनेट और आईपॉड आता है। रेडियो को कुल 73 साल हुए हैं टीवी को 13 साल तथा आईपॉड को 3, लेकिन इन सब मीडिया को पीछे छोड़ते हुए सोशल मीडिया ने अपने चार साल के अल्प समय में 60 गुना अधिक रास्ता तय कर लिया है जितना अभी तक किसी मीडिया ने तय नहीं किया।
सोशल मीडिया को अब चंद लोगों का ‘चोंचला’ कहकर खारिज नहीं किया जा सकता। भारत में आठ करोड़ से अधिक नेट उपयोक्ता हैं, जबकि 60 करोड़ से ज्यादा यानि भारत की कुल आबादी के 54 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास मोबाइल हैं जिनमें से एक तिहाई से अधिक मोबाइल फोन पर इंटरनेट की सुविधा है।
जहां सोशल नेटवर्किंग साइटों का अधिकतम इस्तेमाल कर रहे अमेरिका प्रशासन का मानना है कि ये ‘प्रभावी औजार’ हैं जो कूटनीति को बढ़ावा दे सकते हैं। इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के लगभग 60 मिलियन पेजेस ऑनलाइन हैं। वहीं त्रिनिदाद और टोबैगो की हाल ही में भारतीय मूल की कमला प्रसाद विसेसर प्रधानमंत्री चुनी गई है। कमला विसेसर ने अपना पूरा चुनाव अभियान फेसबुक के जरिए चलाया। अरब देशों में फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों की तादाद अखबार पढ़ने वालों से ज्यादा है। लगभग डेढ़ करोड़ लोग फेसबुक का इस्तेमाल कर रहे हैं। मिश्र में 35 लाख लोग फेसबुक से जुड़े हैं। कुल मिलाकर संयुक्त अरब अमीरात की एक तिहाई जनता फेसबुक की सदस्य है। इन दिनों साउदी अरब में भी फेसबुक प्रेम उफान पर है। पाकिस्तान में इन दिनों फेसबुक के उपयोग पर लाहौर हाईकोर्ट ने पाबंदी लगा दी थी। फेसबुक पर पाबंदी कुछ शर्तो के साथ हालही में खत्म कर दी है।
गौरतलब है कि पोर्टल व न्यूज बेवसाइट्स ने छपाई, ढुलाई और कागज का खर्च बचाया तो ब्लॉग ने शेष खर्च भी समाप्त कर दिए। ब्लॉग पर तो कमोबेस सभी प्रकार की जानकारी और सामग्री वीडियो छायाचित्र तथा तथ्यों का प्रसारण निशुल्क है साथ में संग्रह की भी सुविधा है।
यह ई-मीडिया का ही असर है कि अब वेब जर्नलिज्म पर पुरस्कार और कोर्स चालू हो गए हैं। हिन्दुस्तान में सांसद घूसखोरी को उजागर एक निजी वेबसाइट ने ही किया था। आईपीएल विवाद में ललित मोदी पर आरोप किसी समाचार पत्र या चैनल को सहयोग करने का नहीं लगा बल्कि एक वेबसाईट को सहयोग करने का लगा। कुल मिलाकर सोशल मीडिया का दायरा और असर बढ़ता ही जा रहा है।
एक अध्ययन के अनुसार आज हर रोज लगभग दो लाख नये ब्लॉग बनते हैं, लगभग चालीस लाख नयी प्रविष्टियां हर रोज दर्ज की जाती हैं। यही कारण है कि युवा पीढ़ी ने इसे तेजी से अपनाया है। अलबत्ता कुछ लोग दुर्भाग्यवश इस सुविधा का गलत इस्तेमाल भी करने लगे है।
अभी दुनिया में ब्लॉगरों की संख्या 13.3 करोड़ के लगभग है जबकि भारत में 32 लाख से अधिक लोग ब्लॉगिंग कर रहे हैं। वैसे तो ब्लागर की संख्या से लेकर ब्लाग की भाषा शैली में कई परिवर्तन आए हैं लेकिन आर्थिक रूप से यह अभी बहुत पीछे है, हिन्दी ब्लाग का आर्थिक मॉडल बनने में अभी न केवल समय लगेगा, वरन् इसमें सुधार की भी गुंजाइश है। एक अनुमान के अनुसार भारत में एक इंटरनेट कनेक्शन का लगभग 6 व्यक्ति उपयोग करते हैं।
हाल ही में वर्ल्ड वाइड वेब यानि डब्ल्यू3सी की अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस दिल्ली में हुई है जिसमें मैंने भागीदारी की। कांफ्रेंस में सबके लिए वेब और सब वस्तुओं पर वेब व वेब मीडिया और मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट के उपयोग को लेकर तथा वेब पर यूनिकोड के प्रचार-प्रसार पर गंभीरता से चर्चा हुई।
सोशल मीडिया का नकारात्मक पक्ष यह है कि जैसे राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक विषयों की जानकारी के अभाव में असत्य सूचनाओं तथा चित्रों का इस्तेमाल हो जाता है। इस मीडिया की भाषा मर्यादित नहीं होती है। यह मीडिया हिन्दी भाषा के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ कर रहा है।
सोशल मीडिया का प्रयोग स्वच्छ व्यवस्था, विश्वास और उत्तरदायित्व, नागरिक कल्याण, लोकतंत्र, राष्ट्र के आर्थिक विकास व सूचना के आदान-प्रदान में व संवाद प्रेषण के साथ व्यवस्था एवं नागरिकों के बीच विभिन्न व्यवस्था एवं सेवाओं के एकीकृत करने, एक संस्था के भीतर तथा सिस्टम के भीतर विभिन्न स्तरों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में किया जाए। तो सोशल मीडिया की न केवल सार्थकता सिद्ध होगी वरन् एक मील का पत्थर गढ़ेगा।
सोशल मीडिया का संबंध सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक और सूचना टेक्नॉलाजी व इंटरनेट से नहीं है बल्कि यह व्यवस्था के सुधारों को साकार करने का एक शानदार अवसर भी उपलब्ध कराता है। इंटरनेट और सोशल मीडिया मे पदार्पण से पहले लोग छोटी-मोटी बातों, विचारों, समाचारों, छायाचित्रों और वीडियो आदि पर प्रिंटाकार और मानवीय परिश्रम पर ज्यादा निर्भर रहते थे लेकिन लोगों की जीवन शैली में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कम्युनिकेशन, इंटरनेट के संगम से बने सोशल मीडिया के प्रयोग ने अनेक परिवर्तन ला दिये हैं गांव और शहर के बीच का अंतर लुप्त हो गया है। (लेखक- न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी के संपादक हैं।)

गुरुवार, 20 मई 2010

प्रधानमंत्री द्वारा प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए मध्य प्रदेश के अधिकारियों को प्रधानमंत्री पुरस्कार से नवाजा

सरमन नगेले
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में लोक सेवा दिवस के अवसर पर प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार से मध्यप्रदेश के सात अधिकारियों को नवाजा है।

गौरतलब है कि वर्ष 2008-09 के लिए जन प्रशासन में विशिष्टता के लिए 21 अप्रैल 2010 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री पुरस्कार प्रदान किए। इन पुरस्कारों की तीन श्रेणियों-व्यक्तिगत, समूह और संगठन के लिए नौ उत्कृष्ट पहलों को चुना गया है। इनमें से व्यक्तिगत श्रेणियों में शामिल हैं- पहला साम्प्रदायिक सौहार्द कायम रखते हुए विभिन्न धर्मों के अतिक्रमण हटाना जिला जबलपुर मध्यप्रदेश, दूसरा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत समुदायों को शामिल करना जिला बालाघाट, मध्यप्रदेश। समूह श्रेणी में पुरस्कार-अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी अधिनियम, 2006 का कार्यान्वयन मध्यप्रदेश।
इन पुरस्कारों के अंतर्गत एक लाख रूपए नकद, एक पदक और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। समूह के मामले में, कुल पुरस्कार राशि 5 लाख रूपए है जबकि संगठन के मामले में पुरस्कार राशि की सीमा 5 लाख तक है। कुल 9 पुरस्कारों में से 5 व्यक्तिगत, 3 ग्रुप वर्ग और एक संगठन श्रेणी में दिए गए हैं। ये पुरस्कार सिविल नागरिक सेवा दिवस यानी 21 अप्रैल, 2010 को व्यक्तिगत श्रेणी में श्री संजय दुबे, आईएएस (मुख्य कार्यापालन अधिकारी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मध्य प्रदेश शासन), श्री गुलशन बामरा, आईएएस, (कलेक्टर जबलपुर)। समूह श्रेणी के अंतर्गत श्री ओ. पी. रावत, अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण मध्यप्रदेश शासन। श्री जयदीप गोविंद प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग मध्यप्रदेश, श्रीमती रश्मि अरूण शमी, संचालक, उद्यनिकी सह-मिशन संचालक उद्यनिकी, श्री अनिल ओबेराय, अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, आईटी वन विभाग मध्यप्रदेश। श्री अशोकउपाध्याय, अपर संचालक आदिमजाति कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन ने ग्रहण किया। पुरस्कार पाने वाले सभी अधिकारियों को एक-एक लाख रूपये नगद, एक पदक और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
वन अधिकार अधिनियम 2006 के उत्कृष्ट क्रियान्वयन में श्री ओ.पी. रावत के नेतृत्व में बनी टीम ने सराहनीय भूमिका निभाई। श्री रावत एवं उनके सहयोगी अधिकारियों ने आदिवासियों और अन्य वनवासियों की वास्ताविक पहचान कर उन्हें पट्टे वितरित करने तथा फर्जी दावों को शत्-प्रतिशत रोकने के लिए संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभावी इस्तेमाल कर वैज्ञानिक पद्धति इजाद करने में अद्वितीय प्रषासकीय प्रतिभा का परिचय दिया है।
अपर मुख्य सचिव नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, श्री ओ.पी. रावत ने अवार्ड मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि टीम भावना को प्रोत्साहित करने से लोगो को न केवल प्रेरणा मिलती है। वरन् इससे देश एवं प्रदेश के सर्वांगीण विकास में मदद भी मिलती है। यह पुरस्कार सिविल सेवाओं के अधिकारियों के लिए सर्वोच्च है। प्रधानमंत्री पुरस्कार मध्यप्रदेश के विकास और प्रशासनिक अधिकारियों में टीम भावना के साथ काम करने तथा स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा से जुड़ने में सहायक होगा। देश व प्रदेश के विकास और जन कल्याण में इसी भावना से अधिकारी लग जाएं। यह भावना तब सुदृढ़ होती है जब पुरस्कार प्राप्त करने वाली टीम में काम करने वाले लोगों को शामिल किया जाए। पूरे देश में भारतीय प्रशासनिक या केन्द्रीय सेवाओं के अधिकारियों के अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा के श्री अशोक उपाध्याय पहले अधिकारी हैं जिन्हें यह पुरस्कार मिला है। यह पहला अवसर है जब किसी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को प्रधानमंत्री पुरस्कार प्राप्त करने वाली टीम में शामिल किया गया है। पहली मर्तबा प्रधानमंत्री पुरस्कार मिलने से मध्यप्रदेश का आदिम जाति कल्याण विभाग गौरवांवित महसूस कर रहा है। यह अवार्ड मिलने से अन्य विभाग में भी काम करने की टीम भावना जाग रही है।
मध्यप्रदेश में वन अधिकार अधिनियम 2006 के क्रियान्वयन के शानदार काम को देखने के लिए महाराष्ट्र और गुजरात के अधिकारियों की टीम ने मध्यप्रदेश का दौरा किया था। राज्य में करीब 94 प्रतिषत कार्य पूर्ण हो चुका है।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पाँचवें लोक सेवा दिवस के अवसर पर उन सभी लोगों को बधाई दी है जिन्होंने उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार प्राप्त किया है। उन्होंने अन्य लोक सेवकों के लिए अनुसरण के लिए एक उदाहरण रखा है। अवार्ड प्राप्त करने वालों का कार्य हमारा देश के लोगों के लिए अन्य लोगों को प्रेरणा देगा।
यह वार्षिक समारोह हमारे प्रशासनिक कैलेन्डर में अब एक खास स्थान रखता है। यह समारोह राष्ट्रीय चिन्ता के महत्तवपूर्ण मुद्दों पर अनुभव को बांटने और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक साथ आने के लिए विभिन्न सेवाओं के अधिकारियों और विभिन्न राज्यों के अधिकारियों को एक अनोखा अवसर प्रदान करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन के विचार-विमर्श एक-दूसरे से सीखने और काम करके सीखने की भावना के साथ किए जाएँगे और इसका परिणाम न केवल हमारी नीतियों के बेहतर क्रियान्वयन में बल्कि संशोधित नीति निर्माण में भी देखने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सूचना प्रौधोगिकी के उपकरणों का दोहन करने के लिए और क्रियान्वयन में इच्छित लाभार्थियों को शामिल करने के लिए नवीन तरीकों और साधनों को तैयार करने की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों पर है ताकि क्षरण की षिकायतों, भ्रष्टाचार की शिकायतों और पारदर्शिता की कमी की शिकायतों का समाधान हो सके । वास्तव में यह सेवाओं के निष्पादन में सभी कार्यक्रमों और स्कीमों पर लागू होता है। प्रभावी विकेन्द्रित और सामाजिक रूप से उपयुक्त विकास के लिए पंचायती राज प्रणाली की क्षमताओं को पूर्ण रूप से प्रयोग करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री म.प्र. शिवराज सिंह चौहान की वेबसाईट भारत सरकार द्वारा सम्मानित

केन्द्रीय मंत्री ए. राजा ने पुरस्कृत किया
सरमन नगेले
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा हिन्दुस्तान की अपने तरीके की अनोखी वेबसाईट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट आइडियाज फॉर सीएम डॉट इन को भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने वेब रत्न अवार्ड 2009 से नवाजा है। यह अवार्ड 19 अप्रैल 2010 को विज्ञान भवन नई दिल्ली में केन्द्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री थिरू. ए. राजा द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार के कार्यकलापों में लोगों की वैचारिक सहभागिता बढ़ाने की आवष्यकता सदैव अनुभव की है। प्रदेश के विकास की जो कल्पना उन्होंने की है उसे आपसी सहयोग के बिना मूर्त रूप देना संभव नहीं है। इसीलिए उन्होंने आइडियाज फॉर सीएम के माध्यम से जनमानस से बहुमूल्य सुझावों को आमंत्रित करने की पहल प्रारंभ की है। केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा ने जन भागीदारी की विषेश पहल के लिए यह अवार्ड प्रदान किया है।
अधिकाधिक अभिनव ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने और इस दिशा में विशिष्ट प्रयासों को समुचित मान्यता देने के क्रम में भारत सरकार के संचार एवं सूचना मंत्रालय के भारतीय राष्ट्रीय पोर्टल डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट जीओवी डॉट इन के दायरे में इस वर्ष से वेब रत्न अवार्ड की शुरूआत की गई है।
प्राप्त नामांकनों का नामांकन जांच समिति द्वारा मूल्यांकन किया गया। ज्यूरी के विषेषज्ञ सदस्यों ने मुख्यमंत्री म.प्र. शिवराज सिंह चौहान की वेबसाईट को जन भागीदारी की विशेष पहल को मद्देनजर रखते हुए चुना। अवार्ड प्रदान करने का यह पहला अवसर था।
रेखांकित करने योग्य पहलू यह है कि समाज के प्रत्येक तबके के नागरिकों को खुला अवसर उपलब्ध कराते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत में संभवतः पहले-पहल वेबसाईट आइडियाज फॉर सीएम डॉट इन 19 जनवरी 2009 से प्रारंभ की है।
एक जानकारी के मुताबिक वेबसाईट के शुभारंभ से लेकर 26 अप्रैल 2010 तक ’’यूएसए, यूके समेत प्रदेश एवं देश से 3008 सुझाव प्राप्त हो चुके हैं।’’ प्राप्त सुझावों में से 322 पंजीकृत हुए जिनमें से 280 का निराकरण किया गया और दस सुझावों का क्रियान्वयन के लिए चयन किया गया है। इस अनोखी वेबसाईट की परिकल्पना मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस की है। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप इस वेबसाईट को मूर्त रूप दिया है सुषासन एवं नीति विष्लेषण स्कूल ने।
वैसे मुख्यमंत्री म.प्र. को सीधे भेजे जाने वाली वेबसाईट आइडियाज फॉर सीएम के जरिए प्राप्त सुझावों व अन्य गतिविधियों की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस, मुख्यमंत्री के सचिव व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अनुराग जैन सतत् रूप से करते हैं। मप्र के वन विभाग में एम गवर्नेंस मंत्रा फॉर वन एण्ड वाइड लाईफ में फायर एलर्ट सिस्टम, वाइड लाईफ, आर्थिक और जीआईएस टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। प्रदेश के वन विभाग को प्रौद्योगिकी के अभिनव प्रयोग के लिए वेब रत्न अवार्ड दिया गया। इसके अलावा नेशनल पोर्टल पर राज्य से अधिक से अधिक तथ्य भेजे जाने के लिए भी मध्यप्रदेश के एनआईसी को भी वेब रत्न अवार्ड से नवाजा गया।
सामान्य प्रशासन विभाग म.प्र. के प्रमुख सचिव सुदेश कुमार, सुशासन एवं नीति विष्लेषण स्कूल के महानिदेशक प्रो. एचपी दीक्षित, संचालक अखिलेष अर्गल ने आइडियाज फॉर सीएम को मिले सिल्वर आईकॉन अवार्ड को दिल्ली में ग्रहण किया। जबकि अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक आईटी वन विभाग मध्यप्रदेश अनिल ओबेराय ने वन विभाग को मिले गोल्ड आईकॉन अवार्ड को प्राप्त किया। नेशनल पोर्टल के स्टेट समन्वयक कंटेंट अपलोडिंग तथा एनआईसी के टेक्नीकल डायरेक्टर संजय हार्डिकर व म.प्र. के राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी एम विनायक राव ने एनआईसी मध्यप्रदेश को मिला प्लेटिनम अवार्ड लिया।
बहरहाल वेब रत्न अवार्ड इन मायनों में प्रतिष्ठापूर्ण है क्योंकि इसकी संपूर्ण प्रक्रिया में लगभग नौ माह का समय लगा। आइडियाज फॉर सीएम का नामांकन 28 जुलाई 2009 को किया गया था। अवार्ड ज्यूरी में आईआईएम अहमदाबाद, आईआईटी देहली, नासकॉम, साइबर मीडिया इंडिया लिमिटेड, सचिव सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, महानिदेशक राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के साथ ही अन्य विषय विषेषज्ञ प्रतिनिधि शामिल थे।
इस स्वतंत्र ज्यूरी द्वारा विस्तृत ऑनलाइन तथा ऑफलाइन मूल्यांकन के बाद विजेताओं का चयन किया गया। नागरिक केन्द्रित सेवा, सार्वजनिक भागीदारी पहल, प्रौद्योगिकी का अभिनव इस्तेमाल, व्यापक वेब उपस्थिति मंत्रालय, व्यापक वेब उपस्थिति राज्य, उत्कृष्ट वेब सामग्री, नेशनल पोर्टल समन्वयक तथा नेशनल पोर्टल के लिए एनआईसी के राज्य समन्वयक की कुल आठ श्रेणियों के लिए अवार्ड प्रदान किए गए।
गौरएकाबिल बात यह है कि भारत सरकार के मंत्रालय विभागों सहित 27 राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों से 260 नामांकनों में मध्यप्रदेश के तीन विभागों के साथ ही बीस अन्य विजेताओं का चयन किया गया। वेब रत्न अवार्ड के कुल 23 विजेता बने।
गौरतलब है कि इस वेबसाईट के जरिए आमजन जितने चाहे उतने विकास एवं सुषासन से संबंधित अपने आईडियाज और सुझाव दे सकता है। आमजन द्वारा ऑनलाईन दिए गए आईडियाज और प्रदेश हित में अच्छे पाए गए तो उनका एक विषय विषेषज्ञों की समिति अध्ययन करती है। यह समिति उस सुझाव को जिस विभाग से संबंधित है उसको प्रेषित करती है। इसके बाद विभाग के अभिमत के साथ संपूर्ण जानकारी मुख्यमंत्री सचिवालय को दी जाती है। जिस विभाग से संबंधित आईडियाज प्राप्त हो रहे है, उस विभाग का विभागाध्यक्ष विषेष अतिथि के रूप में समिति में शामिल होता है। आईडियाज और सुझाव परीक्षणोपरांत विषय विषेषज्ञों की समिति और संबंधित विभाग अमान्य भी कर सकता है।
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री के समक्ष मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, सिंचाई, कृषि, प्रशासन, इनफारमेषन टेक्नॉलॉजी, आईटी पार्क से संबंधित सुझाव अनवरत् आ रहे हैं। जिन दस लोगो के सुझाव चयनित हो चुके हैं। उनको मुख्यमंत्री एक समारोह में सम्मानित करेंगे। सुझाव क्रियान्वयन के लिए प्रक्रियागत हैं।
म.प्र. में राज काज की शिव शैली सरकारी योजनाओ के पैकेज बनाकर उन्हें लोगों तक पहुंचाने की जगह आमजन को खुद योजनाएं बनाने का अवसर देने मै भरोसा करती है। म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि विभिन्न पंचायतों और महापंचायतों में पिछले दिनों आमजन ने सिद्ध किया है कि उसके पास समस्याओं का समाधान भी है। उनके सुझाव और प्रस्ताव ज्यादा हकीकी और जमीनी होते हैं। इस जन प्रज्ञा का उपयोग स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने में राज्य सरकार ने तैयारी कर ली है।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के नवनिर्माण में आइडियाज़ फार सीएम वेबसाइट महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। प्रदेश के नागरिकों से विकास और सुशासन के लिये प्राप्त सुझावों पर राज्य सरकार गंभीरता से अमल करेगी। वेबसाइट आइडियाज़ फार सीएम का उपयोग ऐसे आइडिया भेजे जाने में किया जाना चाहिये जो क्रियान्वयन योग्य हों और राज्य के विकास एवं सुशासन में योगदान देते हों। ऐसी अच्छी पद्धतियों की जानकारी भी दी जा सकती है जो उपयोगी हैं और जिन्हें अन्यत्र लागू किया गया है। मुख्यमंत्री म.प्र. शिवराज सिंह चौहान ने विजयी टीम के सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस ने अवार्ड मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि निरंतर संवाद के लिये यह वेबसाइट उपयोगी है। आम जनता को एक निर्धारित दायरे से बाहर जाकर विचार-विमर्श करने और अपने सुझाव देने का अवसर यह वेबसाइट प्रदान करा रही है। शासकीय अधिकारी-कर्मचारी भी विभिन्न सुझाव प्रस्तुत कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव ने कहा कि शासन तंत्र से जो आम आदमी सीधे नहीं जुड़ा वह चाहे किसी तबके, पेषे, किसानी, व्यवसाय, लघु उद्योग से जुड़ा हो उनके पास अपनी सोच है। उसकी जानकारी प्रदेश के विकास के लिए शासन के उच्चतम स्तर तक पहुंचाने का माध्मय इस वेबसाईट के जरिए सामूहिक सोच के साथ प्रदेश के विकास में किया जा रहा है। इस वेबसाईट पर दिए गए प्रत्येक विचार पर जिनके क्रियान्वयन से सफलता प्राप्त हो सकती है। उस पर आवष्यक कार्यवाही निरंतर की जा रही है।
उन्होंने कहा कि आइडियाज फॉर सीएम वेबसाईट को जन मानस जाने एवं उससे जुड़े, साथ ही उसके जरिए मध्यप्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने की प्रक्रिया में सहभागिता निभाते हुए मुख्यमंत्री को सुझाव भेजें। इसके लिए प्रदेश एवं देश और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर इंफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नॉलॉजी (आईसीटी) का उपयोग किया जा रहा है।


बुधवार, 19 मई 2010

भारत के चुनिन्दा पत्रकारों और संपादकों पर केन्द्रित फिल्मों की बनेगीं श्रंखला

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने बीड़ा उठाया
आजाद भारत के चुनिन्दा संपादकों पर अब वृतचित्रों की श्रंखला बनाई जाएगी .इस कड़ी में पहली फिल्म राजेंद्र माथुर पर बन चुकी है । इसके बाद अब प्रभाष जोशी , राहुल बारपुते ,सुरेन्द्र प्रताप सिंह और शरद जोशी पर फिल्में अगले तीन साल में पूरी हो जाएँगी .वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने यह बीड़ा उठाया है . इन फिल्मों पर फिलहाल शोध कार्य शुरू हो चुका है । प्रिंट ,रेडियो और टीवी -तीनो विधाओं में काम कर चुके राजेश बादल ने बताया कि राजेंद्र माथुर पर बनी फिल्म का पहला शो इंदौर में इन्दौर प्रेस क्लब का प्रतिष्ठा प्रसंग भाषाई पत्रकारिता महोत्सव के अवसर पर हुआ। भाषाई पत्रकारिता महोत्सव एक एवं दो मई 2010 को इन्दौर में संपन्न हुआ। इंदौर से ही राजेंद्र माथुर ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की थी .वे इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे थे .इंदौर में उनके नाम पर बने राजेंद्र माथुर ऑडिटोरियम में इस फिल्म का प्रदर्शन हुआ।कलम के महानायक राजेन्द्र माथुर पर केन्द्रित फिल्म लोकार्पण प्रसंग के मुख्य अतिथि श्री श्रवण गर्ग, समूह संपादक दैनिक भास्कर थे। फिल्म को देखने के लिए सेंट्रल प्रेस क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व राष्ट्रीय हिन्दी मेल के संपादक विजयदास, सेंट्रल प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाठक, पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ, महासचिव, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, अविनाष पसरीया वरिष्ठ छायाचित्रकार, नई दिल्ली, डॉ. मानसिंह परमार विभागाध्यक्ष, देवी अहिल्या विष्वविद्यालय, आलोक तोमर, सलाहकार संपादक, सीएनईबी, सुश्री रेणु मिततल, राजनीतिक संपादक, रेडीफमेल, सुश्री वर्तिका नंदा, प्रोफेसर, आईआईएमसी, अषोक वानखेड़े, वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली, यषवंत सिंह, संपादक, भड़ास4मीडिया, भुवनेष सिंह सैंगर, प्रोड्यूसर आज तक, नई दिल्ली, सरमन नगेले संपादक एमपीपोस्ट, श्री प्रकाष हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, सहारा समय, विनोद शर्मा, राजनीतिक संपादक, हिन्दुस्तान टाइम्स, जयषंकर गुप्त, कार्यकारी संपादक, लोकमत नागपुर, पंकज शर्मा कार्य संपादक, कांग्रेस संदेष, नई दिल्ली, श्री प्रवीण शर्मा, प्रधान संपादक, हेलो हिन्दुस्तान, एसआर सिंह कार्यकारी संपादक, टाइम्स ऑफ इंडिया, सुश्री सुप्रिया रॉय डेट लाइन इंडिया, आईपीसी अध्यक्ष, प्रवीण खारीवाल, महासचिव अन्नादुराई, कीर्ति राणा, संपादक दैनिक भास्कर, षिमला, संजीव आचार्य करेंट नई दिल्ली, लतिकेष शर्मा, मीडियामंच, मुंबई, ओमी खंडेलवाल, पुष्पेन्द्र पाल सिंह माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विष्वविद्यालय, विभागाध्यक्ष, पत्रकारिता संकाय, श्री विजय मनोहर तिवारी विषेष संवाददाता दैनिक भास्कर, विकास मिश्रा, संपादक, पीपुल्स समाचार इन्दौर, 6पीएम के ब्यूरो चीफ गौरव चतुर्वेदी, कृषक जगत के सचिन बोंद्रिया, फोटो पत्रकार गोपाल जोषी समेत बड़ी संख्या में पत्रकार , लेखक और विचारक उपस्थित थे . श्री बादल के मुताबिक इस फिल्म को बनाने में तीन साल लग गए .माथुर जी का निधन 1991 में हुआ था और उस समय टीवी ने उद्योग की शकल देश में नहीं ली थी . इसलिए उनके वीडियो को जुटाने में काफी टाइम लग गया। आधा घंटे की इस फिल्म में राजेंद्र माथुर के दुर्लभ वीडियो के अलावा उनके रेडियो साक्षात्कारों के हिस्से और 36 साल में लिखे उनके चुनिन्दा लेखों के हिस्से शामिल किये गए हैं .इसके अलावा राजेंद्र माथुर की पत्रकारिता को समझने वाले और उनके करीब रहे लोगों से बातचीत भी इसमें दिखाई गयी हैं .राजेश बादल के मुताबिक यह फिल्म नए पत्रकारों के लिए बेहद उपयोगी तो है ही , उन लोगों के लिए भी काम की है ,जिन्होंने न तो राजेंद्र माथुर को देखा है ,न उनके साथ काम किया और न उनको पढ़ा है . श्री बादल ने बताया कि इस फिल्म के शो देश भर में हिंदी मीडिया से जुड़े लोगों के लिए किये जायेंगे .मीडिया संस्थानों और कॉलेजों में भी फिल्म दिखाई जायेगी ,जहाँ पत्रकारिता पढाई जाती है। राजेंद्र माथुर पहले नई दुनिया इंदौर के प्रधान संपादक और फिर राष्ट्रीय दैनिक नवभारत टाइम्स के संपादक रहे .वैसे वे अंग्रेजी के प्रोफेसर थे लेकिन हिंदी पत्रकारिता में उनका योगदान अदभुत है। उनके लेखन के कई संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।राजेश बादल ने बताया कि इस क्रम में अन्य पत्रकारों और संपादकों पर फिल्मों कि शूटिंग भी जल्द शुरू हो जाएगी .बादल ने अपील की कि जिसके पास भी सुरेन्द्र प्रताप सिंह ,प्रभाष जोशी ,शरद जोशी और राहुल बारपुते के फोटो, वीडियो या अन्य दस्तावेज हों कृपया उन्हें प्रदान कर सहयोग करें। राजेश बादल राजेंद्र माथुर और सुरेन्द्र प्रताप सिंह के साथ करीब बारह साल तक साथ काम कर चुके हैं और पिछले 34 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं।

बुधवार, 5 मई 2010

ई-मीडिया का वजूद अन्य मीडिया की तुलना में कई गुना बड़ा ई-मीडिया के बढ़ते कदम पर राष्ट्रीय कार्यषाला में वक्ताओं की राय

इन्दौर प्रेस क्लब द्वारा भाषायी पत्रकारिता महोत्सव के दौरान अंतिम सत्र में ई-मीडिया के बढ़ते कदम पर वक्ताओं ने अपनी-अपनी बात रखी। सभी वक्ताओं ने इस बात पर विषेष उल्लेख किया कि आज ई-मीडिया मजबूत स्थिति में है। सबसे अहम बात यह है कि इससे आम आदमी बड़े पैमाने पर जुड़ रहा है। ब्लॉग के जरिये हर नागरिक के पास मन की बात लाखों लोगों तक पहुंचाने की ताकत आई है। वरिष्ठ पत्रकार और आईआईएमसीटी प्रोफेसर वर्तिका नंदा ने रविवार दो मई 2010 को भाषायी पत्रकारिता महोत्सव के तहत आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कहा ई-मीडिया ने हर इंसान को पत्रकार बना दिया है। इससे सिटीजन जर्नलिज्म बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ई-मीडिया ने पांच साल में पचास गुना अन्य मीडिया की तुलना में वृद्धि की है। जो इस बात को द्योतक है कि इसका असर दिख भी रहा है। भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने कहा ई-मीडिया से चौराहों और पान की दुकानों की चर्चा कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ गई है। ब्लॉग ने संपादक के नाम पत्र की भरपाई कर दी है। उन्होंने कहा कि ई-मीडिया में सीमित संसाधनों में काम किया जा सकता है। इसमें अधिक धन की जरूरत नहीं है। उन्होंने पेड न्यूज पर अपना धारा प्रवाह भाषण दिया। उन्होंने मीडिया में कार्यरत् पत्रकारों के साथ हो रही जद्दतियों का खुला किया और कहा कि जब से अखबार मालिकों को अखबारों की प्रिंट लाइन में नाम छपवाने का प्रचलन बढ़ा है तब से अखबारों में संपादक नाम की संस्था का वजूद काफूर हो गया है। उन्होंने कहा कि जब पेड न्यूज के नाम पर संपादकों को दोषी ठहराया जाता है तो मालिक संपादक इसके सहभागी होने से कैसे बच सकते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेष और दिल्ली में कार्यरत् विभिन्न समाचार पत्रों और चैनलों तथा जिला स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों की व्यथा और उनके शोषण की कथा अपने तरीके से बंया की। उन्होंने भड़ास4मीडिया के अभी तक की यात्रा के बारे में भी प्रकाष डाला। वरिष्ठ पत्रकार और डेट लाइन इंडिया के संपादक आलोक तोमर ने कहा कि जब तक सरकारों के हाथ से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराना समाप्त नहीं होगा। तब तक ई-मीडिया कोई बहुत बड़ा चमत्कार नहीं कर सकता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कुछ समय पूर्व भारत सरकार ने अनेक वेबसाइटों को बंद करा दिया था। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि कुछ राज्यों में बिजली की बहुत ज्यादा समस्या है तब ई-मीडिया कैसे पल्लवित हो सकेगा। उन्होंने वेब स्ट्रीमिंग की बात भी रखी। ईएमएस के संपादक सनत जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि ई-मीडिया ने ऐसा चमत्कार किया है कि अब रिक्षे वाला भी मोबाइल फोन से वीडियों क्लिप बनाकर उसका प्रसारण करा सकता है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स के क्षेत्र में इस मीडिया का ज्यादा दखल है। आजतक नई दिल्ली के प्रोड्यूसर भुवनेष सिंह सेंगर ने टीवी पत्रकारिता पर अपना वक्तव्य दिया। मीडिया मंच के संपादक लतिकेष शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भविष्य में अब रिक्षे वाला का भी वेब पोर्टल होगा। उन्होंने ई-मीडिया के असर को रेखांकित किया। रेडिफमेल की पोलिटिकल एडिटर रेणु मित्तल ने 3जी के बारे में अपना पक्ष रखा। उन्होंने ई-पेपर का असर भारत में तेजी के साथ बढ़ रहा है इस पर बात रखी। उन्होंने उदाहरण दिये कि कुछ विदेषी मुल्क ऐसे हैं जहां की संस्थानों ने अपने प्रिंट संस्करण बंद कर दिये है अब वे सिर्फ इंटरनेट संस्करण निकाल रहे हैं। एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने अपनी बात ई-मीडिया के गुण-दोष पर केन्द्रित की। ई-मीडिया यानि न्यू मीडिया का दायरा दिन-प्रतिदिन न केवल बढ़ता जा रहा है बल्कि अपनी जड़े भी मजबूत कर रहा है। वर्तमान दौर का यही एक मात्र ऐसा मीडिया है जिसका प्रभाव विष्व व्यापी तो है ही। इसका असर तत्काल होता है। न्यू मीडिया पर कोई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत व्यक्त किए गए विचारों, समाचारों, फोटो और वीडियो का प्रसारण हो गया तो मान के चलिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तक की ताकत नहीं है कि उसको हटवा सके। उन्होंने कहा कि न्यू मीडिया में आरटीआई के जरिए सूचनाओं का आदान प्रदान कर पत्रकार बेहतर तरीके से ई-जर्नलिज्म कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीएससी यानि कॉमन सर्विस सेंटर जिसको ई-क्योस्क या ई-गुमठी भी कहते है। मध्यप्रदेष में 9232 स्थापित हो रही है। देष में 25 राज्यों में लगभग एक लाख दस हजार से अधिक गुमठियां स्थापित हो रही है। इसके अलावा निजी क्षेत्र के लोग भी ई-गुमठियां तथा इंटरनेट की सुविधा प्रदान करा रहे हैं। ई-गुमठियों के स्थापित होने से ई-जर्नलिज्म का विस्तार तेजी के साथ बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह ई-मीडिया का ही असर है कि अब वेब जर्नलिज्म पुरस्कार और कोर्स चालू हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार यूएनडीपी की परियोजना सोल्यूषन एक्सचेंज की तरह ई-फॉरम बनाकर ई-फॉरम चला सकते हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक पत्रकारिता भी ई-मीडिया का हिस्सा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ई-मीडिया का ही असर है कि कोबरा पोस्ट में सांसद घूसखोरी को उजागर किया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री शषि थरूर और आईपीएल के आयुक्त ललित मोदी का विवाद वेब के जरिये ही सामने आया है, मोदी पर आरोप यह नहीं लगा कि किसी चैनल या अखबार को मदद की बल्कि वेबसाइट को मदद करने का आरोप उन पर लगाया गया। श्री नगेले ने कहा कि वेब का व्यूवर्स अलग प्रकार का होता है किसी भी राज्य का केन्द्र से संचालित होने वाली वेबसाइट को भीभत्सव खबरों से बचना चाहिए। साथ ही इस तरह की खबरें देना चाहिए जिससे की उनके शहर या राज्य पर भविष्य में होने वाले निवेष पर असर न पड़े। उन्होंने कहा कि नये-नये पत्रकार टीवी की पत्रकारिता की ओर भाग रहे है और बेमौत मारे जा रहे है। जबकि वहां वैल्यू एंकर की है। उन्होंने कहा कि आजकल टीवी चैनल के मुख्यालय में कार्यरत् पत्रकार अपने संवाददाताओं व ब्यूरो प्रमुखों से खबर की स्क्रिप्ट इंटरनेट के माध्यम से नोटपेड पर यूनिकोड फॉंट में बुला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के बढ़ते दायरे और इस्तेमाल के कारण अब बड़ी-बड़ी कंपनियां क्षेत्रिय भाषाओं में सर्च इंजन ला रही हैं। गूगल के द्वारा एक ऐसी परियोजना पर काम किया जा रहा है जिसके अमल में आने के बाद अमेरिका के सौ साल पुराने समाचार पत्र ऑनलाइन देख सकेंगे। गूगल समाचार पत्रों का डिजिटलाइजेषन कर रहा है। मोबाइल फोन पर इस्तेमाल होने वाले टूल्स पर भी विषेष ध्यान दिया जा रहा है। श्री नगेले ने रवि घाटे का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी संस्था एसएमएस 1 महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेष, केरल, तमिलनाडु, में एसएमएस के आठ लाख से अधिक सबसक्राबर हैं। इस क्षेत्र में लोगो को रवि घाटे जैसे लोग, लोगों को गांव गांव में रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। इंटरनेट आधारित एसएमएस का इतना असर है कि लोगो का रोजगार भी मिल रहा है और पत्रकारिता भी कर रहे हैं। सहारा समय भी एसएमएस सुविधा के जरिए सूचनाओं का अदान-प्रदान तुरंत कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही एम पेपर अब पढ़ने को मिल सकेंगे। इसके साथ ही ई-मीडिया के बाद एम-मीडिया शीघ्र सामने होगा। श्री नगेले ने बताया कि इसका निगेटिव पक्ष यह है कि जैसे राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक विषयों की जानकारी के अभाव में असत्य सूचनाओं तथा चित्रों का इस्तेमाल हो जाता है। उन्होंने एक मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान जिन लोगों के साथ घटना हुई थी उनकी बजाए स्थानीय सांसद और ऐसे व्यक्ति से संबंधित समाचार वेब साइट पर प्रसारित कर दिया गया था जिसका उस घटना से कोई ताल्लुक भी नहीं था। उन्होंने कहा कि इस मीडिया की भाषा मर्यादित नहीं होती है। यह मीडिया हिन्दी भाषा के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ कर रहा है। श्री नगेले ने कहा कि रचनाकार अपनी नई-नई रचनाओं, ऑनलाइन कविता प्रतियोगियों आदि के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्षन कर वेब जर्नलिज्म जैसे नए क्षेत्र में अपना उचित स्थान हासिल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि होषंगाबाद के एक व्यक्ति ने ऑनलाइन कविता पाठ भी कराया है। श्री नगेले ने बताया कि जल्द ही गांव-गांव में ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचने वाली है। इसके बाद तो ई-मीडिया का ही असर चारों तरफ देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार गांवों को दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सेवा संपन्न बनाने के लिए 3.5 अरब डॉलर की राशि से देश के 626,000 गांवों में ये सेवाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए 11,000 संचार टॉवर लगाए जाएंगे। इनमें से कई टॉवर बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा के नजदीक स्थित गांवों में लगाए जाएंगे। उन्होंने उदाहरण दिया कि भारत में 45 प्रतिषत लोगों के पास मोबाइल फोन हैं जबकि 31 प्रतिषत लोगों के पास शौंचालय की व्यवस्था है। यह इस बात को दर्षाता है कि भारत में टेक्नॉलाजी का विस्तार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट का एक तरह लोगों को नषा हो गया है। इंटरनेट के बिना वे लोग अपना जीवन अधूरा महसूस करते हैं। जो इसका सर्वाधिक उपयोग करते हैं। कार्यषाला का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और इन्दौर प्रेस क्लब के पदाधिकारी व सहारा समय के इन्दौर ब्यूरो चीफ प्रकाष हिन्दुस्तानी ने किया। इस अवसर पर हिन्दुस्तान टाइम्स नई दिल्ली के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा, वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजेष बादल, माखलनलाल चतुर्वेदी विष्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष पुष्पेंद्रपालसिंह, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के पदाधिकारी पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, कांग्रेस संदेष के संपादक पंकज शर्मा सहित सैकड़ों पत्रकार, फोटो पत्रकार और वेब पत्रकार मौजूद थे। कार्यषाला के समापन के दौरान प्रेस क्लब, महासचिव अन्ना दुराई ने सभी वक्ताओं को प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
http://www.mppost.org/
http://www.mppost.com
पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
पत्राचार का पता
एफ-45/2,
साऊथ टी.टी. नगर, भोपाल म.प्र.
462 003. दूरभाष - (91)-755-2779562 (निवास)
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