मंगलवार, 23 अप्रैल 2019


आम चुनाव 2019, प्रजातंत्र, सोशल मीडिया और मतदान
भारत डिजिटल लोकतंत्र की ओर
सरमन नगेले
['' सोशल मीडिया प्रजातंत्र का एक सर्वाधिक सक्रिय मित्र और प्रहरी बन गया है।
भारत में संपन्न हुए सौलहवीं लोकसभा चुनाव में, हाल ही में पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में, अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में सोशल मीडिया और मोबाईल मीडिया ने प्रजातंत्र की सेहत के लिये अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी है। कहा जा रहा है कि भारत डिजिटल लोकतंत्र की ओर तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है। '']
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के महोत्सव यानि भारत के आम चुनाव 2019 में न केवल सर्वाधिक नया कुछ दिख रहा है बल्कि राजनीतिक दलों के साथसाथ चुनाव आयोग भी जिसका भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। वह है संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सोशल मीडिया और मोबाईल मीडिया । मतलब भारतीय लोकतंत्र का अभिनव अनुभव डिजिटल लोकतंत्र। 2014 के आम चुनाव के सभी चरणों में सर्वाधिक 66.48 फीसदी मतदान हुआ है। इसके पहले का सर्वाधिक मतदान 1984 में 64.01 प्रतिशत दर्ज किया गया था। कुल मिलाकर सोशल मीडिया और मोबाईल मीडिया ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने में अहम भूमिका 2014 के चुनाव में निभाई है और इस बार के चुनाव में भी उससे अधिक व्यापक पैमाने पर एवं प्रभावी ढंग से निभाएगा। ऐसा सोशल मीडिया के उपयोग के कारण प्रतीत होता है। 
निर्वाचन आयोग कई तरह के अत्याधुनिक तकनीकी माध्यमों का इस्तेमाल कर रहा है।  चुनाव आयोग ने इंटरनेट के जरिए देश के हर बूथ को जोड़कर और मिनटों में हर सूचना देश के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंचाने का भी इंतजाम किया था। इस बार भी कर रहा है। 
पिछले आम चुनाव में चुनाव आयोग, राजनैतिक दलों ने सोशल मीडिया और मोबाईल मीडिया का व्यापक पैमाने पर उपयोग किया। इससे मतदान का प्रतिशत ऐतिहासिक रूप से बढ़ा। सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं ने सजगता के साथ मतदान में भागीदारी की। इस बार इसका दखल अत्याधिक इसलिए दिख रहा है। क्यो कि इसकी अपनी एक डिजिटल सोसायटी बन गई है और नई नई टेक्नॉअलाजी एवं उपकरण आ गए हैं।   
सोशल मीडिया आज एक शक्तिशाली विकल्प के रूप में ऐसे लोग की आवाज बन गया है जिनकी आवाज या तो नहीं थी या अनसुनी कर दी जाती थी। आज शक्तिशाली विचारों को व्यापक रूप से फैलाने के लिये सोशल मीडिया एक शक्तिशाली मंच के रूप में उपयोग हो रहा है। विचारों के फैलाव के साथ ही सोशल मीडिया बड़े सामाजिक परिवर्तनों और सोच में बदलाव का कारण बन रहा है। इस दृष्टि से सोशल मीडिया प्रजातंत्र का एक सर्वाधिक सक्रिय मित्र और प्रहरी बन गया है। सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं ने अपना अलग समुदाय और विशिष्ट नागरिकता की स्थिति बना ली है। सोशल मीडिया से जुड़े नागरिकों ने प्रजातांत्रिक प्रक्रिया में दबाव समूह के रूप में कार्य करने की संस्कृति भी विकसित कर ली है। वे न सिर्फ मत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं बल्कि प्रजातंत्र को भी मजबूत करने का काम कर रहे हैं।
वैसे सोशल मीडिया का उद्भव आईटी और इंटरनेट से हुआ है। मुख्य रूप से वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, सिटीजन जर्नलिज्म आधारित वेबसाइट- ई-मेल, ब्लॉग, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटस, जैसे फेसबुक, माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट, ट्विटर, यूट्यूब, फ्लिकर, टम्बलर, स्टेमबेलपोन, लिंक्डइन, गूगल प्लस, इंस्टाग्राम, ब्लॉग्स, फॉरम, चैट व्हाट्सअप आदि सोशल मीडिया का हिस्सा है। सोशल मीडिया के विशेषज्ञ मोबाइल मीडिया को भी सोशल मीडिया का रूप मानते हैं जैसे एसएमएस, एमएमएस, मोबाइल वेबसाइट, मोबाइल एप, वीडियो लिंक, चेट, मोबाइल के माध्यम से वॉयस कॉल, वीडियो चेट और मोबाइल रेडियो आदि।
भारत में तेजी से मोबाईल यूजर,इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर सक्रियता भी बढ़ रही है। जल्दी ही भारत अमेरिका से आगे निकल जायेगा। ऐसी स्थिति निर्मित हो गई है। भारत में संपन्न हुए सौलहवीं लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया और मोबाईल मीडिया ने प्रजातंत्र की सेहत के लिये अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी है। इससे स्पष्ट है कि सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं ने सजगता के साथ मतदान में भागीदारी की।
राजनैतिक वक्तव्यों और त्वरित टिप्पणियों की ट्विटर पर धूम मची रही। सरकारी और गैर-सरकारी मीडिया ने ट्विटर पर सबसे तेज चुनाव नतीजे के ट्रेंड को बताया।
आम चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ना इस बात को सिद्ध करता है कि चुनाव आयोग ने भी सोशल मीडिया के जरिए स्वीप कार्यक्रम चलाया और मत के महत्व को समझाया इससे मतदाताओ में जागरूकता बढ़ी और बड़ी संख्या में मतदान हुआ। इस बार भी चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर मतदान प्रतिशत बढाने के लिए लगातार प्रभावी ढंग से नवाचार कर रहा है। राज्य और जिला निर्वाचन अधिकारियों ने तो बकायदा स्वीप के नाम से सोशल मीडिया पर अकाउंट खोले हुए हैं। जिन पर भी प्रतिदिन नए नए तरह की एक्टिविटी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर केन्द्रित कार्याशालाएं की जा रही है। विभिन्न राज्यों के सीईओ कार्यालय में स्वीप गतिविधियों का कार्य देख रहे अधिकारी फेसबुक लाइव के जरिए आम मतदाता से जुड रहे हैं और उन्होंने चुनाव प्रक्रिया से संबंध में जागरूक कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी समेत सभी स्तरों पर निर्देश दिये हैं। चुनाव आयोग ने नामांकन भरने के दौरान उम्मीदवारों से सोशल मीडिया की जानकारी मांगी है, इसके आधार पर चुनाव आयोग मॉनिटरिंग करेगा। पिछले बार के चुनाव के मुकाबले इस बार चुनाव आयोग सोशल मीडिया की मॉनीटरिंग करने के लिए अधिक सक्रिय है और नए नए इंतजाम भी किये जा रहे हैं। इस मर्तबा सोशल मीडिया मंचों के भारत स्थित प्रतिनिधियों और सोशल मीडिया विशेषज्ञों के साथ मिलकर भारत निर्वाचन आयोग ने एक डेडीकेटेड व्यवस्था मॉनीटरिंग के लिए की है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार राज्यों में भी सोशल मीडिया के क्षेत्र में दक्ष संस्थाओं का उपयोग किया जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में एवं भारत के आम चुनाव 2014 और हाल ही में पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में सोशल मीडिया की नई भूमिका सामने आई है। जैसे ही भारत में सोशल मीडिया के उपयोग की समझ बढ़ी तो चुनावों में इसका असर दिखा। चुनाव आयोग ने युवाओं की सूची को भांपकर ही तो न केवल अनेक स्लोगन गढ़ बल्कि सोशल मीडिया पर केन्द्रित कई वीडियो फिल्म बनवाई। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने मतदाताओं की सुविधा के लिए मोबाईल आधारित फीचर्स का उपयोग भरपूर किया। चुनाव आयोग 20 मार्च 2019 के ट्विटर पर भी आ गया है। चुनाव आयोग के आईटी आधारित नवाचार जैसे नागरिकों को चुनाव अवधि के दौरान आदर्श आचार संहिता के उलंघन की जानकारी देकर मॉडल कोड पर रिपोर्ट करने के लिए एक आनलाइन एप शुरू किया है जो सीविजिल एप के नाम से जाना जाता है। क्यू मैनेजमेंट सिस्टम, ईवीएम प्रंबधन प्रणाली, उम्मीदवार नामांकन, अनुमति, मतदान दिवस, मतगणना और परिणाम प्रसार प्रणाली, ईआरओ नेट, राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल, नागरिकों को अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए सिंगल विंडो कामन इंटरफेस, इलेक्ट्रानिक रूप से प्रेषित पोस्टल बैलट सिस्टम ईटीपीबीएस, चुनाव कार्य में संलग्न लोगों के लिए आब्जर्वर पोर्टल, ईसीआई आथेंटिकेटर एप जैसी आईटी आधारित सुविधाएं इस चुनाव में आम मतदाताओं और चुनाव कार्य से जुडे हुए लोगों को ​चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।
भारत में आम चुनाव 195152 से 2014 तक का मतदान प्रतिशत
पहला चुनाव 195152 कुल मतदान प्रतिशत 61.16
दूसरा चुनाव 1957 कुल मतदान प्रतिशत 63.73
तीसरा चुनाव 1962 कुल मतदान प्रतिशत 55.42
चौथा चुनाव 1967 कुल मतदान प्रतिशत 61.33
पांचवा चुनाव 1971 कुल मतदान प्रतिशत 55.27
छठा चुनाव 1977 कुल मतदान प्रतिशत 60.49
सातवां चुनाव 1980 कुल मतदान प्रतिशत 56.92
आठवां चुनाव 198485 कुल मतदान प्रतिशत 64.01
नौवां चुनाव 1989 कुल मतदान प्रतिशत 61.95
दसवां चुनाव 199192 कुल मतदान प्रतिशत 55.88
ग्यारवां चुनाव 1996 कुल मतदान प्रतिशत 57.94
बारहवां चुनाव 1998 कुल मतदान प्रतिशत 61.97
तेहरवां चुनाव 1999 कुल मतदान प्रतिशत 59.99
चौदहवां चुनाव 2004 कुल मतदान प्रतिशत 58.07
पंद्रहवां चुनाव 2009 कुल मतदान प्रतिशत 58.19
सोलहवां चुनाव 2014 कुल मतदान प्रतिशत 66.48

आज एक सबसे बड़ी बात यह है कि सोशल मीडिया के कारण सूचनाओं पर से विशेषाधिकार हट गया है। बंधन समाप्त हो गये हैं। इसलिये हर सूचना या तो नेट पर उपलब्ध है या आसानी से हासिल की जा सकती है। चूंकि जानकारी हासिल करना सरल हो गया है इसलिए अपनी अभिव्यक्तियां देना और मत व्यक्त करना और भी सरल और तेज हो गया है। मत का प्रसार तेज हो गया है, इसलिये निर्णय की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। लब्बोलुआब यह है कि चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका ज्यादा से ज्यादा प्रासांगिक होती जा रही है। हम सब डिजिटल लोकतंत्र की ओर कदम बढा रहे हैं।
एक रिसर्च के मुताबिक सोशल मीडिया में अन्य मीडिया की तुलना में न केवल अधिक विस्तार किया है बल्कि जनमानस के उपर गहरी पेठ बनाता जा रहा है। वैसे रेडियो को कुल 78 साल हुए हैं जबकि टीवी को 19 साल लेकिन इन सब माध्यम को पीछे छोड़ते हुए सोशल मीडिया ने अपने 14 से 15 साल के अल्प समय में 80 गुना अधिक विस्तार किया है जितना अभी तक किसी मीडिया ने नहीं किया। यह प्रमाणित करता है कि भारत डिजिटल लोकतंत्र की ओर तेजी के साथ आगे बढ रहा है।
(लेखक-  न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट कॉम के संपादक हैं।)

सोमवार, 26 नवंबर 2018

प्रजातंत्र की आवाज़ बना सोशल मीडिया - सरमन नगेले


प्रजातंत्र की आवाज़ बना सोशल मीडिया 
प्रजातंत्र, सोशल मीडिया और मतदान
मतदान दिवस: सर्वाधिक शक्तिशाली दिन, लोकतंत्र के लिए मजबूत प्रतिबद्धता
- सरमन नगेले

’’मतदान दिवस के अवसर पर आईए प्रतिज्ञा करें कि हम अपने लोकतंत्र को अधिक शक्तिशाली बनाएंगे और मतदान कर सहभागी बनेंगे! 
28 नवंबर 2018 को सौ फ़ीसदी मतदान हो एवं सरकार हमारे मत से बने इसका हिस्साब बनेंगे।’’ लोकतंत्र में ‘मत’ लोगों के लिए अपनी अभिव्यक्ति और अपनी आवाज की सुनवाई के लिए सर्वाधिक प्रभावशाली साधन है. यहां तक कि 'सर्वाधिक शक्तिशाली' नेता भी बैलेट बॉक्स के सामने बौने नज़र आते हैं। 

’’पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग, राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा सोशल मीडिया का व्यामपक स्त्र पर सबसे ज्यादा उपयोग किया जा रहा है। इससे मतदान का प्रतिशत ऐतिहासिक रूप से बढ़ने की संभावना प्रबल होती जा रही है। अब बारी है सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं द्वारा सजगता के साथ मतदान में भागीदारी करने की।’’ 

सोशल मीडिया आज एक शक्तिशाली विकल्प के रूप में ऐसे लोगों की आवाज बन गया है जिनकी आवाज या तो नहीं थी या अनसुनी कर दी जाती थी। आज शक्तिशाली विचारों को व्यापक रूप से फैलाने के लिये सोशल मीडिया एक शक्तिशाली मंच के रूप में उपयोग हो रहा है। विचारों के फैलाव के साथ ही सोशल मीडिया बड़े सामाजिक परिवर्तनों और सोच में बदलाव का कारण बन रहा है। इस दृष्टि से सोशल मीडिया प्रजातंत्र का एक सर्वाधिक सक्रिय मित्र और प्रहरी बन गया है। सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं ने अपना अलग समुदाय और विशिष्ट नागरिकता की स्थिति बना दी है। सोशल मीडिया से जुड़े नागरिकों ने प्रजातांत्रिक प्रक्रिया में दबाव समूह के रूप में कार्य करने की संस्कृति भी विकसित कर ली है। वे न सिर्फ मत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं बल्कि प्रजातंत्र को भी मजबूत करने का काम कर रहे हैं।

भारत में तेजी से इंटरनेट और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की संख्या अनवरत बढ़ रही है। सोशल मीडिया प्रजातंत्र की सेहत के लिये और मतदान प्रतिशत बढाने में अपनी महती भूमिका व उपयोगिता सिद्ध करेगा इसमें अब कोई आशंका नहीं है। विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत ऐतिहासिक रूप से बढ़े लिहाजा सोशल मीडिया का न केवल कर्तव्य् है वरन् स्‍वस्‍थ्‍य लोकतंत्र के लिये सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं की सजगता के साथ मतदान में भागीदारी करना बेहद जरूरी है क्यों कि सरकार आपके ही मत से बनने वाली है। 

सोशल मीडिया के चलते आज संवादहीनता की स्थिति समाप्त हो चुकी है। फिलवक्त फेसबुक और ट्विटर पर करोडों लोग सक्रिय हैं। जहां राजनैतिक वक्तव्यों और त्वरित टिप्पणियों की ट्विटर पर धूम मची है और अब हर प्रत्याशी व दल और नेता, मीडिया तथा स्वयं चुनाव आयोग फेसबुक पर लाइव कर रहा है। वहीं भारी संख्या में मतदान हो लोगों की भागीदारी मतदान में बढे इसके लिए चुनाव आयोग सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है। सरकारी और गैर-सरकारी मीडिया भी सोशल मीडिया के जरिये सबसे तेज चुनाव से जुडी खबरें दिखाने के प्रयास कर रहा है।  

विधानसभा चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ने के लिये चुनाव आयोग ने स्वीप कार्यक्रम चलाया है और मत के महत्व को लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से समझाया जा रहा है। इससे मतदाताओ में जागरूकता बढ़ रही है और मध्यप्रदेश चुनाव आयोग के लक्ष्य  80 फीसदी मतदान होने की संभावना बनती जा रही है। सोशल मीडिया की स्वीप कार्यक्रम की पहुंच बढाने में चुनाव प्रक्रिया से जुडे हुए अधिकारी लगातार मतदाता से जुडी हुई जानकारी शेयर और पोस्टर कर रहे हैं।  राज्य और जिला निर्वाचन अधिकारियों ने तो वाकायदा स्वीप के नाम से सोशल मीडिया पर अकाउंट खोले हैं। जिस पर चुनाव से जुडी हुई हर गतिविधि को शेयर और पोस्ट कर रहे हैं। 

पिछले चुनाव में मध्यप्रदेश का उदाहरण देखें तो पाते हैं कि अब तक सर्वाधिक मतदान प्रतिशत 73.52 रहा। वर्ष 1951 से 70 के दशक तक मतदान का प्रतिशत 55 से ऊपर नहीं गया। बहुत खींचतान कर विगत चार चुनावों में 1993, 1998, 2003 और 2008 में मतदान 60 प्रतिशत से बढ़ा और 2008 में 69 तक पहुंचा लेकिन 2013 में 72.52 तक पहुंचा। जिन चुनावों में मतदान का प्रतिशत कम रहा उन वर्षों में सोशल मीडिया के आगमन की शुरूआत हो रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में और लोकसभा चुनाव 2014 में सोशल मीडिया की नई भूमिका सामने आई। जब भारत में सोशल मीडिया का उपयोग तेजी के साथ बढ़ा। युवा मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी जो सोशल मीडिया से गहरे जुड़े हैं। 

चुनाव आयोग का स्वीप कार्यक्रम
अब तक यह कहा जा रहा था कि मतदाताओं की बड़ी संख्या चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं लेती। प्रजातंत्र की प्रक्रियाओं में भाग नहीं लेना और मताधिकार का उपयोग नहीं करना प्रजातंत्र के स्वास्थ्य के लिये ठीक नहीं है। सरकार बनाने और चुनने में हर मतदाता की भागीदारी जरूरी है। इसी विचार को ध्यान में रखते हुये चुनाव आयोग ने व्यवस्थित तरीके से मतदाताओं को शिक्षित और प्रेरित करने के लिये मतदाता जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान में स्वैच्छिक संगठनों, बुद्धिजीवियों, सोशल मीडिया से जुड़े संस्थाओं द्वारा सक्रिय भागीदारी कर रहा है। इसका व्यापक प्रभाव नजर आ रहा है। 

सूचना का अधिकार
सोशल मीडिया के उपयोग से सूचनाओं को नया मंत्र मिल गया है जिससे सूचना के अधिकार कानून पर अमल करना आसान हो गया है। मतदान प्रक्रिया से संबंधित सूचनाएं सोशल मीडिया पर जितनी आसानी से उपलब्ध हैं उसका प्रभाव मतदाताओं पर पडता नजर आ रहा है।  

लोक सभा
अब भविष्य में लोक सभा चुनाव हैं। मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास फिर से तेज होगा। भारत की सरकार बनाने में हर मतदाता को वोट डालने के लिये प्रेरित करना हर भारतीय नागरिक का कर्तव्ये है। विधान सभा चुनाओं में सोशल मीडिया की उपयोगिता को पिछले चुनाव की तुलना में बहुत सीमा तक परखा जा चुका होगा। चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया की भूमिका और सकारात्मक भागीदारी की सराहना की है। लोक सभा चुनाओं से पहले स्वीप कार्यक्रम को भी तेज करने की जरूरत होगी। प्रजातंत्र में मतदान प्रक्रिया एक यज्ञ की तरह है। हर पात्र नागरिक की इसमें भागीदारी अनिवार्य है।  

मतदान दिवस: सर्वाधिक शक्तिशाली दिन, लोकतंत्र के लिए मजबूत प्रतिबद्धता
मतदान दिवस हम सबके लिए अत्यंत गौरव, महोत्सएव, सशक्तब और मतबूत लोकतंत्र के लिए शक्तिशाली दिन है। 
चुनाव आयोग ने भारत के लोगों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं विश्वसनीय निर्वाचन कराने के दायित्व के प्रति सोशल मीडिया के जरिए अपने आपको समर्पित कर दिया है। 
मध्यपप्रदेश विधानसभा निर्वाचन 2018 में आयोग ने समावेशी, सुगम, विश्वसनीय एवं नैतिक मतदान को समर्पित किया है। इस चुनाव में आयोग द्वारा संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी एवं सोशल मीडिया का उपयोग व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है।

गौरतलब यह है कि लोकतंत्र में ‘मत’ लोगों के लिए अपनी अभिव्यक्ति और अपनी आवाज की सुनवाई के लिए सर्वाधिक प्रभावशाली साधन है. यहां तक कि 'सर्वाधिक शक्तिशाली' नेता भी बैलेट बॉक्स के सामने बौने नज़र आते हैं। 

फिलवक्त भारत में मोबाईल धारकों और इंटरनेट उपभोक्ताओं तथा सोशल मीडिया यूजर की संख्या में लगातार भारी मात्रा में इजाफा हो रहा है। भारत में कई करोड से अधिक मोबाइल फोन उपयोगकर्ता हैं इनमें से सर्वाधिक स्मार्ट फोन यूजर्स हैं और इंटरनेट यूजर्स की संख्या में करोडों में है।  

चुनाव आयोग ने चुनाव प्रक्रिया में उम्मीदवारों व राजनैतिक दलों द्वारा अपना चुनाव प्रचार अभियान इंटरनेट, एसएमएस, फोन व मोबाईल फोन के जरिए किये जाने पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

2014 में संपन्न 16 वें आम चुनाव में, मतदान का प्रतिशत अब तक  सबसे ज्यादा 66.38 प्रतिशत रहा। अधिकांश टिप्पणीकारों ने इसके लिए राजनीतिक कारकों को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन सबसे ज्यादा श्रेय निश्चित रूप से निर्वाचन आयोग के ‘स्वीप’ जागरूकता अभियान को जाता है। 

मतदान दिवस के अवसर पर आइए प्रतिज्ञा करें कि हम अपने मताधिकार का उपयोग आने वाले दिनों में और वर्षों में करते हुए अपने लोकतंत्र को सबसे अधिक शक्तिशाली बनाएंगे और सौ फ़ीसदी मतदान करायेंगें। email- sarmannagele@gmail.com
(लेखक- डिजिटल मीडिया के जानकार एवं न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट कॉम के संपादक हैं।)  

मंगलवार, 31 जुलाई 2018

भोपाल की तीन सबसे बड़ी प्रेस कांफ्रेंस के तीन जीवंत किस्से देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह,सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता कमलनाथ व ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रेस कांफ्रेंस और मीडिया ...

भोपाल की तीन सबसे बड़ी प्रेस कांफ्रेंस के तीन जीवंत किस्से
देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह,सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता कमलनाथ व ज्योतिरादित्य सिंधिया 
की प्रेस कांफ्रेंस और मीडिया ... 

प्रजातंत्र की यह खूबी है कि कोई व्यक्ति किसी भी पद पर हो सबसे पहले वह एक नागरिक है और इस नाते से उसे संवैधानिक अधिकार मिले हुए हैं। एक नागरिक को कोई भी अपनी पसंद का पेशा चुनने का अधिकार है। यदि पेशा पत्रकारिता के पवित्र पेशे का हो तो कई जिम्मेदारियां अपने आप बढ़ जाती हैं। कोई भी पत्रकार अकेला नहीं होता। वह पूरे पत्रकार समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है। चाहे पत्रकारिता विश्व के किसी भी भूभाग में हो रही हो। कारण यह कि पत्रकारिता के  मूल्य सार्वभौमिक हैं। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए मैं तीन छोटी-छोटी घटनाओं का उदाहरण दूंगा जो व्यक्तिगत होते हुए भी सार्वभौमिक स्वरूप की हैं।

देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 31 मई से 31 जुलाई 2018 के दरम्यान अब तक की तीन सबसे बड़ी प्रेस कांफ्रेंस संपन्न हुई हैं । मित्रों के स्नेह और पत्रकार जगत की बदौलत तीनों प्रेस कांफ्रेंस में आमंत्रण मिलने के पश्चात जाने का अवसर मिला और साक्षी होते हुए तीनों प्रेस कांफ्रेंस में सवाल किये, जिनका भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और सपा के यानि तीनों दलों के वरिष्ठतम नेताओं ने यह कहते हुए कि  विस्तार से उत्तर दिये की आपने बहुत महत्वपूर्ण सवाल किये हैं।

दरअसल, इन तीनों पत्रकार वार्ता के संदर्भ में किस्से के रूप में पत्रकार वार्ता के शुरू होने के पहले घटना क्रम पर लिखने की प्रबल इच्छा तब हुई जब हाल की प्रेस कांफ्रेंस के इंग्लिश डेली न्यूज़ पेपर डीबी पोस्ट के वरिष्ठ पत्रकार गगन नायर ने उन क्षणों को अपने कैमरे में कैद किया जब हम नाराजगी भरे लहजे में पत्रकारों के हित में अपनी बात आक्रमक तरीके से कर रहे थे। वह दोनों फोटो गगन ने मुझे मेल पर दे दी। साथियों यह फोटो पत्रकारों के बीच की है जहां वीडियो जर्नलिस्टों के पास खड़े होकर सपा सुप्रीमो और देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के सबसे युवा तुर्क मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव को प्रेस वार्ता शुरू करने के पहले सच का आईना दिखाया।

वैसे लिखने का कोई मन नहीं था क्योंकि लगभग ढाई दशक से पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के पत्रकारिता के पवित्र पेशे में पिछले डेढ दशक से सक्रियता के साथ अपनी बात रखने का अवसर मिला,लेकिन अभी तक लिखने का मन नहीं किया।

अलबत्ता यह ऐसा संयोग हुआ कि घटनाक्रम ने लिखने पर न केवल विवश किया वरन नवोदित पत्रकारों, उन वरिष्ठ पत्रकारगणों जो तीनों प्रेस कांफ्रेंस में जा नहीं सके साथ ही समाज का वह वर्ग जो पत्रकार वार्ता के घटनाचक्र के बारे में समझ सके इसलिये लिखने का प्रयास किया।

पत्रकारिता के पवित्र पेशे में विषम परिस्थितियों में दायित्व के निर्वहन के लिए पत्रकारों को सदैव तत्पर रहना पड़ता है और रहना भी चाहिए। क्योंकि जनता की बात जनता के बीच पहुंचाने का काम मीडिया बख़ूबी निभाता चला आ रहा है। अब इसमें एक और मीडिया शामिल हो गया है जिसको की सोशल मीडिया के नाम से जाना जाता है।  तेजी के साथ प्रकट हुआ सोशल मीडिया भी जनता की बात और अभिव्यक्ति को पंख लगाने की बख़ूबी जिम्मेदारी निभा रहा है।

दिलचस्प और रेखांकित करने योग्य पहलू का सच जस का तस—
सबसे पहले बात करते हैं सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव की 19 जुलाई 2018 को होटल जहांनुमा पैलेस में समय दोपहर 12.00 बजे आयोजित हुई प्रेस कांफ्रेंस की ।

अखिलेश यादव की प्रेस कांफ्रेंस का समय निर्धारित किया गया था 12.00 बजे लेकिन वे लगभग 40 मिनिट लेट आये, जहांनुमा पैलेस के दोनों एंट्रेंस गेट जो इसलिए बंद कर दिये थे कि सपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं का भारी हुजुम आ गया था। इस हुजुम से जुझते हुए कुछ पत्रकार बड़ी मुश्किल से होटल के अंदर प्रवेश करते हैं।
पत्रकार वार्ता जैसे ही शुरू होती है सबसे पहले अखिलेश यादव को डपते हुए अंदाज में यह कहा कि यह प्रेस कांफ्रेंस है कि कार्यकर्ता सम्मेलन। पत्रकार खडे है कार्यकर्ता बैठे है और 500 मीटर की दूरी पर गेट लगे हैं पत्रकार आ नहीं पा रहे हैं। खैर अखिलेश यादव ने माफी मांगी और प्रेस वार्ता चालू करने से पहले कहा आपके एक साथी नाराज़ हैं। जब मेरे सवाल करने का वक्त आया तो अखिलेश यादव ने  तुरंत कहा हाँ आप पूँछिये आप नाराज़ हैं।  मेरे सवाल के उत्तर देने से पहले उन्होंने कहा आपके दौनों सवाल महत्वपूर्ण है और विस्तार से ज़बाव दिया।


दूसरी बात है देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 31 मई 2018 को होटल नूर उस सबाह में मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पत्रकार वार्ता की थी।  जिसका समय सुबह 10.00 बजे निर्धारित किया गया, जबकि वो प्रेस कांफ्रेंस में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ आये लगभग 2 घंटे पश्चात और पत्रकार वार्ता शुरू करने से पहले भव्य तरीके से तैयार हॉल में गृहमंत्री  की प्रतिक्षा में बैठे पत्रकारों के समक्ष जैसे ही  बताया गया की अब  प्रेज़न्टेशन होगा।  सबसे पहले मैंने तत्काल कड़े शब्दों में आपत्ति लेते हुआ कहा आप बहुत लेट हैं सीधे सवाल लो और उनके उत्तर दो।  खैर राजनाथ सिंह  ने न केवल बात मानी बल्कि विलंब से आने पर माफी भी मांगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह से साइबर सुरक्षा और साइबर पुलिस के विषय से जुड़े दो सवाल किये। जिनका उन्होंने समाधानकारक उत्तर भी विस्तार से दिया ।

 तीसरी बात मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ और मध्यप्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया की मध्य प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भोपाल में 5 जून 2018 को प्रेस कांफ्रेंस हुई जिसमें उनके कार्यकर्ता भारी संख्या में प्रेस कांफ्रेंस सभागार में घुस आये। पत्रकार वार्ता जैसे ही शुरू होती है सबसे पहले मैंने नाराजगी भरे अंदाज में यह कहा कि यह प्रेस कांफ्रेंस है कार्यकर्ता सम्मेलन। पत्रकार खडे है कार्यकर्ता बैठे है। आपको ये पसंद है।  खैर प्रेस कांफ्रेंस शुरू हुई। और हमारी तरफ मुख़ातिब होते हुए कहा हाँ अब आप पूँछिये हमारे
प्रश्न का ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी विस्तार से उत्तर दिया।
https://www.youtube.com/watch?v=5Ahtdn7QEZk

https://www.facebook.com/rakesh.agnihotri.failaan/videos/10217399647170056/

शुक्रवार, 4 मई 2018



कमलनाथ की कहानी पीसीसी की जुबानी
कमलनाथ, मीडिया और कांग्रेसजन (संदर्भ: प्रेस कांफ्रेंस) 01 MAY, 2018


''मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के नये-नवेले अध्यक्ष 71 वर्षीय सांसद कमलनाथ ने अंततोगत्वा एक मई को पदभार ग्रहण कर लिया है। कमलनाथ मंगलवार के दिन को शुभ मानते हैं और हनुमान जी के परम भक्त भी हैं, इसलिए उन्होंने पदभार ग्रहण करने के लिए मंगलवार का दिन चुना। जबकि कांग्रेसजन और राजनैतिक जानकार यह कहते हैं कि एक मई चूंकि मजदूर दिवस है इसलिए तपती दोपहरी में मजदूरों की भांति 5 से 6 घंटे पसीना बहाने के बाद कमलनाथ ने चार्ज लिया। मजदूर दिवस इसलिए भी चुना क्योंकि कांग्रेस पार्टी मजदूरों की, गरीबों की, दलितों की, आदिवासियों की, अल्पसंख्यकों की, पिछड़े वर्ग और कमजोर वर्गो की पार्टी मानी जाती है। यह बात अलहदा है कि कमलनाथ इनमें से कोई भी नहीं हैं। न तो वे मजदूरे हैं और न ही कमजोर, न ही गरीब, न ही अल्पसंख्यक, न ही दलित और न ही पिछड़े वर्ग से आते हैं। हॉं वे उद्योगपति जरूर हैं। लेकिन बातचीत में कमलनाथ कहते है कि कोई बताए उनका उद्योग क्या है।''
कमलनाथ की उम्र का उल्लेख 71 वर्षीय इसलिए किया क्योंकि पके हुए उम्र दराज नेताओं को सत्ता देना और संगठन में महत्व देना कांग्रेस पार्टी की संस्कृति में शुमार है। चाहे पंजाब के मुख्यमंत्री केप्टन अमरिंदर सिंह की बात करें या पार्टी कोषाध्यक्ष मोती लाल बोरा की या बात उन मुख्यमंत्रियों की करें जो 71 से ऊपर थे। जैसे शीला दीक्षित, एनडी तिवारी, भूपेन्द्र सिंह हुडडा, सुशील कुमार शिंदे। कांग्रेस ने उम्र दराज नेता मनमोहन सिंह को देश का प्रधानमंत्री बनाया था वे 80 साल के ऊपर हैं, अभी भी कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं, केरल की राजनीति में ए.के. एन्टोनी भी सक्रिय हैं। 69 साल के सिद्दारमैया कर्नाटक में अपना चुनावी करतब दिखा रहे हैं।
कमलनाथ की प्रेस कांफ्रेंस शुरू हो इसके पहले सभागार में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सुरेश पचौरी, मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रभारी महासचिव राजीव सिंह, मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व मीडिया हेड मानक अग्रवाल, कांग्रेस प्रवक्ता जे.पी. धनोपिया का आग्रह, निवेदन और समझाईश की कृपया पत्रकारों के अलावा जो भी नेता इस हॉल में हैं वे चले जायें, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेसजन प्रेस कांफ्रेंस सभागार से नहीं उठे। प्रेस कांफ्रेंस शुरू होने के पहले मंच देखने के लिए जबलपुर के कांग्रेस नेता संजय यादव मंच को देखकर जाते है उसके थोड़ी देर बाद जैसे ही प्रेस कांफ्रेंस शुरू होने का समय आता है, एक वीडियो जर्नलिस्ट की एक कथित महिला पत्रकार से इस बात पर लेकर नोंकझोंक हो जाती है क्योंकि वह महिला पत्रकार पहली मर्तबा कांग्रेस दफ्तर में देखी गई किसी जिले से कांग्रेस की नेता भी है और पत्रकार भी है वह महिला पत्रकार अग्रिम पंक्ति में विराजमान थी। पहली पंक्ति में जितने भी पत्रकार विराजमान थे उनमें से 8 से 10 पत्रकार पुराने थे बाकी सब ऐसे चहरे थे जो पहली मर्तबा प्रेस कांफ्रेंस में देखे गये। वीडियो जर्नलिस्ट और महिला पत्रकार के बीच बहस आगे बढ़े तुरंत कांग्रेस प्रवक्ता और कमलनाथ के मीडिया कॉडिनेटर नरेन्द्र सलूजा आते है, जबलपुर के पूर्व विधायक लखन घनघोरिया और जबलपुर से ही कांग्रेस के विधायक तरूण भनौत हो रही बहस को शांत करने के लिए विनती करते हैं थोड़ी देर बाद बहस समाप्त होती है, दरअसल बहस इसलिए हो रही थी क्योंकि वीडियो जर्नलिस्ट कथित महिला पत्रकार के जो कि अग्रिम पंक्ति में मंच के ठीक सामने बैठी थी उस महिला के ठीक आगे वीडियो जर्नलिस्ट कुर्सी रखकर बैठ जाते हैं, उसके पास बड़ा कैमरा नहीं था लेकिन मोबाईल आधारित कैमरा था। जबकि सभी चैनलों के कैमरामेन पीछे बैठे थे या खड़े थे। बहस शांत हुई और वीडिया जर्नलिस्ट भी वहीं बैठा रहा जहां बैठा था और कथित महिला भी वहीं बैठी रही जहां वह बैठी थी। अब यह चर्चा और खोज का विषय रहा कि उन दोनों लोगों ने कमलनाथ की प्रेस कांफ्रेंस का कवरेज मीडिया के किस चैनल पर दिखाया या कहॉं पब्लिश किया।
कांग्रेस कार्यालय के सामने बनाये गये पंडाल में सभा को संबोधित करने के बाद कमलनाथ प्रेस कांफ्रेंस के लिए शिवाजी नगर स्थित कांग्रेस दफ्तर के राजीव गांधी सभागृह में प्रवेश करते हैं, उनकी मीडिया से मुखातिब होने की पहली ही प्रेस कांफ्रेंस में कोई औपचारिकता नहीं हुई। न ही किसी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मंच संचालन किया। कमलनाथ ने स्वयं कमान संभाली। यह बात अलग थी कि वे तीन घंटे विलंब के बाद मीडिया से मुखातिब होने मंच की ओर थके-मांदे लड़खड़ाते हुए कदमों के बल पर मंच पर बैठे उनके चेहरे पर थकान स्पष्ट झलक रही थी और विलंब से पहुंचने के लिए मीडिया से माफी मांगते हुए अपनी बात शुरू की। कमलनाथ के प्रेस कांफ्रेंस हाल में पहुंचने के पहले प्रेस कांफ्रेंस के लिए बनाया गया मंच पर उनके पुत्र नकुलनाथ चुपचाप ठीक कमलनाथ की पीछे की कुर्सी पर बैठ जाते हैं जैसे उनका कोई निजी सहायक बैठा हो। नकुलनाथ को कहां बैठना है किसी ने उनको न इशारा किया न ही बताया। हां उनके नाम की कुर्सी पर पहले पर्ची लगाई गई फिर हटाई गई पुन: लगाई गई। कमलनाथ की प्रेस कांफ्रेंस के लिए बनाये गये मंच पर आने से पहले ही सभाकक्ष में बिजली गुल हो गई थी जो आने तक गुल रही। प्रेस कांफ्रेंस चालू होने के चंद मिनटों बाद बिजली आ जाती है।
मंच पर मौजूद ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस के महासचिव और मध्यप्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह, मध्यप्रदेश कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष अरूण यादव, मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुरेश पचौरी के अलावा अनेक नेता मंच पर मौजूद थे लेकिन किसी ने शोरगुल को शांत करने के लिए जहमत नहीं उठाई। हॉं एक बार अजय सिंह ने जरूर माईक थामकर जोर से कहा कि कांग्रेसजन शांत हो जायें। दूसरी तरफ कमलनाथ जरूर मंच से शांत होने की बात करते रहे और कहा कि फोटोग्राफर को आप लोग संभालिए।
कमलनाथ भारी शोरगुल के बीच अपनी बात रखते हैं कुछ लोग प्रेस कांफ्रेंस सभागार के बाहर हैं अंदर आने के लिए बेताब हैं, गेट थपथपा रहे लेकिन अंदर आने के लिए उन्हें अनुमति नहीं मिल रही है, वे कौन लोग हैं मीडिया के लोग, कांग्रेस के लोग नहीं मालूम। गेट थपथपाने की आवाज शोरगुल को और बढ़ा रही थी। कमलनाथ अपनी बात समाप्त करने के बाद जैसे ही कहते हैं कि अब सिंधिया जी अपनी बात रखेंगे। भारी विलंब के बाद भी खचाखच भरे सभागार में सिंधिया अपनी बात शुरू करते एक साथ अनेक पत्रकारों ने कमलनाथ से सवाल दागना शुरू कर दिये और श्री सिंधिया अपनी बात नहीं रख सके। कमलनाथ ने पत्रकार भरत शास्त्री और अनुराग अमिताभ के सवालों के जवाब दिये और फिर बाद में सिंधिया ने अपनी बात रखी। इसके बाद कमलनाथ ने मेरे सवाल का उत्तर दिया तत्पश्चात एनडीटीवी के पत्रकार अनुराग द्वारी के सवाल का उत्तर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिया जबकि सवाल कमलनाथ से किया गया था इसी सवाल का उत्तर कमलनाथ ने भी दिया, इसी बीच कमलनाथ जी पूर्व मुख्यमंत्री और नर्मदा परिक्रमा या​त्री दिग्विजय सिंह से कुछ कहने के लिए बोलते हैं लेकिन वे हाथ के इशारे से मना कर देते हैं, कुल मिलाकर कमलनाथ की प्रेस कांफ्रेंस में चार सवाल हुए और प्रेस कांफ्रेंस खत्म हो गई।
कमलनाथ की पत्रकार वार्ता जैसे ही खत्म होती है फिर होता है कांग्रेस की परंपरागत रिवाज धक्का मुक्की का दौर शुरू। नरेन्द्र सलूजा, जे.पी. धनोपिया और मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यालय के स्थाई सचिव संजय श्रीवास्तव पत्रकारों से निवेदन करते है कि कांग्रेस कार्यालय की तीसरे माले पर चाय नाश्ते का इंतजाम है आप चले। हां मंच से किसी ने नहीं बताया कि मीडिया के साथियों के लिए चाय नाश्ता है या वहां पर कौन कौन नेतागण रहेंगे। जब पत्रकारों का हुजुम दूसरी मंजिल पर पहुंचा तो कुछ लोग अंदर प्रवेश कर गये और कुछ पत्रकारों को कमलनाथ की सुरक्षा व्यवस्था में लगे लोगों ने जाने से रोक दिया। तो इस पर कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना आगबबूला हो गये और कहा कि यह क्या हो रहा है, पत्रकारों को जाने दो पत्रकारों को जाने से रोक रहे है, पत्रकारों को अंदर जाने दो और चंद मिनटों के बाद सुरक्षाकर्मी और सेवादल के कार्यकर्ता ने चैनल गेट जैसे ही खोला पत्रकारों का रेला अंदर घुस गया। हॉल में पहले से ही मौजूद अनेक कांग्रेसजन और पत्रकार चाय नाश्ते में मशगूल हैं।

  • जिस हॉल में नाश्ता चल रहा था वहां पर एक कौने में थोड़ी सी लाइट जल रही थी जहां पर प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठे कमलनाथ, टीवी चैनल के पत्रकारों के वन टू वन के तहत सवालों के उत्तर दे रहे थे। एक स्थान पर कमलनाथ का बेटा नकुलनाथ भी दाहिनी ओर बैठा था और बांयी ओर मध्यप्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक जीतू पटवारी बैठे थे। कमलनाथ के ठीक पीछे नरेन्द्र सलूजा खड़े हैं। कह सकते हैं कि नकुलनाथ और जीतू पटवारी साये की तरह कमलनाथ के साथ बने रहे। चैनलों के लिए वन टू वन चल रहा है। जीतू पटवारी कुछ चैनल के पत्रकारों से कहते हैं आपका हो गया, आपका हो गया, कमलनाथ का वन टू वन का सिलसिला लगभग 30 से 45 मिनिट तक चला। चैनल के पत्रकारों को 3 से 5 मिनट वन टू वन करने का मौका मिला। इसी बीच कमलनाथ ने हमारे एक सवाल के उत्तर में चंद्रप्रभाष शेखर को मध्यप्रदेश कांग्रेस का संगठन उपाध्यक्ष की कमान, राजीव सिंह को महामंत्री कांग्रेस कार्यालय की कमान, गोविंद गोयल को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी और मानक अग्रवाल को मीडिया चेयर पर्सन का दायित्व देने की घोषणा करते है, बाद में उन्हें फिर याद आता है तो नरेन्द्र सलूजा के दायित्व के बारे में बताते हैं कि नरेन्द्र सलूजा मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक रहेंगे।
भोपाल की एक वरिष्ठ महिला पत्रकार कमलनाथ का वन टू वन कर रही थी कि एक हाथ में आईडी लिए कद-काठी से हष्ट -पुष्ट नौजवान उस महिला पत्रकार को कुर्सी से उठने के लिए कहता है कि आपके दो सवाल हो गये, बार बार कहता और स्वयं बैठ जाता है वन टू वन करने के लिए। इस कथित पत्रकार को भी प्रेस कांफ्रेंस में पहली दफा देखा गया। कम से कम चैनल का पत्रकार या वीडियो जर्नलिस्ट तो नहीं था। थोड़ी देर बाद वह महिला पत्रकार उत्तेजित होती हैं और कहती है कि यह कौन है जो मुझे उठने के लिए कह रहा था, खेर अन्य पत्रकारों ने कहा कि छोड़िए। इसके बाद बंसल न्यूज चैनल के अनुराग मालवीय, भास्कर न्यूज चैनल के प्रसन्न शहाणे ने कमलनाथ का वन टू वन किया। इंडिया न्यूज चैनल की मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ हेड दीप्ति चौरसिया ने वन टू वन किया। उसके बाद साधना न्यूज के रिपोर्टर ने वन टू वन किया और बाद में न्यूज वर्ल्ड चैनल के एडिटर इन चीफ रिजवान अहमद सिद्धाकी ने कमलनाथ का साक्षात्कार किया। इसके बाद कमलनाथ ने 5 मिनिट पत्रकारों से बातचीत करने के बाद मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेताप्रतिपक्ष अजय सिंह के निवास पर जाने की बात कहकर उनके निवास के लिए रवाना हो गये।
कमलनाथ से हमने कहा कि आपकी यह प्रेस कांफ्रेंस में अव्यवस्था थी तो जीतू पटवारी बोले नहीं। हमने अपने सवाल को पुन: दोहराया, कमलनाथ ने सुना और अलग से बातचीत में हमें बताया कि एक दो दिन भोपाल में हूॅं। लेकिन शीघ्र ही कम्पलीट प्रेस कांफ्रेंस करूंगा, यह जल्दबाजी का इंतजाम था।
लब्बोलुआब यह है कि कमलनाथ, कांग्रेसजन और मीडिया का घालमेल कमलनाथ की प्रेसवार्ता और पद धारण करते वक्त खुब देखने को मिला। जो विचारणीय और चिंतनीय है। अब देखना यह है कि कमलनाथ की जल्द ही होने वाली प्रेस कांफ्रेंस कब होती है।
वैसे 25 साल की पत्रकारिता का अनुभव यह याद दिलाता है कि कांग्रेसी कभी भी अनुशासित होते है और न ही किसी की सुनते हैं। यह रही कमलनाथ की मीडिया प्रेस कांफ्रेंस और कांग्रेसजन की कहानी।

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

मीडिया की भूमिका सिर्फ सूचना देना ही नहीं, समाज को नेतृत्व प्रदान करना भी है

 

 
MP POST:-23-12-2012
मीडिया की भूमिका सिर्फ सूचना देना ही नहीं, समाज को नेतृत्व प्रदान करना भी है
पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य और न्यू मीडिया पर संगोष्ठी में श्री काटजू के विचार
मोबाइल मीडिया अच्छा माध्यम, इसकी आचार संहिता बने
श्री काटजू द्वारा मोबाइल इंडिया (मोबाइल मीडिया) का शुभारंभ

भोपाल। मोबाइल मीडिया नया माध्यम है। बदलती तकनीक के साथ यह समाज के लिए आवश्यक है। यह अच्छा माध्यम है। लेकिन मोबाइल मीडिया के दुष्परिणाम को रोकने के लिए एक आचार संहिता बनना चाहिए। यह बात प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के चेयरमेन जस्टिस मार्कडेय काटजू ने रविवार 23 दिसम्बर को होटल पलाश रेसीडेंसी भोपाल में न्यू मीडिया के क्षेत्र में एमपीपोस्ट की अनूठी पहल मोबाइल इंडिया (मोबाइल मीडिया) का शुभारंभ करते हुए कही।
उन्होंने इस अवसर पर ’’मीडिया मंथन’’ पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य और न्यू मीडिया विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पत्रकारिता के विभिन्न पहलूओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया को घटना की तह तक जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के जो लोग आजकल सड़कों पर आ रहे हैं। उसकी असल वजह मध्यम वर्ग के लोगों को मंहगाई और बेरोजगारी से तंग आना है। इसलिए मीडिया को इन तथ्यों का भी ध्यान रखना चाहिए।
जस्टिस काटजू ने प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के विस्तार की चर्चा करते हुए कहा कि हमने इसके दायरे को बढ़ाने के लिए टीवी चैनल यानि इलेक्ट्रानिक मीडिया के बीस ओर सदस्यों को प्रेस काउंसिल आफ इंडिया में शामिल करने की पहल प्रारंभ की है। जो प्रक्रियागत है। वर्तमान में काउंसिल में 28 सदस्य है। उन्होंने कहा कि प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के सदस्य प्रेस के लिए स्वयं आचार संहिता बनाने की पहल करें।
श्री काटजू ने राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकारों से विस्तार से चर्चा करते हुए पत्रकारों की जिज्ञासाओं का समाधान किया एवं पत्रकारों के सभी सवालों के उत्तर दिये। उन्होंने पेड न्यूज, इलेक्ट्रानिक चैनल, न्यू मीडिया, पत्रकारों की आचार संहिता सहित अनेक विषयों पर बेवाक विचार रखे।  
उन्होंने कहा कि अब किसी को गरीब रहने की आवश्यकता नहीं है इतनी वेल्थ जनरेट हो सकती है। मगर हकीकत है कि अभी भी 80 फीसदी दुनिया की जनता गरीब है या 70 फीसदी। उन्होंने कहा कि 21वीं शताब्दी के जो संघर्ष होंगे वो इसलिये होंगे कि जब जनता कह रही है कि जब हमको गरीब रहना जरूरी नहीं है तो हम क्यों गरीब रहें लेकिन 21वीं शताब्दी के संघर्ष इसी वजह से होंगे। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में भी 75 से 80 फीसदी जनता अभी भी गरीब है, इसलिये सारा संघर्ष हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग इस देश में कितने पिछड़े है, कितना जातिवाद है। कि लोग जब वोट देने जाते हो तो क्या केंडीडेट का मेरिट देखते हो लोग उसकी जात बिरादरी देखते हैं। आज समाज में कितना पिछड़पन है। 80 प्रतिशत हिन्दु और मुसलमान कम्यूनल हो गया है । यह दुर्भाग्य है लेकिन यह सत्य है।
उन्होंने कहा कि जनता समृद्ध हो, खुशहाल हो। इसलिए मोर्डन माइंड डेवलप करना है 120 करोड़ जनता में। और यह बड़ा लंबा सफर है। इसके लिए सब बुद्धजीवी वर्ग को नेतृत्व देना है आमजन में। क्योंकि बुद्धजीवी ही जनता की आंख होता है। बिना बुद्धजीवी के जतना अंधी होती है। और पत्रकार बुद्धजीवी वर्ग के हैं इसलिए पत्रकारों का दायित्व बनता है कि वे जनता को न केवल रास्ता दिखायें बल्कि उनकों विचार भी देना है।
उन्होंने दिल्ली गैंग रेप को कंडम करते हुए कहा कि जिन्होनंे यह अपराध किया उन लोगों को सख्त सजा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक पक्ष यह है कि दिल्ली में ये कांड न हुआ होता मध्यप्रदेश में हुआ होता और खासकर गांव में होता तो क्या इतना हो हल्ला होता। क्या दिल्ली ही पूरा हिन्दुस्तान है। दूसरी बात यह है कि और और कोई समस्या नहीं है क्या रेप के अलावा हिन्दुस्तान में। गरीबी कोई समस्या नहीं है क्या। उस पर तो कोई हो हल्ला होता नहीं है। इतनी भीषण मंहगाई हो गई है उस पर तो इतना हो हल्ला होता नहीं है। बेरोजगारी का क्या आलम है, स्वास्थ्य की कितनी समस्या है। क्या अन्ना हजारे के आंदोलन से शोर मचाने से एक फीसदी भी भ्रष्टाचार कम हुआ है।
उन्होंने मीडिया से अपेक्षा की है कि मीडिया का रोल सिर्फ इंफारमेशन देना ही नहीं होता है, समाज को नेतृत्व प्रदान करना तथा जनता में वैज्ञानिक विचार फैलाना भी होता है। उन्होंने कहा कि जो पिछड़े विचार हैं जातिवादी और कम्यूनिलिज्म, सुपरस्टीशन इन पर बड़ा जोरदार प्रहार करना है।
एमपीपोस्ट मोबाइल इंडिया (मोबाइल मीडिया) के संपादक सरमन नगेले ने स्वागत भाषण में कहा कि न्यू मीडिया सूचना का ’’लोकतंत्रीकरण’’ करने में कारगर ढ़ंग से व्यापक पैमाने पर अपनी महती भूमिका निभा रहा है। इसी कड़ी में न्यूज पोर्टल www.mppost.com इंटरनेट आधारित सकारात्मक पत्रकारिता के आठ वर्ष पूर्ण करते हुए न्यू मीडिया के साथ-साथ मोबाईल मीडिया के जरिए आमजन तक उनके मोबाईल फोन पर सीधे सूचना एवं रोजगार के साथ-साथ ताजा खबरें व अन्य जानकारी पहुंचाने तथा सूचना का ’’लोकतंत्रीकरण’’ करने की दिशा में एक महत्वकांक्षी प्रयास की शुरूआत करने जा रहा है।
उन्होंने एमपीपोस्ट के इस विनम्र प्रयास के बारे में बताया कि नागरिक पत्रकारिता बेहतर पत्रकारिता के तहत मोबाइल मीडिया के माध्यम से साढ़े सात करोड़ पत्रकारो का प्रदेश मध्यप्रदेश के तहत प्रदेश के हर नागरिक को अपनी बात रखने का मंच उपलब्ध कराया जाएगा।
मोबाईल मीडिया के जरिए शासन-प्रशासन की रोजगार की सूचना निशुल्क उपलब्ध कराएंगे। एमपीपोस्ट की ताजा खबरें मोबाइल पर mppost.mv1.in मोबाइल वेबसाइट के जरिए मिलेंगी।
मोबाईल पर समाचार और रोजगार की जानकारी सुनने तथा एसएमएस पर प्राप्त करने के लिए एमपीपोस्ट मोबाईल इंडिया (मोबाईल मीडिया) लिखकर नंबर 53030 पर एसएमएस करें।
हिन्दी में एसएमएस, वोट करें के तहत कौन बनेगा मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री वोट करें इसकी अपडेट जानकारी जनमानस के बीच पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।
वीडियो न्यूज एसएमएस पर, डिजिटलडिवाइस के माध्यम से सार्वजनिक स्थान पर हर नजर पर खबर के जरिए रोजगार की सूचनाएं और समाचार आमजन को निशुल्क दिखाये जाएगे।
श्री नगेले ने बताया कि आम जन के बीच अब एक ऐसा मीडिया घर-घर में पहुंच गया है जिसका नाम मोबाईल मीडिया। इस मीडिया ने जिस रफ्तार से न केवल अपनी पहुंच भारत के लगभग प्रत्येक घर में बनाई है। वरन् दुनिया के अनेक देशों में इस मीडिया ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। मोबाईल मीडिया अब नागरिकों का एक जीवन अंग जैसा बना गया है। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि मोबाइल फोन सेवा के विस्तार की मौजूदा गति के मुताबिक वर्ष 2014 तक दुनिया की आबादी से अधिक सेल फोन नम्बर हो जाएंगे। यह बात इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस युनियन (आईटीयू) ने एक नई रिपोर्ट में कही। आईटीयू के मेजरिंग द इनफोर्मेशन सोसायटी 2012 के मुताबिक अभी ही 100 से अधिक ऐसे देश हैं, जहां आबादी से अधिक मोबाइल फोन नम्बरों की संख्या हो चुकी है।
आईटीयू के मुताबिक मोबाइल फोन नम्बर की मौजूदा संख्या छह अरब 2014 तक बढ़कर 7.3 अरब हो जाएगी, जबकि जनसंख्या सात अरब रहेगी। चीन एक अरब से अधिक मोबाइल फोन नम्बरों वाला पहला देश बन चुका है। जल्द ही भारत भी इस सूची में शामिल हो जाएगा।
इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया, श्री शीतला सिंह, सदस्य, प्रेस काउंसिल अॉफ इंडिया, नई दिल्ली श्री अरूण कुमार, सदस्य, प्रेस काउंसिल अॉफ इंडिया, नई दिल्ली, श्री मनीष दीक्षित, राजनीतिक संपादक, दैनिक भास्कर, भोपाल, श्री मृगेन्द्र सिंह, प्रभारी संपादक, दैनिक जागरण, भोपाल, डॉ. श्री राकेश पाठक, संपादक, प्रदेश टुडे, ग्वालियर, श्री दीपक तिवारी, ब्यूरो चीफ, म.प्र., द वीक, श्री मनीष गौतम, समाचार संपादक, दूरदर्शन, भोपाल, श्री अक्षत शर्मा, संपादक, स्वदेश, भोपाल, श्री अमित कुमार, ब्यूरो चीफ, म.प्र., आज तक, श्री बृजेश राजपूत, ब्यूरो चीफ, म.प्र., एबीपी न्यूज (स्टार न्यूज) ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का संचालन माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभागाध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने किया।

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
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पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
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समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
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