मंगलवार, 11 जनवरी 2011
विश्व हिन्दी दिवस 10 जनवरी के अवसर पर विशेष
हिन्दी पर गर्व करो, और हिन्दी को अभियान दो
इंटरनेट के जरिए विश्व पटल पर राज करती हिन्दी
सरमन नगेले
वह दिन दूर नहीं जब जनमानस वेबसाइट और ई-मेल के पते हिन्दी में उपयोग करने लगेगा। यह सब होगा हिन्दी आधारित ई और एम तंत्र के जरिए। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं। ये वे परिवर्तन है जिनके चलते भारत का गण दिन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। यानि गण को मजबूत करता हिन्दी आधारित एम व ई-तंत्र।
सामाजिक, आर्थिक विकास की क्रांति में हिन्दी आधारित मोबाईल फोन का भी सकारात्मक योगदान है। ई व एम तंत्र न केवल लोगों को नजदीक ले आया है। बल्कि सूचना संपन्न कराने में अहम भूमिका निभा रहा है। इस प्रक्रिया ने सूचना तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण किया है। शहरी संपन्न और ग्रामीण वंचित वर्ग के बीच व्याप्त तकनीकी खाई को पाटने के क्षेत्र में यह व्यवस्था सबसे शक्तिशाली तकनीक के रूप में उभरी है।
डब्ल्यू3सी यानि वल्र्ड वाइड वेब की संपन्न हुई इंटरनेशनल कांफ्रेंस में इस बात पर गंभीरता से चर्चा हुई है कि समस्त मोबाईल फोन सभी तरह के फोंट को सपोर्ट करें और यूनिकोड का इस्तेमाल करें। डब्ल्यू3सी और टीडीआईएल ने इस दिशा में काम प्रारंभ कर दिया है। शीघ्र ही अब वेबसाईट और ईमेल के पते हिन्दी में टाईप करने को मिलेंगे।
हिन्दी में ई-प्रशासन के विभिन्न आयाम है। जिसके चलते सुशासन के लिए ई-प्रशासन एक अनिवार्य संस्थागत व्यवस्था बन गई है। भविष्य का समाज सूचना प्रौद्योगिकी से संचालित होगा। इस आदर्श परिस्थिति का पूरा लाभ समाज के सभी सदस्यों को मिले। इसके लिए आवश्यक कदम उठाना और तैयारी करना जरूरी है। ई-प्रशासन के विभिन्न पहलूओं का ज्ञान सबको समान रूप से देने के लिए सरकार के प्रयासों में समाज के सभी सक्षम सदस्यों की भागीदारी जरूरी है। लिहाजा हिन्दी भाषा में ई-प्रशासन की संस्कृति विकसित होना चाहिए। इससे जहॉ भाषायी एकीकरण होगा वहीं ऐसे प्रयासों से सूचना प्रौद्योगिकी के ज्ञान का प्रसार होगा और लोगों तक ई-प्रशासन आधारित विभिन्न नागरिक सेवाओं की जानकारी भी आसानी से पहुंचेगी। वैसे गर्व की बात यह है कि लगभग 80 सालों के पश्चात् स्वतंत्र भारत का पहला भाषायी सर्वेक्षण 21 मई 2007 से शुरू हो चुका है। यह जन को जोड़ने वाली भाषा हिन्दी का ही कमाल है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने तो इसके लिए स्टॉफ ही अलग से रख लिया है।
कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की निर्भरता व आवश्यकता अब पूरी तरह हिन्दी के कारण खत्म हो चुकी है। भारत में 22 भाषाएं 1650 बोलियॉं प्रचलन में हैं, पूरे विश्व में चीनी भाषा के बाद हिन्दी सबसे अधिक बोली जाती है। जहां तक सरकारों का सवाल है तो केन्द्र और राज्य सरकारों की वेबसाईट, पासपोर्ट से लगाकर, रेल और अन्य सभी महत्वपूर्ण कार्यो से संबंधित वेबसाईट हिन्दी में भी उपलब्ध है।
बहरहाल वे दिन अब लद चुके हैं जब हम हिसी सायबर कैफे में बैठे-बैठे मातृभाषा हिन्दी की कोई वेबसाईट ढंूढ़ते रह जाते थे। अब इंटरनेट पर हिन्दी की दुनिया दिन प्रतिदिन समृद्ध होती जा रही है। अब हिन्दी प्रेमी घर में बैठे-बैठे हिन्दी में ईमेल, चैटिंग, हिन्दी के समाचार पत्र बॉच सकता है। रचनाओं का आनंद नियमित और पेशेवर स्तम्भ लेखक की तरह इंटरनेट पर मुफ्त जगह (स्पेस) और मुफ्त के औजारों का फायदा उठाकर हिन्दी में स्वयं को अभिव्यक्त कर सकता है, रोजगार, शिक्षा, कैरियर, चिकित्सा, व्यवसायिक, उद्योग, सेंसेक्स, योग, इतिहास आदि किसी भी विषय की जानकारी पलक झपकते ही ले और दे सकता है। समान रूचि वाले सैंकड़ों मित्रों के साथ किसी प्रासंगिक मुद्दे पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट के माध्यम से एक दूसरे को लाईव देख, सुन सकता है, विचार विमर्श कर सकता है।
हिन्दी सहित स्थानीय भाषाओं में काम करने के लिए सॉफ्टवेयर का अभाव अब खत्म हो चुका है। आजकल किसी भी साक्षर को कम्प्यूटर में हिन्दी में अपना काम निपटाते देखा जा सकता है। हिन्दी कम्प्यूटिंग अब किसी अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा की दासी नहीं रही। केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार की इकाई सीडैक एवं टीडीआईएल द्वारा एक अरब से भी अधिक बहुभाषी भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोने और परस्पर समीप लाने में अहम् भूमिका निभायी जा रही है। भाषा विशेष का कोई भी एक यूनिकोड फोंट अपने पीसी में संधारित कीजिए और सर्फिंग पर सर्फिंग करते चले जाइये।
हिन्दी आधारित वेब तकनीक को देश के बड़े अखबारों ने जल्दी ही अपना लिया। अखबारों को पढ़ने के लिए यद्यपि हिन्दी के पाठक को अलग-अलग फोंट की आवश्यकता होती है परन्तु संबंधित अखबार कि साइट से उक्त फोंट विशेष को चंद मिनटों में ही मुफ्त डाउनलोड और इंस्टाल करने की भी सुविधा रहती है।
कुल मिलाकर सूचना एवं संचार तकनीकी के कारण हिन्दी पर गर्व करो, और हिन्दी को अभियान दो की जरूरत है।
लेखक - न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट कॉम के संपादक हैं।
सोमवार, 1 नवंबर 2010
1 नवम्बर म.प्र. स्थापना दिवस, 54 साल 15 राज्यपाल, 29 मुख्यमंत्री
सोमवार, 30 अगस्त 2010
भारत में आमजन की सूचना के प्रति जागरूकता बढ़ी, अमेरिका में पाठकों के सामने न्यू मीडिया का विकल्प- न्यूयार्क टाइम्स के पत्रकार श्री बजाज
सोमवार, 9 अगस्त 2010
भारत में मोबाईल गवर्नेंस का बढ़ता दायरा
दुनिया आपकी मुठ्ठी में मोबाईल की दुनिया के इस स्लोगन में वह तासीर है कि हर वर्ग इससे जुड़ता ही जा रहा है। या यूं कहें कि इसकी गिरत में आता जा रहा है। मोबाईल को लोग जहां अपना स्टेटस सिंबल मानने लगे हैं वहीं अब आम आदमी की जिंदगी का एक अनिवार्य अंग जैसा बन गया है।
सामाजिक, आर्थिक विकास की क्रांति में मोबाईल फोन का सकारात्मक योगदान है। मोबाईल लोगों को न केवल नजदीक ले आया है। बल्कि सूचना संपन्न कराने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। मोबाईल ने सूचना तक पहुंच का लोकतंत्रीकरण किया है और आर्थिक मौके भी तैयार किये।
मोबाईल टेक्नॉलॉजी शहरी संपन्न और ग्रामीण वंचित वर्ग के बीच व्याप्त तकनीकी खाई को पाटने के क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली तकनीक के रूप में उभरा है।
मोबाईल गवर्नेंस के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण हमारे सामने हैं। मसलन - मोबाईल गवर्नेंस का पहला और सबसे बड़ा नमूना है नंबर 139 के जरिए एसएमएस आधारित रेलवे की वह पूछताछ सेवा है जिसका प्रतिदिन 5 लाख लोग उपयोग करते हैं। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव में मोबाईल गवर्नेंस का सर्वाधिक उपयोग किया। और शीघ्र ही भारत का चुनाव आयोग मतदाता कार्ड मोबाईल टेक्नॉलॉजी के जरिए बनाएगा। मोबाईल बैंकिग। एसएमएस द्वारा परीक्षा परिणामों की जानकारी लेना-देना, शासन तथा निजी स्तर पर एसएमएस के जरिए आम जन की समस्याओं को एकत्रित कर उसका समाधान करना ऐसे ही उदाहरण हैं। इतना ही नहीं मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में जो कार्य संचालित हो रहे हैं। उनकी संपूर्ण अद्यतन जानकारी एसएमएस के द्वारा लेना। एसएमएस के माध्यम से प्रतियोगिताएं और वोट कराना। मोबाईल के जरिए इंटरनेट से जुड़े रहना, एसएमएस के माध्यम से लोग निःशुल्क तथा नाममात्र के शुल्क पर अपना संदेश पहुंचाने की सुविधा आखिर मोबाईल ने ही तो मुहैया कराई है।
आमजन के लिए मोबाईल पर केन्द्रित साउथ एशिया की पहली क्रांफ्रेंस और प्रदर्शनी का आयोजन 23 जुलाई 2010 को संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार तथा डिजिटल इम्पावरमेंट फाउंडेशन द्वारा किया गया। साउथ एशिया का पहला एम बिलियंथ अवार्ड भी इसी वर्ष से स्थापित हुआ है। इसकी महत्ता को देखते हुए वर्ल्ड समिट अवार्ड मोबाईल 2010 का आयोजन दिसम्बर 2010 में अबू-धाबी में होने जा रहा है।
एम पेपर यानि मोबाईल पर अखबार का प्रसारण होने जा रहा है। शीघ्र ही आपका मोबाईल ही बैंक एकाउंट होगा। सीबीआई एसएमएस सुविधा का सर्वाधिक लाभ निरंतर उठा रही है। किसानों से जुड़ी समस्याएं हरियाणा सरकार एसएमएस पर ले रही है। एसएमएस के द्वारा पुलिस को घटना एवं अन्य सूचनाएं तुरंत देना। डर और जान पर खतरे के वक्त गुड़गांव पुलिस द्वारा एसएमएस सहायता।
मुंबई नगर निगम द्वारा एसएमएस के जरिए भुगतान सेवा भी शुरू कर दी है। रेलवे भर्ती बोर्ड चैन्नई द्वारा एसएमएस पर नौकरी संबंधी जानकारी दी जा रही है।
उधर, चुनाव आयोग गुजरात ने स्थानीय निकायों के चुनाव में एसएमएस के द्वारा मतदान कराने पर अपनी मोहर लगा दी है। मोबाईल क्रांति का असर यह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां, मीडिया घराने और राजनैतिक दल मोबाईल प्रचार अभियान का सहारा ले रहे हैं।
शीघ्र ही 3जी सुविधा।
मोबाईल क्रांति की लोकप्रियता की वजह से ही एक मोबाईल कंपनी ने यूपीए और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली के पांच गांवों में मोबाईल फोन मुत में बांटे।
मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में बंदूक एक समय वहां की आन, बान और शान मानी जाती थी। तत्कालीन कलेक्टर ने नसबंदी कराने वालों को बंदूक का लाइसेंस दिये जाने का अभियान चलाया था। लेकिन अब जिला प्रशासन भिण्ड ने परिवार कल्याण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कोटवारों को प्रेरक बनाया है। ऐसे कोटवार जो कम से कम दस दंपत्तियों को नसबंदी कराने के लिए प्रेरित करेंगे उन्हें प्रोत्साहन स्वरूप मोबाईल फोन दिये जायेंगे।
इसके कुछ दोष भी हैं- अंग्रेजी और हिन्दी का मोबाईल आधारित एसएमएस सेवा बेड़ागर्ग कर रही है। धन्यवाद को लोग अंग्रेजी में अंग्रेजी के एक ही शब्द को किस प्रकार लिखते है एक दिलचस्प उदाहरण Tks, Thanx, Thanks, Thax, Thx, Tq, । ’’जय हो मोबाईल क्रांति की’’ !(लेखक- न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी के संपादक हैं।)
मंगलवार, 22 जून 2010
’’भारत की सक्षमता के लिए वेब और सब के लिए वेब’’
सर्व सुलभता, सुरक्षा, निजता, सबके लिए वेब, सब चीजों पर वेब और सभी भाषाओं को समर्थित व खासकर भारतीय भाषाओं के माध्यम से भारत की सक्षमता आदि के लिए वेब।
दरअसल, वर्ल्ड वाइड वेब सबको सचमुच विश्व व्यापी बना रहा है। और इसमें व्यापक पैमाने पर कारगर ढ़ंग से यदि कोई महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहा है। तो वह है इसकी पहली कड़ी डब्ल्यू3सी। दूसरी कड़ी यूनीकोड है जो वेब के लिए सर्वाधिक उपयोग और अत्यंत आवश्यक भी है। कुल मिलाकर वेब की संपूर्ण क्षमता के उपयोग की दिशा में डब्ल्यू3सी अग्रणी है।
फिलवक्त, भारत सरकार के विभिन्न विभागों, उपक्रमों तथा राज्य सरकारों और उनके उपक्रमों की सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6800 वेबसाईटस एवं पोर्टल हैं। निजी कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये गए डोमेन नेम यानि यूआरएल से संबंधित वेबसाईट एवं पोर्टल का आंकलन करना मुश्किल है।
वर्ल्ड वाइड वेब टेक्नॉलाजी की सर्व सुलभता पर डब्ल्यू3सी विश्व व्यापी वेब कंसोर्टियम की 6 और 7 मई 2010 को नई दिल्ली में दूसरी कांफ्रेंस हुई। डब्ल्यू3सी ने भारत की भागीदारी बढ़ाने तथा प्रोत्साहन देने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया था। इसका भावी लक्ष्य 22 भारतीय भाषाओं के साथ सभी डब्ल्यू3सी मानकों को समर्थ बनाना रहा है, ताकि प्रत्येक नागरिक के लिए निर्बाध रूप से वेब हासिल हो सके। कांफ्रेंस में वेब वास्तुकला, वेब सुगमता सरीखे मोबाइल वेब, मानव मशीन, सीमेंटिक वेब इत्यादि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस कांफ्रेंस तथा पहले भी 10 और 11 नवंबर 2005 को हुई पहली कांफ्रेंस में मैंने म.प्र. के प्रतिनिधि के रूप में भागीदारी की। इस कांफ्रेंस में डब्ल्यू3सी के सीईओ डॉ जेफ्रे जाफे तथा अन्य अधिकारी, भारत सरकार के आईटी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, गूगल, माइक्रोसाफ्ट, आईबीएम, टीसीएस, इंटेल, इंफोसिस, ओपेरा, एनआईआईटी, देश के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी के प्रोफेसर, सीडेक और टीडीआईएल के अधिकारियों ने भागीदारी की।
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार समेत पूरे विश्व में 350 से ज्यादा संगठन कंसोर्टियम के सदस्य हैं। डब्ल्यू3सी का संचालन संयुक्त राज्य अमेरिका में एमआईटी कम्प्यूटर साइंस एवं कृत्रिम बुद्धि प्रयोगशाला, फ्रांस में मुख्यालय के रूप में यूरोपियन रिसर्च कंसोर्टियम फॉर इन्फॉर्मेटिक्स तथा जापान में किओ विश्वविद्यालय और समुचे विश्व में अतिरिक्त कार्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
वर्ल्ड वाइड वेब कंसोर्टियम डब्ल्यू3सी एक अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्था है जो सभी के लिए अविच्छिनन वेब उपलब्धता सुनिष्चित करने के लिए मानक, सर्वोत्तम अभ्यास, संस्तुतियों को विकसित करती है। डब्ल्यू3सी का विजन प्रत्येक के लिए वेब और प्रत्येक वस्तु पर वेब है। डब्ल्यू3सी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य मानक निर्माण संस्थाओं जैसे कि यूनीकोड, आईईटीएफ, आईसीएएनएन व आईएसओ के साथ मिलकर काम करती है। डब्ल्यू3सी ने वेब प्रौद्योगिकी के लिए अब तक लगभग 183 मानक प्रकाषित किए हैं और भविष्य के वेब मानकों पर काम कर रही है।
डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय की स्थापना सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के मानव केन्द्रित अभिकलन प्रभाग के तत्वावधान में की गई है जो भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम टीडीआईएल क्रियान्वित कर रहा है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय के उद्देश्य में विकासकर्ताओं, अनुप्रयोग निर्माताओं व मानक स्थापनाकर्ताओं के बीच डब्ल्यू3सी संस्तुतियों की ग्राह्यता को प्रोत्साहित करना व भविष्य की संस्तुतियों के निर्माण में अंशधारक संगठनों को शामिल करने को प्रोत्साहित करना शामिल है। डब्ल्यू3सी भारतीय कार्यालय का शुभारंभ 6 मई 2010 को केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा किया गया।
डब्ल्यू3सी की गतिविधियों को मुख्य रूप से 8 क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है। अंतर्राष्ट्रीयकरण, वेब डिजाइन व अनुप्रयोग, वेब वास्तुकला, सीमेंटिक वेब, एक्सएमएल प्रौद्योगिकी, वेब सेवाएं, उपकरणों का वेब, ई-सरकार।
भारत में 122 प्रमुख भाषाएं व 2371 बोलियां पाई जाती है। इन 122 भाषाओं में से 22 संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। भारत में एक भाषा कई लिपियों पर आधारित हो सकती है। कई भाषाएं केवल एक लिपि पर आधारित हो सकती है ये भाषाएं एक ही लिपि का प्रयोग करते हुए भी क्षेत्र के आधार पर सांस्कृतिक रूप से अलग हो सकती हैं। यहां तक कि देश के विभिन्न भागों में एक ही भाषा के उपयोग के बारे में भी व्यापक परिवर्तन पाए जाते हैं। रैखिक लिपियों जैसे कि रोमन लिपियों अपनी आकृतियां नहीं बदलती इसलिए अक्षरों को पास-पास रखा जाता है- एक के बाद एक जबकि भारतीय भाषाओं में जटिल संयुक्त अक्षर होते हैं। भारतीय भाषाओं से सम्बद्ध कई बड़े मुद्दे हैं, जैसे कि वर्ण विन्यास- वर्तनी के मुद्दे, बोलियों में परिवर्तन आदि। इसलिए यह आवश्यक है कि 22 भारतीय भाषाओं के डब्ल्यू3सी मानकों के सर्मथ बनाने के लिए प्रत्येक भाषा के अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं की सावधानी से जांच की जाए, जो एक विशाल व चुनौतीपूर्ण कार्य है।
कम्प्यूटर पर हिन्दी भाषा संसाधन के लिए यूनीकोड की भूमिका-यूनिकोड में भारतीय लिपियों को कोड स्पेस U+0900 से U+0D7F तक आबंटित किया गया है। यूनिकोड कंसोर्टियम बड़े कम्प्यूटर निगमों, अंतर्राष्ट्रीय विकासकर्ताओं, डेटाबेस विक्रेताओं, अंतर्राष्ट्रीय एजेन्सियों और विभिन्न उपयोगकर्ता समूहों का एक संगठन है और इसकी स्थापना 1991 में की गई थी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार, यूनिकोड कंसोर्टियम का पूर्णकालिक सदस्य है। यूनिकोड कंसोर्टियम एक अलाभकारी संगठन है और इसकी स्थापना यूनिकोड मानक के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी।
यूनिकोड मानक को कार्यान्वित करने के लिए अनुरूप होने के कारण इन एन्कोडिंग फॉर्मों का पूरी तरह से अनुमोदन करता है। समग्रता में, यूनिकोड मानक, संस्करण 3.0 विश्व की सभी वर्णमालाओं, भावचित्रों और प्रतीक संकलनों के 49,194 वर्णो के कोड प्रदान करता है। ये सब कोड पहले कोड स्पेस के क्षेत्र 64K के वर्णो को समाहित कर लेते हैं जिन्हें संक्षेप में बीएमपी या मूल बहुभाषी प्लेन कहा जाता है।
हिन्दी के व्यापक प्रचार-प्रसार में यूनिकोड की सुविधा क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है। आज विश्व की सभी लिखित भाषाओं के लिए यूनिकोड नामक विश्वव्यापी कोड का उपयोग, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, लाइनेक्स, ओरकल जैसी विश्व की लगभग सभी कम्प्यूटर कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। यह कोडिंग सिस्टम फॉन्ट्समुक्त, प्लेटफॉर्ममुक्त और ब्राउजरमुक्त है। विंडोज 2000 या उससे ऊपर के सभी कम्प्यूटर यूनिकोड को सपोर्ट करते हैं इसलिए यूनिकोड आधारित फॉन्ट का उपयोग करने से हिन्दी को आज विश्व की उन्नत भाषाओं के समकक्ष रखा जा सकता है।
भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने कहा था कि विश्व के अनेक हिस्सों में हिन्दी भाषा आसानी से बोली जा सके इसके लिए इंटरनेट पर हिन्दी साहित्य का यूनिकोड स्वरूप उपलब्ध करवाना होगा।
भारत सरकार के उन सभी सरकारी कार्यालयों और उपक्रमों को आदेश दिए जाएं जहां यूनिकोड का उपयोग नहीं किया जा रहा हो। वे अपनी कम्प्यूटर प्रणालियों में यूनिकोड आधारित फॉन्ट को डाउनलोड करने की व्यवस्था करें और अपनी वेबसाइट भी यूनिकोड आधारित फॉन्ट से निर्मित करें ताकि उनमें ई-मेल, चैट और खोज आदि की सुविधा सहज रूप में उपलब्ध हो सके।
हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण समाचारपत्रों और ई-पत्रिकाओं ने अपनी वेबसाइट डाइनेमिक फॉन्ट या वेबफॉन्ट की सहायता से निर्मित की है। ऐसी स्थिति में ये वेबसाइट भी बिना फॉन्ट डाउनलोड किए खुल तो जाती है और आप वेब सामग्री हिन्दी में पढ़ भी लेते हैं, लेकिन इसे न तो सहेजा जा सकता है और न ही ऑफ लाइन में पढ़ा जा सकता है। और फिर खोज का तो प्रश्न ही नहीं उठता। मेरे विचार में खोज एक ऐसी सुविधा है जिसके माध्यम से किसी भी मूल शब्द या कीवर्ड को लेकर उपयोगकर्ता वेबसागर में गोता लगाकर बोली चुन सकता है अर्थात् वॉंछित सूचना पा सकता है।
यूनिकोड की केवल एक ही सीमा है कि यह विंडोज 98 को सपोर्ट नहीं करता अर्थात् यदि आपके कम्प्यूटर पर विंडोज 98 स्थापित है तो आप यूनिकोड-समर्थित फॉन्ट को पढ़ नहीं सकते। विंडोज 2000 या उसके ऊपर की कोई प्रणाली यूनिकोड को सपोर्ट करती है।
बुधवार, 9 जून 2010
CSI presented awards to organisation promoting Information Technology
मेरे बारे में
संपादक
ई-समाचार पत्र
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पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
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