रविवार, 18 अप्रैल 2010

लोकतंत्र और मीडिया की गुणवत्ता के लिए आईसीटी का उपयोग जरूरी- भास्कर राव

मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत पर
पहले डिजिटल दस्तावेज का विमोचन

लोकतंत्र की गुणवत्ता के लिए सूचना और संचार तकनीकी न केवल बेहतर सहयोग कर रही है, बल्कि आम नागरिक, सक्रिय मीडिया और न्यू मीडिया को प्रोत्साहित कर रही है। इसका उपयोग नकारात्मक कम है। आईसीटी के कारण मतदान में इजाफा हुआ है। यह बात देष के ख्यात चुनाव और मीडिया विषेषज्ञ डॉ एन भास्कर राव ने कही। श्री राव एमपीपोस्ट द्वारा स्थानीय स्वराज भवन में 11 अपै्रल को आयोजित सूचना प्रौद्योगिकी, चुनाव और राजनीति विषय पर अपना व्याख्यान दे रहे थे। एमपीपोस्ट द्वारा जारी किए गए डिजिटल दस्तावेज की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में जो काम देष के प्रतिष्ठित आईटी नगर बैंगलूर से होना था वह भोपाल में संपन्न हुआ। श्री नगेले की छह वर्षो की निरंतर कड़ी मेहनत का ही परिणाम है कि संग्रहणीय आंकड़ों पर केन्द्रित इस डिजिटल दस्तावेज को आकार दिया जा सका। मुझे विष्वास है इसमें संकलित किए गए आंकड़े पत्रकारों, शोधार्थियों और सामान्य जन के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि देष में आईसीटी लागू किए जाने के बाद पत्रकारिता में वरिष्ठ और कनिष्ठ के बीच की दूरी कम हुई है। उन्नत सूचना प्रौद्योगिकी के इस दौर में पत्रकारों के लिए महत्वपूर्ण यह है कि वे अपनी प्रतिभा का श्रेष्ठ प्रदर्षन करें, इस तकनीक से समाज और देष की उत्क्रृष्ठ सेवा कर सकते हैं। वर्ष 1999 से वर्ष 2010 तक सूचना तकनीक ने तेजी से अनेक आयाम तय किए हैं। अब टेलीविजन पर चौबीस घंटे चलने वाले अनेक चैनल मौजूद हैं। जो देष के लगभग सभी क्षेत्र की सूचनाओं और परिस्थिति को प्रतिपल दर्षकों को परोसते हैं। दुख है कि इतने अधिक चैनल होने के उपरांत भी देष में आज सभी चुनावों का मत प्रतिषत चिंताजनक है।
आईटी तकनीक का जितना उपयोग मीडिया जगत में हो रहा है वह प्रषंसनीय तो है ही, उद्योग जगत ने भी इस सुविधा को अपने व्यवसाय की बेहतरी के लिए उपयोग किया है। वे अपने उत्पाद इस माध्यम से सुदूर अंचलों तक बेच रहे हैं। पिछले अमेरिकी चुनाव में ओबामा ने इस तकनीक का जिस सुंदरता से उपयोग किया। उसी कारण आज वे अमेरिका के राष्ट्रपति हैं। इन चुनावों में उन्होंने न केवल फंड रेजिंग की, बल्कि आमजन को अपने चुनाव का भागीदार भी बनाया।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 के आम चुनाव में देष के लगभग 70 लोकसभा क्षेत्रों में आईटी का उपयोग किया गया । धीरे-धीरे यह प्रवृत्ति हमारी चुनावी प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनती जा रही है। यही कारण है कि आज हर सांसद के पास एक या दो आईटी विषेषज्ञ मौजूद हैं। सुखद है कि देष में आज ब्राडबैंड कनेक्टीविटी ने क्रांति पैदा कर दी है। पत्रकारों को इसका सदुपयोग करना चाहिए। उन्होंने पूरानी सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े चुनावी संस्मरणों को भी रोचक ढ़ंग से इस संगोष्ठी में प्रस्तुत किया और भविष्य के लिए अनेक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये।
विमर्ष के दौरान एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले द्वारा तैयार मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत पर पहले डिजिटल दस्तावेज का अतिथियों ने विमोचन भी किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में विषय में विषय प्रवर्तन करते हुए न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डाट ओआरजी के संपादक सरमन नगेले ने कुछ रोचक तथ्य रखे उन्होने कहा पत्रकारिता में आज के दौर में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि सफल पत्रकार होने से बेहतर है अपने प्रोफेषन में बने रहना।
देश में पिछले एक दषक के दौरान आईटी और संचार के क्षेत्र में जो परिवर्तन हुए है। तथा लगातार होते जा रहे हैं उन पर इस विमर्ष के परिपेक्ष्य में सिलसिलेवार गौर करना अत्यंत आवष्यक है। चूंकि देष के जाने-माने मीडिया विषेषज्ञ और अन्य चिंतक मौजूद हैं वो तथा अन्य विद्वानों से आग्रह है कि वे भी अपना मौलिक चिंतन इस संगोष्ठी में प्रस्तुत करें। मीडिया, राजनीति और आईटी के क्षेत्र में काम करने वाले लोगो के लिए भी नई दृष्टि के बारे में प्रकाष डाले तो उचित रहेगा।
उन्होने कहा भारत की वर्तमान चुनाव प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं, इसको लेकर समय-समय पर कुछ चर्चाएं होती रहती हैं। तथा कुछ मुद्दे भी प्रकट हो जाते हैं। तब लोग चुनाव प्रणाली, राजनेता और मीडिया के लोगों कोसते हैं। यदि इन चर्चाओं से निजात पाना है तो चुनाव प्रक्रिया में आईसीटी के उपयोग की सबसे बड़ी जरूरत है। जब तक मतदाता को सभी प्रकार की सूचनाओं का और आईसीटी के यूज के बारे में जागरूक करना तथा मतदाता को सषक्त नहीं बनाया जाएगा, तब तक इस तरह की बाते सामने आती रहेंगी।
आम चुनाव में पं. बंगाल के निर्वाचन अधिकारी ने ब्लाग का सहारा लिया। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर साइबर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम थे। सभी राजनीतिक दलों ने वेबसाइट बनाई तथा आईसीटी का उपयोग किया। गूगल ने इस चुनाव में सर्वाधिक दखल दिया। आडवाणी जी तथा कांग्रेस । इस चुनाव में गूगल भारत में उतरा और आगे भी बढ़चढ़कर अन्य लोग भागीदारी करेंगे। न्यू मीडिया को भारत में ही नही अन्य देषों का लगभग सभी मीडिया प्रोमोट कर रहा है।
उन्होने बताया गूगल पिछले सौ सालों से अधिक के समाचार पत्रों को डिजिटल फारमेंट में लाने का प्रयास कर रहा है।
भारत में ई-वोट के अधिकार की मांग उठ रही है। गुजरात में नगरीय निकाय चुनाव में एसएमएस तथा ईमेल से वोट देने की प्रणाली पर विचार प्रारम्भ हो गया है।
भारत में 1652 बोलियों के माध्यम से संवाद होता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए साटवेयर कंपनियों ने क्षेत्रीय भाषाओं में काम करना प्रारंभ कर दिया है। भारत में पहला भाषाई सर्वेक्षण भी प्रारंभ हो चुका है।
श्री नगेले 2005 में किये गये स्वंय के अध्ययन के बारे में बताया कि मध्यप्रदेष में ऐसे भी उदाहरण हैे कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की समाज के मतदाताओं की संख्या 200 से 500 सौ के बीच में है इसके बाद भी लगातार चुनाव जीत रहे है यही स्थिति विधानसभा ईष्वरदास रोहाणी की है यही स्थिति म.प्र. शासन मे मंत्री जयंत मलैया की भी है, जबकि गौरीषंकर शेजवार की समाज के उनके विधानसभा क्षेत्र में 200 के बीच में मतदाता है लेकिन लगाता चुनाव जीतते रहे इस मर्तबा चुनाव मे हार गये, कैलाष चावला ऐसे पूर्व विधायक है जिन्होने मंदसौर जिले की सभी विधानसभा सीटों से भाजपा उम्मीदवार के रूप चुनाव लड़ा और जीते भी इस बार जरूर हार गये, कांग्रेस के पूर्व मंत्री हजारी लाल रघुवंषी और इन्द्रजीत कुमार उन विधायकों में से रहे जिन्होने कांग्रेस के लगभग सभी चुनाव चिन्ह पर पंच सरपंच से लेकर विधानसभा तक का चुनाव लड़ा और विजयी रहे इस दफा चुनाव में पराजित हो गये।
सरकारी आंकडों पर गौर करे तो अभी तक भारत में 80 लाख से अधिक ब्राडबैंड कनेक्षन उपलब्ध कराये गये हैं। भारत में इस समय इंटरनेट यूजर की संख्या लगभग सात करोड़ है ऐसा एक अध्ययन से पता चला है। देष के सभी ढ़ाई लाख ग्राम पंचायतों में सन् 2012 तक ब्राडबैंड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। अभी 30 हजार ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ दिया गया है। भारत में निजी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा भी लाखों की संख्या में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। श्री नगेले ने बताया कि भविष्य मे समाचार पत्र मोबाईल पर पढ़ने को मिलेंगे एम गर्वनेंस के साथ साथ थ्रीजी सेवा का भी लोग बढ़चढ़ कर उपयोग करेंगें।
हिन्दुस्तान टाइम्स के विषेष संवाददाता रंजन श्रीवास्तव ने कहा कि आज के परिवेष में सूचना प्रौद्योगिकी की प्रगति देखकर हर्ष होता है। उन्होंने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि कई वर्ष पहले राज्य सभा के एक दक्षिण भारत के सांसद का नाम स्पष्ट रूप से लेने में कठिनाई हो रही थी। मैंने इस हेतु इंटरनेट का उपयोग किया और तत्काल उनका ठीक नाम ज्ञात कर लिया। इस तकनीक के माध्यम से अब पत्रकार अपनी रिर्पोट को अत्यधिक तथ्यात्मक और प्रमाणिकता प्रदान करने के लिए उपयोग मंे ला सकते हैं। राजनीतिक दलों में भी इस तकनीक का उपयोग उन्नत रूप में किया जा रहा है। अब इंटरनेट पर बैठकर पत्रकारगण पूरे देष के चुनावों पर नजर रख सकते हैं। हालही में संपन्न हुए चुनावों में विधायकों को लेपटाप दिये गए हैं। निष्चित रूप से यह आईटी के चलन का सूचक है। अब वे चुनावों में विजयी बनाये जाने की अपील इस माध्यम से करते हैं। मुझे विष्वास है जितनी तेजी से यह प्रौद्योगिकी प्रगति करेगी, उतनी ही तेजी से पत्रकारगण इस सुविधा का उपयोग करेंगे।
इंडिया टुडे के प्रमुख संवाददाता अंबरीष मिश्रा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजनीति में इस प्रौद्योगिकी का सर्व प्रथम स्वर्गीय प्रमोद महाजन ने परिचय कराया था। बाद के वर्षाे में भाजपा ने इस सुविधा का भरपूर लाभ लिया। अब लगभग सभी दल इस सुविधा का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर सूचनाओं का भंडार ज्यादा है इसलिए सही सूचना प्राप्त करना कठिन है।
दैनिक भास्कर के स्टेट ब्यूरो चीफ गणेष साकल्ले ने तकनीक और पत्रकारिता कौषल पर अपने अनुभव बांटते हुए बताया कि 1999 के चुनाव में रीवा जाना हुआ उन दिनों रिपोर्टिंग तो आसान थी पर उसका संप्रेषण अत्याधिक कठिन था। रिपोर्ट तैयार करने के बाद दो दिन तक उसे अखबार के दफतर तक नहीं भेजा जा सका। क्योंकि तब वहां शहर में केवल एक ही फैक्स मषीन थी। और उसे चलाने वाला भी एक ही था। बाद में लगभग तीन दिन बाद उस समाचार का प्रकाषन संभव हो सका। वर्तमान दौर में पत्रकारिता के लिए सूचनाएं और तकनीक दोनों विद्यमान हैं। केवल उसके सदुपयोग की जरूरत है।
सीएनईबी और वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजेष बादल ने अपने अनुभव के आधार पर वक्तव्य आरंभ करते हुए कहा कि एक बार वर्ष 1977 में पहली बार भाजपा नेत्री स्वर्गीय विजयाराजे और स्वर्गीय इंदिरा गांधी से बात करने पहुंचा। उस दौर में संप्रेषण हेतु केवल तार सुविधा उपलब्ध थी। मैंने विजयाराजे जी और इंदिरा गांधी जी से बात करने के बाद अपनी रिपोर्ट तार द्वारा प्रेषित की। अखबार के दफतर में इन खबरों को उलट-पुलट रूप में प्राप्त किया गया है। आषय यह है कि उन दिनों संप्रेषण उन्नत नहीं था। अब यह इतनी अधिक उन्नत हो गई है कि इसमें त्रुटियों की संभावना कहीं अधिक बढ़ गई है। चैनलों की दौड़ में हम रूक नहीं सकते। अतः मामूली सी चूक खबर के अर्थ का अनर्थ करती है। इस दिषा में हमें यदि चुनाव आयोग की तकनीकी सहायता प्रमाणिक समाचार के रूप में मिल जाए तो यह एक सार्थक प्रयास होगा। मेरा सुझाव है कि चुनाव अधिकारी के रूप में किसी जिले का कलेक्टर सरकार का पक्ष यह सोचकर ले सकता है कि चुनाव बाद मुझे इसी सरकार के अधीन काम करना है। दूसरे शब्दों में यह अधिकारी किसी भी जीते प्रत्याषी को हरा भी सकता है और जीता भी सकता है। यदि सूचना प्रौद्योगिकी का समुचित उपयोग किया जाए तो इस विसंगति पर नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने चुनाव सुधार की बात भी प्रमुखता से कही।
मध्य प्रदेष कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता श्री अरविंद मालवीय ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पेपर लेस हो तो ज्यादा अच्छा होगा, क्योंकि इससे न केवल आर्थिक बचत होगी। बल्कि पर्यावरण भी बचेगा। उन्होंने कहा कि राजनीति समाज सेवा का सषक्त माध्यम है और चुनाव इस प्रक्रिया का आवष्यक अंग है। हर्ष का विषय है कि अब राजनीतिक दल सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करने लगे हैं। पहले तार फिर फैक्स, फिर कम्प्यूटर और बाद में इंटरनेट सहित अन्य उन्नत तकनीक वर्तमान परिपेक्ष्य में विद्यमान है। इस तकनीक के माध्यम से प्रजातंत्र को और अधिक मजबूत बनाया जा सकता है और बिगाड़ा भी जा सकता है। अलग-अलग चैनल के दफतरों में अलग-अलग चुनाव विष्लेषक अपनी निष्ठा अनुसार चुनाव विवेचना करते देखे जा सकते हैं। अब केन्द्र सरकार ने यूनिक आईडी सुविधा प्राप्त की है। ये पर्यावरण की दृष्टि से भी न्यायोचित है।
विमर्ष पर अपना विषिष्ट वक्तव्य राज्यसभा सदस्य और भाजपा प्रदेष उपाध्यक्ष श्री अनिल माधव दवे ने कहा कि तकनीक और प्रौद्योगिकी का बखेड़ा खड़ा नहीं करना चाहिए। मुझे एक परिचित पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने मोबाईल का नंबर लेने के लिए अपना मोबाईल आगे बढ़ाया और कहा कि केवल मुझे दो ही बटन दबाना आते हैं। पूरे विष्व को सूचना प्रौद्योगिकी के भारतीय संवाहकों ने उंचाई तक पहुंचाया। बेहतर हो अद्यतन तकनीक का प्रयोग किया जाए। राजा को सदैव टेक्नोसेवी होना चाहिए, टेक्नोक्रेट नहीं।
विमर्ष का संचालन करते हुए माखलन चतुर्वेदी विष्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी एक विचार धारा को भी प्रदर्षित करती है। कभी-कभी उसके उपयोगकर्ता विचारधारा से सहमत होते और कभी असहमत। सहमत होने पर प्रौद्योगिकी उन पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। और असहमत होने पर उसका प्रभाव नकारात्मक होता है। सूचना प्रौद्योगिकी का सकारात्मक उपयोग आमजन के हित में कैसे किया जाए। इस पर विमर्ष किया जाना चाहिए।
एमपीपोस्ट द्वारा तैयार मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत पर पहले डिजिटल दस्तावेज न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डॉट ओआरजी पर निषुल्क ऑनलाइन उपलब्ध है।
सभी अतिथियों को एमपीपोस्ट की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। सभी अतिथियों व उपस्थित पत्रकारों का एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने आभार व्यक्त किया। सभी अतिथियों का एम.पी. पोस्ट के ब्यूरो चीफ जितेन्द्र सुमन तथा इन्द्रकुमार चौरे ने स्वागत किया।
इस अवसर पर इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व ब्यूरो चीफ वरिष्ठ पत्रकार श्री एन.डी. शर्मा, सेन्ट्रल प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार विजयदास, चेतना रतलाम के ब्यूरो चीफ दिनेष जोषी, लोकमत समाचार के ब्यूरों चीफ और वरिष्ठ पत्रकार षिवअनुराग पटेरिया, जनसत्ता के ब्यूरो चीफ तथा नेषनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय महासचिव आत्मदीप, राजस्थान पत्रिका के ब्यूरो चीफ रमेष ठाकुर, दैनिक भास्कर के एस. हनुमंत राव, वरिष्ठ पत्रकार व दैनिक नई राह के संपादक रमेष तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाठक, स्वतंत्रमत जबलपुर के ब्यूरो चीफ प्रेम पगारे, पांचजन्य के ब्यूरो चीफ अनिल सौमित्र, समय शहडोल के व्यूरो चीफ विनोद श्रीवास्तव, अग्निपथ उज्जैन के ब्यूरो चीफ एन.पी अग्रवाल, क्षीतिज किरण होषंगाबाद के संपादक के.के. सक्सेना, संवादकुज के ब्यूरो चीफ व म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष षिषुपाल सिंह तोमर, यू.एन.आई. के विषेष संवाददाता प्रषांत जैन, आकाषवाणी के समाचार संपादक सारिक नूर, वरिष्ठ पत्रकार शब्बीर कादरी, आलोक सिंघई, बीएल दिवाकर, रामजी श्रीवास्तव, राजेष गाबा, डॉ. राधेष्याम शर्मा, आर के पंथारी, आर.एस. अग्रवाल, द संडे इंडियन के ब्यूरो चीफ राजू कुमार, पत्रकार रमेष निगम, अरषद अली, संजय शास्त्री, बीजेपी आईटी सेल म.प्र. के अध्यक्ष अनिल सप्रे, म.प्र. काग्रेस कमेटी सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय दुबे, भोपाल शहर के अनेक पत्रकार, फोटो पत्रकार, न्यू मीडिया से जुड़े पत्रकार, गणमान्य नागरिक और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विष्वविद्यालय के एम.जे. छात्र मौजूद थे।
मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत 2010 को न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने तैयार किया है।
डिजिटल दस्तावेज तीन खण्डों में
ै पहले खंड में विधान सभा चुनाव पर केन्द्रित लगभग हर दृष्टि से संपूर्ण जानकारी, चुनाव परिणामों के साथ ही विधान सभा क्षेत्र की संपूर्ण जानकारी और निर्वाचित विधायक का फोटो सहित जीवन परिचय तथा विष्लेषण है।
दूसरे खंड में लोक सभा चुनाव से संबंधित संदर्भ सामग्री, चुनाव परिणाम नतीजे मध्य प्रदेष से निर्वाचित सांसदों का फोटो सहित जीवन परिचय।
तीसरे खंड में वर्तमान लोक सभा में महिलाओं की स्थिति 15वीं लोक सभा के लिए संपन्न चुनाव पर विष्लेषण, चुनाव के दौरान एग्जिट और ओपिनियन पोल के बारे में व चुनाव संबंधी रिपोर्टिंग के बारे में भारतीय प्रेस परिसर के निर्देष का भी समावेष किया गया है। मध्य प्रदेष के गठन से लेकर अब तक के राजनीतिक अतीत, मध्य प्रदेष के गठन से लेकर अब के मुख्यमंत्रियों का सफरनामा, संविद सरकार और चुनावी राजनीति को समेटा गया है। भारत में निर्वाचन प्रणाली का विकास तथा लोकतांत्रिक प्रणाली का भी समावेष किया गया है।
मध्य प्रदेष में चुनाव प्रक्रिया का वृहद परिदृष्य और राजनीतिक अतीत..
भारत में लोक सभा और विधान सभा प्रभुत्व-सम्पन्न जनता की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। सदन का प्रत्येक सदस्य चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से जनता के प्रति जवाबदेह है। सरकार की जवाबदेही सुनिष्चित करने के लिए सदन द्वारा इसकी नीतियों, कार्यक्रमों तथा कृत्यों की संवीक्षा की जाती है। यह प्रक्रिया, स्वतंत्रता के बाद से 14वीं लोक सभाओं में जारी रहते हुए अब 15वीं लोक सभा तथा मध्य प्रदेष की 11वीं विधान सभा से लेकर 12वीं विधान सभा में भी विद्यमान है।
मित्रों, इंटरनेट और आईसीटी से मिले अपार प्रोत्साहन और सुदृढ़ अवलम्ब के बल पर ही मैं इस दस्तावेज सीडी को तैयार करने तथा इंटरनेट पर ऑनलाइन उपलब्ध कराने का साहस जुटा सका हूं। यह मध्य प्रदेष का पहला डिजिटल दस्तावेज है जो इतनी वृहद जानकारी प्रस्तुत करता है। यह न्यूज पोर्टल ूूूण्उचचवेजण्वतह पर सुलभ संदर्भ के लिए उपलब्ध रहेगा।
15वीं लोक सभा के संपन्न हुए चुनाव में 70 करोड़ से अधिक योग्य मतदाता ने भाग लिया। और भारत निर्वाचन आयोग ने इसके लिए 7.5 लाख मतदान केन्द्र स्थापित किये। यह विषाल उप-महाद्वीपीय प्रक्रिया दुनिया भर के मीडिया का ध्यान आकर्षित करती रही है।
एमपीपोस्ट ने 2004-2009 के आम चुनावों तथा 2008 के म.प्र. विधान सभा चुनावों में विभिन्न राजनैतिक दलों के कार्य निष्पादन का विवरण देते हुए यह संदर्भ सीडी तैयार की है। इसके अलावा चुनावों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति चुनाव क्षेत्रों में उनके कार्य निष्पादन, पिछले सभी चुनावों में मतदान प्रतिषत और पिछले चुनावों के बारे में कई अन्य उपयोगी सूचनाएं शामिल है। संदर्भ सीडी में 15वीं लोक सभा के सदस्यों की पृष्ठभूमि, मध्य प्रदेष के विजयी उम्मीदवारों के फोटो सहित जीवन परिचय, लोक सभा क्षेत्र का नक्षा, तथा संसदीय क्षेत्र का संपूर्ण विवरण एवं अन्य महत्वपूर्ण तथ्य परक सूचनाओं के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी और कार्य निष्पादन के बारे में जानकारी दी गई है। आम चुनाव 2009, राज्यवार चुनाव परिणाम, संसदीय क्षेत्र का विवरण, म.प्र. के विजयी उम्मीदवारों का फोटो सहित जीवन परिचय संजोया गया है।
मध्य प्रदेष में संपन्न हुए 12वीं विधान सभा के चुनाव परिणाम, विजयी उम्मीदवार का फोटो सहित जीवन परिचय, विधान सभा क्षेत्र का नक्षे के साथ संपूर्ण विवरण एवं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा महिला उम्मीदवारों की भागीदारी के अलावा समान्य निवार्चन 2008, जिले की चुनाव संबंधी संपूर्ण जानकारी, जिला और विधान सभा क्षेत्रवार परिणाम, म.प्र. विधान सभा-2008 क्षेत्रवार एवं दलवार प्राप्त मतों का प्रतिषत, म.प्र. विधान सभा-2008 विधान सभा क्षेत्रवार एवं दलवार प्राप्त मतों की संख्या, म.प्र. विधान सभा-2008 जिलेवार विजयी पार्टी एवं प्रतिषत, 1951-2003 तक के मध्य प्रदेष विधान सभा चुनाव परिणाम एक नजर में, 1951-2008 तक के मध्य प्रदेष विधान सभा चुनाव परिणाम पर विश्लेषण भी किया गया है।
मध्य प्रदेश का राजनीतिक अतीत

ऽ भारतीय संसदीय लोकतंत्र के - वर्ष राजनीतिक जीवन (लोकतांत्रिक प्रणाली)
ऽ भारत में निर्वाचन प्रणाली का विकास
ऽ भारत में आम चुनाव
ऽ आम चुनाव 2009 भारत में 15वीं लोक सभा के लिए संपन्न चुनाव पर विश्लेषण
ऽ मध्य प्रदेष का निर्माण
ऽ मध्य प्रदेष के गठन से लेकर अबतक के मुख्यमंत्रियों का सफरनामा
ऽ मध्य प्रदेष के गठन से लेकर अबतक के मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल
ऽ मध्य प्रदेष में निम्न अवधि में राष्ट्रपति शासन
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के राज्यपाल
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के विधान सभा अध्यक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के नेता प्रतिपक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के विधान सभा उपाध्यक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के म.प्र. भाजापाध्यक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के म.प्र. कांग्रेस के अध्यक्ष
ऽ मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अबतक के मुख्य सचिव
ऽ संविद सरकार
ऽ प्रथम दशक
ऽ छठवां दशक
ऽ चुनावी राजनीति
ऽ म.प्र. मंत्री परिषद का जातिगत और क्षेत्रवार विवरण
ऽ प्रदेश में उभरता महिला नेतृत्व
ऽ मध्य प्रदेश में जिला पंचायत और महापौर पद के लिए महिला आरक्षण
ऽ वर्तमान लोक सभा में महिलाओं की स्थिति
ऽ मध्य प्रदेश में पंचायतो का दौर
ऽ मध्य प्रदेश से आठवीं बार का सांसद
ऽ मध्य प्रदेष विधान सभा में एक अषासकीय संकल्प पारित हुआ जिसमें लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के चुनाव एक साथ कराने की वकालत की गई।
मध्य प्रदेश से संबंधित प्रमुख राजनीतिक घटनाक्रम और समीक्षात्मक टिप्पणी प्रत्येक माह अपडेट करेंगे।

मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह की वेबसाईट को भारत सरकार का वेब रत्न अवार्ड

मध्यप्रदेष के मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान द्वारा हिन्दुस्तान की अपने तरीके की अनोखी वेबसाईट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट आइडियाज फॉर सीएम डॉट इन को भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने वेब रत्न अवार्ड 2009 के लिए चयनित किया है।
भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की एनआईसी शाखा ने नेषनल पोर्टल के अंतर्गत इसी साल से वेब रत्न अवार्ड देने की प्रक्रिया प्रारंभ की है। एमपीपोस्ट को मिली जानकारी के अनुसार भारत में ई-षासन का जबरदस्त बढ़ावा मिला है। ई-षासन में अनुकरणीय पहल को तथा वर्ल्ड वाइड वेब के प्रयोग को मान्यता प्रदान करने के लिए वेब रत्न अवार्ड 2009 आरंभ किया गया है।
नामांकन का नामांकन जांच समिति द्वारा मूल्यांकन किया गया। ज्यूरी के विषेषज्ञ सदस्यों ने मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह चौहान की वेबसाईट को अवार्ड के लिए चुना है। अवार्ड प्रदान करने का यह पहला कार्यक्रम है। यह अवार्ड 19 अप्रैल 2010 को विज्ञान भवन नई दिल्ली में शाम 5.00 बजे केन्द्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री थिरू. ए. राजा द्वारा प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट भी मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह चौहान ने विजयी टीम के सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
वेबसाईट आइडियाज फॉर सीएम 19 जनवरी 2009 से प्रारंभ हुई है। तब से लेकर अब तक लगभग 2925 लोगों ने अपने सुझाव और विचार भेजे हैं। प्राप्त सुझावों में से 322 पंजीकृत हुए जिनमें से 280 का निराकरण किया गया और दस सुझावों का क्रियान्वयन के लिए चयन किया गया है। जिन लोगों के सुझाव चयनित किए गए हैं। उन सभी लोगों को अप्रैल माह के अंत एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मप्र षिवराज सिंह चौहान सम्मानित करेंगे। इस अनोखी वेबसाईट की परिकल्पना मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस की है। मुख्यमंत्री की मंषा के अनुरूप इस वेबसाईट को मूर्त रूप दिया है सुषासन एवं नीति विष्लेषण स्कूल ने।
मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चौहान ने सरकार के कार्यकलापों में लोगों की वैचारिक सहभागिता बढ़ाने की आवष्यकता सदैव अनुभव की है। प्रदेष के विकास की जो कल्पना उन्होंने की है उसे आपसी सहयोग के बिना मूर्त रूप देना संभव नहीं है। इसीलिए उन्होंने आइडियाज फॉर सीएम के माध्यम से जनमानस से बहुमूल्य सुझावों को आमंत्रित करने की परंपरा प्रारंभ की है।
मुख्यमंत्री म.प्र. को सीधे भेजे जाने वाली वेबसाईट आइडियाज फॉर सीएम के जरिए प्राप्त सुझावों व अन्य गतिविधियों की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव इकबाल सिंह बैंस, मुख्यमंत्री के सचिव व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अनुराग जैन सतत् रूप से करते हैं। प्रदेष के वन विभाग को मोबाईल गवर्नेंस के लिए भी वेब रत्न अवार्ड मिलेगा। एम गवर्नेंस मंत्रा फॉर वन एण्ड वाइड लाईफ में फायर एलर्ट सिस्टम, वाइड लाईफ, आर्थिक और जीआईएस टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा नेषनल पोर्टल पर राज्य से अधिक से अधिक तथ्य भेजे जाने के लिए भी मध्यप्रदेष के एनआईसी को भी वेब रत्न अवार्ड से नवाजा जाएगा।
सामान्य प्रषासन विभाग म.प्र. के प्रमुख सचिव सुदेष कुमार, सुषासन एवं नीति विष्लेषण स्कूल के महानिदेषक प्रो. एचपी दीक्षित, संचालक अखिलेष अर्गल, आइडियाज फॉर सीएम को मिलने वाला अवार्ड प्राप्त करेंगे। जबकि अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक आईटी वन विभाग मध्यप्रदेष अनिल ओबेराय वन विभाग को मिलने वाला अवार्ड प्राप्त करेंगे। नेषनल पोर्टल के स्टेट समन्वयक कंटेंट अपलोडिंग तथा एनआईसी के टेक्नीकल डायरेक्टर संजय हार्डिकर व म.प्र. के राज्य सूचना विज्ञान अधिकारी एम विनायक राव एनआईसी मध्यप्रदेष की ओर से अवार्ड प्राप्त करेंगे।

सोमवार, 15 मार्च 2010

मध्यप्रदेश विधानसभा समीक्षा


12 मार्च 2010
राज्य विधानसभा में अन्य दिनों की अपेक्षा आज सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढ़ंग से नहीं चल सकी। सदन से विपक्षी सदस्यों ने जहां दो मर्तबा बर्हिगमन किया, वहीं प्रष्नकाल के दौरान सिवनी जिले के सीएमओ मकबूल खान को नगरीय प्रषासन मंत्री बाबूलाल गौर ने सदन में निलंबित करने की घोषण की। जिला अनूपपूर में लंबित नस्तियों के निराकरण को लेकर नगरीय प्रषासन मंत्री बाबूलाल गौर के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस के सदस्यों ने शोरगुल किया। शुक्रवार 12 मार्च 2010 को सदन की कार्यवाही का प्रष्नोत्तर काल बीस प्रष्न के उत्तर तक ही सिमट कर रह गया। लगभग आठ सदस्यों की विभिन्न विषयों से संबंधित शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी गई।
सदन में आगे की कार्यवाही के तहत मप्र के राघवजी वित्तमंत्री, कैलाष विजयवर्गीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, गोपाल भार्गव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री, कन्हैयालाल अग्रवाल, राज्यमंत्री सामान्य प्रषासन विभाग ने अपने अपने विभागों से संबंधित पत्रों को पटल पर रखा।
तत्पष्चात् नियम 138 एक के अधीन ध्यानाकर्षण के माध्यम से कांग्रेस विधायक चौधरी राकेष सिंह ने ग्वालियर चंबल संभाग के लिए पर्याप्त बिजली न मिलने का मामला उठाया। जिस पर ऊर्जामंत्री ने अपने उत्तर में बताया कि प्रदेष में विद्युत की मांग एवं उपलब्धता के अंतर के परिप्रेक्ष्य में विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को उनकी आवष्यकताओं के अनुरूप विद्युत उपलब्ध कराने के लिए विनियमित विद्युत प्रदाय किया जाना आवष्यक हो जाता है। वर्तमान में मप्र विद्युत नियामक आयोग द्वारा दिये गये दिषा-निर्देषों के अनुरूप प्रदेष में संभागीय मुख्यालयों, जिला मुख्यालयों, तहसील मुख्यालयों एवं ग्रामीण क्षेत्रों को वर्ष में क्रमषः प्रतिदिन औसतन बाईस घण्टे, उन्नीस घण्टे, चौदह घण्टे एवं बारह घण्टे विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। 28 फरवरी 2010 तक वर्ष 2009-10 के दौरान संीाागीय मुख्यालयांे, जिला मुख्यालयों, तहसील मुख्यालयों एवं ग्रामीण क्षेत्रांे को वर्ष में क्रमषः प्रतिदिन तेईस घण्टे पांच मिनिट, इक्कीस घण्टे पांच मिनिट, पंद्रह घण्टे सत्तावन मिनिट एवं बारह घण्टे तीस मिनिट विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराया गया है। 28 फरवरी 2010 तक वार्षिक औसतन विद्युत प्रदाय नियामक आयोग के निर्धारित मापदण्ड से अधिक है। उन्होंने कहा कि ग्वालियर चंबल संभाग में किसानों को बिजली दो घंटे भी दिन-रात में नहीं मिल रही है यह कहना उचित नहीं है। विपक्षी सदस्य ऊर्जा मंत्री के जवाब से असंतुष्ट हुए और गर्वगृह मंे जाकर नारेबाजी करते रहे। तथा मांग कर रहे थे कि ऊर्जा मंत्री सात घण्टे बिजली देने की घोषणा करें। स्पीकर ने कार्यवाही को आगे बढ़ाया जिस पर कांग्रेस विधायक उत्तेजित हो गए और सदन से बर्हिगमन कर गए।
एक अन्य ध्यानाकर्षण के जरिए भाजपा विधायक बृजमोहन धूत ने देवास जिले के खारपा में खाद्यान्न वितरण न होने का मामला उठाया। जिस पर खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण राज्यमंत्री पारस जैन ने अपने उत्तर में बताया कि यह कहना सही नहीं है कि कन्नौद तहसील के पास खारपा में राषन वितरण प्रणाली अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिली भगत से समय पर पूरा राषन नहीं मिल रहा है। वस्तुस्थिति यह है कि जिले के अधिकारियों द्वारा प्रतिमाह सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सामग्रियों का आबंटन खारपा की उचित मूल्य की दुकान को दिया जा रहा है। ध्यानाकर्षण सूचना में उल्लेखित प्रकरण के संबंध में वस्तुस्थिति यह है कि अनुभागीय अधिकारी कन्नौद को सेवा सहकारी संस्था खारपा के सेल्समेन द्वारा गेहूं एवं शक्कर कम तौलने की मौखिक षिकायत प्राप्त होने पर तहसीलदार कन्नौद को जांच कराने के लिए निर्देष दिए गए।
सरपंच द्वारा की गई षिकायत की जांच ग्रामवासिायें एवं सरपंच के साथ तहसीलदार कन्नौंद द्वारा किए जाने पर जांच समय सेवा सहकारी संस्था खारपा की दुकान बन्द पाई गई।
विभागीय अधिकारियों द्वारा तत्परता से कार्यवाही की गई है एवं उनकी कोई मिलीभगत नहीं है।
इधर, कांग्रेस विधायक गोविन्द सिंह राजपूत ने सागर जिले में अमानक स्तर की खाद की बिक्री होने का मामला उठाया। जिस पर किसान कल्याण तथा कृषि विकास राज्यमंत्री विजेन्द्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह राजपूत के ध्यानाकर्षण सूचना के उत्तर में बताया कि यह कहना सही नहीं है कि सागर जिले के किसानों को खेती की पैदावार बढ़ाने के लिए अमानक स्तर के उर्वरक का उपयोग करना पड़ रहा है, बल्कि मानक स्तर के उर्वरकों का उपयोग कर के ही फसल का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। जिले में सूचना दिनांक से विगत चार वर्षाे में गुण नियंत्रण की दृष्टि से संस्थाओं, निजी विक्रेताओं से रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाषक दवा के सेम्पल लिए जाकर उन्हें परीक्षण के लिए गुण नियंत्रण प्रयोगषाला को भेजा गया। प्रयोगषाला से परीक्षण उपरांत अधिकांष नमूनों के परिणाम मानक स्तर के पाये गये हैं। विगत चार वर्षो में जिले में उर्वरक के 575 नमूने विष्लेषित कराने पर अमानक पाये गये 81 नमूनों का विक्रय प्रतिबंधित करते हुये 27 विक्रय अनुज्ञप्ति निलंबित, 3 निरस्त एवं एक विक्रेता के विरूद्ध माननीय न्यायालय में प्रकरण पंजीबद्ध कराया गया है। इसी प्रकार से कीटनाषक के 190 नमूने विष्लेषित कराने पर अमानक पाये गये 20 नमूनों का विक्रय प्रतिबंधित करते हुए एक विक्रय अनुज्ञप्ति निलंबित एवं 16 विक्रेताओं के विरूद्ध माननीय न्यायालय में प्रकरण पंजीबद्ध कराये गये है।
उर्वरक नमूना अमानक स्तर का पाये जाने पर संबंधित कंपनी को उक्त उर्वरक पर अनुदान प्राप्त करने की पात्रता न होने के कारण अनुषंसा नहीं की जाती है।
जिले में फसलों की स्थिति अच्छी है, किसानों को आर्थिक हानि एवं कृषि पैदावार कम होने संबंधी कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है, कृषि विभाग के अधिकारियों ने अपना कर्तव्य का विधिवत् पालन किया है, उनके द्वारा किसी भी प्रकार से उर्वरक निर्माता कंपनियों को अनुचित लाभ नहीं पहुंचाया गया है। जिले के किसानों मंे असंतोष व्याप्त होने जैसी स्थिति नहीं है। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस विधायक गर्वग्रह में पहुंच गए और नारेबाजी करते रहे, यह मामला पूरे प्रदेष का है इसी बीच विधानसभ के उपाध्यक्ष हरवंष सिंह ने आसंदी से निर्देष दिये कि यह मामला गंभीर है इसकी जांच कराकर सक्षम कार्यावाही करें। लेकिन कांग्रेस के सदस्य नहीं माने और असंतुष्ट होकर सदन से बर्हिगमन कर गए।
एक अन्य ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से कांग्रेस विधायक प्रियव्रत सिंह ने राजगढ़ जिले के माचलपुर से जौरापुर मार्ग पूर्ण न होने का मामला उठाया। इस पर लोक निर्माण मंत्री नागेन्द्र सिंह ने अपने जवाब में बताया कि यह सत्य है कि राजगढ़ जिले में 11-9-2008 को मुख्यमंत्री द्वारा माचलपुर कस्बे में प्रवास के दौरान घोषणा की गई थी कि छह माह में जीरापुर माचलपुर मार्ग पूर्ण करवा दिया जायेगा। पचौर-छापीहेड़ा-जीरापुर-माचलपुर (राजस्थान सीमा तक) की कुल लंबाई 86.70 किलोमीटर है। उल्लेखित जीरापुर-माचलपुर मार्ग लंबाई 13.80 कि.मी. इस मार्ग का हिस्सा है।
पचौर-छापीहेड़ा-जीरापुर-माचलपुर मार्ग राजमार्ग क्रमांक - 41 ए है। यह मार्ग एषियन विकास बैंक द्वारा पोषित की जाने वाली एमपीएसआरएसपी-3 अंतर्गत प्रस्तावित है।
कांग्रेस विधायक श्रीमती सुलोचना रावत ने प्रदेष में आदिवासी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितता होने का मामला उठाया। जिस पर आदिम जाति कल्याणमंत्री कुंवर विजय शाह ने बताया कि आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा प्रदेष में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये 1262 छात्रावास एवं 930 आश्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिनमें 104094 सीट स्वीकृत होकर अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र छात्राओं को आवास सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग के लिये 1030 छात्रावास एवं 248 आश्रम संचालित किये जा रहे हैं, जिनमें क्रमषः 37898 एवं 10546 सीट स्वीकृत होकर आवास सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।
इन संस्थाओं में निवास करने वाले छात्रों को प्रतिमाह षिष्यवृत्ति दिये जाने का प्रावधान है। षिष्यवृत्ति का भुगतान छात्र-छात्राओं की संख्या एवं शाला में उपस्थिति के आधार पर प्रतिमाह अग्रिम भुगतान किये जाने का प्रावधान है।
छात्रावास आश्रम का विभाग के विभिन्न अधिकारी यथा मंडल संयोजक, क्षेत्र संयोजक, प्राचार्य, विकासखण्ड षिक्षा अधिकारी, सहायक परियोजना प्रषासक, सहायक संचालक, जिला संयोजक सहायक आयुक्त, परियोजना प्रषासक, संभागीय उपायुक्त, कलेक्टर एवं उनके द्वारा नियुक्त अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा भी समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है।
मंत्री ने सदन को बताया कि षिष्यवृत्ति भुगतान में भ्रष्टाचार को लेकर आम जन शासन के प्रति रोष एवं आक्रोष व्याप्त नहीं है।
ध्यानाकर्षण के तहत कांग्रेस विधायक श्रीमती इमरती देवी ने डबरा नगर पालिका अध्यक्ष को दोषी पाये जाने के बावजूद कार्यवाही न होने का मामला उठाया। जिस पर नगरीय प्रषासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर ने अपने जवाब में सदन को बताया कि यह सही है कि नगरपालिका अध्यक्ष डबरा के पूर्व कार्यकाल में निर्यातकार, अस्थाई दखल एवं बाजार वसूली में हुये भ्रष्टाचार की जांचोपरांत विभाग द्वारा उन्हें कारण बताओं जारी किया जाकर नियमानुसार आगामी कार्यवाही प्रचलित है। यह कार्यवाही अर्द्व न्यायिक स्वरूप की है एवं जब तक कार्यवाही पूर्ण नहीं हो जाती है तथा दोषसिद्धि प्रमाणित नहीं हो जाती, पद से हटाये जाने का प्रष्न उपस्थित नहीं होता।
एक अन्य ध्यानाकर्षण सूचना के द्वारा भाजपा विधायक यषपाल सिंह सिसोदिया ने उज्जैन संभाग में चल रहे उद्योगों से प्रदूषण होने का मामला उठाया। जिस पर आवास एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया ने भाजपा विधायक यषपाल सिंह सिसोदिया के ध्यानाकर्षण के उत्तर में कहा कि मध्यप्रदेष में लगभग 6000 लघु श्रेणी के व 600 वृहद-मध्यम श्रेणी के उद्योग स्थापित हैं। मप्र प्रदूषण बोर्ड द्वारा इनमें से सभी जल एवं वायु प्रदूषणकारी श्रेणी के उद्योगों में जल एवं वायु प्रदूषणरोधी व्यवस्थायें स्थापित कराई गई हैं। उपचारित निस्त्राव को सामान्यतः उद्योग परिसर में ही उपयोग करने की व्यवस्था रहती है। उद्योगों की जलवायु गुणवत्ता मप्र प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से सतत् प्रक्रिया के अंतर्गत आवष्यकतानुसार मापी जाती है।
ध्यानाकर्षण में विषेषकर उज्जैन संभाग के जिन उद्योगों का मानक से अधिक उत्सर्जन या निस्त्राव करने का लेख किया गया है उनके संबंध वस्तुस्थिति के अनुसार उद्योगों द्वारा सभी मानकों का उल्लंघन नहीं किया गया है। बोर्ड द्वारा समझाईष दी गई है।
आज सदन में पंद्रह ध्यानाकर्षणों को लिया गया था। जिनमें से आठ पर चर्चा हो सकी, सात सदस्यों अजय अर्जुन सिंह, आरीफ अकील, डॉ. गोविन्द सिंह, पारस सखलेचा, अजय यादव, लखन घनघोरिया और मदन कुषवाह की ध्यानाकर्षण की सूचनाएं तथा संबंधित मंत्रियों के उत्तर पढ़े हुए माने गए। ऐसी व्यवस्था स्पीकर ईष्वरदास रोहाणी ने दी। विधानसभाध्यक्ष ईष्वरदास रोहाणी ने सदन को बताया कि प्रतिवेदन तथा याचिकाओं की प्रस्तुति प्रस्तुत हुई मानी गयीं। राज्य विधानसभा में आज भोजन अवकाष नहीं हुआ। लोक निर्माण विभाग, स्कूल षिक्षा, विधि और विधायी कार्य विभाग की अनुदान मांगों को सदन ने चर्चा के उपरांत पारित कर दिया। चर्चा की शुरूआत कांग्रेस विधायक महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा ने प्रारंभ की। भाजपा विधायक गिरिजा शंकर शर्मा, प्रेमनारायण ठाकुर, ताराचंद बबरिया, कांग्रेस विधायक दिलीप सिंह गुर्जर एवं मदन कुषवाह ने भाग लिया।
सदन में श्रीकांत दुबे सदस्य द्वारा पन्ना को सतना रेललाइन से जोड़े जाने का तथा अन्य सदस्यों के अषासकीय संकल्प भी पारित किए गए।

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

मध्यप्रदेश को भारत सरकार के चार ई-गवर्नेंस अवार्ड मिले

राजस्थान की राज्यपाल ने पुरस्कृत किया


मध्यप्रदेश सरकार को ई-शासन के उत्कृष्टतम क्रियान्वयन में विशेष पहल के लिए भारत सरकार द्वारा नॅशनल ई-गवर्नेंस अवार्ड से नवाजा गया है। यह अवार्ड राजस्थान की राज्यपाल श्रीमती प्रभा राव ने 18 फरवरी 2010 को जयपुर में शुरू हुई दो दिवसीय 13वीं नॅशनल कांफ्रेंस ऑन ई-गवर्नेंस के अवसर पर प्रदान किये। इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हान, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री सचिन पायलट मौजूद थे।
एमपीपोस्ट को मिली अधिकृत जानकारी के अनुसार नॅशनल अवार्ड फॉर ई-गवर्नेंस 2009-10 के सात श्रेणियों के ये पुरस्कर 17 संगठनों को दिए गए और एक संगठन को विषेष उल्लेख का पुरस्कार दिया गया। 18 विजेताओं में से सर्वाधिक चार अवार्ड मध्यप्रदेष के खाते में आये हैं। यह मध्यप्रदेष सरकार की बड़ी उपलब्धि है।
राजस्थान की राज्यपाल श्रीमती प्रभा राव ने नागरिकों के लिए उत्कृष्ट प्रदर्षन केन्द्रित सेवा वितरण के लिए मध्यप्रदेष सरकार के उपक्रम एमपीऑनलाइन को गोल्डन आईकॉन अवार्ड प्रदान किया। यह अवार्ड राज्य के आईटी विभाग व मुख्यमंत्री के सचिव और एमपी ऑनलाइन के सीईओ अनुराग जैन तथा ओएसडी आईटी विभाग अनुराग श्रीवास्तव ने प्राप्त किया। जबकि वन भूमि में काबिज आदिवासियों को वनाधिकार पट्टे वितरण के क्रियान्वयन के लिए मध्यप्रदेष के वन विभाग में ई-षासन में प्रौद्योगिकी के अभिनव प्रयोग के लिए गोल्डन आईकॉन अवार्ड अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक आईटी, वन विभाग, मध्यप्रदेष अनिल ओबेराय ने प्राप्त किया। इसी श्रेणी में मध्यप्रदेष ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण भोपाल को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत इंटरनेट आधारित जीआईएस टेक्नालॉजी अभिनव प्रयोग के लिए सिल्वर आईकॉन अवार्ड मध्यप्रदेष ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकारण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय दुबे ने प्राप्त किया। षिक्षा के क्षेत्र में विषेष पुरस्कार फोकस के अंतर्गत मध्यप्रदेष के स्कूल षिक्षा विभाग के एज्यूकेषन पोर्टल को गोल्डन आईकॉन अवार्ड से नवाजा गया है। यह अवार्ड आयुक्त राज्य षिक्षा केन्द्र मनोज झलानी ने प्राप्त किया। इसी के साथ मध्यप्रदेष सर्वाधिक चार अवार्ड हासिल करने वाला देष का पहला प्रदेष बन गया है। ये अवार्ड राजस्थान की राज्यपाल श्रीमती प्रभा राव ने प्रदान किये।
इनफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नालाजी (आईसीटी) को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ई-गर्वनेंस अवार्ड 2009-2010 का म.प्र. इस मर्तबा विजेता राज्य भी बना है। मध्यप्रदेष सरकार के चार विभागों को उनके कामकाज व गुण-दोष के आधार पर ई-गवर्नेंस अवार्ड मिले हैं। इसी के साथ राज्य के चार विभाग ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुषासन प्रदान करने में अग्रणी बन गए हैं।
म.प्र. में चल रहे ई-षासन के उत्कृष्टतम कार्य को न केवल भारत सरकार के प्रषासनिक सुधार और सार्वजनिक षिकायत विभाग एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने मान्यता प्रदान की है। बल्कि उसके क्रियान्वयन मंे विषेष पहल को प्रोत्साहन देने के लिए ई-गवर्नेेंस का प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत सरकार के प्रषासनिक सुधार और सार्वजनिक षिकायत विभाग एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने संयुक्त रूप से प्रदान किए।
मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेष में ई-गर्वनेन्स के क्षेत्र में लगातार नये-नये प्रयास और प्रयोग हो रहे है मुख्यमंत्री की मंषा है कि आमजन को सुविधायें सरलता से और तुरंत बिना किसी बाधा के कैसे मिले, इस दिषा में म.प्र. का आईटी विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। ई-गर्वनेंस के चार अवार्ड मिलने पर राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व आईटी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने विजेता विभागों की टीम को बधाई दी है।
उल्लेखनीय है कि ई-षासन के उत्कृष्टतम कार्य को मान्यता प्रदान करने, उसके क्रियान्वयन मंे विषेष पहल को प्रोत्साहन देने के लिए ई-गवर्नेेंस का प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत सरकार के प्रषासनिक सुधार और सार्वजनिक षिकायत विभाग एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग संयुक्त रूप से प्रतिवर्ष प्रदान करता है।

शनिवार, 12 दिसंबर 2009

मध्यप्रदेश बना बेस्ट ई-गवर्नेंस स्टेट

मध्यप्रदेश को मिला बेस्ट ई-गवर्नेंस राज्य का प्रतिष्ठापूर्ण अवार्ड
सरमन नगेले

मध्यप्रदेश को अपने ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में समग्र प्रदर्षन के आधार पर बेस्ट ई-गवर्नेंस राज्य का सी.एस.आई. ई-गवर्नेंस निहीलेण्ट अवार्ड 2008-09 प्राप्त हुआ। इस प्रतिष्ठापूर्ण अवार्ड के अलावा राज्य सरकार के विभागों की श्रेणी के तहत स्कूल षिक्षा विभाग तथा जिला स्तर पर ई-षासन के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्षन करने की श्रेणी में सागर जिले को विषेष मान्यता प्रदान करते हुए ई-गवर्नेंस पर 9 अक्टूबर 2009 को पुणें में आयोजित सीएसआई के वार्षिक सम्मेलन में ये अवार्ड मिले। इसी के साथ मध्यप्रदेष ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुशासन प्रदान करने में अग्रणी राज्य बन गया है। इस तथ्य को न केवल रेखांकित किया गया है बल्कि गुण-दोष के आधार पर प्रदेश को सी.एस.आई. ई-गवर्नेंस निहीलेण्ट अवार्ड 2008-09 के तीन श्रेणियों के पुरस्कार मिले हैं। राज्य श्रेणी का अवार्ड मध्यप्रदेष के आई.टी. विभाग और मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के सचिव अनुराग जैन को तथा विभाग की श्रेणी के तहत स्कूल षिक्षा विभाग की ओर से बी.आर. नायडू, आयुक्त लोक षिक्षण संचालनालय को तथा जिला श्रेणी के पुरस्कार के अंतर्गत सागर जिले के कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी को टी.सी.एस के चीफ एस महालिंगम और एसआईजी ई-गवर्नेंस के चेयरमेन प्रो. अषोक अग्रवाल ने दिये। अवार्ड प्राप्त करने से पूर्व अनुराग जैन ने प्रदेष में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में हो रहे काम व विभिन्न पहलों पर अपना एक प्रस्तुतिकरण दिया। श्री जैन ने कार्यक्रम में अपना मुख्य भाषण भी दिया। मुख्यमंत्री मप्र षिवराज सिंह चैहान ने इस गौरवपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने के लिए आईटी मंत्री कैलाष विजयवर्गीय, सचिव आईटी अनुराग जैन, ओएसडी आईटी विभाग अनुराग श्रीवास्तव को बधाई दी है।मध्यप्रदेष को मिले बेस्ट ई-गवर्नेंस राज्य का अवार्ड प्रतिष्ठापूर्ण इन मायनों में है, भारत के आई.टी क्षेत्र के प्रोफेषनल, प्रोजेक्ट मैनेजर, सीआईओस्, सीटीओस् और आईटी वेंडर वाले लगभग 30 हजार सदस्यों वाली 1965 में गठित संस्था सीएसआई के 65 चेप्टर भारत में हैं। सीएसआई द्वारा ई-गवर्नेंस अवार्ड पिछले कई वर्षो से दिए जा रहेे हैं। मध्यप्रदेष को अपने ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में समग्र प्रदर्षन के आधार पर वर्ष 2008-09 के लिये बेस्ट ई-गवर्नेंस राज्य विजेता घोषित किया गया है। इस दौरान राज्य शासन की पहल विषेष रूप से नीतियों के संबंध में फैसला, बुनियादी सुविधाओं, विभिन्न परियोजनाओं के साथ-साथ, क्षमता निर्माण आदि को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है बल्कि उत्तम ई-षासित राज्य के पुरस्कार से नवाजा गया। कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रति वर्ष केन्द्र और राज्यों के विभागों एवं जिलों तथा विभिन्न परियोजनाओं के कार्यों के मूल्यांकन के पश्चात् यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। वर्ष 2008-09 के लिए मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग को सर्वोत्तम ई-प्रशासन के लिए सी.एस.आई. निहीलेंट ई-गर्वनेंस अवार्ड के लिए चुना है। साथ ही जिला स्तर पर ई-षासन के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्षन करने की श्रेणी में सागर जिले को विषेष मान्यता प्रदान करते हुए चुना गया है। सीएसआई निहीलेण्ट अवार्ड के लिए देषभर से आवेदन आये थे। परिक्षणोंपरांत कम्प्यूटर सोसायटी आॅफ इंडिया की टीम व ज्यूरी के सदस्यों ने मध्यप्रदेष राज्य, स्कूल षिक्षा विभाग एवं सागर जिला को चुना इसके बाद ई-गवर्नेंस के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में सीएसआई की टीम और ज्यूरी के सदस्यों ने मौका मुआयना किया। साथ ही राज्य शासन के संबंधित अधिकारियों से ई-गवर्नेंस की प्रभावी भूमिका को भी समझा। तत्पष्चात् प्रस्तुतिकरण के लिए सीएसआई द्वारा मध्यप्रदेष के मुख्यमंत्री के व आईटी विभाग के सचिव अनुराग जैन को आमंत्रित किया गया। राज्य के आईटी सचिव के प्रस्तुतिकरण के पष्चात् उत्कृष्ट ई-षासित राज्य के अवार्ड के लिए मध्यप्रदेष को विजेता घोषित किया गया। गौरतलब है कि प्रस्तुतिकरण एवं अंतिम मूल्यांकन 15 और 16 सितम्बर 2009 को संपन्न हुआ। अवार्ड की संपूर्ण प्रक्रिया में लगभग 6 माह का समय लगा। दो अप्रैल से यह प्रक्रिया प्रारंभ हुई जो 16 सितम्बर 2009 को समाप्त हुई। तदोपरांत 2008-09 के सीएसआई निहीलेंट अवार्ड घोषित किये गये। म.प्र. में ई-गवर्नेंस की अवधारणा किस प्रकार आकार ले रही है एक नजर ’’कल्याणकारी राज्य के लिए विकास और सुषासन दो ऐसे क्षेत्र होते हैं जिनके आधार पर उन्नति और प्रगति का मार्ग बनता है, विकास के लिए सुषासन पहली शर्त है। मप्र के मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी संवेदनषीलता प्रदर्षित करते हुए मध्यप्रदेष में नया इतिहास लिखने का संकल्प दोहराया है। सुषासन के लिए सबसे जरूरी है उपलब्ध तकनीकि और प्रौद्योगिकी का सकारात्मक उपयोग। मध्यप्रदेष ने षिव के नेतृत्व में इस दिषा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं।’’ वैसे ई-गवर्नेंस मध्यप्रदेष के लिए एक घटनाक्रम है जो पिछड़े राज्यों को एक करने में अपनी भूमिका निभायेगा। आईटी के प्रवर्तनकारी गुणों ने लोगों के जीवन को आसान बना दिया है। अपनी लोकहितैषी सेवाओं के पर्दापण के साथ विभिन्न विभागों की कार्यप्रणाली को भी सहज बनाया है। ई-गवर्नेंस से पारदर्षिता में भी वृद्धि हुई है। जिसके कारण भ्रष्टाचार की संभावनाओं पर धीरे धीरे विराम लग रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत सप्लाई के बहाल होने और संचार क्रांति के कारण आईटी ने जनता की आत्म निर्भरता में वृद्धि की है। जहां तक मध्यप्रदेष का सवाल है तो यहां के राज्य मंत्रालय का कम्प्यूटरीकरण के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय का कम्प्यूटरीकरण, सीएम की पब्लिक घोषणाओं की माॅनिटरिंग, चुनाव घोषणा पत्र के क्रियान्वयन की माॅनिटरिंग, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान व राहत कोष की माॅनिटरिंग, मंत्रिपरिषद के निर्णयों के क्रियान्वयन की माॅनिटरिंग, मंत्रालय में प्राप्त पत्रों के अलावा मुख्यंमत्री सचिवालय और मुख्य सचिव सचिवालय के समस्त संदर्भो की व्यवस्था विभागीय माॅनिटरिंग सिस्टम के तहत है। राज्य मंत्रालय का फाइल मूवमेंट माॅनिटरिंग सिस्टम (एफएमएमएस) भी है। मुख्यमंत्री माॅनिटरिंग कार्यक्रम (परफाॅरमेंष मैनेजमेंट सिस्टम) से मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान ने अपने को जोडकर रखा है। वे समय समय पर इस व्यवस्था के अंतर्गत माॅनिटरिंग करते हैं। समाधान आॅनलाईन द्वारा जनषिकायतों का निराकरण भी सतत् रूप से किया जाता है। परख कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण अंचलों में उपलब्ध कराई जा रही मूलभूत सुविधाओं पर न केवल नजर रहती है। बल्कि इसके जरिए मूलभूत आधारित सुविधाओं की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाता है। मुख्यमंत्री श्री चैहान इस कार्यक्रम की प्रत्येक माह न केवल समीक्षा करते है बल्कि जिलों में पदस्थ व संबंधित अधिकारियों से रूबरू भी होते हैं। राज्य मंत्रालय के कर्मचारियों से संबंधित मुख्य जानकारी मसलन- पे स्लिप, सरकुलर, पदक्रम सूची, ऋण तथा अग्रिम, विभागीय भविष्य निधि कोष दावे, आवास आवंटन, भारत सरकार को भेजे गए प्रस्ताव, दावा प्रबंधन, व्यक्तिगत सूचना प्रबंधन, जी2जी व जी2ई के अलावा अन्य विषेष फीचर भी इंट्रानेट पोर्टल ीजजचरूध्ध्अंससंइीण्उचण्दपबण्पद पर उपलब्ध है। म.प्र. के लगभग सभी विभाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ई-गवर्नेंस के तहत नेटवर्किंग से जुड़ गए हैं। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर ई-गवर्नेंस स्टाफ तैयार किए जा रहे हैं। और प्रषिक्षण प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री की मंषा है कि आईटी के लिए हर विभाग का बजट अलग से हो। मुख्यमंत्री इस रणनीति के अंतर्गत विचार कर रहे है कि ग्रामीण क्षेत्रों मे इंटरनेट क्योस्क खोलें जहां से किसान ईमेल के द्वारा उनसे व सेवा प्रदान करने वालों के संपर्क में रहें। ई-गवर्नेंस की दिषा में पारदर्षिता लाने के उद्देष्य से सभी महत्वपूर्ण सरकारी परिपत्र आॅनलाईन पर उपलब्ध हो रहे हैं। जन सुविधा केन्द्र योजना का नाम समाधान एक दिन है। यह राज्य सरकार की सेवा वितरण व्यवस्था को सुधारने के लिए जन केन्द्रित कोषिष है। यह अब जिला दफ्तरों में अलग अलग प्रमाण पत्र एवं दूसरे जरूरी कागजातों के वितरण में सहायता कर रहा है। अभी यह प्रबंध जिला स्तर पर है। भविष्य में इनको खण्ड एवं तहसील स्तर पर बढ़ाने की षिव सरकार की महत्वकांक्षी योजना है। इन केन्द्रों के माध्यम से जनता कई तरह के प्रमाण प्त्र जैसे कि मूल निवासी प्रमाण पत्र, अस्थायी जाति प्रमाण पत्र, विवाह रजिस्ट्रेषन प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, दुकान की स्थापना के अंतर्गत पुर्नः नवीनीकरण प्रमाण पत्र, गरीबी रेखा से नीचे की सूची का प्रमाण पत्र, एनओसी, ड्रायविंग लाइसेंस, अस्थायी परिवहन प्रमाण पत्र, अस्थायी बिजली कनेक्षन, रोजगार रजिस्ट्रेषन, कामगारों का पहचान पत्र, कामगारों के क्रियाक्रम में सहायता, मेटरनीटी सहायता, ऐफीडेविट इत्यादि आवेदन पत्र सभी प्रमाण पत्रों के साथ जमा करने पर उसी दिन शाम को चार बजे तक पा सकते हैं। प्रदेष के सभी विधायकों को मूलभूत कम्प्यूटर संचालन प्रषिक्षण देने की व्यवस्था भी है। म.प्र. की ई-गवर्नेंस आधारित महत्वकांक्षी परियोजनाएंनीति - आईटी को बढ़ावा देने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नीति के तहत विषेष सुविधाएं प्रदान करना। अधोसंरचना - आईटी पार्क (एसईजेड- विषेष प्रक्षेत्र जोन), ’’एमपी स्वान’’ एमपी स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क ब्राडबैंड कनेक्टीविटी की दिषा में ब्लाक स्तर तक पूरे राज्य में क्रियान्वित की जा रही है।, स्टेट डाटा सेंटर, इन्दौर, सागर, ग्वालियर, षिवपुरी और गुना जिलों में ई-डिस्ट्रिक परियोजना, भोपाल एवं इन्दौर शहर इंटरनेट की सुविधा से यानि वायफाय सुविधायुक्त होंगे, स्टेट सर्विस डिलेवरी गेटवे। सूचना प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना - प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने हेतु विभाग द्वारा भोपाल, ग्वालियर एवं जबलपुर सूचना प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना के लिए प्रयास किये जा रहे है। ग्वालियर में विभाग द्वारा असाईड योजना की सहायता से लगभग 1 लाख वर्गफुट स्थान का निर्माण किया जा रहा जिसे आई.टी. कंपनियों को लीज पर दिया जायेगा । इसके अतिरिक्त साॅफ्टवेयर टेक्नालाजी पार्क आॅफ इंडिया द्वारा 3 एकड़ भूमि पर इन्क्यूबेशन सेन्टर एवं अर्थ स्टेशन बनाया जा रहा है । ई-डिस्ट्रिक्ट - भारत सरकार द्वारा नेशनल ई-गवर्नेन्स परियोजना के तहत प्रदेश में ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना लागू करने का निर्णय है। योजना के क्रियान्वयन के प्रथम चरण में ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, इन्दौर तथा सागर जिलांे का चयन किया गया है। मॅैप-आईटी को इस योजना की नोडल एजेन्सी नियुक्त किया गया है। मेसर्स विप्रो लिमिटेड को इस परियोजना के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। आवश्यकताओं का आकलन पूरा कर साफ्टवेयर का निर्माण पूर्ण हो चुका है । राज्य मंत्रालय में स्थापित लेन अपग्रेड- मंत्रालय में स्थापित लेन को अपग्रेड किया जाकर गीगाबाईट लेन की स्थापना की गई है।स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क की स्थापना,- भारत शासन द्वारा मध्यप्रदेश के लिए स्टेट वाईड एरिया नेटवर्क ;ैॅ।छद्ध अधोसंरचना हेतु राशि स्वीकृत की गई है। इस परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेष में 340 च्वपदजे व िच्तमेमदबम (च्व्च्) केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। परियोजना के लिए नियुक्त भागीदार ट्यूलिप आई.टी. सर्विस द्वारा लगभग 100 पाॅप भवनों पर अधोसरंचना निर्माण एवं वायरलेस टाॅवर खड़े करने का कार्य किया जा चुका है ।सर्विसेस - जी2जी, के अंतर्गत मंत्रालय का कम्प्यूटरीकरण, समाधान आॅनलाइन के अलावा मंत्रालय से संबंधित ई-गवर्नेंस की परियोजनाएं। जी2सी- काॅमन सर्विस सेन्टर की स्थापना - प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के लाभों को आम नागरिकों तक पहुॅचाने के लिए प्रदेश में 9232 काॅमन सर्विस सेन्टर की स्थापना की जायेगी। ई-गुमठियों के जरिए 16 हजार से अधिक बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध होगा। इन केन्द्रों द्वारा ई-प्रषासन को सुनिष्चित करते हुए आम नागरिकों को काॅमन सर्विस सेन्टर के माध्यम से उच्च स्तरीय विडियो, विभिन्न डाटा, ई-गवर्नेन्स सेवाऐं, षिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन आदि की जानकारी उपलब्ध कराई जावेगी। इसके अंतर्गत म.प्र. राज्य इलेक्ट्राॅनिक्स विकास निगम द्वारा एक पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार परियोजना के संचालन हेतु निजी भागीदार संस्थाओं का चयन किया गया है। यह संस्थाऐं हैं 3प प्दविजमबी (होशंगाबाद संभाग), ।प्ैम्ब्ज् (चंबल, सागर एवं रीवा संभाग), ब्डै ब्वउचनजमते (ग्वालियर एवं भोपाल संभाग), छप्ब्ज् (इन्दौर एवं उज्जैन संभाग), त्मसपंदबम ब्वउउनदपबंजपवदे (जबलपुर संभाग)। इन संस्थाओं द्वारा काॅमन सर्विसेस सेन्टर की स्थापना के लिए कार्यवाही प्रारंभ की गई है। अभी तक प्रदेश में 5700 से अधिक सी.एस.सी. की स्थापना की जा चुकी हैं । एमपी आॅनलाइन, समाधान एक दिन, काॅल सेंटर, किसानों के लिए एमपीकृषि डाॅट ओआरजी, मीडिया व आमजन के लिए जनसंपर्क संचालनालय द्वारा संचालित एमपीइंफो डाॅट ओआरजी के अलावा अन्य माध्यमों से सेवाएं उपलब्ध कराना, परिवहन विभाग में ई-सेवाएं, छात्रों की सुविधा के लिए एमपीआॅनलाईन डाॅट जीओवी डाॅट इन पर व्यवसायिक परीक्षा मंडल के साथ साथ अन्य परीक्षा के फार्म आॅन लाइन, काॅमर्सियल टेक्स राज्य सरकार इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त करती है। उचवदसपदम नामक पोर्टल का विकास- सदूर क्षेत्रों में नागरिकों को शासकीय सेवा प्रदान करने के लिए कार्यालयों में उपस्थित होने की अनिवार्यता को समाप्त करने हेतु ूूूण्उचवदसपदमण्हवअण्पद नामक पोर्टल विकसित किया गया है। वेबसाईट के माध्यम से व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा समय-समय पर आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं के फार्म जारी किये गये है। नागरिकों को सूचना गुमटियों के माध्यम से फार्म एवं शासकीय जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है तथा मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के बिजली के बिलों का भुगतान राष्ट्रीय उद्यानों में प्रवेश के लिए आॅन लाईन बुकिंग तथा जीवन बीमा निगम की पाॅलिसियों की किश्तों का भुगतान की सुविधा भी पोर्टल पर उपलब्ध कराई गई है। फिलहाल पोर्टल पर 55 सेवायें उपलब्ध हैं एवं अभी तक 11 लाख नागरिकों को सेवायें प्रदान की जा चुकी हैं । इसमें शिक्षा से संबंधित अधिकांश सेवायें है जिसमें इन्दौर विश्वविद्यालय/माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविधालय/जीवाजी विश्वविद्यालय/ ओपन स्कूल/माध्यमिक शिक्षा मंडल री-टोटलिंग एवं री-वेल्यूएशन एवं राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की सेवायें सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त टेलीफोन के बिल का भुगतान भी किया जा सकता है। एमपी आॅन लाईन के 866 कियोस्क कार्यरत है तथा 1000 काॅमन सर्विस सेन्टर इस सेवा से जुडे है।काॅल सेन्टर - भोपाल में राज्य के लिए काॅल सेन्टर स्थापित किया गया है। इस काॅल सेन्टर में नागरिक दूरभाष क्रमांक 155343 लगाकर योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे एवं शिकायत दर्ज करा सकेंगे । फिलहाल स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित जानकारी प्राप्त की जा सकती है एवं शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। स्कूल शिक्षा विभाग के अलावा राजस्व, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, महिला एवं बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति तथा वन विभाग से संबंधित सेवायें प्रक्रियागत हैं। जी2बी - ई-टेंडरिंग, वेट, एमपीट्रांस्पोर्ट की इंटरनेट सेवाएं, वन विभाग में आईटी को अपनाया गया। ई-टेण्डर - राज्य शासन द्वारा शासकीय निविदाओं में इलेक्ट्रानिक टेंडरिंग व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश के कार्य विभागों के क्रय संबंधी कार्यो हेतु ई-टेण्डर परियोजना प्रारंभ की गई है। मेसर्स विप्रो द्वारा इस परियोजना का क्रियान्वयन किया गया है। योजना का कार्य ठव्व्ज् (बिल्ड, ओन, आॅपरेट एवं ट्रान्सफर)़ के आधार पर किया गया है एवं इसमें राज्य शासन पर कोई व्यय भार नहीं आ रहा है। सभी शासकीय विभागों के क्रय कार्य ई-टेण्डरिंग के माध्यम से करने हेतु वेबसाईट उपलब्ध है। इस प्रणाली के माध्यम से रूपये 170892.27 लाख की राशि के 374 नर्मदा घाटी विकास /लोक निर्माण विभाग/सिचाई विभाग/लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग/ग्रामीण सडक प्राधिकरण के टेण्डर जारी किये जा चुके है।अवार्ड - मध्यप्रदेष के वित्त विभाग को कोषालयो में कम्प्यूटराईजेषन में उत्कृष्ट कार्य करने पर भारत सरकार का गोल्डन आईकाॅन पुरस्कार, आईटी क्षेत्र का प्रतिष्ठित मंथन अवार्ड, सागर जिले को बेस्ट ई-गवर्नेंस डिस्ट्रिक का पुरस्कार, आईटी के उपयोग के लिए इंडिया टेक एक्सीलेंस अवार्ड 2006, मध्यप्रदेष को ई-गवर्नेंस श्रेष्ठ प्रोजेक्ट लागू करने के लिए तीन सीएसआई निहीलेण्ट अवार्ड 2006-07 एवं 2007-08, समाधान आॅन लाईन पहल लिम्का बुक आॅफ रिकार्ड में। भारत सरकार के आईटी मंत्रालय ने प्रदेष के वन व बिजली विभाग को नेषनल ई-गवर्नेंस अवार्ड प्रदान किए हैं। देष की आईटी जगत की प्रतिष्ठित पत्रिका डाटा क्वेस्ट ने भी राज्य के वन विभाग व कृषि विभाग को 23 मार्च 2009 को ई-गवर्नेंस चैंपियन अवार्ड से नवाजा है। हालही में बेस्ट ई-गवर्नेस स्टेट का सी.एस.आई. निहीलेण्ट ई-गवर्नेंस अवार्ड 2008-09 मिला है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री षिवराज सिंह चैहान के संकल्प को अब ठोस आकार मिल रहा है। स्वर्णिम मध्यप्रदेष की नींव आईटी क्षेत्र में की गई पहल से और मजबूत हो रही है।
(लेखक - न्यूज पोर्टल एमपीपोस्ट डाॅट ओआरजी के संपादक हैं।)

मध्यप्रदेश के खाते में साउथ एषिया के चार ई-गवर्नेंस अवार्ड

केन्द्रीय आईटी मंत्री सचिन पायलट 19 दिसम्बर को पुरस्कृत करेंगे मध्यप्रदेश में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में न केवल नए-नए प्रयोग हो रहे हैं बल्कि उनके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। इनफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नालाजी (आईसीटी) को प्रोत्साहित करने के लिए साउथ एषिया का दिया जाने वाला प्रतिष्ठित ई-गर्वनेंस मंथन अवार्ड 2009 का इस मर्तबा विजेता मध्यप्रदेष बना है। मध्यप्रदेश सरकार के चार विभागों को उनके कामकाज व गुण-दोष के आधार पर ई-गवर्नेंस अवार्ड विजेता घोषित किया गया है। इसी के साथ राज्य के चार विभाग ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुषासन प्रदान करने में अग्रणी बन गए हैं। इस तथ्य को न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित किया गया है बल्कि मान्यता प्रदान करते हुए मंथन अवार्ड 2009 से नवाजा भी जा रहा है।
भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से डिजिटल इंपावरमेंट फांउडेषन द्वारा विकास के लिए डिजिटल को शामिल किए जाने विषय पर 18 एवं 19 दिसम्बर 2009 को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन का शुभारंभ 18 दिसम्बर 2009 को केन्द्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए राजा के मुख्य आतिथ्य में होगा। सम्मेलन के दौरान जनमानस में पहुंच के लिए आईसीटी मेला का भी आयोजन किया जा रहा है।
मंथन अवार्ड के सहयोगी व आॅनलाइन मीडिया पार्टनर एमपीपोस्ट के अनुसार ई-गर्वनेंस के लिये दिया जाने वाला साउथ एषिया का प्रतिष्ठित मंथन अवार्ड 19 दिसम्बर 2009 को नई दिल्ली में 30 राज्यों व आठ देषों के लगभग एक हजार प्रतिभागियों व चेंपियन तथा इनफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नालाजी (आईसीटी) के विषेषज्ञों की मौजूदगी में सम्मेलन के दूसरे दिन समापन अवसर के मुख्य अतिथि केन्द्रीय सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट प्रदान करेंगे।
ई-गर्वनेंस के चार अवार्ड मध्यप्रदेष के खाते में आने पर राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान व आईटी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय तथा आई.टी. विभाग के सचिव व मुख्यमंत्री के सचिव अनुराग जैन ने विजेता विभागों की टीम को बधाई दी है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री म.प्र. षिवराज सिंह चैहान के नेतृत्व में प्रदेष में ई-गर्वनेन्स के क्षेत्र में लगातार नये-नये प्रयास और प्रयोग हो रहे है मुख्यमंत्री श्री चैहान की मंषा है कि आमजन को सुविधायें सरलता से और तुरंत बिना किसी बाधा के कैसे मिले, इस दिषा में म.प्र. का आईटी विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में मध्यप्रदेष को नाॅस्काम सीएनबीसी आईटी अवार्ड व बेस्ट ई-गर्वनेन्स स्टेट का सीएसआई निहीलेंट अवार्ड भी मिला है। मंथन अवार्ड ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में सभी स्तरों पर विकास के लिये दिया जाता है।
अवार्ड ज्यूरी म.प्र. में आईटी के संदर्भ में अपनाये गये कार्यशील एवं सम्पूर्णत्मक दृष्टिकोण और म.प्र. में विकास की नीति के साथ आईटी की संलग्नता से न केवल काफी प्रभावित हुई। बल्कि बिजली विभाग की परियोजना आॅटोमेटिक मीटर रीडिंग (एएमआर) को बेस्ट ज्यूरी अवार्ड विजेता घोषित किया गया है। मध्यप्रदेष के उच्च षिक्षा विभाग के ई-संवाद व स्कूल षिक्षा विभाग के एमपीस्टेट एज्यूकेषन पोर्टल को तथा वन प्रबंधन में मोबाईल गवर्नेंस पर आधारित फायर एलर्ट सिस्टम को समग्र प्रदर्षन के आधार पर साउथ एषिया का मंथन अवार्ड 2009 विजेता घोषित किया गया है।
म.प्र. के आईटी विभाग व मुख्यमंत्री के सचिव अनुराग जैन विकास के लिए डिजिटल को शामिल किए जाने विषय पर 18 एवं 19 दिसम्बर 2009 को नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मध्यप्रदेष सरकार द्वारा ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यो व अभिनव प्रयोगों पर राज्य सरकार की ओर से अपना प्रस्तुतीकरण देंगे। श्री जैन एक सत्र के काॅ-चेयर व माॅडरेटर भी रहेंगे।
मध्यप्रदेष के स्कूल षिक्षा विभाग की ओर से मनोज झलानी, उच्च षिक्षा विभाग की ओर से संजय झा, वन विभाग की ओर से अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अनिल ओबेराय, बिजली विभाग की ओर से एन के जैन और वरिष्ठ अधिकारी अवार्ड प्राप्त करेंगे।
मध्यप्रदेष सरकार मंथन अवार्ड का पार्टनर स्टेट भी है। इस आयोजन में मध्यप्रदेष सरकार अपने चार पवेलियन विभिन्न विषयों पर लगा रहा है। जिनमें मध्यप्रदेष में ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में हो रहे कार्यो का प्रदर्षन किया जाएगा।

रविवार, 11 अक्तूबर 2009

इन्टरनेट आरटीआई का दिल


इन्टरनेट आरटीआई का दिल है, यह बात किसी आईटी प्रोफेसनल या इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर द्वारा अथवा ईमेल सेवा प्रदाता कंपनी ने नहीं कही। बल्कि ऐसे शख्स श्री वजाहत हबीबुल्लाह ने कही, जो न केवल पूर्व नौकरषाह है बल्कि वर्तमान में केन्द्रीय सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त हैं। जिस कार्यक्रम में मुख्य सूचना आयुक्त ने दिल की बात दिल से जोड़कर कही। उस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश और छग के प्रतिनिधि के रूप में मैं भी मौजूद था। कार्यक्रम था इन्टरनेट पर केन्द्रित आईनेट देहली 2009 जिसका आयोजन 17 सितम्बर 2009 को इन्टरनेट सोसायटी (आईसाॅक) तथा डिजीटल इंपावरमेंट फांउडेषन (डीईएफ) ने किया था। भारत के मुख्य सूचना आयुक्त की टिप्पणी देष की राजधानी के समाचार पत्रों में अगले दिन नदारत थी। टीवी चैनलों व 24 घंटे के खबरिया चैनलों में दिखना तो दूर की बात रही। यद्यपि मैं इन्टरनेट मीडिया से पिछले कई वर्षो से जुड़ा हूं। इसलिए मुख्य सूचना आयुक्त श्री हबीबुल्लाह की टिप्पणी पर मेरा ध्यान ठहर गया। मैंने कार्यक्रम में आये भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों व अन्य देषों से आये विषय विषेषज्ञों से आरटीआई को इन्टरनेट के जरिए प्रोत्साहित करने की बात षिद्दत के साथ कही। अब सवाल उठता है कि आरटीआई इन्टरनेट का हदृय है या नहीं। यह तो समय बतायेगा। अलबत्ता मैं यहां बताना न केवल समीचीन समझता हूं बल्कि प्रासांगिक भी है कि लखनऊ में साॅल्यूषन एक्सचेंज का डीसेन्ट्रलाइजेषन कम्यूनिटी पर केन्द्रित वार्षिक फोरम 22 से 24 अक्टूबर 2009 को होने जा रहा है। जिसमें आरटीआई पर विषेषज्ञों से पेपर आमंत्रित किए गए हैं। यूएनडीपी समर्थित संस्था साॅल्यूषन एक्सचेंज के भारत में 18 हजार सदस्य हैं तथा 30 हजार पाठक। आरटीआई के असर से अच्छे-अच्छे प्रभावषाली तक भय खाने लगे हैं। आरटीआई के जरिए सूचना क्रांति लाने के उपक्रम की कड़ी में सीडेक हैदराबाद द्वारा एक ई-लर्निंग कोर्स प्रारंभ किया गया, जबकि कार्मिक लोक षिकायत एवं पेंषन मंत्रालय, कार्मिक और प्रषिक्षण विभाग भारत सरकार द्वारा आरटीआई को बढ़ावा देने के लिए एक आनलाइन ई-डिग्री कोर्स प्रारंभ किया गया है। इस कोर्स के प्रति लोगों में जागरूकता देखी गई है। कुछ मीडिया की व बड़ी संस्थाओं ने आरटीआई पर केन्द्रित अवार्ड भी स्थापित किए हैं। ये उदाहरण इस बात के द्योतक हैं कि आरटीआई शनैः शनैः अपनी जड़े मजबूत करता जा रहा है। कितना कारगर है सूचना का अधिकार यानि आरटीआई। सूचना का अधिकार को स्वतंत्र भारत में एक क्रांतिकारी बदलाव की तरह देखा गया है, ऐसी मान्यता रही है कि यह कानून जनता के हाथ में एक ऐसा औजार रहेगा जो सरकार को या सरकार से अनुदान प्राप्त संस्थाओं और आरटीआई के दायरे में आने वालों को कठघरे में उसे जवाबदेय और पारदर्षी होने पर मजबूर करता है। इससे सरकारी कामकाज में क्या पारदर्षिता आयी है और क्या लोग अपने आपको ज्यादा ताकतवर महसूस करते है सरकारी तंत्र के सामने? रेखांकित करने लायक बात यह है कि पूरी दुनिया में सूचना की आजादी के आंदोलनों ने भारत में भी इसकी जरूरत प्रमाणित की थी। हालांकि यह माना जाता रहा है कि भारत के संविधान की धारा 19(1)(क) में जानने का अधिकार भी निहित है। इसमें कहा गया है कि सभी नागरिकों को वाक्-स्वातंत्र्य एवं अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य का अधिकार होगा। इस प्रावधान की व्यापक व्याख्या की गयी है। संविधान में प्रेस की स्वतंत्रता का कहीं अलग से उल्लेख नहीं है। हर नागरिक के लिए प्रदत्त इस स्वतंत्रता में ही प्रेस की स्वंतत्रता को भी अंतर्निहित माना गया है। इसी तरह, सूचना के अधिकार को भी इसका अनिवार्य अंग बताया गया है। इंडियन एक्सप्रेस न्यूजपेपर्स बनाम भारत संघ 1985, एसीसी 641 मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि नागरिकों को सरकार के संचालन-संबंधी सूचनाओं के विषय में जानने का अधिकार है।सूचना का अधिकार यानि सबसे प्रभावी अधिकारः यह कानून नागरिकों को, संसद और राज्य विधानमण्डल के सदस्यों के बराबर सूचना का अधिकार प्रदान करता है। इसके अनुसार, वैसी सूचना जिसे संसद अथवा राज्य विधानमण्डल को देने से इन्कार नहीं किया जा सकता, उसे किसी आमजन को भी देने से इंकार नहीं किया जा सकता।आरटीआई के अंतर्गत जानकारी लेने के लिए आवेदक को जरूरी शुल्क, जिस नाम से व जिस रूप में जमा करना हो, उसका विवरण ई-मेल के माध्यम से भेजना, ई-मेल से भेजे आवेदन की प्राप्ति तिथि वह मानी जाएगी, जिस तारीख को आवेदक ने आवश्यक शुल्क जमा किया हो, सूचना के अधिकार कानून- 2005 के अंतर्गत सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदक से शुल्क लिये जाने का प्रावधान है। सूचना प्राप्त करने के इच्छुक आवेदकों को आवेदन-पत्र के साथ 10 रुपये का शुल्क भुगतान करना होगा। इसे लोक प्राधिकारी के लेखा पदाधिकारी के नाम से बने बैंक ड्राफ्ट या बैंकर चेक या भारतीय पोस्टल ऑर्डर के रूप में या नकद रूप में जमा किया जा सकता है, आवेदन शुल्क नकद जमा करने की स्थिति में उससे संबंधित रसीद अवश्य प्राप्त कर लें। सूचना से क्या तात्पर्य है ? सूचना का मतलब है- रिकार्डों, दस्तावेजों, ज्ञापनों, ई-मेल, विचार, सलाह, प्रेस विज्ञप्तियाँ, परिपत्र, आदेश, लॉग पुस्तिकाएँ, निविदा, टिप्पणियाँ, पत्र, उदाहरण, नमूने, आँकड़े सहित कोई भी सामग्री, जो किसी भी रूप में उपलब्ध हों। साथ ही, वह सूचना जो किसी भी निजी निकाय से संबंधित हो, किसी लोक प्राधिकारी के द्वारा उस समय प्रचलित किसी अन्य कानून के अंतर्गत प्राप्त किया जा सकता है, बसर्ते कि उसमें फाईल नोटिंग शामिल नहीं हो। सूचना के अधिकार का क्या अर्थ है ? सूचना अधिकार से तात्पर्य है- कार्यों, दस्तावेजों, रिकार्डों का निरीक्षण, दस्तावेजों या रिकार्डों की प्रस्तावनाध्सारांश, नोट्स व प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त करना, सामग्री का प्रमाणित नमूने लेना, प्रिंट आउट, डिस्क, फ्लॉपी, टेपों, वीडियो कैसेटों के रूप में या कोई अन्य ईलेक्ट्रॉनिक रूप में जानकारी प्राप्त करना। सूचना का अधिकार में जिन सूचनाओं को आम जनता को उपलब्ध कराने की मनाही है। साथ ही, यह कानून केन्द्र सरकार के अंतर्गत कार्यरत कुछ संगठनों को सूचना उपलब्ध नहीं कराने की छूट देता है अर्थात् इन संगठनों से संबंधित सूचना माँगे जाने की स्थिति में लोक सूचना अधिकारी आवेदन को अस्वीकार कर सकते हैं। ये संगठन हैं अन्वेषण ब्यूरो, अनुसंधान और विश्लेषण विंग, राजस्व आसूचना निदेशालय, केन्द्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, नार्कोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो, वैमानिक अनुसंधान केन्द्र, विशेष सीमान्त बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, असम राइफल्स, विशेष सेवा ब्यूरो, विशेष शाखा (सी.आई.डी), अंडमान व निकोबार, अपराध शाखा (सी.आई.डी)-सी.बी, दादरा नागर हवेली, विशेष शाखा लक्षद्बीप पुलिस। ऐसी सूचना जिसके प्रकाशन से भारत की स्वतंत्रता और अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, कार्य योजना, वैज्ञानिक या आर्थिक हित प्रभावित होता हो, विदेशी संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हों या जो अपराध के लिए लोगों को उत्तेजित करता हों। सूचना जिसे किसी भी न्यायालय या खण्डपीठ द्वारा प्रकाशित किए जाने से रोका गया हो या जिसके प्रदर्शन से न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होता है, जिसके प्रकाशन से संसद या राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार प्रभावित होते हों। वाणिज्यिक गोपनीयता, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक संपदा से संबंधित सूचना, जिसके प्रकाशन से तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धात्मक स्तर को क्षति पहुँचने की संभावना हों, जब तक कि सक्षम प्राधिकरी इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाते कि ऐसी सूचना का प्रकाशन जनहित में है, ऐसी सूचना, जिसे विदेशी सरकार से विश्वास में प्राप्त की गई हो, सूचना, जिसके प्रदर्शन से किसी व्यक्ति की जिन्दगी या शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो या कानून के कार्यान्वयन या सुरक्षा उद्देश्यों के लिए विश्वास में दी गई सूचना या सहायता हो, सूचना जिससे अपराधी की जाँच करने या उसे हिरासत में लेने या उस पर मुकदमा चलाने में बाधा उत्पन्न हो सकती हो। मंत्रिपरिषद्, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श से संबंधित मंत्रिमंडल के दस्तावेज,ऐसी सूचना जो किसी व्यक्ति के निजी जिंदगी से संबंधित हो और उसका संबंध किसी नागरिक हित से नहीं हो और उसके प्रकाशन से किसी व्यक्ति के निजी जिंदगी की गोपनीयता भंग होती हो, वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग, 2006 ने तो इस कानून को निरस्त कर देने का सुझाव दिया है।आरटीआई में आईसीटी का उपयोग क्यों नहीं?शासकीय कामकाज में पारदर्षिता और सूचना के अधिकार के लिए दुनियाभर में विभिन्न रूपों में मांग उठी, लेकिन सबसे पहले स्वीडेन देष ने 243 साल पहले सूचना अधिकार लागू किया था। जबकि भारत में सूचना का अधिकार 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ। 15 जून 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन। हिन्दुस्तान में 12 अक्टूबर 2009 को सूचना के अधिकार के अधिनियम के चार वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। आरटीआई के बारे में हिन्दुस्तान के हर नागरिक को मालूम होना चाहिए। इसके लिये सरकारी और अन्य स्तरों पर प्रचार-प्रसार के लिये अभियान चालू होना चाहिए। केन्द्र और राज्य सरकारों को सूचना के अधिकार को षिक्षा के पाठ्यक्रम में भी शामिल करना चाहिए। आरटीआई कानून में जनमानस के लिये एक बहुत बड़ा प्रावधान यह है कि कोई भी व्यक्ति आरटीआई से संबंधित जानकारी ईमेल के जरिए भी प्राप्त कर सकता है। इंटरनेट के द्वारा जानकारी लेने का यह माध्यम सबसे सस्ता और प्रभावी है इसमें पैसे और समय की बचत के साथ-साथ आवेदनकर्ता के लिए समयसीमा का कोई बंधन नहीं है। न ही किसी सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत है। व्यक्ति अपने घर से किसी भी समय आवेदन कर सकता है। आमजन ने इस माध्यम को अपना लिया तो देष में सूचना प्राप्त करने की एक बड़ी क्रांति का सूत्रपात होगा। भारत में इन्टरनेट की उपलब्धता के बारे में एक तथ्य यह भी है कि भारत सरकार के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो अगस्त 2009 तक भारत में 64 लाख से अधिक ब्राडबैंड कनेक्षन उपलब्ध कराये गये हैं। देष के सभी ढ़ाई लाख ग्राम पंचायतों में सन् 2012 तक ब्राडबैंड इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। अभी 30 हजार ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड से जोड़ दिया गया है। भारत में निजी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा भी लाखों की संख्या में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। अभी भारत में सात करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर हैं। भारत में लगभग सभी महानगरों के शाॅपिंग माॅल, तीन सितारा और पांच सितारा होटलों, कैफे, एयरपोर्ट, कार्पोरेट कार्यालयों, आईटी इंडस्ट्री से जुड़ी हुई संस्थाओं के कार्यालयों के साथ-साथ कुछ प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर फिलवक्त इंटरनेट की सुविधा वाय-फाय के माध्यम से निषुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। शीघ्र ही रेल मंत्रालय टेªनों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करायेगा। सभी टेªनों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कैसे जल्द से जल्द प्रारंभ हो इस गरज से रेल मंत्रालय ने ताने-बाने बुन लिये हैं। बहरहाल 2005 से लेकर मतलब 2009 तक बीते इन वर्षो के दौरान आरटीआई को लेकर आम जन में जो भी प्रतिक्रिया, जागरूकता और उत्साह देखा गया हो। यह बात अलहदा है। लेकिन जिस तकनीकी यानि संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से इस कानून को घर-घर में पहुंचाने में न केवल मदद मिलती बल्कि आरटीआई कानून की सार्थकता भी सिद्ध होती। प्रष्न यह है कि फिर इस तकनीक को क्यों अमल में नहीं लाया गया। साथ ही इसके प्रचार-प्रसार के लिये अभियान क्यों नहीं छेड़ा गया। इसके पीछे जानकार अनेक कारण बता रहे हैं। हाॅं, यदि इंफारमेषन कम्यूनिकेषन टेक्नालाॅजी यानि आईसीटी का आरटीआई में उपयोग ज्यादा से ज्यादा सरकारी व अन्य स्तरों पर होता, तो आज इसके परिणाम अलग दिखते। वैसे आरटीआई अभी शैष्वकाल में है। खैर, विलंब से ही सही यदि इसके उपयोग की शुरूआत हो तो भारत में न केवल भ्रष्टाचार में अंकुष लगेगा। बल्कि इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे। आरटीआई कानून का प्रचार-प्रसार व लोगों को इस कानून के तहत आईसीटी के जरिए लाभ लेने के बारें में जब केन्द्रीय सूचना आयुक्त एमएल शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ईमेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी अदान-प्रदान करने को लेकर हालही में एक साफ्टवेयर विकसित किया गया है। जो शीघ्र काम करने लगेगा। तदोपरांत द्वितीय अपील के आवेदन आनलाइन स्वीकार हो सकेंगे। अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है कि किसी भी आवेदनकर्ता ने उनके कार्यालय से ईमेल के माध्यम से पत्राचार किया हो। वैसे इस पर भी विचार किया जा रहा है कि आरटीआई के अंतर्गत जमा होने वाली फीस क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी प्राप्त की जाए। यह सच है कि कुछ हद तक केन्द्रीय सूचना आयोग व राज्य सूचना आयोग तथा केन्द्र और राज्यों की सरकारों ने आरटीआई कानून के बारे में जनमानस को व स्वयंसेवी संगठनों को जागरूक किया है। लेकिन जो सबसे सस्ता और प्रभावी सब जगह और हर समय असरकारी होने वाली विधि आईसीटी से मिली है। उस पर विषेष ध्यान नहीं दिया गया है। यह विचारणीय प्रष्न है। आरटीआई में आईसीटी के उपयोग के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए अभियान नहीं चलाया गया है। आयोगों ने अपने स्तर पर इस तरह का कोई प्रयास भी नहीं किया है। वैसे आरटीआई के प्रचार-प्रसार करने का दायित्व केन्द्र व राज्य सरकारों का है। फिलहाल आरटीआई के संबंध में काॅल सेंटर के माध्यम से आवेदन स्वीकार करने की परंपरा अभी भारत में नहीं है। साथ ही वीडियों काॅंफ्रेंसिंग के जरिए भी प्रकरणों की सुनवाई न के बराबर हो रही है। ईमेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी लेने-देने से संबंधित जब पत्राचार ईमेल के माध्यम से होने लगेगा। तो काफी समस्याओं का समाधान कम खर्च पर समय पर हो सकेगा। साथ ही नतीजे भी बेहतर आयेंगे। आरटीआई के कुछ कर्ताधर्ताओं ने स्वयं स्वीकार किया है कि वे इंटरनेट या कम्प्यूटर सेवी नहीं है। इंटरनेट और कम्प्यूटर के आरटीआई में इस्तेमाल को लेकर एक आयुक्त ने साफगोई से स्वीकार किया था कि उनकी ईमेल खोलने में रूचि नहीं है। अब देखना यह है कि आरटीआई को आमजन तक पहुंचाने में सबसे सस्ते माध्यम आईसीटी का उपयोग बढ़ाने के लिए सरकारें व जानकार आगे आते हैं अथवा नहीं। आरटीआई का इंटरनेट दिल है। इस शब्द की रक्षा और सार्थकता तब सिद्ध होगी जब आरटीआई से जुड़े इन सवालों पर विषेष ध्यान दिया जाएगा। मसलन- आरटीआई के तहत आने वाली षिकायतों का समाधान वीडियों क्रांफेंसिंग के जरिए होना चाहिए। काॅल सेंटर के माध्यम से आरटीआई के आवेदन स्वीकार होना चाहिए। ई-मेल के माध्यम से आरटीआई के तहत जानकारी लेने-देने की संस्कृति विकसित होना चाहिए। के्रडिट कार्ड के माध्यम से आरटीआई के अंतर्गत ली जानी वाली फीस का भुगतान स्वीकार किया जाना चाहिए। शासन स्तर पर आईसीटी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए साथ आरटीआई के कार्य में संलग्न अधिकारियों को आईसीटी के बारे में प्रषिक्षित किया जाना चाहिए। भारत के हर नागरिक को षिक्षा के अधिकार की तरह आरटीआई के अधिकार के बारे मंे जागरूक बनाना चाहिए। केन्द्र और राज्य सरकारों को यथा संभव पाठ्यक्रमों में आरटीआई को शामिल किया जाना चाहिए।
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मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
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पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
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