
5 मार्च-जन्म दिवस पर विशेष
मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण के अविराम पथिक हैं शिवराज
मौका होठों को गोल कर सीटी बजाने का है और ऐसा हो भी क्यों नहीं। आखिर तो शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने में कामयाब हुए हैं। यह नया अध्याय है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलावा किसी अन्य राजनैतिक दल के मुख्यमंत्री के रूप में निरन्तर पाँच साल की कालावधि पूरा करना सिर्फ इतना ही नहीं शिवराजसिंह चौहान अपने दल में भी यह गौरव हासिल करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
जहाँ तक बात होठों को गोल कर सीटी बजाने की है तो शिवराजसिंह चौहान का विकास के लिये संकल्प और लगन आम लोगों को विश्वास दिलाता है कि सुनहरा भविष्य प्रतीक्षा कर रहा है। उनकी मंजिल है स्वर्णिम "मध्यप्रदेश"। ऐसा प्रदेश जो देश का अग्रणी प्रदेश हो। जहाँ हर हाथ को काम, हर खेत में पानी, हर घर में बिजली और हर बच्चे को शिक्षा मिले।
असल में शिवराजसिंह चौहान को जानने वालों और नहीं जानने वालों को यह बिल्कुल स्पष्ट समझ लेना चाहिये कि वे दिन गिनने वाले लोगों में से नहीं, काम करने वालों में है। उन्होंने काम को प्रधानता दी। यह वही कर पाता है जो पद के आने-जाने की चिन्ता से मुक्त हो। जिसका लक्ष्य पद पाना या उस पर बने रहना नहीं होता बल्कि पद के अनुरूप दायित्वों के निर्वहन में प्रयत्नों की पराकाष्ठा करना होता है। शिवराजसिंह चौहान मध्यप्रदेश में ऐसा ही कर रहे हैं। वे ऐसा महज पिछले पाँच साल में मुख्यमंत्री के रूप में ही कर रहे हो ऐसा भी बिल्कुल नहीं है। अब तक का उनका जीवन-क्रम बताता है कि आपातकाल के दौर में अपनी कच्ची उम्र में ही वे लोकतंत्र की रक्षा के उद्देश्य से कारावास जा चुके हैं। महज 13 वर्ष की उम्र में अपने गृह ग्राम जैत में मजदूरों को पूरी मजदूरी दिलाने के लिये गाँव भर में जुलूस निकाल चुके हैं। इसके बाद विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता युवा मोर्चा में विद्यार्थियों और युवाओं के लिये काम उन्हें अपरिमित राजनैतिक अनुभव देता है। सन् 1990 में अल्प समय के लिये विधायक और फिर विदिशा से लगातार पाँच बार लोकसभा चुनाव जीतकर 14 वर्ष तक की संसद सदस्यता ने उन्हें जो राजनैतिक परिपक्वता दी वह उन्हें कर्मठ जननेता और जनसेवी बना चुकी है।
यह सब दोहराने का आशय यह है कि वे पद की चिन्ता किये बगैर अपने दायित्वों के निर्वहन के लिये समर्पित रहे हैं। विकास कार्यों के लिये प्रतिबद्वता के चलते उन्हें लगातार महत्वपूर्ण दायित्व मिलते रहे। यह भी समझने की बात है कि पद या दायित्व प्रतिभासम्पन्न को ही मिलते हैं। अन्यथा पद अगर जोड़-तोड़ से मिल भी जाये तो उसे धारण करने वाला जल्दी ही बियाबान में खो जाता है। फिर श्री चौहान का दल भारतीय जनता पार्टी है, जिसमें एक पद की कसौटी हजार हैं।
श्री चौहान का यह स्पार्क ही उन्हें बिरला बनाता है। चाहे संगठन का काम हो या मुख्यमंत्री के रूप में प्रशासन का। वे अपने को प्रशासक नहीं जनता का विनम्र सेवक मानते हैं। उनकी अपरिमित ऊर्जा और कुछ करने की तड़प, धारा को विपरीत दिशा में मोड़ने का माद्दा और असंभव को संभव बनाने वाली जिद का सफर उदाहरण है उनका मुख्यमंत्री तक का सफर। पाँव-पाँव वाले भैया के लिये इस सफर में जैसा मैंने पहले लिखा कुछ भी अनूठा नहीं है। वह तो लोकसेवा और राष्ट्र के पुनर्निर्माण का अविराम पथिक है। पथ कितना ही काँटों भरा हो, शिवराजजी के शब्दों में वे जनता के पाँवों में काँटे नहीं आने देंगे। खुद तो उन्हें चुनेंगे ही, लोगों को भी प्रेरित करेंगे, प्रदेश के विकास की बाधाओं रूपी काँटों को हटाने के लिये।
पाँच साल का निरन्तर कार्यकाल पूरा करने वाले भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में ही नहीं बल्कि आज प्रदेश के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेता के रूप में इस जन्म-दिवस पर आज अगर उनसे सीटी बजाने की उम्मीद की जाती हैं तो यह उम्मीद बेमानी भी नहीं है। एक ऐसे देश और प्रदेश में जहाँ एक बार पद पर पहुँचने को ही जीवन भर की उपलब्धि मानकर जश्न मनाये जाते हो, वहाँ श्री चौहान की उपलब्धियाँ उल्लेखनीय ही कही जायेंगी। यह उपलब्धियाँ तब और विशिष्ट हो जाती है जब अपने नेतृत्व में, अपनी नीतियों के आधार पर जीतकर दोबारा सरकार बनायी गयी हो। सरकार बनाना भी उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना इस अरसे में प्रदेश के पुनर्निर्माण के कामों को निरंतरता और सफलता देना है।
शिवराजसिंह चौहान ने जब प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभाला था तो वह एक तरह से काँटों का ताज था। एक तरफ भारी जनाकांक्षाओं का बोझ था, जिसके चलते दस वर्ष पुराने शासन को जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था दूसरी तरफ प्रशासनिक अनुभवहीनता का टैग था। तीसरी तरफ अपने ही दल के पूर्व मुख्यमंत्रियों की चुनौती और विधायक दल का सच्चे अर्थों में सर्वमान्य नेता बनकर उभरने की चुनौती थी तो चौथी तरफ पार्टी में बिखराव रोककर प्रदेश के विकास का अपना एजेण्डा लागू करना था। अभिमन्यु के समान विकट स्थिति थी। केवल चक्रव्यूह भेदना ही नहीं विजेता बनकर सुरक्षित भी निकलना था। इस राजनैतिक-प्रशासनिक महाभारत में श्री चौहान सभी तरह के चक्रव्यूहों को भेदकर पाँच साल पूरा कर निरंतर और निरंतर आगे बढ़कर 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुने जा रहे हैं तो इस जन्म दिन पर उनसे सीटी और उनके साथियों से ढ़ोल-ताशे बजाने की उम्मीद बेजा नहीं है। लेकिन वे फिर भी सीटी नहीं बजायेंगे। क्योंकि सीटी उल्लास का और जो सोचा था उसे हासिल करने के भाव का बोध कराती है और श्री चौहान का हासिल स्वर्णिम प्रदेश है, महज बीमारू की श्रेणी से प्रदेश को बाहर लाना नहीं।
प्रदेश के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को पूरे पाँच साल निर्विघ्न चलाने और महज अपने तीन साल के कामकाज के आधार पर दोबारा जनादेश पाने वाले शिवराजसिंह मिथकों को तोड़ने के बाद भी सीटी नहीं बजायेंगे। अब अगर इसकी वजह जानना ही चाहते हैं तो वह यह है कि सत्ता उनका कभी लक्ष्य रहा ही नहीं है। उनका लक्ष्य सत्ता से बड़ा है। सत्ता उनके लिये अपने प्रेरणा-स्त्रोत पं. दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों के अनुरूप अंतिम पंक्ति के अंतिम आदमी के दुख-दर्द दूर करने का एक जरिया भर है। उनका लक्ष्य एक समरस विकसित प्रदेश के निर्माण के साथ राष्ट्र के पुनर्निर्माण का है। राजनीति को छल, फरेब, दुरभि-संधियों और जाति और धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठाकर विकासपरक बनाने का है। तभी तो मध्यप्रदेश में उनके कार्यकाल की योजनाओं और कार्यक्रमों में जाति-धर्म की बंदिशें नहीं हैं। "सर्वे भवन्तु सुखिन:" की भारतीय संस्कृति की भावना के अनुरूप वे राजनैतिक दल बन्दी, मत-मतान्तर, धर्म-जाति, वर्ग और समुदाय से परे सबके मंगल, सबके कल्याण, सबके निरोगी होने के कार्य के कठिन व्रत को पूरा करने में जुटे हैं।
इस सबके बावजूद श्री चौहान को इस जन्म दिन पर तो होंठों को गोल कर सीटी बजाना ही चाहिये। वंचितों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिये समर्पित शिवराजसिंह जी के लिये कोई भी वर्ग भूला-बिसरा नहीं रहा। उन्होंने प्रदेश में राजनीति की धारा इस अरसे में बदल दी। अब प्रदेश में राजनीति तुष्टीकरण की नहीं विकास की ही होगी। जो ऐसा नहीं करेगा वह हाशिये पर खड़ा होगा और सत्तारूपी कारवां जारी रहेगा।
सरकार में जनता के विश्वास की वापसी के प्रयास में आज श्री चौहान ने वनवासी अंचल को नापा है। किसानों के दुख-दर्द को दूर करने के लिये हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, सरकार और समाज को विकास के कामों में साथ ला रहे हैं। यह प्रक्रिया भविष्य में समृद्ध प्रशासनिक परम्परा बनेगी। अपनी कथनी-करनी को एकात्म कर आज प्रदेशवासियों की आशा और विश्वास के प्रतीक बने श्री चौहान को जन्म दिवस की बधाई के साथ। सुरेश गुप्ता
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