
5 मार्च-जन्म दिवस पर विशेष
लोकशक्ति को लोक समृद्धि में बदलने वाले शिवराज
जननेता का सबसे बड़ा गुण यही है कि वह लोक शक्ति में अटूट विश्वास करता है। लोक शक्ति एक अमूर्त वस्तु है। लोकतंत्र में इसका प्रदर्शनकारी स्वरूप समय-समय पर प्रकट और अभिव्यक्त होता रहता है। कभी शहर बंद हो जाते हैं, कभी यातायात रूक जाता है। इसके विपरीत विशाल देश के किसी भू-भाग पर चंद लोग मिलकर मृत नदी को जीवित कर देते हैं। बंजर भूमि पर हरियाली बिछा देते हैं। रचनात्मक और नकारात्मक दोनों स्वरूप देखने को मिलते हैं। मुख्यमंत्री का पद सम्हालने के बाद श्री शिवराजसिंह चौहान ने जो निर्णय लिये उनमें स्पष्ट रूप से यह रेखांकित होता है कि वे विकास के लिये जनशक्ति का रचनात्मक उपयोग करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में जनता की सोच, समझ, विवेक और सामथ्र्य पर अटूट विश्वास रखने वाले शिवराज सिंह को जन्म दिन की बधाइयाँ।
आज राज्य सरकार और समाज एक दूसरे के करीब आये हैं और विकास पथ पर साथ-चल रहे हैं तो यह श्री शिवराज सिंह चौहान की कार्य शैली और उनके व्यक्ति का करिश्मा है। ऐसा नहीं कि अब तक जो मुख्यमंत्री हुए हैं उन्होंने लोक शक्ति पर भरोसा नहीं किया या उनमें समझ की कमी थी। अंतर यह है कि श्री चौहान ने यह बताया है कि लोक समृद्धि के लिये लोकशक्ति का उपयोग प्रायोगिक और व्यावहारिक तौर पर कैसे किया जा सकता है। विकास योजनाओं को जन आंदोलन कैसे बनाया जा सकता है और सेवाओं तक आम लोगों की आसान पहुंच कैसे बनाई जा सकती है चाहे वह जन-संचालित हो या फिर कानून द्वारा संचालित हो। सरकारी तंत्र, नीति निर्माताओं और रणनीतिकारों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हुए भी उनकी अपनी सीमाएँ हैं। जन सहयोग और सामुदायिक भागीदारी के बिना अच्छी नीतियों का परिणाम भी शून्य होता है।
दर्शन-शास्त्र में गहरी रूचि रखने वाले श्री शिवराज सिंह को मनोविज्ञान की गहरी समझ है। आम लोगों से लगातार संवाद करते हुए वे सामाजिक समस्याओं का विश्लेषण करते रहते हैं। सामुदायिक अभिरूचियों के आधार पर ही कार्ययोजनाएं बनाने के निर्देश देते हैं। श्री चौहान इतने विनम्र हैं कि वे योजनाओं के मूल विचार का श्रेय लोगों को देने से नहीं चूकते। लोक-संवाद को वे विचारों का पालना मानते हैं। कई बार उन्होंने कहा कि विवेक और ज्ञान पर विशेषाधिकार केवल नीति निर्माताओं के पास नहीं होता। रोजाना जीवन से संघर्षशील आम लोग भी विवेक रखते हैं। यही विनम्रता उन्हें लोगों का अपना मुख्यमंत्री बनाती है और लोगों से दूरी मिटाकर उन्हें उनके नजदीक या दिलों तक ले जाती है।
सरल और विनम्र स्वभाव के कारण लोग श्री चौहान से मिलने को आतुर रहते हैं। हर उम्र और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोग उनसे मिलना पसंद करते हैं। बच्चे, वयस्क, विद्यार्थी, व्यापारी, कलाकार, समाजसेवी, बुद्धिजीवी, धर्मशास्त्री सभी उन्हें सम्मान देते हैं। उनके व्यक्ति में दया, करूणा, शालीनता, विनम्रता जैसे मूल्यों की बहुलता है। गुस्सा सिर्फ अन्याय के विरूद्ध आता है। न्याय के लिये संघर्ष करने के लिये वे हमेशा तैयार रहते हैं। कई सार्वजनिक भाषणों में उन्होंने कहा है कि अन्याय के विरूद्ध संघर्ष में देरी अन्याय का साथ देने के समान है। गुस्सा उन्हें तब आता है जब उन्हें पता चलता है कि सरकारी तंत्र की ढिलाई के कारण गरीब परिवार के साथ न्याय नहीं हुआ। समाधान ऑन लाइन और गांव के भ्रमण के दौरान कई ऐसे अवसर आये जब उन्होंने गैर जिम्मेदार अधिकारियों को सीधे निलंबित कर दिया।
राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का सूक्ष्म अध्ययन यह स्पष्ट करता है कि कल्याणकारी योजनाएं "शिव दृष्टि' से ओत-प्रोत हैं। इन योजनाओं की संरचना में चार बिंदु प्रमुख रूप से रेखांकित होते हैं - गरीबों की समृद्धि के लिये प्रतिबद्धता, युवा शक्ति का विकास, वर्तमान में विश्वास और भविष्य में आस्था। गरीब परिवार की बेटियों के विवाह की संस्थागत व्यवस्था मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता का ही परिणाम है। इस योजना का महत्व नव-धनाढय लोग भले ही ना समझ पायें लेकिन गरीब बिटिया के माता-पिता और परिजन अच्छी तरह समझते हैं। बेटियों के जन्म को सुखद अवसर बनाने और इससे आगे बढ़कर उत्सव मनाने तक सामाजिक बदलाव लाने की पहल के पीछे शिवराज जी की अपनी सोच है। समाज ने भी उनकी पहल में भरपूर योगदान दिया है। लाड़ली लक्ष्मी, गांव की बेटी, स्कूल जाने वाली बेटियों को साइकिलें, गणवेश, छात्रवृतियां देने, नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देने के प्रयासों की सर्वत्र सराहना हुई है।
मध्यप्रदेश बनाओ अभियान की शुरूआत करने के पीछे भी श्री चौहान की यही सोच थी कि मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण में लोकशक्ति के अवदान के रूप में सभी का योगदान और सहयोग होना चाहिये।
मध्यप्रदेश एक सांस्कृतिक-धार्मिक विविधता से समृद्ध प्रदेश है। यहाँ की युवा शक्ति में आगे बढ़ने की क्षमता और प्रतिभा है। यह कला-पारखियों, उद्भट विद्वानों का प्रदेश है। सीमित संसाधनों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल करने वाले समुदाय हैं। थोड़े से प्रशिक्षण से असाधारण कार्य करने वाला आदिवासी समुदाय है। यदि सब एक साथ आ जायें तो मध्यप्रदेश के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया और तेज हो जायेगी। मध्यप्रदेश किसी एक व्यक्ति, समुदाय या दल का नहीं है। प्रदेश के हर नागरिक को ""अपना मध्यप्रदेश'' का बोध जरूरी है। श्री शिवराज सिंह का यही दर्शन और संदेश अब प्रदेश की सीमाएं पार कर अन्य प्रदेशों में गूंज रहा है। प्रदेश में विकास के विभिन्न क्षेत्रों जैसे जल संवर्धन, वनीकरण, स्कूल चलें अभियान, परिवार नियोजन अभियान में सकारात्मक परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। जनादेश का आदर करते हुए अब सरकार स्वयं लोगों के पास पहुंच रही है। अंत्योदय मेलों का आयोजन श्री चौहान की लोक सेवा की ललक का ही विस्तारित रूप है। जन सेवक मुख्यमंत्री को जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। अवनीश सोमकुवर
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