PM MODI-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “नागरिक देवो भव:” का नया मंत्र
डिजिटल इकोसिस्टम मुख्य आधार
डिजिटल इंडिया के माध्यम से विकसित किये गए डिजिटल ईकोसिस्टम से नागरिक कल्याण
( सरमन नगेले )
https://twitter.com/mppost1/status/1924058837692096512
https://mppost.com/pmmodi-16/
" भारतीय संविधान में नागरिक कल्याण के लिए कई प्रावधान हैं, जो नागरिकों को उनके अधिकारों, स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करते हैं। संविधान के विभिन्न भाग और अनुच्छेद नागरिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि मौलिक अधिकार, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, और मौलिक कर्तव्य। वैसे भारत की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने संविधान में नागरिक कल्याण के लिए प्रावधानों को न केवल आत्मसात किया है बल्कि संविधान प्रदत्त नागरिक कल्याण के अधिकारों को सर्वोपरि रखते हुए एक समाज शास्त्र का नया विचार "नागरिक देवो भव:" मंत्र के साथ नागरिकों के सम्मुख टेक्नोलॉजी के सपोर्ट से रखा है ।
एक लंबे अध्ययन के पश्चात रेखांकित करने योग्य बात यह है की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किसी भी कार्यक्रम का भाषण डिजिटल, टेक्नोलॉजी का प्रभावी तरीके से उल्लेख किये बिना पूरा होता ही नहीं है "। डिजिटल इंडिया के माध्यम से विकसित किये गए डिजिटल ईकोसिस्टम से नागरिक कल्याण को और प्रभावी बनाने की मंशा को अमल में लाने, ठोस रणनीति के साथ काम करने के लिए यही बात प्रधानमंत्री को उत्साहित एवं प्रेरित भी करती है।
यहाँ यह सन्दर्भ समीचीन और सामयिक है। " संवेदनशील रहिए, गरीब की आवाज सुनिए, गरीब की तकलीफ समझिए, उनका समाधान करना अपनी प्राथमिकता बनाइए,
जैसे अतिथि देवो भव: होता है, वैसे ही "नागरिक देवो भव:" इस मंत्र को लेकर के भारत के नौकरशाह को चलना है। भारत के नौकरशाह नए भारत के शिल्पकार हैं। नौकरशाह को सिर्फ भारत के सिविल सर्वेंट के रूप में ही नहीं, विकसित भारत के शिल्पकार के रूप में अपने आपको दायित्व के लिए तैयार करना है"। 21 अप्रैल 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नौकरशाह को स्टील फ्रेम ऑफ़ इंडिया कहा था। उन्होंने स्वतंत्र भारत की ब्यूरोक्रेसी की नई मर्यादाएं तय की थीं। एक ऐसा सिविल सर्वेंट, जो राष्ट्र की सेवा को अपना सर्वोत्तम कर्तव्य माने। जो लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन चलाए। जो ईमानदारी से, अनुशासन से, समर्पण से भरा हुआ हो। जो देश के लक्ष्यों के लिए दिन-रात काम करे। सरदार वल्लभ भाई पटेल की ये बातें और ज़्यादा प्रासंगिक हो जाती हैं । प्रधानमंत्री द्वारा यह विचार नए समाजशास्त्र के रूप में भारत के नौकरशाह के लिए विगत दिनों प्रकट किये गए हैं।
आज के दौर में सभी लोग पूरी दुनिया को तेज गति से बदलते हुए देख रहे हैं। यहाँ तक की 10-15 साल का बच्चा है और जब उससे बात करते हैं, तो आप फील करते हैं, आप आउटडेटेड हैं। ये इसलिए होता है क्योंकि समय बहुत तेजी से बदल रहा है। हर 2-3 साल में गैजेट्स कैसे बदल रहे हैं। कुछ समझें , सीखें उसके पहले नया आ जाता है। लेकिन छोटे-छोटे बच्चे इन तेज बदलावों के साथ बड़े हो रहे हैं। देश की ब्यूरोक्रेसी, हमारा कामकाज, हमारी पॉलिसी मेकिंग भी पुराने ढर्रे पर नहीं चल सकती।
डिजिटल इकॉनमी का लाभ, ऐसी ही बातें हैं जो समग्र विकास, शासन में गुणवत्ता सिर्फ स्कीम्स लांच करने से नहीं आती। बल्कि शासन में गुणवत्ता इससे तय होती है कि वो स्कीम कितनी गहराई तक जनता के बीच पहुंची, और उसका कितना रियल इम्पैक्ट ।
आज भारत का शासन मॉडल, अगली पीढ़ी के सुधार पर फोकस कर रहा है। मोदी सरकार टेक्नोलॉजी और इनोवेशन और इनोवेशन प्रक्टिसेस के जरिए सरकार और नागरिकों के बीच की दूरी समाप्त कर रही है । इसका इम्पैक्ट ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ दूरदराज के इलाकों में भी दिख रहा है।
G20 प्रेसीडेंसी में 60 से ज्यादा शहरों में 200 से ज़्यादा मीटिंग्स , इतना बड़ा और समावेशी पदचिह्न , G20 के इतिहास में पहली बार हुआ और यही तो टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के चलते समग्र दृष्टिकोण है। केंद्र सरकार ने डिले सिस्टम को खत्म करने की कोशिश की है। टेक्नोलॉजी के माध्यम से टर्नअराउंड टाइम को भी घटा रही है।
अधिकारियों को हर सेक्टर में देखना होगा कि जो लक्ष्य तय किए हैं, क्या उनको पाने के लिए वर्तमान स्पीड काफी है। अगर नहीं है तो, उसे बढ़ाना है। अब टेक्नॉलॉजी सबके पास है, वो पहले नहीं थी। टेक्नॉलॉजी की ताकत के साथ आगे बढ़ना बेहद ज़रूरी है। मोदी सरकार ने 4 करोड़ गरीबों के लिए पक्के घर बनाए, लेकिन अभी 3 करोड़ नए घर बनाने का लक्ष्य उनके सामने है। 5-6 सालों में 12 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घरों को नल कनेक्शन से जोड़ा गया है। अब जल्द से जल्द गांव के हर घर को नल कनेक्शन से जोड़ना उनका प्रमुख लक्ष्य है। 10 साल में गरीबों के लिए 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए गये हैं, अब वेस्ट मैनजमेंट से जुड़े नए लक्ष्यों को जल्द से जल्द प्राप्त करना है, कोई सोच भी नहीं सकता था कि करोड़ों गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। अब देश की जनता में न्यूट्रिशन को लेकर नए संकल्पों को सिद्ध करना है।सभी का एक ही लक्ष्य होना चाहिए, 100 परसेंट कवरेज, 100 परसेंट इम्पैक्ट , इसी अप्रोच ने 10 साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। यह सब टेक्नोलॉजी के बलबूते किया गया है।
आज की टेक ड्रिवेन दुनिया में सिविल सर्वेन्ट्स को ऐसी स्किल्स चाहिए जो ना उन्हें सिर्फ टेक्नोलॉजी समझने में मदद करें, बल्कि उसे स्मार्ट और इंक्लूसिव गवर्नेंस के लिए इस्तेमाल भी कर सकें। प्रौद्योगिकी के युग में, शासन का मतलब प्रणालियों का प्रबंधन करना नहीं है, बल्कि संभावनाओं को बढ़ाना है.” सभी को टेक सेवी होना पड़ेगा, ताकि हर पॉलिसी और स्कीम को टेक्नोलॉजी के ज़रिए ज्यादा एफिसिएंट और एक्सेसिबल बनाया जा सके। डाटा ड्रिवेन डिसिशन मेकिंग में एक्सपर्ट बनना होगा, जिससे पॉलिसी डिजाइनिंग और इम्प्लीमेंटेशन ज्यादा एक्यूरेट हो सके। नई टेक्नोलॉजी Artificial Intelligence -कृत्रिम बुद्धिमत्ता और Quantum Physics- क्वांटम भौतिकी कितनी तेजी से विकसित हो रही है। जल्द ही, टेक्नोलॉजी के उपयोग में एक नई क्रांति आएगी ।
पहले अगर सरकार एक रुपया गरीब को भेजती थी तो उसमें से 85 पैसा लुट जाता था । सरकारें बदलती रहीं, साल बीतते रहे, लेकिन गरीब के हक का पूरा पैसा उसे मिले, इस दिशा में ठोस काम नहीं हुआ। गरीब का पूरा पैसा गरीब को मिले, एक रुपया दिल्ली से निकले, तो सौ के सौ पैसे उसके पास पहुंचने चाहिए। इसके लिए डिजिटल बैंकिंग यानि टेक्नोलॉजी की मदद से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की व्यवस्था की। और इससे सरकारी स्कीम्स में लीकेज रुकी, लाभार्थियों तक सीधे बेनिफिट पहुंचा, सरकार की फाइलों में 10 करोड़ ऐसे फर्जी लाभार्थी थे, जिनका कभी जन्म भी नहीं हुआ था। मोदी सरकार ने इन 10 करोड़ फर्जी नामों को सिस्टम से हटाया और DBT के माध्यम से सीधा पूरा का पूरा पैसा गरीबों के बैंक खातों में भेजा। इससे साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचा है।
मोदी सरकार ने, राज्य सरकारों के साथ मिलकर, नदियों को जोड़ने का महाअभियान शुरु किया है। केन बेतवा लिंक परियोजना, पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना, इनसे लाखों किसानों को फायदा होगा। इस काम में टेक्नोलॉजी का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा। चाहे AI हो ड्रोन्स हों अथवा अन्य टेक्नॉलजी सभी नवीन टेक्नोलॉजी उपयोगी साबित हो रही है।
दिलचस्प और गौरतलब बात यह है की देश में लोकतंत्र और विकास साथ-साथ चल सकते हैं? यह टेक्नोलॉजी के आधार पर संभव हो रहा है। "डेमोक्रेसी कैन डिलीवर" यानी डेमॉक्रेसी रिजल्ट्स दे सकती है। पिछले एक दशक में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं, इससे पूरी दुनिया को ये संदेश मिला है, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर। जिन करोड़ों छोटे उद्यमियों को मुद्रा योजना से लोन मिला, उन्हें आज महसूस होता है कि, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर।
देश में ट्राइबल्स में भी ऐसी अति पिछड़ी ट्राइबल जातियां थीं, जिन तक विकास का लाभ नहीं पहुंच पाया था। एक तरफ जहाँ पीएम जनमन योजना से इन जातियों तक सरकारी सुविधा पहुंची है, तो उन्हें भी भरोसा हुआ है, डेमोक्रेसी कैन डिलीवर! देश का विकास, देश के संसाधन, आखिरी व्यक्ति तक बिना किसी भेदभाव पहुंचें, लोकतंत्र का असली अर्थ, असली उद्देश्य यही है औऱ हमारी सरकार यही कर रही है। यह सब टेक्नोलॉजी के सहारे संभव हो रहा है।
दूसरी ओर देश के गरीब को जब पक्का घर मिलता है, तो वो सशक्त होता है, उसका स्वाभिमान बढ़ता है। जब गरीब के घर में शौचालय बनता है, तो उसे खुले में शौच के अपमान और पीड़ा से मुक्ति मिलती है। जब आयुष्मान भारत योजना से गरीब को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलता है, तो उसके जीवन की बहुत बड़ी चिंता कम होती है। कुल मिलाकर टेक्नोलॉजी की मदद से केंद्र सरकार द्वारा देश की जनता को निर्बाध रूप से एम्पॉवर किया जा रहा है ।
जहाँ तक बात प्रधानमंत्री द्वारा सिविल सर्विस डे के दौरान पेश किये गए "नागरिक देवो भव:" मंत्र की है । यह मोदी सरकार का मूल विचार है ऐसा कहा गया है । वे जनता में जनार्दन देखते हैं। जनता की सेवा भावना ही सरकार को मूल ध्येय है । सरकार खुद, नागरिक तक सेवा पहुंचाने की पहल करती है। आजकल तो हर फॉर्म ऑनलाइन भरते हैं। एक समय था, जब अपने ही डॉक्यूमेंट्स को अटेस्ट कराने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब आप वही सारे काम सेल्फ अटेस्ट करके भी कर सकते हैं।
देश के सीनियर सिटिजन्स कहीं से भी, डिजिटली अपना जीवन प्रमाण पत्र दे सकते हैं। बिजली कनेक्शन लेना हो, पानी का नल लगवाना हो, बिल जमा करना हो, गैस बुक करानी हो और यहां तक कि गैस सिलेंडर की डिलिवरी लेनी हो मतलब सब ऑनलाइन।
लब्बोलुआब यह है की प्रधानमंत्री श्री मोदी लगातार ये कोशिश कर रहे हैं, कि हर वो इंटरफेस, जहां लोगों को सरकार से कोई इंटरैक्शन करना हो, जैसे पासपोर्ट का काम हो, टैक्स रीफंड का काम हो, ऐसे हर काम सिंपल , फास्ट और एफिसिएंट हों। यही "नागरिक देवो भव:" मंत्र का उद्देश्य है।
भारत, अपनी परंपरा और प्रगति को एक साथ लेकर चल रहा है। विकास भी, विरासत भी, ये सरकार का मंत्र है। ट्रेडिशन और टेक्नॉलॉजी कैसे एक साथ थ्राइव करती है, ये भारत ने करके दिखा दिया है। डिजिटल ट्रांजेक्शन में दुनिया में टॉप के देशों में है भारत । और साथ ही, योग और आयुर्वेद के ट्रेडिशन को भी पूरी दुनिया में मोदी सरकार ले जा रही है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फोन निर्माता देश है।
एक दशक पहले पहले जब मोदी जी डिजिटल इंडिया की बात करते थे, तब कई लोग बहुत सारी आशंकाएं व्यक्त करते थे। लेकिन आज डिजिटल इंडिया भारत के हर नागरिक का जीवन का एक सहज हिस्सा बन चुका है। सस्ते डाटा और सस्ते मेड इन इंडिया स्मार्टफोन्स ने एक नई क्रांति को जन्म दिया है। डिजिटल इंडिया से कैसे ईज ऑफ लिविंग बढ़ी। डिजिटल इंडिया ने कैसे कंटेंट और क्रिएटिविटी का एक नया संसार बना दिया है।
उल्लेखनीय तथ्य यह है की देश की किसी भी गांव में अच्छा खाना बनाने वाली एक महिला मिलियन सब्सक्राइबर क्लब में है। किसी आदिवासी क्षेत्र का युवा अपनी लोक कला से दुनिया भर के दर्शकों को जोड़ रहा है। कोई स्कूल में पढ़ने वाला नौजवान है, जो टेक्नोलॉजी को शानदार तरीके से बता रहा है, समझा रहा है। रेखांकित करने योग्य बात यह है की अकेले यूट्यूब -YouTube ने ही बीते तीन साल में भारत के कंटेंट क्रिएटर्स को 21000 करोड़ रुपये का पेमेंट किया है। यानी फोन सिर्फ कम्युनिकेशन का ही नहीं, क्रिएटिविटी का, कमाई का भी बहुत बड़ा टूल बनकर उभरा है । यूट्यूब से क्रिएटर खूब कमाई कर रहे हैं।
यूट्यूब के सीईओ नील मोहन ने बताया कि भारत में पिछले साल 10 करोड़ से ज्यादा चैनलों ने कॉन्टेंट अपलोड किया. वहीं, 15 हजार से ज्यादा चैनलों ने 10-10 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हासिल किए। यूट्यूब अगले दो वर्षों में 850 करोड़ रुपये का निवेश करेगा, ताकि भारत की बढ़ती क्रिएटर अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिले।
बीते वर्षों में भारत एक बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्टर बनकर उभरा है। लोकल प्रॉडक्ट्स, ग्लोबल हो रहे हैं। भारत का एक्सपोर्ट बीते वर्ष, करीब 825 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। 825 बिलियन डॉलर, यानी सिर्फ एक दशक में भारत ने अपना एक्सपोर्ट करीब-करीब दोगुना किया है।
डिजिटल इंडिया के माध्यम से विकसित किये गए डिजिटल ईकोसिस्टम के जरिए "नागरिक देवो भव:" की भावना तब ही पूरी तरह साकार होगी जब जनता की सेवा भावना ही सरकार को मूल ध्येय हो , और सरकार खुद, नागरिक तक समस्त प्रकार की सेवाएँ पहुंचाने का विशेष अभियान प्रारंभ करे।
( लेखक : वरिष्ठ पत्रकार और दो दशक से अधिक समय से डिजिटल मीडिया से जुड़े हैं )