बुधवार, 5 मई 2010

ई-मीडिया का वजूद अन्य मीडिया की तुलना में कई गुना बड़ा ई-मीडिया के बढ़ते कदम पर राष्ट्रीय कार्यषाला में वक्ताओं की राय

इन्दौर प्रेस क्लब द्वारा भाषायी पत्रकारिता महोत्सव के दौरान अंतिम सत्र में ई-मीडिया के बढ़ते कदम पर वक्ताओं ने अपनी-अपनी बात रखी। सभी वक्ताओं ने इस बात पर विषेष उल्लेख किया कि आज ई-मीडिया मजबूत स्थिति में है। सबसे अहम बात यह है कि इससे आम आदमी बड़े पैमाने पर जुड़ रहा है। ब्लॉग के जरिये हर नागरिक के पास मन की बात लाखों लोगों तक पहुंचाने की ताकत आई है। वरिष्ठ पत्रकार और आईआईएमसीटी प्रोफेसर वर्तिका नंदा ने रविवार दो मई 2010 को भाषायी पत्रकारिता महोत्सव के तहत आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कहा ई-मीडिया ने हर इंसान को पत्रकार बना दिया है। इससे सिटीजन जर्नलिज्म बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि ई-मीडिया ने पांच साल में पचास गुना अन्य मीडिया की तुलना में वृद्धि की है। जो इस बात को द्योतक है कि इसका असर दिख भी रहा है। भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने कहा ई-मीडिया से चौराहों और पान की दुकानों की चर्चा कम्प्यूटर स्क्रीन पर आ गई है। ब्लॉग ने संपादक के नाम पत्र की भरपाई कर दी है। उन्होंने कहा कि ई-मीडिया में सीमित संसाधनों में काम किया जा सकता है। इसमें अधिक धन की जरूरत नहीं है। उन्होंने पेड न्यूज पर अपना धारा प्रवाह भाषण दिया। उन्होंने मीडिया में कार्यरत् पत्रकारों के साथ हो रही जद्दतियों का खुला किया और कहा कि जब से अखबार मालिकों को अखबारों की प्रिंट लाइन में नाम छपवाने का प्रचलन बढ़ा है तब से अखबारों में संपादक नाम की संस्था का वजूद काफूर हो गया है। उन्होंने कहा कि जब पेड न्यूज के नाम पर संपादकों को दोषी ठहराया जाता है तो मालिक संपादक इसके सहभागी होने से कैसे बच सकते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेष और दिल्ली में कार्यरत् विभिन्न समाचार पत्रों और चैनलों तथा जिला स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों की व्यथा और उनके शोषण की कथा अपने तरीके से बंया की। उन्होंने भड़ास4मीडिया के अभी तक की यात्रा के बारे में भी प्रकाष डाला। वरिष्ठ पत्रकार और डेट लाइन इंडिया के संपादक आलोक तोमर ने कहा कि जब तक सरकारों के हाथ से इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराना समाप्त नहीं होगा। तब तक ई-मीडिया कोई बहुत बड़ा चमत्कार नहीं कर सकता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि कुछ समय पूर्व भारत सरकार ने अनेक वेबसाइटों को बंद करा दिया था। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि कुछ राज्यों में बिजली की बहुत ज्यादा समस्या है तब ई-मीडिया कैसे पल्लवित हो सकेगा। उन्होंने वेब स्ट्रीमिंग की बात भी रखी। ईएमएस के संपादक सनत जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि ई-मीडिया ने ऐसा चमत्कार किया है कि अब रिक्षे वाला भी मोबाइल फोन से वीडियों क्लिप बनाकर उसका प्रसारण करा सकता है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स के क्षेत्र में इस मीडिया का ज्यादा दखल है। आजतक नई दिल्ली के प्रोड्यूसर भुवनेष सिंह सेंगर ने टीवी पत्रकारिता पर अपना वक्तव्य दिया। मीडिया मंच के संपादक लतिकेष शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भविष्य में अब रिक्षे वाला का भी वेब पोर्टल होगा। उन्होंने ई-मीडिया के असर को रेखांकित किया। रेडिफमेल की पोलिटिकल एडिटर रेणु मित्तल ने 3जी के बारे में अपना पक्ष रखा। उन्होंने ई-पेपर का असर भारत में तेजी के साथ बढ़ रहा है इस पर बात रखी। उन्होंने उदाहरण दिये कि कुछ विदेषी मुल्क ऐसे हैं जहां की संस्थानों ने अपने प्रिंट संस्करण बंद कर दिये है अब वे सिर्फ इंटरनेट संस्करण निकाल रहे हैं। एमपीपोस्ट के संपादक सरमन नगेले ने अपनी बात ई-मीडिया के गुण-दोष पर केन्द्रित की। ई-मीडिया यानि न्यू मीडिया का दायरा दिन-प्रतिदिन न केवल बढ़ता जा रहा है बल्कि अपनी जड़े भी मजबूत कर रहा है। वर्तमान दौर का यही एक मात्र ऐसा मीडिया है जिसका प्रभाव विष्व व्यापी तो है ही। इसका असर तत्काल होता है। न्यू मीडिया पर कोई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत व्यक्त किए गए विचारों, समाचारों, फोटो और वीडियो का प्रसारण हो गया तो मान के चलिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तक की ताकत नहीं है कि उसको हटवा सके। उन्होंने कहा कि न्यू मीडिया में आरटीआई के जरिए सूचनाओं का आदान प्रदान कर पत्रकार बेहतर तरीके से ई-जर्नलिज्म कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सीएससी यानि कॉमन सर्विस सेंटर जिसको ई-क्योस्क या ई-गुमठी भी कहते है। मध्यप्रदेष में 9232 स्थापित हो रही है। देष में 25 राज्यों में लगभग एक लाख दस हजार से अधिक गुमठियां स्थापित हो रही है। इसके अलावा निजी क्षेत्र के लोग भी ई-गुमठियां तथा इंटरनेट की सुविधा प्रदान करा रहे हैं। ई-गुमठियों के स्थापित होने से ई-जर्नलिज्म का विस्तार तेजी के साथ बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह ई-मीडिया का ही असर है कि अब वेब जर्नलिज्म पुरस्कार और कोर्स चालू हो गए हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार यूएनडीपी की परियोजना सोल्यूषन एक्सचेंज की तरह ई-फॉरम बनाकर ई-फॉरम चला सकते हैं। उन्होंने कहा कि नागरिक पत्रकारिता भी ई-मीडिया का हिस्सा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ई-मीडिया का ही असर है कि कोबरा पोस्ट में सांसद घूसखोरी को उजागर किया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री शषि थरूर और आईपीएल के आयुक्त ललित मोदी का विवाद वेब के जरिये ही सामने आया है, मोदी पर आरोप यह नहीं लगा कि किसी चैनल या अखबार को मदद की बल्कि वेबसाइट को मदद करने का आरोप उन पर लगाया गया। श्री नगेले ने कहा कि वेब का व्यूवर्स अलग प्रकार का होता है किसी भी राज्य का केन्द्र से संचालित होने वाली वेबसाइट को भीभत्सव खबरों से बचना चाहिए। साथ ही इस तरह की खबरें देना चाहिए जिससे की उनके शहर या राज्य पर भविष्य में होने वाले निवेष पर असर न पड़े। उन्होंने कहा कि नये-नये पत्रकार टीवी की पत्रकारिता की ओर भाग रहे है और बेमौत मारे जा रहे है। जबकि वहां वैल्यू एंकर की है। उन्होंने कहा कि आजकल टीवी चैनल के मुख्यालय में कार्यरत् पत्रकार अपने संवाददाताओं व ब्यूरो प्रमुखों से खबर की स्क्रिप्ट इंटरनेट के माध्यम से नोटपेड पर यूनिकोड फॉंट में बुला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के बढ़ते दायरे और इस्तेमाल के कारण अब बड़ी-बड़ी कंपनियां क्षेत्रिय भाषाओं में सर्च इंजन ला रही हैं। गूगल के द्वारा एक ऐसी परियोजना पर काम किया जा रहा है जिसके अमल में आने के बाद अमेरिका के सौ साल पुराने समाचार पत्र ऑनलाइन देख सकेंगे। गूगल समाचार पत्रों का डिजिटलाइजेषन कर रहा है। मोबाइल फोन पर इस्तेमाल होने वाले टूल्स पर भी विषेष ध्यान दिया जा रहा है। श्री नगेले ने रवि घाटे का उदाहरण देते हुए बताया कि उनकी संस्था एसएमएस 1 महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेष, केरल, तमिलनाडु, में एसएमएस के आठ लाख से अधिक सबसक्राबर हैं। इस क्षेत्र में लोगो को रवि घाटे जैसे लोग, लोगों को गांव गांव में रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। इंटरनेट आधारित एसएमएस का इतना असर है कि लोगो का रोजगार भी मिल रहा है और पत्रकारिता भी कर रहे हैं। सहारा समय भी एसएमएस सुविधा के जरिए सूचनाओं का अदान-प्रदान तुरंत कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही एम पेपर अब पढ़ने को मिल सकेंगे। इसके साथ ही ई-मीडिया के बाद एम-मीडिया शीघ्र सामने होगा। श्री नगेले ने बताया कि इसका निगेटिव पक्ष यह है कि जैसे राजनीतिक, सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक विषयों की जानकारी के अभाव में असत्य सूचनाओं तथा चित्रों का इस्तेमाल हो जाता है। उन्होंने एक मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान जिन लोगों के साथ घटना हुई थी उनकी बजाए स्थानीय सांसद और ऐसे व्यक्ति से संबंधित समाचार वेब साइट पर प्रसारित कर दिया गया था जिसका उस घटना से कोई ताल्लुक भी नहीं था। उन्होंने कहा कि इस मीडिया की भाषा मर्यादित नहीं होती है। यह मीडिया हिन्दी भाषा के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ कर रहा है। श्री नगेले ने कहा कि रचनाकार अपनी नई-नई रचनाओं, ऑनलाइन कविता प्रतियोगियों आदि के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्षन कर वेब जर्नलिज्म जैसे नए क्षेत्र में अपना उचित स्थान हासिल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि होषंगाबाद के एक व्यक्ति ने ऑनलाइन कविता पाठ भी कराया है। श्री नगेले ने बताया कि जल्द ही गांव-गांव में ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचने वाली है। इसके बाद तो ई-मीडिया का ही असर चारों तरफ देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार गांवों को दूरसंचार और ब्रॉडबैंड सेवा संपन्न बनाने के लिए 3.5 अरब डॉलर की राशि से देश के 626,000 गांवों में ये सेवाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के लिए 11,000 संचार टॉवर लगाए जाएंगे। इनमें से कई टॉवर बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा के नजदीक स्थित गांवों में लगाए जाएंगे। उन्होंने उदाहरण दिया कि भारत में 45 प्रतिषत लोगों के पास मोबाइल फोन हैं जबकि 31 प्रतिषत लोगों के पास शौंचालय की व्यवस्था है। यह इस बात को दर्षाता है कि भारत में टेक्नॉलाजी का विस्तार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट का एक तरह लोगों को नषा हो गया है। इंटरनेट के बिना वे लोग अपना जीवन अधूरा महसूस करते हैं। जो इसका सर्वाधिक उपयोग करते हैं। कार्यषाला का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और इन्दौर प्रेस क्लब के पदाधिकारी व सहारा समय के इन्दौर ब्यूरो चीफ प्रकाष हिन्दुस्तानी ने किया। इस अवसर पर हिन्दुस्तान टाइम्स नई दिल्ली के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा, वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजेष बादल, माखलनलाल चतुर्वेदी विष्वविद्यालय पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष पुष्पेंद्रपालसिंह, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के पदाधिकारी पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, कांग्रेस संदेष के संपादक पंकज शर्मा सहित सैकड़ों पत्रकार, फोटो पत्रकार और वेब पत्रकार मौजूद थे। कार्यषाला के समापन के दौरान प्रेस क्लब, महासचिव अन्ना दुराई ने सभी वक्ताओं को प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

मेरे बारे में

सरमन नगेले
संपादक
ई-समाचार पत्र
http://www.mppost.org/
http://www.mppost.com
पत्रकारिता - साधनों की शुध्दता के साथ लोकहित के उद्देश्य से सत्य उध्दाटित करने की रचनात्मक प्रक्रिया।
पत्रकार - एक चिंतक, योध्दा और सत्य का रक्षक।
सफलता - उत्कृष्ट होना और बने रहना सफल होने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
जन्म - 10 जून 1969 को बुंदेलखण्ड के झांसी शहर के स्व. श्री एम.एल. नगेले एवं श्रीमती शकुन नगेले के मध्यम परिवार में। शिक्षा - हिन्दी में स्नातक,
कैशोर्य की देहरी लांघते ही मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पदार्पण।
जीवन यात्रा - रचनात्मक एवं राजनीतिक लेखन की ओर छात्रावस्था से ही रूझान रहा।
म.प्र. के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सीडी संस्करण प्रथम एवं द्वितीय। सामाजिक-आर्थिक विषयों पर लेखन की दृष्टि से भारत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, तामिलनाडू जैसे राज्यों का अध्ययन भ्रमण कराया। इस यात्रा तथा मधयप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र की सामाजिक आर्थिक अधोसंरचना का अधययन भ्रमण के दौरान सृजित हुई।
''माया'' राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका में कुछ मापदण्ड निर्धारित कर मध्यप्रदेश के टाँप टेन एम.एल.ए. चयनित कर विधायकों पर केन्द्रित विशेषांक का सृजन। अब तक के मप्र विधानसभा के अध्यक्षों पर केन्द्रित सीडी का सृजन। सिंहास्थ 2004 पर केन्द्रित सीडी का सृजन। आईटी स्टेटस इन मध्यप्रदेश, आईटी फॉर डव्लेपमेंट, ई@मध्यप्रदेश विशेषांक का संपादन। मध्यप्रदेश में ई-सेवाएं एक नजर में। प्रवासी भारतीय दिवस 7-9 जनवरी, 2008 पर विशेषांक का संपादन।
लगभग दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय - इंटरनेट मीडिया एक नये स्वरूप में सामने आ रहा है। हिन्दी भाषी राज्यों में इंटरनेट पत्रकारिता का शैशवकाल है। भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की संभावनाओं को देखते हुए http://www.mppost.org/ पर मध्यप्रदेश का पहला इंटरनेट हिन्दी समाचार पत्र एक जनवरी 2005 से शुरू किया।
चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, असाम, पंजाब, तमिलनाडू, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात की आई.टी. नीतियों का अध्ययन, इंटरनेट पत्रकारिता से जुड़े लोगों, संस्थाओं प्रमुख, आई.टी. कंपनियों, विशेषज्ञों से सतत् संवाद। इंटरनेट पर आयोजित अंर्तराष्ट्रीय सेमीनार डब्ल्यू3सी में मध्यप्रदेश की ओर से प्रतिनिधित्व किया। साऊथ एषिया की सबसे बड़ी आई.टी. प्रर्दशनी एवं सेमीनार जीटेक्स इंडिया में भाग लिया। साऊथ एशिया के सबसे बड़े संचार एवं आई.टी. इवेंट कर्न्वजेंस इंडिया- 2006 में शामिल हुए। प्रवासी भारतीय दिवस में विशेष रूप से मीडिया प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। म.प्र. सरकार द्वारा आयोजित आई.टी. समिट में हिस्सा लिया।
पत्रकारिता -
बीबीसी- वेबदुनिया द्वारा आयोजित ऑन लाइन पत्रकारिता कार्यशाला में भागीदारी। राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, अक्षर भारत, दिल्ली, राज्य की नई दुनिया, भोपाल जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य। म.प्र. के प्रमुख दैनिक नवीन दुनिया जबलपुर के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। महाकौशल के प्रमुख सांध्य दैनिक सीटाइम्स के भोपाल ब्यूरो प्रमुख के रूप में संबध्द रहे। राष्ट्रीय राजनैतिक पत्रिका ''माया'' के मध्यप्रदेश विशेष संवाददाता के रूप में संबध्द रहे। दूरदर्शन, आकाशवाणी के लिये संवाद लेखन, विधानसभा कार्यवाही की समीक्षात्मक रिर्पोट लेखन। भोपाल दूरदर्शन से प्रसारित लाइव फोन इन कार्यक्रम शुभ-शाम में 17 अगस्त 2009 को विषय विशेषज्ञ के रूप में वेब जर्नलिज्म में भविष्य का प्रसारण।
संप्रति -
संपादक - एमपीपोस्ट इंटरनेट समाचार एवं विचार सेवा और वेबसाइट http://www.mppost.org/
ब्लाग - http://journocrat.blogspot.com/
समन्वयक, सेन्ट्रल प्रेस क्लब, भोपाल। उपाध्यक्ष, ब्यूरो चीफ एसोशिएशन, भोपाल। संस्थापक, सदस्य एवं संचालक राजधानी पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित, भोपाल, सदस्य- मध्यप्रदेश जर्नलिस्ट यूनियन (जम्प)। आजीवन सदस्य, मध्यप्रदेश विधानसभा पुस्तकालय, भोपाल। सदस्य, इंटरनेट आधारित सेवा सॉल्यूषन एक्सचेंज। अनेक राष्ट्रीय एवं प्रांतीय सामाजिक एवं रचनात्मक संगोष्ठियों में हिस्सा लिया।
पत्राचार का पता
एफ-45/2,
साऊथ टी.टी. नगर, भोपाल म.प्र.
462 003. दूरभाष - (91)-755-2779562 (निवास)
098260-17170 (मोबाईल)